Saturday 28 November 2015

Maa Beti ne ek sath

मेरा नाम गबरू है। मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष की है। यूँ तो मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मैं रंडियों का दलाल भी हूँ। मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म-फरोशी के धंधे में उतारा। मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया। मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएँ दिलवाईं जिनके पास खाने के भी लाले थे। मैं भी उन लड़कियों को बारी-बारी से चोदता हूँ। मेरे लिए मेरी सभी लड़कियों का जिस्म मुफ़्त में उपलब्ध रहता है क्योंकि मैं ही उन्हें नए-नए ग्राहक लाकर देता हूँ। टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। रागिनी इन्हीं मजबूर लड़कियों में एक थी। जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है और जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी। वो कुछ समय पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लाई गई थी। हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मैं भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ। मुझे उसे चोदने में काफी आनन्द आता था। अचानक एक दिन उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि रागिनी के मौसा का देहांत हो गया है और वो लोग काफी मुश्किल में हैं। वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके। रागिनी ने मुझे सारी बातें बताईं। रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपनी मौसी को काफी पहले ही बता दिया था, जब कुछ समय पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आई थी। रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है। मैं झट से उसे अपने गाँव जाकर उस लड़की को लेकर आने कहा। रागिनी ने कहा- गबरू अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ। मेरा गाँव पहाड़ों एकदम मस्त जगह पर है। अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनों का हनीमून भी हो जाएगा। मैंने कहा- हाँ.. हाँ क्यों नहीं।और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली।

अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए। वहीं बस-स्टौप पर ही फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नाश्ता किया और अब करीब दो घन्टे हमारे पास थे क्योंकि उसके गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे चलती थी। हम दोनों पास के एक बाग में चले गए। रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और
मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था। मौसी की तीन बेटियाँ थीं। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगाड़ हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में ही काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था। मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आकर रात गुजारने लगा था। चौधरी के अलावा उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसके जिस्म का मज़ा लेता था। अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे, तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जिसने उसकी माँ को भी चोदा हो और कोई फायदा भी ना हो। सो वो रागिनी को बुला रही थी कि वो उसको साथ ले जाकर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे कमाई होने लगे। मैंने अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली- अब तो सिर्फ़ मौसी ही हैं। छः महीने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले ही निकाल दिया था क्योंकि माँ की बीमारी लाइलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने भी हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में ही मरी। आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दु:ख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दु:ख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली- अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?

मैंने भी अपना मूड बदला- अब हनीमून तो मुझे एक ही तरह से मनाना आता है, लन्ड को बुर में पेल कर हिला-हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून। रागिनी बोली- अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है। मैं आश्चर्य से उसको देखा- तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ? रागिनी हँसी- पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में…! अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोच रहे हैं। 35 साल से भी कम उम्र होगी। 16 साल की उम्र में तो वो माँ बन गई थी। खूब छरहरे बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खूब अच्छे से उनकी खातिर हुई तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे। मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इसकी माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बुरें भी, अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थीं। मैंने भी सोच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई ही याद रखे। दिन में एक बार और हल्का सा नाश्ता लेकर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए। करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रोशनी में हमारा परिचय हुआ। रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। वो दो कमरे का छोटा सा घर था। मेरे लिए चिकन बना था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।
रागिनी ने मौसी से कहा, “आज मैं अंकल के साथ ही सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।” सबसे छोटी बेटी रीता ने कहा, “हम आपके पैर दबा दें अंकल?” मौसी बोली- नहीं बेटी, दीदी है न… वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को…आराम दो उनको ! थके होंगे।

रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए। उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद ही मेरा लन्ड चूसा, उसको खड़ा किया, फ़िर मेरे ऊपर चढ़ कर
अपनी चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाया और फ़िर ऊपर से खूब हुमच-हुमच कर चुदी। जल्दी ही वो भी गर्म हो गई और ‘आह… आह… आह… उउह… उउह… उह…’ करने लगी, बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे। उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खूब नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च…की आवाज होने लगी थी। वो हाँफ़ रही थी- …आआह… आआह… आआह… और मैं भी हूम्म्म… हूम्म्म्म… हूऊम… कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा… ‘आआआअह्ह्ह…’ और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोंछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई।
मुझे प्यास लग रही थी। मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा। उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढक लिया। उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी लेकर आई और नजरें झुकाए-झुकाए हम दोनों की अर्द्ध-नंगी हालत को देखते हुए पानी का जग मेज पर रख चली गई। मैंने तीन गिलास पानी पीया। मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया। अगले दिन खाना ने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उसकी मौसेरी बहनें मुझे आस-पास की पहाड़ी पर घुमाने ले गईं। हिमालय अपने सुन्दर लहजे में अपना सारा सौन्दर्य बिखेरे था। एकांत देख कर रागिनी ने मुझे बता दिया कि आज रात में बिन्दा मेरे साथ सोएगी, मुझे उसको चोद कर सब सैट कर लेना है, वैसे वो सब पहले से सैट कर चुकी थी।
करीब 5 बजे हम घर लौटे, तो उसकी मौसी बिन्दा हम सब के लिए खाना बना चुकी थी। खाना-वाना खाने के बाद हम सब पास में बैठ कर इधर-उधर की गप्पें करने लगे। पहाड़ी गाँव में लोग जल्दी सो जाते थे, सो करीब आठ बजे तक पूरा सन्नाटा हो गया। रागिनी बोली, “मौसी, अंकल थक गए होंगे सो तुम उनके पैरों में थोड़ा तेल
मालिश कर देना, मैं रीना के साथ उसके बिस्तर पर सो जाऊँगी।” इशारा साफ़ था कि आज मुझे बिन्दा को चोदना था।

बिन्दा मुझे देख कर मुस्कुराई और तेल की शीशी ले कर मुझे कमरे में चलने का इशारा किया। पाँच चूत-वालियों से घिरा मैं अपनी किस्मत को सराहता हुआ बिन्दा के पीछे चल दिया और फ़िर कमरे के किवाड़ को खुला ही रहने दिया तथा सिर्फ उसके परदे फैला दिए। उस कमरे के बरामदे पर ही चारपाई पर उसकी सभी बेटियाँ और रागिनी लेटी हुई थीं। बिन्दा तब तक अपने बदन से साड़ी उतार चुकी थी और भूरे रंग के साया और सफ़ेद ब्लाऊज में मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। वो मुझे देख रही थी और मैं अपने सब कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मेरा लन्ड अभी ढीला था पर अभी भी उसका आकार
करीब 6″ था। बिन्दा की नजर मेरे लटके हुए लन्ड पर अटकी हुई थी। मैंने उसके चेहरे को देखते हुए, अपने हाथ से अपना लन्ड हिलाते हुए जोर से कहा- फ़िक्र मत करो, अभी तैयार हो जाएगा… आओ चूसो इसको। मेरे हिलाने से मेरे लन्ड में तनाव आना शुरू हो गया था और मेरा सुपाड़ा अब अपनी झलक दिखाने लगा था। बिन्दा ने आगे बढ़ कर बिना किसी हिचक या शर्मिंदगी के मेरे लन्ड को अपने हाथों में पकड़ा और सहलाया। मादा के हाथ में जादू होता है, सो मेरा लन्ड बिन्दा के हाथ के स्पर्श से ही अपना आकार ले लिया। बिन्दा ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर लन्ड अपने मुँह में भर लिया। पांच-दस बार अंदर-बाहर करके बिन्दा बोली- आप सीधा आराम से लेटिए, मैं तेल लगा देती हूँ। मैंने उसे बांहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और बोला, “कोई परेशानी की बात नहीं है। मेरी सब थकान खत्म हो जाएगी जब तुम्हारी जैसे मस्त माल की चूत मेरे लन्ड की मालिश करेगी।”
मुझे पता था कि हम दोनों के एक-एक शब्द खुले किवाड़ के द्वारा उन बेटियों के काम में स्पष्ट सुनाई पड़ रहे होंगे। मैंने बिन्दा के होंठों से अपने होंठ सटा दिए और वो भी चूमने में मुझे सहयोग करने लगी। मैंने उसके ब्लाऊज और पेटीकोट खोल दिए तो उसने खुद से अपने को उन कपड़ों से आजाद कर लिया। मैंने बिन्दा को अपने से थोड़ा अलग करते हुए कहा- देखूँ तो कैसी दिखती है मेरी जान…! बिन्दा मेरे इस अंदाज पर फ़िदा हो गई, उसके गाल लाल हो गए। बिन्दा दुबली होने की वजह से अपनी उम्र से करीब 5 साल छोटी दिख रही थी। वैसे भी उसकी उम्र 35 के करीब थी। रंग साफ़ था, चूचियाँ थोड़ी लटकी थीं, पर साईज में छोटी होने की वजह से मस्त दिख रही थीं। सपाट पेट, गहरी नाभि और उसके नीचे कालें घने झाँटों से घिरी चूत की गुलाबी फ़ाँक, काँख में भी उसको खूब सारे बाल थे।

मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर हाथ घुमाना शुरु किया और उसमें भी गर्मी आने लगी। जल्द ही उसका बदन चुदास से भर गया और तब मैंने अपने हाथों और मुँह से उसकी चूचियों और चूत पर हमला बोल दिया। उसकी सिसकारी पूरे कमरे में गूँजने लगी। करीब आधा घन्टा में वो बेदम हो गई तो मैंने उसको सीधा लिटा कर उसके
पैरों को फ़ैला कर ऊपर उठा दिया और बिना कोई भूमिका बाँधे, एक ही धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया। मुझे पता था कि मेरा लन्ड उसकी झाँटों को भी भीतर दबा रहा है। मैं चाहता भी यही था, सो मैंने लन्ड को कुछ इस तरह से आगे-पीछे करके घुसाया कि ज्यादा से ज्यादा झाँट मेरे लण्ड से दबे और वो झाँटों के खींचने से दर्द महसूस करे। वही हुआ भी… बिन्दा तो चीख हीं उठी थी- ओह्ह… मेरे बाल खिंच रहे हैं साहब जी !
मैंने भी कहा- तो मैं क्या करूँ, तुम्हारी झाँट हीं ऐसी शानदार हैं कि पूछो मत ! उसने अब अपने हाथ अपनी चुद रही चूत के आस-पास घुमा कर अपने झाँटों को मेरे लन्ड से थोड़ा दूर की और फ़िर बोली, “हाँ अब चोदिए, खूब चोदिए मुझे… आह आह्ह !” मैंने अब उसकी जबरदस्त चुदाई शुरु कर दी थी। वो भी गाण्ड उछाल-उछाल कर ताल मिला रही थी और मैं तो उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसल-मसल कर चुदाई किए जा रहा था। यह सोच कर कि बाहर उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई की आवाज सुन रही हैं मेरा लन्ड और टनटना गया था और जोरदार धक्के लगा रहा था। वो झड़ गई थी, थोड़ा शान्त हुई थी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसको
पलटा और जब तक वो कुछ समझे मैंने पीछे से उसके चूत में लन्ड पेल दिया। वो थक कर निढाल हो गई थी तो मैं झड़ा उसकी चूत के भीतर, पर मेरा लन्ड कब एक बार झड़ने से शान्त हुआ है जो आज होता ! मैंने बिन्दा से कहा कि वो अब आराम से पोजीशन ले ले, मैं उसकी गाण्ड मारुँगा। वो शायद थकान की वजह से ऐसा चाह नहीं रही थी, पर मैंने उसको तकिया पकड़ा दिया तो वो समझ गई कि मैं नहीं रुकने वाला। सो वो भी तकिये पर सिर टिका कर और अपने घुटने थोड़ा फ़ैला कर, सही से बिस्तर पर पलट गई। मैं उसके थोड़ा पीछे खड़ा हो गया और फ़िर उसकी गाण्ड पर ढेर सारा थूक लगा कर अपना लन्ड छेद से भिड़ा दिया लेकिन वो जोर से कराह उठी।
बोली- आह… रुकिए साहब जी आपका लंड बहुत मोटा है। मेरी गांड में वैसलिन लगा दीजिये, तब मेरी गांड मारिए। मैंने कहा- कहाँ है वैसलिन? उसने आलमारी में से वैसलिन निकाल कर मुझे दी। मैंने ढेर सारी वैसलिन
उसकी गांड के छेद में लगाई, फिर अपना लंड उसके गांड में घुसाया। थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, पर उसने वो दर्द सह कर अपने गाण्ड में मेरा लन्ड घुसवा लिया। मैं भी मस्त हो कर अब उसकी गाण्ड मारने लगा। शुरु में दर्द की वजह से वो कराह रही थी, पर जल्द ही उसको भी मजा मिलने लगा और फ़िर आह… अह… आअह… ऊऊह्ह उउम्म्म… जैसे कामुक बोल कमरे में गूँजने लगे। इस बार थोड़ा थकान मुझे भी लगने लगी थी, शायद दिन भर का घूमना अब हावी हो रहा था, सो मैंने भी तेजी में धक्के पर धक्के लगाए और जल्द ही बिन्दा की गाण्ड अपने लन्ड के रस से भर दिया। वो तो कब की थक कर निढाल थी। अब हम दोनों में से कोई हिलने की हालत
में नहीं था सो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए। बिन्दा ने तो अपने चूत और गाण्ड को साफ़ करना भी मुनासिब नहीं समझा। अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आई। उस समय तक मैं नंगा ही था। मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा। तब तक सब चाय पी चुके थे। मैं जब बाहर आया तो देखा कि खूब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सूखने के लिए तार पर डाल रही थी। आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, उसके बदन पर बस एक जाँघिया था। मुझे समझ में आ गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता, जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम में सामने ही बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई।
उसने कहा- तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में…
मैं थोड़ा हिचक कर बोला- पर रीता? अब वो मुस्कुराते हुए बोली- आपको कब से लड़की से लाज लगने लगी?
और उसने आँख मार दी। मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था, सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घूरने लगा। खूब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चूचक ही था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, ‘काश, इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रिंग पहनी होती…’ और तभी रीता अपने दोनों बांहों को ऊपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी ऊपर खिंच गई और तब
मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काले बाल बन चुके थे। अब वहाँ काले बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुड़ना और हल्के घुंघराले होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बुर पर किस तरह के और कैसे बाल होंगे। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी की जरूरत थी
और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था। अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी और दुबारा से सब लोग चाय लेकर बीच आंगन में बिछी चटाइयों पर बैठ गए थे। रागिनी ने अब पूछा- कब तक आपको छुट्टी है? मैंने पूछा- क्यों…? तो वो बोली- असल में रीना को तो हम लोग के साथ ही चलना है तो उसको
अपना सामान भी ठीक करना होगा न…! दो-तीन दिन तो अभी हैं या नहीं? मैंने कहा- अभी तीसरा दिन है और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, अभी तो समय है। अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली- रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम… कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी? रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया- तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा मिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार
तो बहुत खराब लगा, फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सम्भोग किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है,
लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सम्भोग का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? बिंदा ने थोड़ा मुस्कुरा कर अपना सर नीचे झुकाया और कहा- नहीं री ! तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से अन्दर-बाहर करते हैं। मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खूब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया- तुम हो ही इतनी प्यारी बच्ची…! और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया। रागिनी ने अब एक नई बात कह दी- मौसी, मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा डर-भय निकल जाएगा।
मुझे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रिएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी। बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली- कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर… फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में… इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो…! मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला- तुम
बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा ! मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना ही पड़ेगा। जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान-बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपनी बात में किया था। रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म ही हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात-रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? बाहर एक-एक ‘आह’ की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है, क्यों री रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि
रात में मैं या तेरी माँ अंकल के साथ क्यों सोते हैं? रूबी शरमा गई और ‘हाँ’ में सर ऊपर नीचे हिलाया।

मैं बोला- मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी ही नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई करके उसके बाद नहा धो ले… उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे ही सोना होगा। बिन्दा के चेहरे से लग रहा था कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और उसने सब कुछ रागिनी पर छोड़ दिया है। बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का- तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही
है सब बात… जा, जाकर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बना ला ! रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई। मैंने उसको छेड़ दिया- अरे थोड़े ही दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी… तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ। वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँड जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा। मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया- साँड… ठीक है पर बुड्ढा साँड ! और खिलखिला कर हँस दी। मैं भी कहाँ चूकने वाला था सो बोला- अरे तुमको क्या पता…! नया-नया जवान साँड तो बछिया की नई बुर देख कर ही टनटना जाता है और पेलने
लगता है, मेरे जैसा बुड्ढा साँड ही न बछिया को भी मजा देगा। बछिया की नई-नवेली चूत को सूँघेगा, चूमेगा, चूसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा…! इतना बछिया को गर्म करेगा कि चूत अपने ही पानी से गीली हो जाएगी, तब जाकर इस साण्ड का लण्ड टनटनाएगा…! अब रूबी बोल पड़ी- छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप… अब चुप
रहिए। मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा- अरे मेरी जान… यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना है शहर ! मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है… वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो। रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा और साथ में बोलना भी होगा। रीना का गाल लाल हो गए थे, बोली- मैं यह सब नहीं बोलूँगी… मैंने उसकी चूची सहला दी वहीं सबके सामने, वो चौंक गई, मैं हँसते हुए बोला- अभी चलो न भीतर ! एक बार जब लन्ड तुम्हारी बुर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि सब सुन कर तुम्हारी इस रूबी देवी जी की गाण्ड फ़ट जाएगी। रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा- वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो… बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। इसकी उम्र की दो-तीन लड़की तो मैं ही चोद चुका हूँ और वो भी करीब-करीब इतने की ही है।
रीता सब सुन रही थी बोली- वो अभी बड़ी नहीं हुई है, अभी कुछ छोटी है। मैं अब रंग में था- ओए कोई बात नहीं, एक बार जब झाँट उग गई तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारी काँख में भी बाल
देख चुका हूँ, सो अब तक तुम्हारी बुर पर झाँट तो पक्का निकल आई होगीं… रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली- हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर सब दीदियों की तरह नहीं है। बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा तो मैंने उसको शह दी और कहा- अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उम्र में यह सब बोलना सीखेगी उतना ही कम हिचक होगी, वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दिया कि मैं नहीं बोलूँगी ऐसे…!”
सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा- अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दूँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे। उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा- क्या कहना पड़ेगा?  मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला- आओ न, चोदो न मुझे…! जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से। मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था। मैंने वहीं सब के सामने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल कर उसको अपने अँगूठे से पोंछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगूठा सूँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वास्ता होगा, सो मैंने अपने अँगूठे को रीना की नाक के पास ले गया- सूँघ के देखो इसकी खुश्बू। मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को ही देख रहे थे। रीना हल्के से बिदकी- छी: ! मैं नहीं सूँघूंगी। रीता तड़ाक से बोली- मुझे सुँघाइए न, देखूँ कैसी महक है।
मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढकने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता ने मेरे हाथ को सूँघा और बिना कुछ समझे बोली- कहाँ कुछ खास लग रहा
है…? अब रुबी भी बोली- अरे, सब ऐसे ही बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए ! और तू है कि बनती जा रही है। मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा- सीधा लन्ड ही सूँघना चाहोगी। वो जरा जानकार बनते हुए बोली- आप, बस दीदी तक ही रहिए… मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इन सब बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है। रीता तड़ से बोली- पर मुझे तो इसमें खूब दिलचस्पी है… अब बिन्दा बोली- ले जाइए न अब रीना को भीतर… बेकार देर हो रही है। मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा- दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा ही, ! हर लड़की की चूत का यही होता है, आज चुदो या कल पर यह तय है। और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का इशारा किया। रीना थोड़ा
हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी- जाओ रीना डरो मत… अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरूर चुदेगी… तो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली
बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने ही घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी… जाओ उठो… रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं, वो उठ गई और मैंने उसको बांहों में लेकर वहीं उसके होंठ चूमने लगा। तब बिन्दा ने मुझे रोका- यहाँ नहीं, अलग ले जाइए… यहाँ सबके सामने उसको खराब लगेगा। मैंने हँसते हुए अब उसको बांहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा- पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ… अगर पैसा कमाना है तो…! और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चूमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।
मैंने उसको चूमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया- देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो। मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद ही चोदूँगा। तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो। अब जब घर पर ही इज़ाज़त मिल गई है तो मजे लो। मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता, पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता। फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चूम रहा था। रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी- बहुत दर्द होगा न? जब आप करेंगे मुझे? मैंने उसको समझाते हुए कहा- ऐसा जरूरी नहीं है, अगर तुम खूब गीली हो जाओगी, तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी ही पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर ! फ़िर खूब चुदाना जी भर कर और चूत भर भर कर। अब वो बोली- और अगर बच्चा रह गया तो…? मैंने उसको दिलासा दिया- नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है…निश्चिंत होकर चुदो अब…! और मैं उसके कपड़े खोलने लगा। मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली- इसको खोलना जरूरी है क्या? सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा? मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया- अब शर्म छोड़ो और अपना बदन दिखाओ। एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में ! और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चूची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चूचियों को आजाद कर दिया। छोटी सी गोरी चूचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थीं। मैंने कहा- बहुत सुन्दर चूची है तुम्हारी मेरी जान… और मैं उनको चूसने में लग गया। उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है। इसके बाद
मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघों को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरूरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना ही बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उम्र भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनासा को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाण्ड के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द ही चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म होकर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टॉप की रंडी बना दूँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टॉप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी। मैंने कहा- रीना, अब जरा अपनी जाँघें पूरी खोलो न जानू…! तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है। यह सुन कर वो ‘आह’ कर उठी और बोली- बहुत जोर की पेशाब लग रही है… इइस्स्स अब क्या करूँ…? मैं समझ गया कि साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा- तो कर दो ना पेशाब…! वो अकचकाई- यहाँ… कमरे में? और जोर से अपने पैर भींचे उसने !
मैंने कहा- हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?
मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला- अरे तो मूत ना मेरी जान। तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी। वो अब खड़ी होकर अपने कपड़े उठाते हुए बोली- बस दो मिनट में आई ! पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी- सच में? और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली- मम्मी मुझे पेशाब करने
जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे ही जाने को कह रहे हैं ! रागिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली- आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने ही हैं और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी। अब मैं बोला- बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब। मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ, फ़िर रीना की सील
तोड़ूँ !
कहते हुए मैं नंगा ही कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों। बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द ही हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने ही अपने
लण्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी
हो कर मुझे मूतते देखने लगी। मैं बोला- लेगी अपने मुँह में एक धार…? रीना ने मुँह बिचकाया- हुँह गन्दे…!
अब मेरा पेशाब खत्म हो गया था, मैंने हँसते हुए अपना हाथ उसकी पेशाब से गीली चूत पर फ़िराया और फ़िर अपने हाथ में लगे उसके पेशाब को चाटते हुए बोला- क्या स्वाद है…? इसमें तुम्हारी जवानी का रस मिला हुआ है मेरी रानी। यह सब देख रीता बोली- आप कैसे गन्दे हैं, दीदी का पेशाब चाट रहे हैं। मैंने अब अपना हाथ सूँघते हुए कहा- पेशाब नहीं है, ऐसी मस्त जवान लौन्डिया की चूत से पेशाब नहीं अमृत निकलता है मेरी रानी… पास आ तो मैं तेरी चूत के भीतर भी अपनी उंगली घुसा कर तेरा रस भी चाट लूँगा। बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली- ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी चोद लीजिये रीना को, इसे
नहाना-धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजूँगी। मैंने रीना के चूतड़ पर हल्के से चपत लगाई- चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए…! फ़िर मैंने बिन्दा से कहा- बहुत जल्दी हो तो यहीं पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?
बिन्दा अब गुस्साई- यहाँ बेशर्मी की हद कर दी…कमरे में जाइए आप दोनों ! मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया। इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लण्ड करीब
40% ढीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लण्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लण्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे। रीना अब मुँह बना कर बोली- नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैंने देखा था।” मैंने उसको समझाया- और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी… तुमने देखा था
न कि मैंने तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छोटी बहन को दिखाया था… औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक-दूसरे के लण्ड और चूत को पूरी इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको ही परेशानी होगी। इसलिए जरूरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।
इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा- चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज ही भोसड़ा बना दूँगा साली रंडी मादरचोद…! और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ, वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था, पर मैं अपना मूड
बना रहा था, उसकी मुँह में लण्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा- वाह मेरी जान, क्या मस्त होकर अपना मुँह चुदवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी… और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लण्ड को चूस रही थी।  थोड़ी देर में मैं बोला- चल अब आराम से सीधा लेट, अब तुमको लड़की से
औरत बना देता हूँ… बिना कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा… और फ़िर बन जा मेरी रंडी… मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघों के बीच में आ गया। मेरा लण्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सैट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगें लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके। इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लण्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चूची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा- अब तू अपने हाथ से मेरे लण्ड को अपकी चूत की छेद पर लगा दे। और जैसे ही उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा- अब बोली साली.. कि चोदो मुझे… बोल नहीं तो साली अब तेरा बलात्कार हो जाएगा। लड़की के न्यौतने के बाद ही मैं उसको चोदता हूँ… मेरा यही नियम है ! वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली- चोदो मुझे…! मैं बोला- जोर से बोल कि तेरी माँ सुने… बोल कुतिया…जल्दी बोल
मादरचोद… वो भी जोर से बोली- चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी…आह… और उसकी आँख बन्द हो गईं।
मैंने अब अपना लण्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपारा भीतर चला गया और इसके बाद उसने दर्द महसूस किया। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर
गड़ाए था और लण्ड भीतर दबाए जा रहा था। मैं रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली। मैं पूछा- मजा आ रहा था? रीना बोली- बहुत दर्द हुआ था…!

मैं बोला- अभी एक बार और दर्द होगा, अबकी थोड़ा बरदाश्त करना। मैंने अपना लण्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया- मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय…रीना रंडी जिन्दाबाद…! मैंने इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए ! इस नारे के साथ ही मैंने अपना लण्ड जोर के धक्के के साथ ‘घचाक’ पूरा भीतर पेल दिया। रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी- ओ माँ… मर गई… इइइस्स्स्स्स… अरे बाप रे… अब नहीं रे…माँ…!! वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी, पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर ही रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा।
“घचा-घच… फ़चा-फ़च… घचा-घच…फ़चा-फ़च…” रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त होकर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया। रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन ही मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुला
कर लाई। करीब दस मिनट की चुदाई, कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था, मैं रीना को बोला- अब मैं झड़ने वाला हूँ। तो वो घबड़ा कर बोली- अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से ! और वो उठने लगी। मगर मैंने एक बार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चुद रही थी, सो मैंने भी सोचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैंने रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया। वो घबरा रही थी, बोली- बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैंने अब निश्चिन्त होकर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक ‘फ़क’ की आवाज
आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी। मैंने रीना को कहा कि अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए। “चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर होता है, समझ लो इस बात को !” मैंने उसको समझाया। वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा- अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या परेशानी है? चुदने के पहले तो नंगी बाहर जा कर मूती थीं न तुम? मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था। मेरे दुबारा पूछने पर बोली- अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी !
मैंने पूछा- क्यूँ भला…?
वो सर नीचे कर के बोली- तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ… पहले मैं लड़की थी और अब मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सबके सामने जाने में…! मुझे शरारत सूझी, सो मैंने सबको नाम ले ले कर आवाज लगाई- रागिनी… बिन्दा… रूबी… रीता… सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रही है… मेरा सारा माल अपनी चूत में लेकर बैठी है बेवकूफ़… बाहर जाकर धोएगी भी नहीं।कहते हुए मैं हँसने लगा। मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघों पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई- आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली ही बार में भर दी, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है।और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी। रीना शरमा तो रही थी पर चुप थी। मैं भी बोला- अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी…? मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही
हो गये होंगे, फ़िक्र मत करो, यह पेट से नहीं रहेगी।

अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद

रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को

देखा, और फ़िर झट से कहा- जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ,

मंदिर चलना है।”

रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चूल्हे के पास है, सो मैंने कहा- एक

कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग, तुम्हारा अहसान होगा, बहुत थक गया

हूँ।

रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा- हूँह, साण्ड भी कहीं थकता है…!

मैंने भी तड़ से जड़ दिया- बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग… और

तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी… अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी,

ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।

इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। उसने मुझसे पूछा- तब अब

आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी…

मैंने समझाया- अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर

दूँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप

सबके प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं, पर खुल

कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बातचीत करेंगे तो उसका दिमाग भी

इस सबके लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं

तो उसको 2-3 बार में ढीला कर ही दूँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड

आम लोगों से मोटा भी है… सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार

में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं ही पैसा

वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो

बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।

रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था-

आज मैंने उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड से चोदा

है।

रूबी अब बोली- आपको अपनी मोटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी

बड़ाई करते रहते हैं।

उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।

मैंने उसको जवाब दिया- ऐसी कोई बात नहीं है, दुनिया में मुझसे ज्यादा

सौलिड लन्ड वाले हैं… पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से

बहुत-बहुत बेहतर है… जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव

मिलेगा, तब समझोगी।

अब मैं दिल में सोच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत

आएगी उस दिन वियाग्रा खाकर साली को फ़ाड़ दूँगा, वैसे भी मैं इसको खास

पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का बलात्कार ही कर दूँ। इस घर में

तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।

बिन्दा ने सब सुन कर सर हिलाया- ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी

के ही भरोसे है।

रीना अब तैयार होकर आ गई तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर

पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने-धोने की सोच रहा था।

जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं

ब्रश करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्टी में नहा रही थी। उसकी

छोटी-छोटी चूचियाँ अभी तरीके से चूची बनी भी नहीं थी…एक उभार था

जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और

उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी।

आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि

कल मैंने जिसे चूचक कहा था… वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात

अलग है कि अभी उसमें और उभार आना बाकी था। मैंने अपनी कमर में एक

तौलिया लपेट रखा था। रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे ही तौलिया में घूम

रहा था।

नहाते हुए रीता बोली- अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?

मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा- किस

बात से?

अब रीता फ़िर से बात पूछी- वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर

उसकी चुदाई कर उसको औरत बना रहे थे, तब?

मैं बोला- अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है,

कुछ खास नहीं, पर लड़की को इसमें मजा इतना मिलता है कि वो मर्दों के

साथ इस काम को बार-बार करती है अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या

इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती… सोचो !

रीता ने कुछ सोचा, समझा फ़िर बोली- तब दीदी इस तरह से कराह-कराह

कर रो क्यों रही थी?

मैंने अब उसको समझाया- वो रो नहीं रही थी बेटा… ऐसी आवाज जब

लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलती है… आह आह आह।

असल में तुमने कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं

है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।

रीता अब खड़े होकर बदन तौलिए से पोंछते हुए बोली- जैसे माँ तो मुझे जाने

ही देती… देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी

बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती हैं। अभी इतना बात कर पा रही हूँ

क्योंकि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगीं।

कल मैंने उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और काँख के बाल ही देख

पाया था और बुर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका

मिल रहा था कि उसकी बुर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।

मैंने अब उसको एक औफ़र दिया- रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको

अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न… उसको अभी तुम्हारे सामने चोद

दूँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत

बनाया था।

रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी- क्या बात है बोलिए, जरूर मानूँगी।

मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना

बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना

चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी,

फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना

बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना

चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी,

फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।

बिन्दा की सबसे छोटी बेटी रीता की नंगी बुर मेरे सामने चमक उठी, वो मेरे

सामने खड़ी थी, 5 फ़ीट लम्बी दुबली-पतली, गोरी-चिट्टी, गोल चेहरा, काली

आँखें… चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन… आह अनोखा

था। एकदम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाइयाँ, जो अभी नींबू

से कुछ ही बड़ी हुई होगीं, जिसमें से ज्यादातर हिस्सा भूरा-गुलाबी था और

जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल जिसको चाटा जा

सकता था, पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबा

हुआ पेट, जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभि… और मेरी नजर अब उसके

और नीचे फ़िसली।

दो पतली-पतली गोरी कसी हुई टाँगें और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का

क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फूली हुई थी वह जगह,

जैसे एक डबल-रोटी हो जिसको किसी पेन्सिल से सीधा चीरा लगा दिया गया

हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब

शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सिल कह रहा हूँ क्योंकि

उसकी उस फूली हुई डबल-रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4

ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था।

मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमें करीब दो ईंच का छेद होगा, वो

दरवाजा जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है। उस चीरे से ठीक सटे

ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब

आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दूसरे से सटे बहुत घने रूप से

बहुत ही कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था ही नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच

चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँटें। इसके बाद

के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँटें भी नहीं कहूँगा… बस रोएँ थे जो

भविष्य में झाँट बनने वाले थे।

मैंने बोला- एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बुर को खोलो न जरा सी।

उसने तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बुर के फूले हुई होंठों को फ़ैला दिया।

मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया।

तभी उसने अपने कपड़ा उठा लिए- अब चलिए न, दिखा दीजिए जल्दी से

रागिनी दीदी का… कहीं माँ आ गई तो बस…

मेरा लण्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा-

रागिनी…!!

हम लोगों के लिए नाश्ते की तैयारी कर रही थी वो, चौके में से ही पूछा- क्या

चाहिए…?

मैंने कह दिया- तेरी चूत…आओ जल्दी से।

रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई- आपका मन अभी भरा नहीं? अभी तो रीना

को चोदा है।

मैंने मक्खनबाजी की- अरे रीना तो भविष्य की रन्डी है जबकि तू ओरिजनल

है… सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी

तस्वीर में नहीं… गाने के राग में कहा)

रागिनी हँस पड़ी- अरे अभी नाश्ता-पानी कीजिए, दस बज रहे हैं।

मैं अब असल बात बताया- असल बात यह है रागिनी कि रीता का मन है कि

वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं तो…

अब रागिनी बिदकी- हट… वो अभी छोटी है, कमसिन है… यह सब दिखा

कर उसको क्यों बिगाड़ रहे हैं आप?

और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया।

मैंने तब बात संभाली- रागिनी, प्लीज मान जाओ… मेरा भी यही मन है।

बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल में रह रही

है… यह सब तो जानना ही होगा उसको।

रागिनी शांत हो कर बोली- ठीक है… उम्र हो गई है इसकी पर रीता अभी

उस हिसाब से छोटी दिखती है।

मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला- पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से

कम उम्र की लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा

रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो…? एक बात तो पक्की है कि वो

अब तुम्हारे उम्र के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद ही उसको चुदाने

भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पास तो दो और बेटी

है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची… मेरा भी मन है कि मैं उसको चुदाई

करके दिखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची…

मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।

रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई- आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल, मुझे याद है

कि आपने मुझे पहली बार कितना इज्जत दी थी और मैंने वादा किया था कि

आपके लिए सब करुँगी।

फ़िर वो रीता को बोली- आ जाओ, कमरे में चलते हैं।

कमरे में पहुँचते ही मैंने रागिनी को बांहों में समेट कर चूमना शुरु किया और

वो भी मुझे चूम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सबको गए

काफ़ी समय बीत गया है तो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने

कपड़े उतारने लगी। मैंने अपना तौलिया खोला। मैंने रीता को भी पूरी तरह

नंगी होने को कहा।

वो बोली- क्यों?

मैंने कहा- चुदाई देखते समय दूसरे को भी नंगा रहना चाहिए।

बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पैन्टी को उतार दिया और

नंगी खडी हो गई। रागिनी ने रीता को दिखा कर मेरा लण्ड अपने हाथ में

लिया और चूसने लगी। रीता सब देख रही थी।

मैंने रीता को बताया- ऐसे जब लण्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है,

जिससे कि लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है।

इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लिट को सहलाया और फ़िर

मसलने लगा, रागिनी पर मस्ती छाने लगी।

मैंने रीता को बताया- ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी

यह कर सकती हो, जब मन करे।

फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी उंगली घुसा कर उसको बताया कि लड़की

कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है।मैंने देखा कि रीता की चूत से

पानी निकल रहा है यानि इसे मज़ा आ रहा है। इसके बाद मैंने रागिनी की चूत

में अपना लण्ड पेल दिया।

रागिनी के मुँह से एक आह निकली तो मैंने कहा- इसी ‘आह आह’ को न तुम

बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी… देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो

उसके मुँह से आह-आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती हैं, जब

उनको चुदाई का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब

तुम्हें चोदूँगा।

यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कमपेल शुरु कर दिया। हच-हच

फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लण्ड को एक पिस्टन की

तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।

रीता पास में खड़ी होकर सब देखती रही और फ़िर रागिनी की चूत के भीतर

ही मैं झड़ गया… रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।

मैं उठा और रीता से पूछा- अब सीख समझ गई सब?

उसके ‘जी कहने पर मैंने कहा- फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो…

रीता मुस्कुराते हुई पूछे- कैसे…?

मैंने मुस्कुरा कर कहा- मेरे लण्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस… यह

कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

और घोर आश्चर्य… रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लण्ड को चाटने लगी।

रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लण्ड घुसा

दिया और फ़िर उसका सर पीछे से पकड़ कर उसकी मुँह में लण्ड

अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह से अब मैं उस लड़की का मुँह चोद रहा था

और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी।

तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।

रीता तुरन्त अपनी पैन्टी लेकर रसोई में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी-

खोल रही हूँ…रूको जरा।

मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े

पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नाश्ते के बाद घूमने

निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना

पहले ही दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।

उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सबके सामने चोदा जाए,

और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया।

रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा- बिन्दा, अभी खाने के

बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदूँगा, अभी जाने में दो दिन है

तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर

जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली- हाँ अंकल, उसकी गाण्ड भी तो मारनी है आपको, क्या पता

पहला कस्टमर ही गाण्ड का शौकीन मिल गया तो…!

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा- बिन्दा, अभी खाने के

बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदूँगा, अभी जाने में दो दिन है

तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर

जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली- हाँ अंकल, उसकी गाण्ड भी तो मारनी है आपको, क्या पता

पहला कस्टमर ही गाण्ड का शौकीन मिल गया तो…!

बिन्दा चुप थी और थोड़ा परेशान भी कि वहाँ उसकी दोनों छोटियाँ भी थीं।

रीता अब बोली- दीदी, अब तो तुम्हारे मजे रहेंगे, खूब पैसा मिलेगा तुम्हें।

अब पहली बार रूबी कुछ प्रभावित हो कर बोली- वाह… 5 दिन काम का

महीने का 1 लाख… यह तो बेजोड़ काम है… है न माँ…!

मैंने कहा- हाँ पर उसके लिए मर्द को खुश करने आना चाहिए, तभी इसके

बाद टिप भी मिलेगा। यही सब तो रीना को अभी सीखना है शहर जाने से

पहले।

बिन्दा चुपचाप वहाँ से ऊठ गई, मैं उसके जाते-जाते उसको सुना दिया- आज

जब दोपहर में तुम्हारी दीदी चुदेगी, तब तुम भी रहना साथ में सीखना…

साल-दो साल बाद तो तुमको भी जाना ही है, पैसा कमाने।

दोपहर करीब 3 बजे मैंने रीना को अपने कमरे में पुकारा, रागिनी और रीता

मेरे साथ थीं, दो बार आवाज देने के बाद रीना आ गई, तो मैंने रूबी को

पुकारा- रूबी आ जाओ देख लो सब, अभी शुरु नहीं हुआ है जल्दी आओ…

और कहते हुए मैंने रीना के कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब रूबी रूम में

घुसी उस समय मैं रीना की पैन्टी उसकी जाँघों से नीचे सरका रहा था। रूबी

पहली बार ऐसे यह सब देख रही थी, वो भौंचक्की रह गई। रीना ने नजर नीचे

कर लीं, तब रागिनी ने रूबी को अपने पास बिठा लिया और मुझसे बोली-

अंकल, आज इसकी एक बार गाण्ड मार दीजिए न पहले, अगर दर्द होगा भी

तो बाद में जब उसको आगे से चोदिएगा तो उस मजे में सब भूल जाएगी।

मुझे उसका यह आईडिया पसन्द आया। उसको इस तरह के दर्द और मजे

का पूरा अनुभव था। सो मैंने जब रीना को झुकाया तो वो बिदक गई, कि वो

अपने पिछवाड़े में नहीं घुसवाएगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम

पर पढ़ रहे हैं !

मैंने और रागिनी ने उसको बहुत समझाया पर वो नहीं मानी तो रागिनी बोली-

ठीक है, तुम देखो कि मैं कैसे गाण्ड मरवाती हूँ अंकल से, इसके बाद तुम भी

मराना। अगर शहर में रंडी बनना है तो यह सब तो रोज का काम होगा

तुम्हारा। कहते हुए वो फ़टाक से नंगी हो कर झुक गई। मैंने उसकी गाण्ड के

छेद पर थूका और फ़िर अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को खोलने लगा।

थूक और मेरे प्रयास ने उसकी गाण्ड को जल्दी ही ढीला कर दिया। फिर एक

बार भरपूर थूक को अपने लण्ड पर लगा कर मैंने अपने टनटनाए हुए लण्ड

को उसकी गाण्ड में दबा दिया। रागिनी तो एक्स्पर्ट थी, सो जल्द ही उसने

अपनी मांसपेशियों को ढीला करते हुए मेरा पूरा लण्ड 8″ अपनी गाण्ड के

भीतर घुसवा लिया।

रूबी रीना और रीता का मुँह यह सब देख कर आश्चर्य से खुला हुआ था। मैंने

8-10 धक्के ही दिए थे कि रागिनी ने एक झटके से अपनी गाण्ड को आजाद

कर लिया और फ़िर रीना को पकड़ कर कहा कि अब आओ और गाण्ड

मरवाओ।

रीना भी सकुचाते हुए झुक गई और एक बार फ़िर मैं थूक के साथ उसकी

गाण्ड में उंगली घुमाने लगा। रागिनी भी कभी उसकी चूत सहलाती तो कभी

अपने चूत से निकल रहे पानी से, तो कभी अपने थूक से, उसकी गाण्ड को

तर करने में लग गई थी। जब मुझे लगा कि अब रीना की गाण्ड को मेरे उंगली

की आदत पड़ गई है, तो मैं ने उसकी गाण्ड में अपनी एक दूसरी उंगली भी

घुसा दी। उसको दर्द तो हुआ था, पर रीना ने बर्दाश्त कर लिया। इसके बाद

उसकी रजामन्दी से मैं ऊपर उठा और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के

गुलाबी छेद पर टिका कर दबाना शुरु किया।

रागिनी लगातार उसकी चूत में उंगली कर रही थी, ताकि मजे के चक्कर में

उसको दर्द का पता न चले और मैं उसकी कमर को अपने अनुभवी हाथों में

जकड़ कर उसकी कुँवारी गाण्ड का उद्घाटन करने में लगा हुआ था। जल्द

ही मैं उसकी गाण्ड मार रहा था।

अब मैंने रूबी और रीता को देखा, दोनों अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी

दीदी की गाण्ड मराई देख रही थीं। करीब 7-8 मिनट के बाद मैं उसकी

गाण्ड में ही झड़ गया और जब लण्ड बाहर निकला तो उसकी गाण्ड से सफ़ेद

माल उसकी चूत की तरफ़ बह चला, तभी बिना समय गवाँए, मैंने अपना लण्ड

उसकी चूत में ठाँस दिया। लण्ड अपने साथ मेरा सफ़ेद माल भी भीतर लेकर

चला गया।

रूबी अब बोली- अरे ऐसे तो दीदी को बच्चा हो जाएगा…

मैंने जोश में भरकर कहा- होने दो… होने दो… होने दो ! और हर ‘होने दो’

के साथ हुम्म करते हुए अपना लण्ड जोर से भीतर पेल देता। बेचारी की अब

चुदाई शुरु थी, जबकि वो चक्कर में थी कि गाण्ड मरवा कर आराम करेगी।

वो थक कर कराह उठी… पर लड़की को चोदते हुए अगर दया दिखाई गई

तो वो कभी ऐसे न चुदेगी, यह बात मुझे पता थी। सो मैं अब उसके बदन को

मसल कर ऐसे चोद रहा था जैसे मैं उसके बदन से अपना सारा पैसा वसूल

कर रहा होऊँ।

रीना कराह रही थी… और मैं उसकी कराह की आवाज के साथ ताल मिला

कर उसकी चूत पेल रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत के भीतर ही दूसरी बार

झड़ गया। इसके बाद मैं भी थक कर निढाल हो एक तरह लेट गया। रागिनी

झुक कर मेरे लण्ड को चूस चाट कर साफ़ करने लगी।

मैंने उस रात रीना को अपने पास ही सुलाया और रात मे एक बार फ़िर चोदा,

पर इस बार प्यार से और इस बार उसको मजा भी खूब आया। वो इस बार

पहली बार मुझे लगा कि उसने सहयोग किया और ठीक से बेझिझक चुदी।

जब सुबह हुई तो हम दोनों सब पहले से जाग गए थे। रीना कमरे से बाहर

जाने लगी तो मैंने उसको पास खींच लिया और चूमने लगा।

वो बोली- ओह अब सुबह में ऐसे नहीं, कैसा गंदा महक रहा है बदन…

पसीना से।

मैंने कहा- अब मर्द के बदन की गन्ध की आदत डालो, बाजार में सब नहा धो

कर नहीं आएँगे चोदने तुम्हें… और तुम भी तो महक रही हो, पर मुझे तो बुरा

नहीं लग रहा…! मैं तो अभी तुम्हारी चूत भी चाटूँगा और गाण्ड भी।

फ़िर उसके देखते देखते मैं उसकी चूत चूसने चाटने लगा और वो भी गर्म होने

लगी। जल्द ही उसकी ‘आह-आह’ कमरे में गूंजने लगी और शायद आवाज

बाहर भी गई, क्योंकि तभी बिन्दा बोली- उठ गई तो बेटी, तो जल्दी से नहा धो

लो और तैयार हो जाओ आज बाजार जा कर सब जरूरत का सामान ले

आओ, कल तुमको रागिनी के साथ शहर जाना है, याद है ना !

रीना बोली- हाँ माँ, पर अब ये मुझे छोड़े तब ना… इतने गन्दे हैं कि मेरा बदन

चाट रहे हैं।

मैंने जोर से कहा- बदन नहीं बिन्दा, तेरी बेटी की चूत चाट रहा हूँ… तुम चाय

बनवा कर यहीं दे दो… तब तक मैं एक बार इसको चोद लूँ जल्दी से। यह

कह कर मैंने रीना को सीधा लिटा कर उसके घुटने मोड़ कर जाँघों को खोल

दिया और अपना लण्ड भीतर गाड़ कर उसकी चुदाई शुरु कर दी।

‘आह्ह आह्ह्ह’ का बाजार गर्म था और जैसे ही मैं उसकी चूत में ही झड़ा…

घोर आश्चर्य… बिन्दा खुद चाय लेकर आ गई।

बिन्दा यह देख कर मुस्कुराई… तो मैंने अपना लण्ड पूरा बाहर खींच

लिया… ‘पक्क’ की आवाज हुई और रीना की चूत से मेरा सफ़ेदा बह

निकला।

बिन्दा यह देख कर बोली- अरे इस तरह इसके भीतर निकालिएगा तब तो यह

बर्बाद हो जाएगी। वो जल्दी-जल्दी अपने साड़ी के आँचल से उसकी चूत साफ़

करने लगी। रीना भी उठ बैठी तो बिन्दा ने उसकी चूत की फ़ाँक को खोल कर

पोंछी।

मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया हाथ में चाय लेकर, और थोड़ी देर में

रीना और बिन्दा भी आ गई। फ़िर हम लोग सब जल्दी-जल्दे तैयार हुए। आज

बिन्दा ने अपने हाथ से सारा खाना बनाना तय किया और रीना और रागिनी

को मेरे साथ बाजार जाकर सामान सब खरीद देने को कहा।

हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और मैंने तय किया कि आज की रात को

रीना की चुदाई जरा पहले से शुरु कर दूँगा, क्योंकि आज मैं उसको वियाग्रा

खाकर सबके सामने चोदने वाला था। अब जबकि बिन्दा सुबह अपनी बेटी

की चूत से मेरे सफ़ेदा को साफ़ कर ही चुकी थी, तो मैं पक्का था कि आज के

शो में वो एक दर्शक जरूर बनेगी।

मैंने बाजार में ही रीना को इसका इशारा कर दिया था कि आज की रात मैं

उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदूँगा।
मैंने बाजार में ही रीना को इसका इशारा कर दिया था कि आज की रात मैं

उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदूँगा।

मैंने उससे कहा- रीना बेटी, आज की रात तुम्हारी स्पेशल है। आज मैं तुम्हें

सब के सामने एक रंडी को जैसे हम मर्द चोदते हैं वैसे चोदूँगा। अभी तक मैं

तुम्हें अपनी बेटी की तरह से चोद रहा था और तुम्हें भी मजा मिले इसका

ख्याल रख रहा था, पर आज की रात मैं तुम्हारे मजे की बात भूल कर केवल

एक मर्द बन कर एक जवान लड़की के बदन को भोगूंगा तो तुम इस बात के

लिए तैयार रहना। शहर में लोगों को तुम्हारे खुशी का ख्याल नहीं रहेगा। उन्हें

तो सिर्फ़ तुम्हारे बदन से अपना पैसा वसूल करना रहेगा।

करीब 2 बजे हम लोग घर आए और फ़िर खाना खा कर आराम करने लगे।

रीना अपनी माँ और बहनों के पास थी और रागिनी मेरे पास। हम दोनों अब

आगे की बात पर विचार कर रहे थे।

मैंने कहा- अब अगले एक सप्ताह तक मुझे काम से छुट्टी नहीं मिलेगी सो

आज रात मैं अपना कोटा पूरा कर लूँगा।

तब रागिनी बोली- हाँ, और नहीं तो क्या…! अब वहाँ जाने के बाद सूरी तो

रीना की लगातार बुकिंग कर देगा, जब उसको पता चलेगा कि यह शहर

सिर्फ़ कॉल-गर्ल बनने आई है। एक तरह से ठीक ही है, आज रात में रीना को

जरा जम कर चोद दीजिए कि उसको सब पता चल जाए कि वहाँ हम लोग

क्या-क्या झेलते हैं अपने बदन पर।

मैंने आज शाम की चाय के समय ही सब को कह दिया कि आज रात में मैं

रीना को बिल्कुल जैसे एक रंडी को कस्टमर चोदता है, वैसे से चोदूँगा और

आप सब वहाँ देखिएगा और रागिनी मेरे रूम में रीना को वैसे ही लाएगी, जैसे

रीना को दलाल लोग मर्दों की रुम तक छोड़ कर आएँगे।

सबसे पहले सबसे छोटी बहन रीता की मुँह से निकला- वाह… मजा आएगा

आज तो !

फ़िर मैंने बिन्दा को कहा- अपनी बेटी की पहली दुकानदारी के समय वहाँ

रहोगी तो उसका हौसला रहेगा… अगर साथ में घर वाले हों तो लड़की पूरे

आत्मविश्वास से चुदेगी।

उसके चेहरे से लगा कि अब वो भी अपना सिद्धान्त वगैरह भूल कर, ‘जो हो

रहा है अच्छा हो रहा है’ समझ कर सब स्वीकार करने लगी है। उन सब के

आश्वस्त चेहरों के देख मैं मन ही मन खुश हुआ। आजकल मेरी चाँदी है, अब

एक बार फ़िर मैं एक माँ के सामने उसकी बेटी को चोदने वाला था और ऐसी

चुदाई के बारे में सोच-सोच कर ही लण्ड पलटी खाने लगा था।

मैंने करीब 8 बजे खाना खाया हल्का सा और रीना को भी हल्का खाना खाने

को कहा। फ़िर करीब 9 बजे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा ली, रागिनी मुझे

वियाग्रा खाते देख मुस्कुराई। वो समझ गई थी कि आज कम से कम 7-8 घन्टे

का शो मैं जरुर दिखाने वाला हूँ उसकी मौसी और मौसेरी बहनों को।

करीब पौने दस बजे मैंने रीना को आवाज लगाई जो अपनी बहनों के साथ

अपना सामान पैक कर रही थी। जल्द ही जब सब समेट कर वो आई तो मैंने

उसी को जाकर सब को बुला लाने को कहा और फ़िर खुद सब के लिए नीचे

जमीन पर ही दरी बिछाने लगा। कमरे में एक तरफ़ मैंने बेड को बिछा दिया

था। करीब दस मिनट में सब आ गए, सबसे बिस्तर से लगे दरी पर बैठ गए

तब रागिनी अपने साथ रीना को लाई।

रागिनी एकदम सूरी के अंदाज में बोली- लीजिए सर जी, एकदम नया माल है।

आपके लिए ही इसको बुलाया है सर जी, पहाड़न की बेटी है… खूब मजा

देगी। रात भर चोदिएगा तब भी सुबह कड़क ही मिलेगी। अभी तो इसकी

चूचियाँ भी नहीं खिली हैं देखिए कैसी कसक रही है !

कह कर उसने रीना की बायीं चूची को जोर से दबा दिया।

वहाँ बैठी सभी लोग रागिनी की ऐसी भाषा सुन कर सन्न थे और मैं उसकी

अदाकारी का फ़ैन हो रहा था। फ़िर उसने रीना को मेरी तरफ़ ठेल दिया,

जिसे मैंने बिना देर किए अपनी तरफ़ खींचा। वियाग्रा खाए करीब एक घन्टा

हो गया था, सो मेरा लण्ड लगभग टनटनाया हुआ था।

बिना देर किए मैंने रीना के बदन से कपड़े उतारने शुरु कर दिए। पहले

दुपट्टा, फ़िर कुर्ती इसके बाद सलवार। रीना को ऐसी उम्मीद न थी सो मेरी

फ़ुर्ती पर वो हैरान थी और बिना देर किए मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरका दी

और जब तक वो समझे मैंने उस पैन्टी को उसके टाँगों से निकाल दिया और

एक धक्के के साथ उसे नीचे बिछे बिछावन पर लिटा दिया। उसकी दोनों टाँगों

को घुटने के पास से पकड़कर खोल दिया और फ़िर उसकी चूत में अपना

टनटनाया हुआ लण्ड घुसा कर चोदने लगा।

बेचारी सही से गीली भी नहीं हुई थी और उसको मेरे लण्ड पर लगे मेरे थूक

के सहारे ही अपनी चूत मरानी पड़ी, सो वो कराह उठी। पर लौन्डिया नई-नई

जवान हुई थी सो 5-6 धक्के के बाद ही गीली होने लगी और मेरा लण्ड अब

खुश होकर मस्ती करने लगा।

रीना की माँ और उसकी दोनों बहनें वहीं बैठ कर सब देख रही थीं। करीब

10 मिनट तक लगातार कभी धीरे तो कभी जोर से मैं उसको चोदा और फ़िर

उसकी चूत में झड़ गया। किसी को इसका अंदाजा न था, पर जब मैंने अपना

लण्ड बाहर खींचा तो रीना की चूत में से मेरा सफ़ेद माल बह चला।

मैंने बिना देरी किए रीना के मुँह में अपना लण्ड घुसा दिया जो इशारा था

उसके लिए, जिसको समझ कर वो मेरे लण्ड को चूस-चाट कर साफ़ किया तो

मैंने उसको पलट दिया और फ़िर उसकी गाण्ड मारने लगा। उस दिन

लगातार चार बार मैं झड़ा, दो बार उसकी चूत में और एक-एक बार उसकी

गाण्ड और मुँह में। इसके बाद मैंने पानी माँगा। बेचारी रीना थक कर चूर थी

और वो मुँह से न बोल कर इशारे से अपने लिए भी पानी माँगा।

बिन्दा हमारे लिए पानी लेने चली गई तो मैंने इशारा किया और रीता मेरे पास

आकर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बिन्दा जब पानी लेकर आई तो यह देख सन्न

रह गई कि उसकी सबसे लाड़ली और छोटी बेटी अपने से 21-22 साल बड़े

एक मर्द का लण्ड चूस रही है, वो भी उस मर्द का जो उसकी माँ के साथ

अभी-अभी उसके सामने उसकी बड़ी बहन को चोदा चुका था।

उसने गुस्से से भर कर रीता को मेरे ऊपर से हटाया, तो रागिनी मेरे सामने

बैठ कर लण्ड चूसने लगी और जैसे ही बिन्दा ने एक थप्पड़ रीता को लगाया,

वो रुँआसी हो कर बोल पड़ी- ये सब देख कर मन अजीब हो गया, तो मैं क्या

करूँ, तुम तो अंकल से चुदा लीं और दीदी को भी चुदा दिया और मुझे जो मन

में हो रहा है उसका क्या? एक बार अंकल का छू लिया तो कौन सा पाप कर

दिया, कुछ समय के बाद मुझे भी तो ऐसे ही चुदाना होगा तो आज क्यों नहीं?

अब रीना को तो मैं अगले दौर के लिए खींच लिया था और रागिनी उन माँ-बेटी

में सुलह कराने के ख्याल से बोली- रीता, अभी तुम छोटी हो, अभी कुछ और

बड़ी हो जाओ फ़िर तो यह सब जिन्दगी भी करना ही है। अभी से उतावली

होगी तो तुम्हारा सामान समय से पहले ही ढीला हो जाएगा, फ़िर किसी को

मजा नहीं आएगा, न तुमको और न ही जो तुमको चोदेगा उसको। अभी तो

तुम्हारी ठीक से झाँट भी नहीं निकली है।

मैंने कहा- देख बिंदा, आज मैंने वियाग्रा खाई है। मेरा लंड अभी शांत नहीं

होगा। आपकी रीना तो अभी ही पस्त हो गई है। अब मैं किसे चोदूँ?

बिंदा ने कहा- आप मुझे चोद लीजिये।

मैंने कहा- आजा, कपड़े उतार कर आकर नीचे लेट जा।

बिंदा ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी। उसने झट अपनी साड़ी उतारी। साड़ी के

नीचे उसने ना ब्रा पहनी थी ना ही पैन्टी। वो रागिनी और अपनी सभी बेटियों के

सामने नंगी होकर मेरे लंड को चूसने लगी। रीना ने लेटे-लेटे ही अपनी चूत में

अपनी उंगली डाल कर अपनी माँ को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी। अब

मैंने देर करना उचित नहीं समझा। मैंने बिंदा को पटक कर जमीन पर

लिटाया और उसकी टांगों को मोड़ कर अलग कर उसके बुर को फैलाया और

अपना विशाल लंड उसके चूत में ‘घचाक’ से डाल दिया। कई मर्दों से चुदा

चुकी बिंदा को भी मेरे इस मोटे लंड का अहसास नहीं था। वो दर्द के मारे

बिलबिला गई। लेकिन वो मेरे झटके को सह गई। अब मैं उसकी चूत को

पेलना चालू कर दिया। उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई काफी मन से देख

रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई में बिंदा ने 3 बार पानी छोड़ा। लेकिन मेरे

लंड से 15 वें मिनट पर माल निकला जो उसकी चूत में ही समा गया। अब

बिंदा भी पस्त हो कर जमीन पर लेट गई थी।

लेकिन मैं पस्त नहीं हुआ था। अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी।

मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट

गई।

लेकिन मैंने कहा- रागिनी तेरी गांड मारनी है मेरे को।

अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी। मैंने सिर्फ उसे इशारा किया

और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गई।
लेकिन मैंने कहा- रागिनी तेरी गाण्ड मारनी है मेरे को।
रागिनी मुस्कुराई और खड़ी हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गई। मैंने

उसकी कई बार गाण्ड मारी थी। इसलिए मेरे लंड को उसके गाण्ड के अन्दर

जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। तक़रीबन 200 बार उसके गाण्ड में लंड को

आगे-पीछे करता रहा। लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराती रही। बिंदा और उसकी

बेटियाँ मुझे रागिनी की गाण्ड मारते हुए देख रही थीं।
मैंने कहा- देखा बिंदा, इसे कहते हैं गाण्ड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?
रूबी ने कहा- रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गाण्ड मरवाती हैं, तो दर्द क्या

होगा?
मैं रागिनी की गाण्ड मारते हुए हंसने लगा, रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से

कहा- आजा, तू भी गाण्ड मरवा के देख ले अंकल से। तुझे भी दर्द नहीं होगा।
रूबी ने कहा- ना बाबा ना। मैं तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज ! गाण्ड

नहीं !
यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गई। मैंने कहा- खोल दे अपने कपड़े, आज

तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ। क्यों बिंदा क्या कहती हो?
बिंदा ने कहा- जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है तो रूबी

तो उस से बड़ी ही है। उसकी तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये। लेकिन प्यार से।

रूबी, अपने कपड़े उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा।
माँ की अनुमति मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया।

अन्दर उसने सिर्फ पैन्टी पहन रखी थी जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। सीने

पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे। रूबी पैन्टी पहने हुए ही

अपनी माँ के बगल में लेट गई।
बिंदा ने उसकी पैन्टी को सहलाते हुए कहा- क्यों री, तेरी चूत से इतना पानी

निकल रहा है?
रागिनी ने अपनी गाण्ड मरवाते हुए कहा- पानी क्यों नहीं निकलेगा मौसी?

इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़

देगी, यह तो अभी नई और जवान है।
जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गई। बिंदा ने रूबी की पैन्टी खोल दी

और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी।
बिंदा बोली- क्यों री रूबी, यह चूत तूने कब शेव की? दो दिन पहले तक तो

बाल थे तेरी चूत पर।
रूबी- उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना, तब तू अंकल से कह रही

थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं, तभी मैं सजग हो गई थी और मैंने उसी

रात को चूत की शेव की थी। मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए

चुदाने का?
बिंदा- अच्छा किया कि तूने चूत की शेव कर ली। नहीं तो तेरे अंकल का लंड

इतना मोटा है कि चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दु:खता है। अच्छा, मैं

जो मोटा वाला मोमबत्ता खरीद कर लाई थी वो आजकल इसमें डालती हो कि

नहीं?
रूबी- क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला। अब तो

पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ।
बिंदा- पूरा घुसा लेती हो?
रूबी- नहीं, आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ।
बिंदा- अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा

लो।
मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था। मैंने

झटपट रागिनी की गाण्ड मारी और अपना माल उसकी गाण्ड में गिराया। अब

मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। मैंने रागिनी के गाण्ड में से

अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया। रागिनी भी नंगी ही मेरे

बगल में लेट गई।
अब बिंदा, उसकी दो बेटियाँ रूबी और रीना, रागिनी और मैं सभी एक साथ

जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे। अब मुझे रूबी की चूत का भी सील

तोड़ना था।
मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया। उसका होंठ मेरे

होंठ के ऊपर थे। मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और

उसका होंठ का रस चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ के रस को चूसने लगी।

उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे।
मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी। वो मेरे मोटे लंड को

अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी। उसकी माँ और बहन उसके

बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी। थोड़ी देर में मैंने उसके

होंठों को अपने होंठ से आजाद किया। उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया

और उसकी माध्यम आकार की चूचियों से खेलने लगा। रूबी को काफी मज़ा

आ रहा था।
बिंदा- अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है।
मैंने भी अब देर करना उचित नहीं समझा, मैंने कहा- क्यों री रूबी, डाल दूँ

अपना लंड तेरी चूत में?
रूबी- हाँ, डाल दो।
मैंने- रोएगी तो नहीं ना?
रूबी- पहाड़न की बेटी हूँ। रोऊँगी क्यों?
मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया। उसकी एक टांग को उसकी

माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने। मैंने अपने लंड को उसकी

चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश की, लेकिन रूबी की

चूत का छेद छोटा था और मेरा लंड मोटा। फलस्वरूप उसकी चूत पर

चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया।
बिंदा यह देख कर हंसी और बोली- अरे भाई संभल कर, पहली बार चूत में

लंड घुसवा रही है, रुक जाइये। मैं डलवाती हूँ।
उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक

हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सैट किया। फिर मेरा लंड

को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये, बोली- हाँ, अब सही है,

अब धीरे-धीरे घुसाओ।
मैंने अपना लंड काफी धीरे-धीरे रूबी की चूत में उतारना शुरू किया। उसकी

चूत काफी गीली थी। इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड

को घुस जाने दिया। करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया

था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी।
बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ, बोली- क्यों री, पहले ही चुदवा चुकी है क्या किसी

से?
रूबी- नहीं माँ, इस लंड के इतना मोटा बैंगन तो मैं रोज डालती हूँ ना !
मैंने कहा- आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी। अभी टैस्ट कर लेता हूँ।
मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया।
रूबी चीख पड़ी- उई अम्ममाआआ मर गईई ई !!
उसकी चूत की झिल्ली फट गई। उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया।

खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं

चोदा था।
मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया। उस दुबली-पतली रूबी पर मैं पहाड़

की तरह चढ़ उसे चोद रहा था। लेकिन वो अपनी बड़ी बहन से ज्यादा

सहनशील थी। उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी

भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया। फिर मैंने

उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई कि उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी

के बदन को सहलाती रही तथा ढांढस बंधाती रही।
10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिगनल दिया तो मैंने झट

से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को उठा कर उसके मुँह में

अपना लंड डाल दिया। वो समझ गई कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है।

वो मेरे लंड को चूसने लगी। मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया। रूबी

सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गई और मेरे लंड को चूस-चूस कर

साफ़ कर दिया।
अब मैंने फिर एक-एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा। रात दो बज

गए थे। अंत में हम सभी थक गए। सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल

देखते-देखते वहीं सो गई। बिंदा की गाण्ड मारने के बाद मैं थक चुका था।

हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए। लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद

खुली। मेरा लंड कोई चूस रही थी। मैं लगभग नींद में था। अँधेरे में पता ही

नहीं था कि उन चार नंगी औरतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी। मेरा लंड

खड़ा हो चुका था। वो कौन थी मुझे पता नहीं था। मैंने नींद में ही और अँधेरे में

ही उसकी जम के चुदाई की।
इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी। ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत

में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढ़ी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया

और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया।
फिर मैं उसे भी चोदने लगा। तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरी दोनों तरफ से

दो और महिला भी मेरे से सट गई हैं और मेरी चुदाई का आनन्द उठा रही हैं,

यानि मैं इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था। कोई मेरे होंठों को चूम रही थी

तो कोई मेरे आण्डों को चूस रही थी। कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा

रही थी।
ये प्रकरण सुबह होने तक चलता रहा। जब थोड़ा-थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने

देखा कि मुझसे बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं। मेरा लंड इस वक़्त बिंदा

की भोसड़ी में था। बगल में रागिनी बेसुध सोई पड़ी थी। मैंने अभी भी इन तीनों

के साथ चुदाई करना चालू रखा। सुबह के नौ बज चुके थे और तीनो

माँ-बेटियाँ मुझे अभी तक नहीं छोड़ रही थीं।
ठीक नौ बजे सबसे छोटी रीता जग गई। उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी

और बिंदा मेरी पीठ पर चढ़ी हुई थी। उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही

थी। जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नहीं निकला सिर्फ एक

बूंद पानी की तरह निकला। इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ। मजाक है क्या

एक रात में 24-25 बार माल निकालना?
उसके बाद तो मैं उन सबको अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह

आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा। शायद तब उन तीनों को समय और

अपनी परिस्थिति का ज्ञान हुआ। वे तीनों कपड़े पहन बाहर आईं।
रागिनी को भी जगाया। हमारी आज की बस छूट चुकी थी। रागिनी बेहद

अफ़सोस कर रही थी। लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी

आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा- मौसी, इन्हें क्या हुआ?
बिंदा- रात भर हम लोगों ने इससे चुदवाया। अभी अभी इस को हमने छोड़ा।
रागिनी- माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा और

तुम पहाड़नियों माँ-बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया। हा हा

हा हा… खैर… इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो। कोई आ

गया तो मुसीबत हो जाएगी।
उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गई। मैं दिन भर नंगा

ही पड़ा रहा। शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया।
हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें

जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात

को पूरी रात मेरा सामूहिक बलात्कार करती थीं। जब बिंदा और रूबी का मन

पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की

अनुमति दी। रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी। शहर आते ही उसने

रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया। छः महीने में ही उसने कार और

फ़्लैट खरीद कर बिंदा, रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया। बिंदा और

रूबी भी इस धंधे में कूद पड़ी।
मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गई। अब

ये तीनों इस धंधे में काफी कमा रही हैं।
हाँ, सबसे छोटी रीता को इस दलदल से दूर रखा है और उसे शहर से दूर

बोर्डिंग स्कूल में पढ़़ाया जा रहा है।

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