Sunday 29 November 2015

Kamla aur Amar

अमर बहुत दिनों से अपनी छोटी बहन कमला को भोगने की ताक में था। अमर एक जवान हट्टा कट्टा युवक था और अपनी पत्नी रेखा और बहन कमला के साथ रहता था। कमला पढ़ाई के लिये शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी. वह एक कमसिन सुंदर किशोरी थी। जवानी में कदम रखती हुई वह बाला दिखने में साधारण सुंदर तो थी ही पर लड़कपन ने उसके सौन्दर्य को और भी निखार दिया था। उसके उरोज उभरना शुरू हो गये थे और उसके टाप या कुर्ते में से उनका उभार साफ़ दिखता था। उसकी स्कूल की ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखतीं गोरी गोरी चिकनी टांगें अमर को दीवाना बना देती थी। कमला थी भी बड़ी शोख और चंचल। उसकी हर अदा पर अमर मर मिटता था. अमर जानता था कि अपनी ही छोटी कुंवारी बहन को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर विवश था। कमला के मादक लड़कपन ने उसे दीवाना बना दिया था। वह उसकी कच्ची जवानी का रस लेने को कब से बेताब था पर ठीक मौका न मिलने से परेशान था। उसे लगने लगा था कि वह अपने आप पर ज्यादा दिन काबू नही रख पायेगा। चाहे जोर जबरदस्ती करनी पड़े, पर कमला को चोदने का वह निश्चय कर चुका था. एक बात और थी। अह अपनी बीवी रेखा से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि वह रेखा का पूरा दीवाना था और उससे दबता था। रेखा जैसी हरामी और चुदैल युवती उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रन्डियों जैसे अन्दाज से शादी के तीन माह के अन्दर ही उसने अपने पति को अपनी चूत और गांड का दीवाना बना लिया था। अमर को डर था कि रेखा को यह बात पता चल गई तो न जाने वह गुस्से में क्या कर बैठे. असल में उसका यह डर व्यर्थ था क्योंकि रेखा अपने पति की मनोकामना खूब अच्छे से पहचानती थी। कमला को घूरते हुए अमर के चेहरे पर झलकती प्रखर वासना उसने कब की पहचान ली थी। सच तो यह था कि वह खुद इतनी कामुक थी कि अमर हर रात चोद कर भी उसकी वासना ठीक से तृप्त नहीं कर पाता था। दोपहर को वह बेचैन हो जाती थी और हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करती थी। उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ खास सह्लियों के साथ सम्बम्ध बना लिये थे और उसे इन लेस्बियन रतिक्रीड़ाओं में बड़ा मजा आता था। अपनी मां की उमर की स्कूल प्रिन्सिपल के साथ तो उसके बहुत गहरे काम सम्बन्ध हो गये थे.

शादी के बाद वह और किसी पुरुष से सम्बन्ध नहीं रखना चाहती थी क्योंकि अमर की जवानी और मजबूत लंड उसके पुरुष सुख के लिये पर्याप्त था। वह भूखी थी तो स्त्री सम्बन्ध की। वैसे तो उसे अपनी सास याने अमर की मां भी बहुत अच्छी लगी थी। वह उसके स्कूल प्रिंसीपल जैसी ही दिखती थी। पर सास के साथ कुछ करने की इच्छा उसके मन में ही दबी रह गई। मौका भी नहीं मिला क्योंकि अमर शहर में रहता था और मां गांव में.
अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदैल नारी, छोटी या बड़ी, समलिग सम्भोग के लिये मिल जाये तो मजा आ जाये। पिछले दो माह में वह कमला की कच्ची जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। कमला उसे अपने बचपन की प्यारी सहेली अन्जू की याद दिलाती थी। अब रेखा मौका ढूंढ रही थी कि कैसे कमला को अपने चन्गुल में फ़न्साया जाये। अमर के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया. एक दिन उसने जब अमर को स्कूल के ड्रेस को ठीक करती कमला को वासना भरी नजरों से घूरते देखा तो कमला के स्कूल जाने के बाद अमर को ताना मारते हुए बोल पड़ी “क्योंजी, मुझसे मन भर गया क्या जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो। और वह भी अपनी सगी छोटी कमसिन बहन को?” अमर के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं कि वह आखिर पकड़ा गया। कुछ न बोल पाया। उसे एक दो कड़वे ताने और मारकर फ़िर रेखा से न रहा गया और अपने पति का चुम्बन लेते हुए वह खिलखिलाकर हंस पड़ी। जब उसने अमर से कहा कि वह भी इस गुड़िया की दीवानी है तो अमर खुशी से उछल पड़ा. रेखा ने अमर से कहा कि दोपहर को अपनी वासना शांत करने में उसे बड़ी तकलीफ़ होती है। “तुम तो काम पर चले जाते हो और इधर मैं मुठ्ठ मार मार कर परेशान हो जाती हूं। इस बुर की आग शांत ही नहीं होती। तुम ही बताओ मैं क्या करूं.” और उसने अपने बचपन की सारी लेस्बियन कथा अमर को बता दी. अमर उसे चूंमते हुए बोला। “पर रानी, दो बार हर रात तुझे चोदता हूं, तेरी गांड भी मारता हूं, बुर चूसता हूं, और मैं क्या करूं.” रेखा उसे दिलासा देते हुए बोली। “तुम तो लाखों में एक जवान हो मेरे राजा। इतना मस्त लंड तो भाग्य से मिलता है। पर मैं ही ज्यादा गरम हूं, हर समय रति करना चाहती हूं। लगता है किसी से चुसवाऊं। तुम रात को खूब चूसते हो और मुझे बहुत मजा आता है। पर किसी स्त्री से चुसवाने की बात ही और है। और मुझे भी किसी की प्यारी रसीली बुर चाटने का मन होता है। कमला पर मेरी नजर बहुत दिनों से है। क्या रसीली छोकरी है, दोपहर को मेरी यह नन्ही ननद मेरी बाहों में आ जाये तो मेरे भाग खुल जायें.” रेखा ने अमर से कहा को वह कमला पर चढ़ने में अमर की सहायता करेगी। पर इसी शर्त पर कि फ़िर दोपहर को वह कमला के साथ जो चाहे करेगी और अमर कुछ नहीं कहेगा। रोज वह खुद दिन में कमला को जैसे चाहे भोगेगी और रात में दोनो पति – पत्नी मिलकर उस बच्ची के कमसिन शरीर का मन चाहा आनन्द लेंगे.
अमर तुरंत मान गया। रेखा और कमला के आपस में सम्भोग की कल्पना से ही उसका खड़ा होने लगा। दोनों सोचने लगे कि कैसे कमला को चोदा जाये। अमर ने कहा कि धीरे धीरे प्यार से उसे फ़ुसलाया जाय। रेखा ने कहा कि उसमें यह खतरा है कि अगर नहीं मानी तो अपनी मां से सारा भाण्डा फ़ोड़ देगी। एक बार कमला के चुद जाने के बाद फ़िर कुछ नहीं कर पायेगी। चाहे यह जबरदस्ती करना पड़े रेखा ने उसे कहा कि कल वह कमला को स्कूल नहीं जाने देगी। आफिस जाने के पहले वह कमला को किसी बहाने से अमर के कमरे में भेज देगी और खुद दो घन्टे को काम का बहाना करके घर के बाहर चली जायेगी। कमला बेडरूम में चुदाई के चित्रों की किताब देख कर उसे जरूर पढ़ेगी। अमर उसे पकड़ कर उसे डांटने के बहाने से उसे दबोच लेगा और फिर दे घचाघच चोद मारेगा। मन भर उस सुंदर लड़की को ठोकने के बाद वह आफिस निकल जायेगा और फ़िर रेखा आ कर रोती बिलखती कमला को संम्भालने के बहाने खुद उसे दोपहर भर भोग लेगी. रात को तो मानों चुदाई का स्वर्ग उमड़ पड़ेगा। उसके बाद तो दिन रात उस किशोरी की चुदाई होती रहेगी। सिर्फ़ सुबह स्कूल जाने के समय उसे आराम दिया जायेगा। बाकी समय दिन भर काम क्रीड़ा होगी। उसने यह भी कहा कि शुरू में भले कमला रोये धोये, जल्द ही उसे भी अपने सुंदर भैया भाभी के साथ मजा आने लगेगा और फ़िर वह खुद हर समय चुदवाने को तैयार रहेगी। अमर को भी यह प्लान पसन्द आया। रात बड़ी मुश्किल से निकली क्योंकि रेखा ने उसे उस रात चोदने नहीं दिया, उसके लंड का जोर तेज करने को जान बूझ कर उसे प्यासा रखा। कमला को देख देख कर अमर यही सोच रहा था कि कल जब यह बच्ची बाहों में होगी तब वह क्या करेगा. सुबह अमर ने नहा धोकर आफिस में फोन करके बताया कि वह लेट आयेगा। उधर रेखा ने कमला को नीन्द से ही नहीं उठाया और उसके स्कूल का टाइम मिस होने जाने पर उसे कहा कि आज गोल मार दे। कमला खुशी खुशी मान गई। अमर ने एक अश्लील किताब अपने बेडरूम में तकिये के नीचे रख दी। फ़िर बाहर जा कर पेपर पढ़ने लगा। रेखा ने कमला से कहा कि अन्दर जाकर बेडरूम जरा जमा दे क्योंकि वह खुद बाहर जा रही है और दोपहर तक वापस आयेगी. जब कमला अन्दर चली गई तो रेखा ने अमर से कहा। “डार्लिन्ग, जाओ, मजा करो। रोये चिलाये तो परवाह नहीं करना, मैं दरवाजा लगा दून्गी। पर अपनी बहन को अभी सिर्फ़ चोदना। गांड मत मारना। उसकी गांड बड़ी कोमल और सकरी होगी। इसलिये लंड गांड में घुसते समय वह बहुत रोएगी और चीखेगी। मै भी उसकी गांड चुदने का मजा लेने के लिये और उसे संभालने के लिये वहां रहना चाहती हूं। इसलिये उसकी गांड हम दोनों मिलकर रात को मारेन्गे.”

अमर को आंख मार कर वह दरवाजा बन्द करके चली गई। पांच मिनिट बाद अमर ने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार कमला को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी। उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था. मौका देख कर अमर बेडरूम में घुस गौर बोला. “देखू, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?” कमला सकपका गई और किताब छुपाने लगी. अमर ने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. अमर ने कमला को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया “तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूं.” कमला रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. अमर एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के कमला की ओर बढ़ा. उसकी आंखो में काम वासना की झलक देख कर कमला घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर अमर ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खींच कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची. वह अभी अभी दो माह पहले ही ब्रेसियर पहनने लगी थी. उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर अमर का लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. उसने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. उसके मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर कमला के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का. वह भी सहेलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लण्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता था कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में उस मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.
“चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा” कहते हुए अमर ने जबरदस्ती उसके अन्तर्वस्त्र भी उतार दिये. कमला छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर अमर की शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुवा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुन्दरता के साथ अमर के सामने था. कमला को बाहों में भर कर अमर ने अपनी ओर खीन्चा और अपने दोनो हाथों में कमला के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर उससे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली “भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को”.
अमर तो वासना से पागल था. कमला का रोना उसे और उत्तेजित करने लगा. उसने अपना मुंह खोल कर कमला के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही वह उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर उसने कमला के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. उसके दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंम रहे थे. उसका हर अन्ग उसने खूब टटोला. मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद वह बोला. “बोल कमला रानी, पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?” आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर कमला घबरा गई और बिलखते हुए उससे याचना करने लगी. “भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मै मर जाऊंगी, मत चोदो मुझे प्लीऽऽऽज़ . मैं आपकी मुठ्ठ मार देती हूं”
अमर को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि कमला छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ अमर बोला. “इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैं नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहना ! चोदूंगा भी और गांड भी मारून्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूं मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मै मरा जा रहा था। कमला की गोरी गोरी चिकनी जान्घे अपने हाथों से अमर ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से वह उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा. बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को अमर चाटने लगा. चाटने के साथ अमर उसकी चिकनी माल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे कमला का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यन्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गई. उसने अपने भाई का सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. “चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर.” अमर ने देखा कि उसकी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को वह प्यार से चाटने लगा. उसकी जीभ जब कमला के कड़े लाल मणि जैसे क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो कमला मस्ती से हुमक कर अपनी जान्घे अपने भाई के सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में कमला एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे अमर बड़ी बेताबी से चाटने लगा. उसे कमला की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ने के बाद भी वह उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही कमला फ़िर से मस्त हो गई.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर अपने बड़े भाई के मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. अमर अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में कमला दूसरी बार झड़ गई. अमर उस अमृत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाद एक तृप्ति की सांस लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर अमर से अलग हो गई क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर अमर की जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था. अमर अब कमला को चोदने के लिये बेताब था. वह उठा और रसोई से मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन उसने अपने सुपाड़े पर लगया और कमला को सीधा करते हुए बोला. “चल छोटी, चुदाने का समय आ गया.” कमला घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद भैया छोड़ देंगे पर अमर को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मक्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी अमर ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. उसने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ़ैला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन कमला की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा उसने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया. अमर को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर कमला दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये उसने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बन्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर वह अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुंवारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और कमला ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि अमर से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और कमला छटपटाने लगी. अमर अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आंसू भरी आंखो में झांकता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. कमला के बन्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी उसे बहुत मजा आ रहा था. उसे लग रहा था कि जैसे वह एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है. कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलने लगा तो एक धक्का उसने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और कमला दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गई. अमर ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाजुक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुंवारी बुर में उतारकर एक गहरी सांस लेकर वह अपनी बहन के ऊपर लेट गया. कमला के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
अमर एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि उसकी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने उसके लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भींच कर पकड़ा हो. कमला के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ अमर धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से कमला होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आन्खे खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. “अमर भैया, मैं मर जाऊंगी, उई मां, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूं.” अमर ने झुक कर देखा तो उसका मोटा ताजा लंड कमला की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिंचा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. अमर ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. वह मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही उसने कमला के गालों पर बहते आंसू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. कमला के चीखने की परवाह न करके वह जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. “हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी कमला, सालों पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं.” टाइट बुर में लंड चलने से ‘फच फच फच’ ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब कमला और जोर से रोने लगी तो अमर ने कमला के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो कमला को लगा कि शायद वह झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इन्तजार करने लगी. पर अमर अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर वह रुक गया जब तक उसका उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया. सम्हलने के बाद उसने कमला से कहा “मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूंगा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुंवारी चूत में तो मां-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूंगा.” और फ़िर चोदने के काम में लग गया. दस मिनिट बाद कमला की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. अमर जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गई. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर ‘पकाक पकाक पकाक’ जैसी निकलने लगी. रोना बन्द कर के कमला ने अपनी बांहे अमर के गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर अमर के शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह अमर को बेतहाशा चूंमने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. “चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. हाःय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैं इसी लायक हूं।” अमर हंस पड़ा. “है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता कमला, तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?” कमला ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी. भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. अमर तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. कमला को मजा तो आ रहा था पर अमर के लंड के बार अंदर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर अमर के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.

काफ़ी देर यह सम्भोग चला. अमर पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. कमला कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि अमर का मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था. अमर तो अब पूरे जोश से कमला पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इन्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्तान्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ कमला फिर बेहोश हो गई. अमर उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खींचने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर उससे रहा नहीं गया और वह जोर से हुमकता हुआ झड़ गया. गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब कमला की बुर में छूटा तो वह होश में आई और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बन्द करके राहत की एक सांस ली. उसे लगा कि अब अमर उसे छोड़ देगा पर अमर उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. कमला रोनी आवाज में उससे बोली. “भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर.” अमर हंसकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. “अभी क्या हुआ है कमला रानी. अभी तो तेरी गांड भी मारनी है.” कमला के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. अमर हंसने लगा और उसे चूमते हुए बोला. “रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूंगा जरूर और फिर आफिस जाऊंगा.” उसने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आंखो को चूमना शुरू कर दिया. उसने कमला से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंह में लेकर कमला के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा. थोड़ी ही देर में उसका लंड फ़िर खड़ा हो गया और उसने कमला की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से कमला की बुर अब एकदम चिकनी हो गई थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. ‘पुचुक पुचुक पुचुक’ की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. कमला बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर अमर ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पांच मिनट में झड़ गया. झड़ने के बाद कुछ देर तो अमर मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह ‘पुक्क’ की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. कमला बेहोश पड़ी थी. अमर उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया. रेखा वापस आ गई थी और बाहर बड़ी अधीरता से उसका इन्तजार कर रही थी. पति की तृप्त आंखे देखकर वह समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है. “चोद आये मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को ?”

अमर तॄप्त होकर उसे चूमता हुआ बोला. “हां मेरी जान, चोद चोद कर बेहोश कर दिया साली को, बहुत रो रही थी, दर्द का नाटक खूब किया पर मैने नहीं सुना. क्या मजा आया उस नन्ही चूत को चोदकर.” रेखा वासना के जोश में घुटने के बल अमर के सामने बैठ गई और उसका रस भरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी. लंड पर कमला की बुर का पानी और अमर के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था. पूरा साफ़ करके ही वह उठी.
अमर कपड़े पहन कर ऑफ़िस जाने को तैयार हुआ. उसने अपनी कामुक बीवी से पुछा कि अब वह क्या करेगी? रेखा बोली “इस बच्ची की रसीली बुर पहले चूसूंगी जिसमें तुंहारा यह मस्त रस भरा हुआ है. फिर उससे अपनी चूत चुसवाऊंगी. हम लड़कियों के पास मजा करने के लिये बहुत से प्यारे प्यारे अंग है. आज ही सब सिखा दूंगी उसे” अमर ने पूछा. “आज रात का क्या प्रोग्राम है रानी?” रेखा उसे कसकर चूमते हुए बोली. ” जल्दी आना, आज एक ही प्रोग्राम है. तुंहारी बहन की रात भर गांड मारने का. खूब सता सता कर, रुला रुला कर गांड मारेम्गे साली की, जितना वह रोयेगी उतना मजा आयेगा. मै कब से इस घड़ी की प्रतीक्षा कर रही हूं” अमर मुस्कराके बोला “बड़ी दुष्ट हो. लड़की को तड़पा तड़पा कर भोगना चाहती हो.” रेखा बोली. “तो क्या हुआ, शिकार करने का मजा अलग ही है. बाद में उतना ही प्यार करूम्गी अपनी लाड़ली ननद को. ऐसा यौन सुख दूम्गी कि वह मेरी दासी हो जायेगी. हफ़्ते भर में चुद चुद कर फ़ुकला हो जायेगी तुंहारी बहन, फ़िर दर्द भी नहीं होगा और खुद ही चुदैल हमसे चोदने की माम्ग करेगी. पर आज तो उसकी कुम्वारी गांड मारने का मजा ले लेम.” अमर हम्स कर चला गया और रेखा ने बड़ी बेताबी से कमरे में घुस कर दरवाजा लगा लिया. कमला होश में आ गई थी और पलंग पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी. चुदासी की प्यास खत्म होने पर अब उसकी चुदी और भोगी हुई बुर में खूब दर्द हो रहा था. रेखा उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी. “क्या हुआ मेरी कमला रानी को? नंगी क्यों पड़ी है और यह तेरी टांगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?” बेचारी कमला शर्म से रो दी. “भाभी, भैया ने आज मुझे चोद डाला.” रेखा आश्चर्य का नाटक करते हुए बोली. “चोद डाला, अपनी ही नन्हीं बहन को? कैसे?” कमला सिसकती हुई बोली. “मै गंदी किताब देखती हुई पकड़ी गई तो मुझे सजा देने के लिये भैया ने मेरे कपड़े जबर्दस्ती निकाल दिये, मेरी चूत चूसी और फ़िर खूब चोदा. मेरी बुर फाड़ कर रख दी. गांड भी मारना चाहते थे पर मैने जब खूब मिन्नत की तो छोड़ दिया” रेखा ने पलंग पर चढ कर उसे पहले प्यार से चूमा और बोली. “ऐसा? देखूं जरा” कमला ने अपनी नाजुक टांगें फैला दी. रेखा झुक कर चूत को पास से देखने लगी.
कच्ची कमसिन की तरह चुदी हुई लाल लाल कुन्वारी बुर देख कर उसके मुह में पानी भर आया और उसकी खुद की चूत मचल कर गीली होने लगी. वह बोली “कमला, डर मत, चूत फ़टी नहीं है, बस थोड़ी खुल गई है. दर्द हो रहा होगा, अगन भी हो रही होगी. फ़ूंक मार कर अभी ठण्डी कर देती हूं तेरी चूत.” बिल्कुल पास में मुंह ले जा कर वह फ़ूंकने लगी. कमला को थोड़ी राहत मिली तो उसका रोना बन्द हो गया.

फ़ूंकते फ़ूंकते रेखा ने झुक कर उस प्यारी चूत को चूम लिया. फ़िर जीभ से उसे दो तीन बार चाटा, खासकर लाल लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फ़ेरी. कमला चहक उठी. “भाभी, क्या कर रही हो?” “रहा नहीं गया रानी, इतनी प्यारी जवान बुर देखकर, ऐसे माल को कौन नहीं चूमना और चूसना चाहेगा? क्यों, तुझे अच्छा नहीं लगा?” रेखा ने उस की चिकनी छरहरी रानों को सहलाते हुए कहा. “बहुत अच्छा लगा भाभी, और करो ना.” कमला ने मचल कर कहा. रेखा चूत चूसने के लिये झुकती हुई बोली. “असल में तुंम्हारे भैया का कोई कुसूर नहीं है. तुम हो ही इतनी प्यारी कि औरत होकर मुझे भी तुम पर चढ़ जाने का मन होता है तो तेरे भैया तो आखिर मस्त जवान है.” अब तक कमला काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी बुर रेखा के मुंह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी. कमला की अधीरता देखकर रेखा बिना किसी हिचकिचाहट से उस कोमल बुर पर टूट पड़ी और उसे बेतहाशा चाटने लगी. चाटते चाटते वह उस मादक स्वाद से इतनी उत्तेजित हो गई कि अपने दोनो हाथों से कमला की चुदी चूत के सूजे पपोटे फ़ैला कर उस गुलाबी छेद में जीभ अन्दर डालकर आगे पीछे करने लगी. अपनी भाभी की लम्बी गीली मुलायम जीभ से चुदना कमला को इतना भाया कि वह तुरन्त एक किलकारी मारकर झड़ गई. बात यह थी कि कमला को भी अपनी सुंदर भाभी बहुत अच्छी लगती थी. अपनी एक दो सहेलियों से उसने स्त्री और स्त्री सम्बन्धो के बारे में सुन रखा था. उसकी एक सहेली तो अपनी मौसी के साथ काफ़ी करम करती थी. कमला भी ये किसी सुन सुन कर अपने भाभी के प्रति आकर्षित होकर कब से यह चाहती थी कि भाभी उसे बाहों में लेकर प्यार करे. अब जब कल्पनानुसार उसकी प्यारी भाभी अपने मोहक लाल ओठों से सीधे उसकी चूत चूस रही थी तो कमला जैसे स्वर्ग में पहुंच गई. उसकी चूत का रस रेखा की जीभ पर लिपटने लगा और रेखा मस्ती से उसे निगलने लगी. बुर के रस और अमर के वीर्य का मिलाजुला स्वाद रेखा को अमृत जैसा लगा और वह उसे स्वाद ले लेकर पीने लगी. अब रेखा भी बहुत कामातुर हो चुकी थी और अपनी जांघे रगड़ रगड़ कर स्खलित होने की कोशिश कर रही थी. कमला ने हाथो में रेखा भाभी के सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया और उसके घने लम्बे केशों में प्यार से अपनी उंगलियां चलाते हुए कहा. “भाभी, तुम भी नंगी हो जाओ ना, मुझे भी तुंम्हारी चूचियां और चूत देखनी है.” रेखा उठ कर खड़ी हो गई और अपने कपड़े उतारने लगी. उसकी किशोरी ननद अपनी ही बुर को रगड़ते हुए बड़ी बड़ी आंखो से अपनी भाभी की ओर देखने लगी. उसकी खूबसूरत भाभी उसके सामने नंगी होने जा रही थी. रेखा ने साड़ी उतार फ़ेकी और नाड़ा खोल कर पेटीकोट भी उतार दिया. ब्लाउज के बटन खोल कर हाथ ऊपर कर के जब उसने ब्लाउज उतारा तो उसकी स्ट्रैप्लेस ब्रा में कसे हुए उभरे स्तन देखकर कमला की चूत में एक बिजली सी दौड़ गई. भाभी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी पर इतने पास से उसके मचलते हुए मम्मों की गोलाई उसने पहली बार देखी थी. और यह मादक ब्रेसियर भी उसने पहले कभी नहीं देखी थी.

अब रेखा के गदराये बदन पर सिर्फ़ सफ़ेद जांघिया और वह टाइट सफ़ेद ब्रा बची थी. “भाभी यह कन्चुकी जैसी ब्रा तू कहां से लाई? तू तो साक्षात अप्सरा दिखती है इसमे.” रेखा ने मुस्करा कर कहा “एक फ़ैशन मेगेज़ीन में देखकर बनवाई है, तेरे भैया यह देखकर इतने मस्त हो जाते है कि रात भर मुझे चोद लेते है.” “भाभी रुको, इन्हें मै निकालूंगी.” कहकर कमला रेखा के पीछे आकर खड़ी हो गई और उसकी मान्सल पीठ को प्यार से चूमने लगी. फिर उसने ब्रा के हुक खोल दिये और ब्रा उछल कर उन मोटे मोटे स्तनों से अलग होकर गिर पड़ी. उन मस्त पपीते जैसे उरोजों को देख्कर कमला अधीर होकर उन्हें चूमने लगी. “भाभी, कितनी मस्त चूचियां है तुंम्हारी. तभी भैया तुंहारी तरफ़ ऐसे भूखों की तरह देखते है.” रेखा के चूचुक भी मस्त होकर मोटे मोटे काले कड़क जामुन जैसे खड़े हो गये थे. उसने कमला के मुंह मे एक निपल दे दिया और उस उत्तेजित किशोरी को भींच कर सीने से लगा लिया. कमला आखे बन्द कर के बच्चे की तरह चूची चूसने लगी. रेखा के मुंह से वासना की सिसकारियां निकलने लगीं और वह अपनी ननद को बाहों में भर कर पलंग पर लेट गई. “हाय मेरी प्यारी बच्ची, चूस ले मेरे निपल, पी जा मेरी चूची, तुझे तो मै अब अपनी चूत का पानी भी पिलाऊंगी.” कमला ने मन भर कर भाभी की चूचियां चूसीं और बीच में ही मुंह से निकाल कर बोली. “भाभी अब जल्दी से मां बन जाओ, जब इनमें दूध आएगा तो मै ही पिया करूंगी, अपने बच्चे के लिये और कोई इन्तजाम कर लेना.” और फ़िर मन लगा कर उन मुलायम स्तनों का पान करने लगी. “जरूर पिलाऊंगी मेरी रानी, तेरे भैया भी यही कहते है. एक चूची से तू पीना और एक से तेरे भैया.” रेखा कमला के मुंह को अपने स्तन पर दबाते हुए बोली. अपने निपल में उठती मीठी चुभन से रेखा निहाल हो गई थी. अपनी पैंटी उसने उतार फ़ेकी और फ़िर दोनों जांघो में कमला के शरीर को जकड़कर उसे हचकते हुए रेखा अपनी बुर उस की कोमल जांघो पर रगड़ने लगी. रेखा के कड़े मदनमणि को अपनी जांघ पर रगड़ता महसूस करके कमला अधीर हो उठी. “भाभी, मुझे अपनी चूत चूसने दो ना प्लीज़”
“तो चल आजा मेरी प्यारी बहन, जी भर के चूस अपनी भाभी की बुर, पी जा उसका नमकीन पानी” कहकर रेखा अपनी मांसल जांघे फैला कर पलंग पर लेट गई. एक तकिया उसने अपने नितम्बों के नीचे रख लिया जिससे उसकी बुर ऊपर उठ कर साफ़ दिखने लगी. वासना से तड़पती वह कमसिन लड़की अपनी भाभी की टांगों के बीच लेट गई. रेखा की रसीली बुर ठीक उसकी आंखो के सामने थी. घनी काली झांटो के बीच की गहरी लकीर में से लाल लाल बुर का छेद दिख रहा था. “हाय भाभी, कितनी घनी और रेशम जैसी झांटे हैं तुम्हारी, काटती नहीं कभी?” उसने बालों में उंगलियां डालते हुए पूछा. “नहीं री, तेरे भैया मना करते हैं, उन्हें घनी झांटे बहुत अच्छी लगती हैं.” रेखा मुस्कराती हुई बोली. “हां भाभी, बहुत प्यारी हैं, मत काटा करो, मेरी भी बढ़ जाएं तो मैं भी नहीं काटूंगी.” कमला बोली. उससे अब और न रहा गया. अपने सामने लेटी जवान भरी पूरी औरत की गीली रिसती बुर में उसने मुंह छुपा लिया और चाटने लगी. रेखा वासना से कराह उठी और कमला का मुंह अपनी झांटो पर दबा कर रगड़ने लगी. वह इतनी गरम हो गई थी कि तुरन्त झड़ गई.

“हाय मर गई रे कमला बिटिया, तेरे प्यारे मुंह को चोदूं, साली क्या चूसती है तू, इतनी सी बच्ची है फ़िर भी पुरानी रंडी जैसी चूसती है. पैदाइशी चुदैल है तू” दो मिनट तक वह सिर्फ़ हांफ़ते हुए झड़ने का मजा लेती रही. फ़िर मुस्कराकर उसने कमला को बुर चूसने का सही अन्दाज सिखाना शुरू किया. उसे सिखाया कि पपोटे कैसे अलग किये जाते हैं, जीभ का प्रयोग कैसे एक चम्मच की तरह रस पीने को किया जाता है और बुर को मस्त करके उसमे से और अमृत निकलने के लिये कैसे क्लाईटोरिस को जीभ से रगड़ा जाता है. थोड़ी ही देर में कमला को चूत का सही ढंग से पान करना आ गया और वह इतनी मस्त चूत चूसने लगी जैसे बरसों का ज्ञान हो. रेखा पड़ी रही और सिसक सिसक कर बुर चुसवाने का पूरा मजा लेती रही. “चूस मेरी प्यारी बहना, और चूस अपनी भाभी की बुर, जीभ से चोद मुझे, आ ऽ ह ऽ , ऐसे ही रानी बिटिया ऽ , शा ऽ बा ऽ श.” काफ़ी झड़ने के बाद उसने कमला को अपनी बाहों में समेट लिया और उसे चूम चूम कर प्यार करने लगी. कमला ने भी भाभी के गले में बाहें डाल दीं और चुम्बन देने लगी. एक दूसरे के होंठ दोनों चुदैलें अपने अपने मुंह में दबा कर चूसने लगीं. रेखा ने अपनी जीभ कमला के मुंह में डाल दी और कमला उसे बेतहाशा चूसने लगी. भाभी के मुख का रसपान उसे बहुत अच्छा लग रहा था. रेखा अपनी जीभ से कमला के मुंह के अन्दर के हर हिस्से को चाट रही थी, उस बच्ची के गाल, मसूड़े, तालू, गला कुछ भी नहीं छोड़ा रेखा ने. शैतानी से उसने कमला के हलक में अपनी लंबी जीभ उतार दी और गले को अन्दर से चाटने और गुदगुदाने लगी. उस बच्ची को यह गुदगुदी सहन नहीं हुई और वह खांस पड़ी. रेखा ने उसके खांसते हुए मुंह को अपने होंठों में कस कर दबाये रखा और कमला की अपने मुंह में उड़ती रसीली लार का मजा लेती रही. आखिर जब रेखा ने उसे छोड़ा तो कमला का चेहरा लाल हो गया थी. “क्या भाभी, तुम बड़ी हरामी हो, जान बूझ कर ऐसा करती हो.” रेखा उसका मुंह चूमते हुए हंस कर बोली. “तो क्या हुआ रानी? तेरा मुखरस चूसने का यह सबसे आसान उपाय है. मैने एक ब्लू फ़िल्म में देखा था.” फ़िर उस जवान नारी ने उस किशोरी के पूरे कमसिन बदन को सहलाया और खास कर उसके कोमल छोटे छोटे उरोजों को प्यार से हौले हौले मसला. फिर उसने कमला को सिखाया कि कैसे निपलों को मुंह में लेकर चूसा जाता है. बीच में ही वह हौले से उन कोमल निपलों को दांत से काट लेती थी तो कमला दर्द और सुख से हुमक उठती थी. “निपल काटो मत ना भाभी, दुखता है, नहीं , रुको मत, हा ऽ य, और काटो, अच्छा लगता है.”

अन्त में उसने कमला को हाथ से हस्तमैथुन करना सिखाया.”देख कमला बहन, हम औरतों को अपनी वासना पूरी करने के लिये लंड की कोई जरूरत नहीं है. लंड हो तो बड़ा मजा आता है पर अगर अकेले हो, तो कोई बात नहीं.” कमला भाभी की ओर अपनी बड़ी बड़ी आंखो से देखती हुई बोली “भाभी उस किताब में एक औरत ने एक मोटी ककड़ी अपनी चूत में घुसेड़ रखी थी.” रेखा हंस कर बोली “हां मेरी रानी बिटिया, ककड़ी, केले, गाजर, मूली, लम्बे वाले बैंगन, इन सब से मुट्ठ मारी जा सकती है. मोटी मोमबत्ती से भी बहुत मजा आता है. धीरे धीरे सब सिखा दूंगी पर आज नहीं. आज तुझे उंगली करना सिखाती हूं. मेरी तरफ़ देख.” रेखा रण्डियों जैसी टांगें फ़ैलाकर बैठ गई और अपनी अंगूठे से अपने क्लाईटोरिस को सहलाना शुरू कर दिया. कमला ने भी ऐसा ही किया और आनन्द की एक लहर उसकी बुर में दौड़ गई. रेखा ने फ़िर बीच की एक उंगली अपनी खुली लाल चूत में डाल ली और अन्दर बाहर करने लगी. भाभी की देखा देखी कमला भी उंगली से हस्तमैथुन करने लगी. पर उसका अंगूठा अपने क्लिट पर से हट गया. रेखा ने उसे समझाया. “रानी, उंगली से मुट्ठ मारो तो अंगूठा चलता ही रहना चाहिये अपने मणि पर.” धीरे धीरे रेखा ने दो उंगली घुसेड़ लीं और अन्त में वह तीन उंगली से मुट्ठ मारने लगी. फ़चाफ़च फ़चाफ़च ऐसी आवाज उसकी गीली चूत में से निकल रही थी. कमला को लगा कि वह तीन उंगली नहीं घुसेड़ पायेगी पर आराम से उसकी तीनों उंगलियां जब खुद की कोमल बुर में चली गईं तो उसके मुंह से आश्चर्य भरी एक किलकारी निकल पड़ी. रेखा हंसने लगी. “अभी अभी भैया के मोटे लंड से चुदी है इसलिये अब तेरी चारों उंगलियां चली जायेंगी अन्दर. वैसे मजा दो उंगली से सबसे ज्यादा आता है.” दोनों अब एक दूसरे को देख कर अपनी अपनी मुट्ठ मारने लगीं. रेखा अपने दूसरे हाथ से अपने उरोज दबाने लगी और निपलों को अंगूठे और एक उंगली में लेकर मसलने लगी. कमला ने भी ऐसा ही किया और मस्ती में झूंम उठी. अपनी चूचियां खुद ही दबाते हुए दोनों अब लगातार सड़का लगा रही थी. रेखा बीच बीच में अपनी उंगली अपने मुंह में डालकर अपना ही चिपचिपा रस चाट कर देखती और फिर मुट्ठ मारने लगती. कमला ने भी ऐसा ही किया तो उसे अपनी खुद की चूत का स्वाद बहुत प्यारा लगा. रेखा ने शैतानी से मुस्कराते हुए उसे पास खिसकने और मुंह खोलने को कहा. जैसे ही कमला ने अपना मुंह खोला, रेखा ने अपने चूत रस से भरी चिपचिपी उंगलियां उसके मुंह में दे दी.
रेखा ने भी कमला का हाथ खींच कर उसकी उंगलियां मुंह में दबा लीं और चाटने लगी. “यही तो अमृत है जिसके लिये यह सारे मर्द दीवाने रहते हैं. बुर का रस चूसने के लिये साले हरामी मादरचोद मरे जाते हैं. बुर के रस का लालच दे कर तुम इनसे कुछ भी करवा सकती हो. तेरे भैया तो रात रात भर मेरी बुर चूसकर भी नहीं थकते.”
कई बार मुट्ठ मारने के बाद रेखा बोली. “चल छोटी अब नहीं रहा जाता. अब तुझे सिक्सटी – नाईन का आसन सिखाती हूं. दो औरतों को आपस में सम्भोग करने के लिये यह सबसे मस्त आसन है. इसमें चूत और मुंह दोनों को बड़ा सुख मिलता है.” रेखा अपनी बांई करवट पर लेट गई और अपनी मांसल दाहिनी जांघ उठा कर बोली. “आ मेरी प्यारी बच्ची, भाभी की टांगों में आ जा.” कमला उल्टी तरफ़ से रेखा की निचली जांघ पर सिर रख कर लेट गई. पास से रेखा की बुर से बहता सफ़ेद चिपचिपा स्त्राव उसे बिल्कुल साफ़ दिख रहा था और उसमें से बड़ी मादक खुशबू आ रही थी.

रेखा ने उसका सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत में खींच लिया और अपनी बुर के पपोटे कमला के मुंह पर रख दिये. “चुम्बन ले मेरे निचले होंठों को जैसे कि मेरे मुंह का रस ले रही थी.” जब कमला ने रेखा की चूत चूमना शुरू कर दिया तो रेखा बोली. “अब जीभ अन्दर डाल रानी बिटिया” कमला अपनी जीभ से भाभी को चोदने लगी और उसके रिसते रस का पान करने लगी. रेखा ने अब अपनी उठी जांघ को नीचे करके कमला का सिर अपनी जांघों मे जकड़ लिया और टांगें साइकिल की तरह चला के उसके कोमल मुंह को सीट बनाकर उसपर मुट्ठ मारने लगी. भाभी की मांसल जांघों में सिमट कर कमला को मानो स्वर्ग मिल गया. कमला मन लगा कर भाभी की चूत चूसने लगी. रेखा ने बच्ची की गोरी कमसिन टांगें फैला कर अपना मुंह उस नन्ही चूत पर जमा दिया और जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर रसपान करने लगी. कमला ने भी अपनी टांगों के बीच भाभी का सिर जकड़ लिया और टांगें कैंची की तरह चलाती हुई भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन करने लगी. दस मिनट तक कमरे में सिर्फ़ चूसने, चूमने और कराहने की अवाजें उठ रही थी. रेखा ने बीच में कमला की बुर में से मुंह निकालकर कहा. “रानी मेरा क्लाईटोरिस दिखता है ना?” कमला ने हामी भरी. “हां भाभी, बेर जितना बड़ा हो गया है, लाल लाल है.” “तो उसे मुंह में ले और चाकलेट जैसा चूस, उसपर जीभ रगड़, मुझे बहुत अच्छा लगता है मेरी बहना, तेरे भैया तो माहिर हैं इसमे.” रेखा ने जोर जोर से साइकिल चला कर आखिर अपनी चूत झड़ा ली और आनन्द की सीत्कारियां भरती हुई कमला के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां चलाने लगी. कमला को भाभी की चूत मे से रिसते पानी को चाटने में दस मिनट लग गये. तब तक वह खुद भी रेखा की जीभ से चुदती रही. रेखा ने उसका जरा सा मटर के दाने जैसा क्लाईटोरिस मुंह में लेके ऐसा चूसा कि वह किशोरी भी तड़प कर झड़ गई. कमला का दिल अपनी भाभी के प्रति प्यार और कामना से भर उठा क्योंकि उसकी प्यारी भाभी अपनी जीभ से उसे दो बार झड़ा चुकी थी. एक दूसरे की बुर को चाट चाट कर साफ़ करने के बाद ही दोनों चुदैल भाभी ननद कुछ शांत हुई. थोड़ा सुस्ताने के लिये दोनों रुकीं तब रेखा ने पूछा. “कमला बेटी, मजा आया?” कमला हुमक कर बोली “हाय भाभी कितना अच्छा लगता है बुर चूसने और चुसवाने मे.” रेखा बोली “अपनी प्यारी प्रेमिका के साथ सिक्सटी – नाइन करने से बढ़कर कोई सुख नहीं है हम जैसी चुदैलों के लिये, कितना मजा आता है एक दूसरे की बुर चूस कर. आह ! क्रीड़ा हम अब घन्टों तक कर सकते हैं.” “भाभी चलो और करते हैं ना” कमला ने अधीरता से फ़रमाइश की और रेखा मान गई. ननद भाभी का चूत चूसने का यह कार्यक्रम दो तीन घन्टे तक लगातार चला जब तक दोनों थक कर चूर नहीं हो गई. कमला कभी इतनी नहीं झड़ी थी. आखिर लस्त होकर बिस्तर पर निश्चल पड़ गई. दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटकर प्रेमियों जैसे सो गई. शाम को रेखा ने चूम कर बच्ची को उठाया. “चल कमला, उठ, तेरे भैया के आने का समय हो गया. कपड़े पहन ले नहीं तो नंगा देखकर फ़िर तुझ पर चढ़ पढ़ेंगे” कमला घबरा कर उठ बैठी. “भाभी मुझे बचा लो, भैया को मुझे चोदने मत देना, बहुत दुखता है.”
रेखा ने उसे डांटा “पर मजे से हचक के हचक के चुदा भी तो रही थी बाद मे, ‘हाय भैया, चोदो मुझे’ कह कह के”. कमला शरमा कर बोली. “भाभी बस आज रात छोड़ दो, मेरी बुर को थोड़ा आराम मिल जाये, कल से जो तुम कहोगी, वह करूंगी”. “चल अच्छा, आज तेरी चूत नहीं चुदने दूंगी.” रेखा ने वादा किया और कमला खुश होकर उससे लिपट गई. अमर वापस आया तो तन्नाया हुआ लंड लेकर. उसके पैन्ट में से भी उसका आकार साफ़ दिख रहा था. कमला उसे देख कर शरमाती हुई और कुछ घबरा कर रेखा के पीछे छुप गई. दोपहर की चुदाई की पीड़ा याद कर उसका दिल भय से बैठा जा रहा था. “भाभी, भैया से कहो ना कि अब मुझे ना चोदे, मेरी बुर अभी तक दुख रही है. अब चोदा तो जरूर फ़ट जायेगी!” रेखा ने आंख मारते हुए अमर को झूठा डांटते हुए कहा कि वह कमला की बुर आज न चोदे. अमर समझ गया कि सिर्फ़ बुर न चोदने का वादा है, गांड के बारे में तो कुछ बातें ही नहीं हुई. वह बोला “चलो, आज तुम्हारी चूत नहीं चोदूंगा मेरी नन्ही बहन, पर आज से तू हमारे साथ हमारे पलंग पर सोयेगी और मै और तेरी भाभी जैसा कहेंगे वैसे खुद को चुदवाएगी और हमें अपनी यह कमसिन जवानी हर तरीके से भोगने देगी.”

अमर के कहने पर रेखा ने कमला की मदद से जल्दी जल्दी खाना बनाया और भोजन कर किचन की साफ़ सफ़ाई कर तीनों नौ बजे ही बेडरूम में घुस गये. अमर ने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपना खड़ा लंड हाथ में लेकर उसे पुचकारता हुआ खुद कुर्सी में बैठ गया और भाभी ननद को एक दूसरे को नंगा करने को कहकर मजा देखने लगा. दोनों चुदैलों के मुंह में उस रसीले लंड को देखकर पानी भर आया. कमला फ़िर थोड़ी डर भी गई थी क्योंकि वह कुछ देर के लिये भूल ही गई थी कि अमर का लंड कितना महाकाय है. पर उसके मन में एक अजीब वासना भी जाग उठी. वह मन ही मन सोचने लगी कि अगर भैया फ़िर से उसे जबरदस्ती चोद भी डालें तो दर्द तो होगा पर मजा भी आयेगा. रेखा ने पहले अपने कपड़े उतारे. ब्रेसियर और पैंटी कमला से उतरवाई जिससे कमला भी भाभी के नंगे शरीर को पास से देखकर फ़िर उत्तेजित हो गई. फ़िर रेखा ने हंसते हुए शरमाती हुई उस किशोरी की स्कर्ट और पैन्टी उतारी. ब्रेसियर उसने दोपहर की चुदाई के बाद पहनी ही नहीं थी. रेखा उस खूबसूरत छोकरी के नग्न शरीर को बाहों में भरकर बिस्तर पर लेट गई और चूमने लगी. रेखा की बुर कमला का कमसिन शरीर बाहों में पाकर गीली हो गई थी. साथ ही रेखा जानती थी कि आज रात कमला की कैसी चुदाई होने वाली है और इसलिये उसे कमला की होने वाले ठुकाई की कल्पना कर कर के और मजा आ रहा था.
वह अमर को बोली. “क्योंजी, वहां लंड को पकड़कर बैठने से कुछ नहीं होगा, यहां आओ और इस मस्त चीज़ को लूटना शुरू करो.” अमर उठ कर पलंग पर आ गया और फ़िर दोनों पति पत्नी मिलकर उस कोमल सकुचाती किशोरी को प्यार करने के लिये उसपर चढ़ गये. रेखा कमला का प्यारा मीठा मुखड़ा चूमने लगी और अमर ने अपना ध्यान उसके नन्हें उरोजों पर लगाया. झुक कर उन छोटे गुलाब की कलियों जैसे निपलों को मुंह में लिया और चूसने लगा. कमला को इतना अच्छा लगा कि उसने अपनी बांहे अपने बड़े भाई के गले में डाल दीं और उसका मुंह अपनी छाती पर भींच लिया कि और जोर से निपल चूसे. उधर रेखा ने कमला की रसीली जीभ अपने मुंह में ले ली और उसे चूसते हुए अपने हाथों से धीरे धीरे उसकी कमसिन बुर की मालिश करने लगी. अपनी उंगली से उसने कमला के क्लाईटोरिस को सहलाया और चूत के पपोटों को दबाया और खोलकर उममें उंगली करनी लगी. उधर अमर भी बारी बारी से कमला के चूचुक चूस रहा था और हाथों में उन मुलायम चूचियों को लेकर प्यार से सहला रहा था. असल में उसका मन तो हो रहा था कि दोपहर की तरह उन्हें जोर जोर से बेरहमी के साथ मसले और कमला को रुला दे पर उसने खुद को काबू में रखा. गांड मारने में अभी समय था और वह अभी से अपनी छोटी बहन को डराना नहीं चाहता था. उसने मन ही मन सोचा कि गांड मारते समय वह उस खूबसूरत कमसिन गुड़िया के मम्मे मन भर कर भोम्पू जैसे दबाएगा. कमला अब तक मस्त हो चुकी थी और भाभी के मुंह को मन लगा कर चूस रही थी. उसकी कच्ची जवान बुर से अब पानी बहने लगा था. रेखा ने अमर से कहा. “लड़की मस्त हो गई है, बुर तो देखो क्या चू रही है, अब इस अमृत को तुम चूसते हो या मैं चूस लू?”
अमर ने उठ कर कमला के सिर को अपनी ओर खींचते हुआ कहा “मेरी रानी, पहले तुम चूस लो अपनी ननद को, मैं तब तक थोड़ा इसके मुंह का स्वाद ले लूम, फ़िर इसे अपना लंड चुसवाता हूं. दोपहर को रह ही गया, यह भी बोल रही होगी कि भैया ने लंड का स्वाद भी नहीं चखाया” अमर ने अपने होंठ कमला के कोमल होंठों पर जमा दिये और चूस चूस कर उसे चूमता हुआ अपनी छोटी बहन के मुंह का रस पीने लगा. उधर रेखा ने कमला की टांगें फ़ैलाईं और झुक कर उसकी बुर चाटने लगी. उसकी जीभ जब जब बच्ची के क्लाईटोरिस पर से गुजरती तो एक धीमी सिसकी कमला के अमर के होंठों के बीच दबे मुंह से निकल जाती. उस कमसिन चूत से अब रस की धार बह रही थी और उसका पूरा फ़ायदा उठा कर रेखा बुर में जीभ घुसेड़ घुसेड़ कर उस अमृत का पान करने लगी.

अमर ने कमला को एक आखरी बार चूम कर उसका सिर अपनी गोद में ले लिया. फ़िर अपना बड़ा टमाटर जैसा सुपाड़ा उसके गालों और होंठों पर रगड़ने लगा.”ले कमला, जरा अपने भैया के लंड का मजा ले, चूस कर देख क्या मजा आयेगा. डालू तेरे मुंह मे?” उसने पूछा. कमला को भी सुपाड़े की रेशमी मुलायम चमड़ी का स्पर्श बड़ा अच्छा लग रहा था. ” हाय भैया, बिलकुल मखमल जैसा चिकना और मुलायम है.” वह किलकारी भरती हुई बोली. अमर ने उसका उत्साह बढ़ाया और लंड को कमला के मुंह में पेलने लगा. “चूस कर तो देख, स्वाद भी उतना ही अच्छा है.” रेखा ने कमला की जांघों में से जरा मुंह उठाकर कहा और फ़िर बुर का पानी चूसने में लग गई. कमला अब मस्ती में चूर थी. वह अपनी जीभ निकालकर इस लंड और सुपाड़े को चाटने लगी. अमर ने काफ़ी देर उसका मजा लिया और फ़िर कमला के गाल दबाता हुआ बोला. “चल बहुत खेल हो गया, अब मुंह में ले और चूस.” गाल दबाने से कमला का मुंह खुल गया और अमर ने उसमें अपना सुपाड़ा घुसेड़ दिया. सुपाड़ा बड़ा था इस लिये कमला को अपना मुंह पूरी तरह खोलना पड़ा. पर सुपाड़ा अन्दर जाते ही उसे इतना मजा आया कि मुंह बंद कर के वह उसे एक बड़े लॉलीपॉप जैसे चूसने लगी. अमर ने एक सुख की आह भरी, अपनी छोटी बहन के प्यारे मुंह का स्पर्श उसके लंड को सहन नहीं हो रहा था. “हाय रेखा, मैं झड़ने वाला हूं इस छोकरी के मुंह मे. निकाल लू लौड़ा? आगे का काम शुरू करते हैं.” रेखा को मालूम था कि अमर अपनी छोटी बहन की गांड मारने को लालायित है. उसने जब लंड का साइज़ देखा तो समझ गई कि अगर झड़ाया नहीं गया और इसी लंड से बच्ची की गांड मारी गई तो जरूर फ़ट जाएगी. इसलिये वह भी बोली. “ऐसा करो, मुट्ठ मार लो कमला के मुंह मे, उसे भी जरा इस गाढ़े गाढ़े वीर्य का स्वाद चखने दो. मै तो रोज ही पीती हूं, आज मेरी ननद को पाने दो यह प्रसाद.”
अमर दीवाना हुआ जा रहा था. उसने एक हाथ से कमला के सिर को पकड़ कर सहारा दिया कि धक्कों से आगे पीछे न हो और दूसरे हाथ से लंड का डण्डा मुट्ठी में लेकर जोर जोर से आगे पीछे करता हुआ हस्तमैथुन करने लगा. मुंह में फ़ूलता सिकुड़ता लज़ीज़ सुपाड़ा उस किशोरी को इतना भाया कि जीभ रगड़ रगड़ कर आंखे बन्द कर के वह उस रसीले फ़ल को चूसने लगी. अमर को इतना सुख सहन नहीं हुआ और पांच ही मिनिट में वह एकदम स्खलित हो गया. “हा ऽ य री ऽ प्यारी बच्ची, तूने मुझे मार डाला, रेखा रानी, यह तो चूसने में उस्ताद है, ऊ ऽ आह ऽ ऽ ” कमला मलाई जैसा गाढ़ा गरम गरम वीर्य बड़े स्वाद से निगल रही थी. पहली बार वीर्य निगला और वह भी बड़े भाई का! अमर का उछलता लंड उसने आखरी बूंद निकलने तक अपने मुंह में दबाए रखा जब तक वह सिकुड़ नहीं गया. कमला भी अबतक रेखा के चूसने से कई बार झड़ गई थी. रेखा चटखारे ले लेकर उसकी बुर का पानी चूस रही थी. अमर बोला “चलो, बाजू हटो, मुझे भी अपनी बहन की चूत चूसने दो.” कमला मस्ती में बोली “हां भाभी, भैया को मेरी बुर का शरबत पीने दो, तुम अब जरा मुझे अपनी चूत चटाओ भाभी, जल्दी करो ऽ ना ऽ” वह मचल उठी. रेखा उठी और उठ कर कुर्सी में बैठ गई. अपनी भरी पूरी गुदाज टांगें फ़ैला कर बोली “आ मेरी रानी, अपनी भाभी की बुर में आ जा, देख भाभी की चूत ने क्या रस बनाया है अपनी लाड़ली ननद के लिये.” कमला उठकर तुरंत रेखा के सामने फ़र्श पर बैठ गई और भाभी की बुर अपने हाथों से खोलते हुए उसे चाटने लगी. उस कोमल जीभ का स्पर्श होते ही रेखा मस्ती से सिसक उठी और कमला के रेशमी बालों में अपनी उंगलियां घुमाती हुई उसे पास खींच कर और ठीक से चूसने को कहने लगी. “हाय मेरी गुड़िया, क्या जीभ है तेरी, चाट ना, और मन भर कर चाट, जीभ अन्दर भी डाल ननद रानी, असली माल तो अन्दर है.” कमला के अधर चाटने से रेखा कुछ ही देर में झड़ गई और चुदासी की प्यासी कमला के लिये तो मानों रस की धार उसकी भाभी की बुर से फ़ूट पड़ी.

अमर अब तक कमला के पीछे लेट गया था. सरककर उसने कमला के नितम्ब फ़र्श पर से उठाये और अपना सिर उसके नीचे लाकर फ़िर से कमला को अपने मुंह पर ही बिठा लिया. उसकी रसीली चूत चूसते हुए वह अपनी छोटी बहन के नितम्ब प्यार से सहलाने लगा. कमला तो अब मानों काम सुख के सागर में गोते लगा रही थी. एक तरफ़ उसे अपनी भाभी की बुर का रस चूसने मिल रहा था और दूसरी ओर उसके भैया उसकी चूत चूस रहे थे. वह तुरंत झड़ गई और मस्ती में ऊपर नीचे होते हुए अमर को अपनी बुर का रस पिलाते हुए उसका मुंह चोदने लगी. अमर ने अपनी जीभ कड़ी करके उसकी चूत में एक लंड की तरह डाल दी और उस कमसिन चूत को चोदने लगा. साथ ही अब वह धीरे धीरे कमला के कसे हुई मुलायम चूतड़ों को प्यार से सहलाने लगा. सहलाते सहलाते उसने नितम्बों के बीच की लकीर में उंगली चलाना शुरू कर दी और हौले हौले उस कोमल गांड का जरा सा छेद टटोलने लगा. अमर अब यह सोच कर दीवाना हुआ जा रहा था कि जब उस नन्ही गांड में उसका भारी भरकम लंड जायेगा तो कितना मजा आयेगा पर बेचारी कमला जो अपने भाई के इस इरादे से अनभिज्ञ थी, मस्ती से चहक उठी. गांड को टटोलती उंगली ने उसे ऐसा मस्त किया कि वह और उछल उछल कर अपने भाई का मुंह चोदने लगी और झड़कर उसे अपनी बुर से बहते अमृत का प्रसाद पिलाने लगी. कमला आखिर बार बार झड़कर लस्त पड़ने लगी. कमला के मुंह में झड़ने के बावजूद रेखा की बुर अब बुरी तरह से चू रही थी क्योंकि वह समझ गई थी कि बच्ची की गांड मारने का समय नजदीक आता जा रहा है. कमला अब पूरी तरह से तृप्त होकर हार मान चुकी थी और अपने भाई से प्रार्थना कर रही थी कि अब वह उसकी बुर न चूसे. “भैया, छोड़ दो अब, अब नहीं रहा जाता, बुर दुखती है तुम चूसते हो तो, प्लीज़ भैया, मेरी चूत मत चाटो अब.” रेखा ने कमला का सिर अपनी झांटो में खींच कर अपनी चूत से उसका मुंह बंद कर दिया और जांघों से उसके सिर को दबा लिया. फ़िर बोली “डार्लिंग, तुम चूसते रहो जब तक मन करे, यह छोकरी तो नादान है, और उसकी गांड भी चूसो जरा, स्वाद बदल बदल कर चूसोगे तो मजा आयेगा” अगले दस मिनट अमर कमला की बुर और गांड बारी बारी से चूसता रहा. बच्ची की झड़ी चूत पर और नन्हे से क्लिट पर अब जब अमर की जीभ चलती तो वह अजीब से सम्वेदन से तड़प उटती. उसे यह सहन नहीं हो रहा था और बेचारी रोने को आ गई कि कब भैया उस पर तरस खाकर उसकी यह मीठी यातना समाप्त करे्गा. वह कमसिन छोकरी मुंह बन्द होने से कुछ नहीं कर सकी, सिर्फ़ रेखा की बुर में घिगियाकर रह गई. रेखा उसका लंड चूसने लगी. चूसते चूसते अमर से पूछा “क्यों, सूखी ही मारोगे या मक्खन लाऊं” अमर मस्ती में बोला “सूखी मारने में बहुत मजा आयेगा मेरी जान” रेखा उस मोटे लंड को देखकर बोली “मैं तुमसे रोज गांड मराती हूं पर मुझे भी आज इस की साइज़ देखकर डर लगा रहा है, फ़ट जायेगी गाण्ड, मैं मक्खन लेकर आती हूं, आज चिकनी कर के मारो, अब तो रोज ही मारना है, सूखी बाद में चोद लेना” रेखा उठकर मक्खन लाने को चली गई. अमर प्यार से औंधी पड़ी अपनी छोटी बहन के नितम्ब सहलाता रहा. लस्त कमला भी पड़ी पड़ी आराम करती रही. उसे लगा रेखा और भैया में उनके आपस के गुदा सम्भोग की बातें चल रही हैं, उसे क्या लेना देना था. बेचारी बच्ची नहीं जानती थी कि उस की गांड मारने की तैयारी हो रही है.

रेखा मक्खन लेकर आई और अमर के हाथ मे देकर आंख मारकर पलंग पर चढ़ गई. लेटकर उसने कमला को उठा कर अपने ऊपर औंधा लिटा लिया और उसे चूमने लगी. कमला के हाथ उसने अपने शरीर के गिर्द लिपटा लिये और अपनी पीठ के नीचे दबा लिये जिससे वह कुछ प्रतिकार न कर सके. अपनी टांगो में कमला के पैर जकड़ लिये और उसे बांध सा लिया. कमला की मुलायम गोरी गांड देखकर अमर अब अपनी वासना पर काबू न रख सका. वह उठा और कमला की कुंवारी गांड मारने की तैयारी करने लगा. अब रेखा भी मजा लेने लगी. उसने कमला से कहा. “मेरी प्यारी ननद रानी, मैने तुझसे वायदा किया था ना कि भैया आज तुझे नहीं चोदेंगे” कमला घबरा गई. रेखा ने उसे दिलासा देते हुए कहा. “घबरा मत बिटिया, सच में नहीं चोदेंगे” फ़िर कुछ रुक कर मजा लेती हुई बोली “आज वे तेरी गांड मारेंगे” कमला सकते में आ गई और घबरा कर रोने लगी. अमर अब पूरी तरह से उत्तेजित था. उसने एक उंगली मक्खन में चुपड़ कर कमला के गुदा में घुसेड़ दी. उस नाजुक गांड को सिर्फ़ एक उंगली में ही ऐसा दर्द हुआ कि वह हिचक कर रो पड़ी. अमर को मजा आ गया और उसने कमला का सिर उठाकर अपना लंड उस बच्ची को दिखाया. “देख बहन, तेरी गांड के लिये क्या मस्त लौड़ा खड़ा किया है.” उस बड़े महाकाय लंड को देखकर कमला की आंखे पथरा गई. अमर का लंड अब कम से कम आठ इंच लम्बा और ढाई इन्च मोटा हो गया था. वह अमर से अपनी चूत चुसवाने के आनन्द में यह भूल ही गई थी कि आज उस की कोमल कुंवारी गांड भी मारी जा सकती है. अमर ने उसका भयभीत चेहरा देखा तो मस्ती से वह और मुस्काया. असल में उसका सपना हमेशा से यही था कि पहली बार वह कमला की गांड मारे तो वह जबर्दस्ती करते हुए मारे. इसीलिये उसने कमला को बार बार चूसकर उसकी सारी मस्ती उतार दी थी. उसे पता था कि मस्ती उतरने के बाद कमला सम्भोग से घबरायेगी और उस रोती गिड़गिड़ाते सुन्दर चिकनी लड़की की नरम कुंवारी गांड अपने शैतानी लंड से चोदने में स्वर्ग का आनन्द आयेगा. रेखा भी अब एक क्रूरता भरी मस्ती में थी. बोली “बहन, तेरी गांड तो इतनी नाजुक और सकरी है कि सिर्फ़ एक उंगली डालने से ही तू रो पड़ती है. तो अब जब यह घूंसे जैसा सुपाड़ा और तेरे हाथ जितना मोटा लंड तेरे चूतड़ों के बीच जायेगा तो तेरा क्या होगा?” कमला अब बुरी तरह से घबरा गई थी. उसकी सारी मस्ती खतम हो चुकी थी. वह रोती हुई बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी पर रेखा की गिरफ़्त से नहीं छूट पाई. रोते रोते वह गिड़गिड़ा रही थी. “भैया, भाभी, मुझे छोड़ दीजिये, मेरी गांड फ़ट जायेगी, मैं मर जाऊंगी, मेरी गांड मत मारिये, मैं आपकी मुट्ठ मार देती हूं, लंड चूस कर मैं आपको खुश कर दूंगी. या फ़िर चोद ही लीजिये पर गांड मत मारिये” रेखा ने उसे दबोचा हुआ था ही, अपनी मांसल टांगें भी उसने कमला के इर्द गिर्द जकड़ लीं और कमला को पुचकारती हुई बोली “घबरा मत बेटी, मरेगी नहीं, भैया बहुत प्यार से मन लगा कर मारेंगे तेरी और फ़िर तुझे आखिर अब रोज ही मराना है. हां, दर्द तुझे बहुत होगा और तू गांड पहली बार चुदते हुए बहुत छटपटायेगी इसलिये मैं तुझे पकड़ कर अपनी बाहों मे कैद रखूंगी.” रेखा फ़िर अमर को बोली. “शुरू हो जाओ जी” और कमला का रोता मुंह अपने मुंह में पकड़ कर उसे चुप कर दिया
अमर ने ड्रावर से रेखा की दो ब्रा निकालीं और एक से कमला के पैर आपस में कस कर बाम्ध दिये. फ़िर उसके हाथ ऊपर कर के पन्जे भी दूसरी ब्रेसियर से बांध दिये. “बहन ये ब्रा तेरी भाभी की हैं, तेरी मनपसंद, इसलिये गांड मराते हुए यह याद रख कि अपनी भाभी के ब्रेसियर से तेरी मुश्कें बांधी गई हैं.” उसने कमला को बताया. रोती हुई लड़की के पीछे बैठकर अमर ने उसके चूतड़ों को प्यार करना शुरू किया. उसका लंड अब सूज कर वासना से फ़टा जा रहा था पर वह मन भर के उन सुन्दर नितम्बों की पूजा करना चाहता था.

पहले तो उसने बड़े प्यार से उन्हें चाटा. फ़िर उन्हें मसलता हुआ वह उन्हें हौले हौले दांतों से काटने लगा. नरम नरम चिकने चूतड़ों को चबाने में उसे बहुत मजा आ रहा था. कमला के गोरे गोरे नितम्बों के बीच का छेद एक गुलाब की कली जैसा मोहक सा दिख रहा था. अमर ने अपने मजबूत हाथों से उसके चूतड़ पकड़ कर अलग किये और अपना मुंह उस गुलाबी गुदा द्वार पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ उसने पूरी उस मुलायम छेद में डाल दी और अन्दर से कमला की गांड की नरम नरम म्यान को चाटने लगा. मख्खन लगी गांड के सौंधे सौंधे से स्वाद और महक ने उसे और मदमस्त कर दिया. वह उठकर बैठ गया और एक बड़ा मक्खन का लौन्दा लेकर कमला की गांड मे अपनी उंगली से भर दिया. एक के बाद एक वह मक्खन के गोले उस सकरी गांड में भरता रहा जब तक करीब करीब पूरा पाव किलो मक्खन बच्ची की गांड में नहीं समा गया. रेखा ने कुछ देर को अपना मुंह कमला के मुंह से हटा कर कहा “लबालब मक्खन तेरी गांड में भरा रहेगा बेटी, तो गांड मस्त मारी जायेगी, लौड़ा ऐसे फ़िसलेगा जैसे सिलिंडर में पिस्टन.” बचा हुआ मक्खन अमर अपने भरी भरकम लंड पर दोनों हथेलियों से चुपड़ने लगा. उसे अब अपने ही लोहे जैसे कड़े शिश्न की मक्खन से मालिश करते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कि वह घोड़े का लंड हाथ में लिये है. फ़ूली हुई नसें तो अब ऐसी दिख रही थीं कि जैसे किसी पहलवान के कसरती हाथ की मांस-पेशियां हो. उसने अपने हाथ चाटे और मक्खन साफ़ किया जिससे कमला की चूचियां दबाते हुए ना फ़िसले. रेखा कमला के गालों को चूमते हुए बोली “अब तू मन भर के चिल्ला सकती है कमला बहन पर कोई तेरी पुकार सुन नहीं पायेगा क्योंकि मैं अपनी चूची से तेरा मुंह बंद कर दूंगी. पर जब दर्द हो तो चिलाना जरूर, तेरी घिघियाने की आवाज से तेरे भैया की मस्ती और बढ़ेगी.” फ़िर उसने अपनी एक मांसल चूची उस कमसिन किशोरी के मुंह में ठूंस दी और कस के उसका सिर अपनी छाती पर दबाती हुई अपने पति से बोली “चलो, अब देर मत करो, मुझ से नहीं रह जाता” गांड मारने की तैयारी पूरी हो चुकी थी. बड़ी बेसब्री से अमर अपनी टांगें अपनी बहन के शरीर के दोनों बाजू में जमा कर बैठ गया और अपना मोटे सेब जैसा सुपाड़ा उस कोमल गांड पर रख कर पेलने लगा. अपने लंड को उसने भाले की तरह अपने दाहिने हाथ से पकड़ा हुआ था ताकि फ़िसल ना जाये. पहले तो कुछ नही हुआ क्योंकि इतने जरा से छेद में इतना मोटा गोला जाना असम्भव था. अमर ने फ़िर बड़ी बेसब्री से अपने बांये हाथ से कमला के नितम्ब फ़ैलाये और फ़िर जोर से अपने पूरे वजन के साथ लौड़े को उस गुदा के छेद में पेला. गांड खुल कर चौड़ी होने लगी और धीरे धीरे वह विशाल लाल लाल सुपाड़ा उस कोमल गांड के अन्दर जाने लगा. कमला अब छटपटाने लगी. उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे. इतना दर्द उसे कभी नहीं हुआ था. उसका गुदा द्वार चौड़ा होता जा रहा था और ऐसा लगता था कि बस फ़टने की वाला है. अमर ने पहले सोचा था कि बहुत धीरे धीरे कमला की गांड मारेगा पर उससे रहा नहीं गया और जबर्दस्त जोर लगा कर उसने एकदम अपना सुपाड़ा उस कोमल किशोरी के गुदा के छल्ले के नीचे उतार दिया. कमला इस तरह उछली जैसे कि पानी से निकाली मछली हो. वह अपने बंद मुंह में से घिघियाने लगी और उसका नाजुक शरीर इस तरह कांपने लगा जैसे बिजली का शॉक लगा हो. अमर को ऐसा लग रहा था जैसे कि किसी मुलायम हाथ ने उसके सुपाड़े को जोर से दबोच लिया हो, क्योंकि उसकी प्यारी बहन की टाइट गांड इस जोर से उसे भींच रही थी. वह इस सुख का आनन्द लेते हुए कुछ देर रुका. फ़िर जब कमला का तड़पना कुछ कम हुआ तो अब वह अपना बचा डण्डा उसकी गांड में धीरे धीरे उतारने लगा. इंच इंच कर के उसका शक्तिशाली लौड़ा कमला की सकरी गांड में गड़ता गया. कमला का कोमल कमसिन शरीर बार बार ऐसे ऐंठ जाता जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो. उसके चूची भरे हुए मुंह से सिसकने और कराहने की दबी दबी आवाजें निकल रही थीं जिन्हें सुन सुन के अमर और मस्त हो रहा था. करीब ६ इम्च लंड अन्दर जाने पर वह फ़ंस कर रुक गया क्योंकि उसके बाद कमला की आंत बहुत सकरी थी. रेखा बोली “रुक क्यों गये, मारो गांड, पूरा लंड जड़ तक उतार दो, साली की गांड फ़ट जाये तो फ़ट जाने दो, अपनी डाक्टर दीदी से सिलवा लेंगे. वह मुझ पर मरती है इसलिये कुछ नहीं पूछेगी, चुपचाप सी देगी. हाय मुझे इतना मजा आ रहा है जैसा तुमसे पहली बार मराते हुए भी नहीं आया था. काश मैं मर्द होती तो इस लौंडया की गांड खुद मार सकती”

अमर कुछ देर रुका पर अन्त में उससे रहा नहीं गया, उसने निश्चय किया कि कुछ भी हो जाये वह रेखा के कहने के अनुसार जड़ तक अपना शिश्न घुसेड़ कर रहेगा. उसने कचकचा के एक जोर का धक्का लगाया और पूरा लंड एक झटके में जड़ तक कमला की कोमल गांड में समा गया. अमर को ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका सुपाड़ा कमला के पेट में घुस गया हो. कमला ने एक दबी चीख मारी और अति यातना से तड़प कर बेहोश हो गई.
अमर अब सातवें आसमान पर था. कमला की पीड़ा की अब उसे कोई परवाह नहीं थी. मुश्कें बन्धी हुई लड़की तो अब उसके लिये जैसे एक रबर की सुंदर गुड़िया थी जिससे वह मन भर कर खेलना चाहता था. हां, टटोल कर उसने यह देख लिया कि उस कमसिन कली की गांड सच में फ़ट तो नहीं गई. गुदा के बुरी तरह से खिंचे हुए मुंह को सकुशल पाकर उसने एक चैन की सांस ली. अब बेहिचक वह अपनी बीवी की बाहों में जकड़े उस पट पड़े बेहोश कोमल शरीर पर चढ़ गया. अपनी बाहों में भर के वह पटापट कमला के कोमल गाल चूमने लगा. कमला का मुंह रेखा के स्तन से भरा होने से वह उसके होंठों को नहीं चूम सकता था इसलिये बेतहाशा उसके गालो, कानों और आंखो को चूमते हुए उसने आखिर अपने प्यारे शिकार की गांड मारना शुरू की. रेखा ने पूछा “कैसा लग रहा है डार्लिंग?” अमर सिर्फ़ मुस्कराया और उसकी आंखो मे झलकते सुख से रेखा को जवाब मिल गया. उसकी भी बुर अब इतनी चू रही थी कि कमला के शरीर पर बुर रगड़ते हुए वह स्वमैथुन करने लगी. “मारो जी, गांड मारो, खूब हचक हचक कर मारो, अब क्या सोचना, अपनी तमन्ना पूरी कर लो” और अमर बीवी के कहे अनुसार मजा ले ले कर अपनी बहन की गांड चोदने लगा. पहले तो वह अपना लंड सिर्फ़ एक दो इंच बाहर निकालता और फ़िर घुसेड़ देता. मक्खन भरी गांड में से ‘पुच पुच पुच’ की आवाज आ रही थी. इतनी टाइट होने पर भी उसका लंड मस्ती से फ़िसल फ़िसल कर अन्दर बाहर हो रहा था. इसलिये उसने अब और लम्बे धक्के लगाने शुरू किये. करीब ६ इम्च लंड अन्दर बाहर करने लगा. अब आवाज ‘पुचुक, पुचुक, पुचुक’ ऐसी आने लगी. अमर को ऐसा लग रहा था मानों वह एक गरम गरम चिकनी बड़ी सकरी मखमली म्यान को चोद रहा है. उसके धैर्य का बांध आखिर टूट गया और वह उछल उछल कर पूरे जोर से कमला की गांड मारने लगा.
अब तो ‘पचाक, पचाक पचाक’ आवाज के साथ बच्ची मस्त चुदने लगी. अमर ने अब अपना मुंह अपनी पत्नी के दहकते होंठों पर रख दिया और बेतहाशा चूंमा चाटी करते हुए वे दोनों अपने शरीरों के बीच दबी उस किशोरी को भोगने लगे. अमर को बिलकुल ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी नरम नरम रबर की गुड़िया की गांड मार रहा है. वह अपने आनन्द की चरम सीमा पर कुछ ही मिनटों में पहुंच गया और इतनी जोर से स्खलित हुआ जैसा वह जिन्दगी में कभी नहीं झड़ा था. झड़ते समय वह मस्ती से घोड़े जैसा चिल्लाया. फ़िर लस्त पड़कर कमला की गांड की गहराई में अपने वीर्यपतन का मजा लेने लगा. रेखा भी कमला के चिकने शरीर को अपनी बुर से रगड़ कर झड़ चुकी थी. अमर का उछलता लंड करीब पांच मिनट अपना उबलता हुआ गाढ़ा गाढ़ा वीर्य कमला की आंतो में उगलता रहा. झड़ कर अमर रेखा को चूंमता हुआ तब तक आराम से पड़ा रहा जब तक कमला को होश नहीं आ गया. लंड उसने बालिका की गांड में ही रहने दिया. कुछ ही देर में कराह कर उस मासूम लड़की ने आंखे खोली. अमर का लंड अब सिकुड़ गया था पर फ़िर भी कमला दर्द से सिसक सिसक कर रोने लगी क्योंकि उसकी पूरी गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसी ने एक बड़ी ककड़ी से चोदी दी हो.

उसके रोने से अमर की वासना फ़िर से जागृत हो गई. पर अब वह कमला का मुंह चूमना चाहता था. रेखा उस के मन की बात समझ कर कमला से बोली “मेरी ननद बहना, उठ गई? अगर तू वादा करेगी कि चीखेगी नहीं तो तेरे मुंह में से मैं अपनी चूची निकाल लेती हूं.” कमला ने रोते रोते सिर हिलाकर वादा किया कि कम से कम उसके ठूंसे हुए मुंह को कुछ तो आराम मिले. रेखा ने अपना उरोज उसके मुंह से निकाला. वह देख कर हैरान रह गई कि वासना के जोश में करीब करीब पूरी पपीते जितनी बड़ी चूची उसने कमला के मुंह में ठूंस दी थी. “मजा आया मेरी चूची चूस कर?” रेखा ने उसे प्यार से पूछा. घबराये हुई कमला ने मरी सी आवाज में कहा “हां, भाभी” असल में उसे रेखा के स्तन बहुत अच्छे लगते थे और इतने दर्द के बावजूद उसे चूची चूसने में काफ़ी आनन्द मिला था. रेखा अब धीरे से कमला के नीचे से निकल कर बिस्तर पर बैठ गई और अमर अपनी बहन को बाहों में भरकर उसपर चड़ कर पलंग पर लेट गया. उसने अपनी बहन के स्तन दोनों हाथों के पम्जों में पकड़े और उन छोटे छोटे निपलों को दबाता हुआ कमला का मुंह जबरदस्ती अपनी ओर घुमाकर उसके गुलाबी होंठ चूमने लगा. बच्ची के मुंह के मीठे चुम्बनों से अमर का फ़िर खड़ा होने लगा. अमर ने अब अपने पंजों में पकड़े हुए कोमल स्तन मसले और उन्हें स्कूटर के हौर्न जैसा जोर जोर से दबाने लगा. हंसते हुए रेखा को बोला “डार्लिन्ग, मेरी नई स्कूटर देखी, बड़ी प्यारी सवारी है, और हौर्न दबाने में तो इतना मजा आता है कि पूछो मत.” रेखा भी उसकी इस बात पर हंसने लगी. चूचियां मसले जाने से कमला छटपटाई और सिसकने लगी. अमर को मजा आ गया और अपनी छोटी बहन कमला के रोने की परवाह न करता हुआ वह अपनी पूरी शक्ति से उन नाजुक उरोजों को मसलने लगा. धीरे धीरे उसका लंड लम्बा होकर कमला की गांड में उतरने लगा. कमला फ़िर रोने को आ गई पर डर के मारे चुप रही कि भाभी फ़िर उसका मुंह न बांध दे. लौड़ा पूरा खड़ा होने पर अमर ने गांड मारना फ़िर शुरू कर दिया. जैसे उसका लम्बा तन्नाया लंड अन्दर बाहर होना शुरू हुआ, कमला सिसकने लगी पर चिल्लाई नही. रेखा मुस्काई और कमला से बोली. “शाबाश बेटी, बहुत प्यारी गाण्डू लड़की है तू, अब भैया के लंड से चुदने का मजा ले, वे रात भर तुझे चोदने वाले हैं.” रेखा उठ कर अब अमर के आगे खड़ी हो गई. “मेरी चूत की भी कुछ सेवा करोगे जी? बुरी तरह से चू रही है” अमर ने रेखा का प्यार से चुम्बन लिया और कहा. “आओ रानी, तुमने मुझे इतना सुख दिया है, अब अपनी रसीली बुर का शरबत भी पिला दो, मैं तो तुंहें इतना चूसूंगा कि तेरी चूत तृप्त कर दूंगा” रेखा बोली “यह तो शहद है बुर का, शरबत नहीं, बुर का शरबत तो मैं तुम्हें कल बाथरूम में पिलाऊंगी.” रेखा की बात अमर समझ गया और उस कल्पना से की इतना उत्तेजित हुआ कि अपनी पत्नी की चूत चूसते हुए वह कमला की गांड उछल उछल कर मारने लगा. अब उसने अपनी वासना काफ़ी काबू में रखी और हचक हचक कर अपनी छोटी बहन की गांड चोदने लगा. स्तन मर्दन उसने एक सेकंड को भी बंद नहीं किया और कमला को ऐसा लगने लगा जैसे उसकी चूचियां चक्की के पाटों में पिस रही हों. इतना ही नहीं, उसके निपल उंगलियों में लेकर वह बेरहमी से कुचलता और खींचता रहा। “हफ़्ते भर में मूंगफ़ली जितने बड़े कर दूंगा तेरे निपल कमला. चूसने में बहुत मजा आता है अगर लम्बे निपल हो.” वह बोला. बीच बीच में अमर रेखा की चूत छोड़ कर प्यार से कमला के गुलाबी होंठ अपने दांतों में दबाकर हल्के काटता और चूसने लगता. कभी उसके गाल काट लेता और कभी गरदन पर अपने दांत जमा देता. फ़िर अपनी बीवी की बुर पीने मे लग जाता. इस बार वह घण्टे भर बिना झड़े कमला की मारता रहा. जब वह आखिर झड़ा तो मध्यरात्रि हो गई थी. रेखा भी बुर चुसवा चुसवा कर मस्त हो गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से तृप्त हो गई थी. अपने शरीर का यह भोग सहन न होने से आखिर थकी-हारी सिसकती हुई कमला एक बेहोशी सी नींद में सो गई. बीच बीच में गांड में होते दर्द से उसकी नींद खुल जाती तो वह अमर को अपनी गांड मारते हुए और रेखा की चूत चूसते हुए पाती. अन्त में जब सुबह आठ बजे गांड में फ़िर दर्द होने से उसकी नींद खुली तो देखा कि अमर भैया फ़िर हचक हचक कर उसकी गांड मार रहे हैं. कमला चुपचाप उस दर्द को सहन करती हुई पड़ी रही. भाभी वहां नहीं थी, शायद चाय बनाने गई थी. आखिर में अमर झड़ा और मजा लेते हुए काफ़ी देर उसपर पड़ा रहा. रेखा जब चाय लेकर आई तब वह उठा और लंड को आखिर कमला की गांड में से बाहर निकाला. लंड निकलते हुए ‘पंक’ सी की आवज हुई. रेखा ने देखा कि एक ही रात में उस सकरी कोमल गांड का छेद खुल गया था और गांड का छेद अब चूत जैसा लग रहा था. अमर को देख कर वह बोली “हो गई शांति? अब सब लोग नहाने चलो, वहां देखो मैं तुमसे क्या करवाती हूं. आखिर इतनी प्यारी कुंवारी गांड मारने की कीमत तो तुम्हे देनी ही पड़ेगी डार्लिन्ग” अमर मुस्कराया और बोला “आज तो जो तुम और कमला कहोगी, वह करूंगा, मैं तो तुम दोनों चूतों और गाण्डो का दास हूं” “चलो अब नहाने चलो” रेखा बोली. कमला ने चलने की कोशिश की तो गांड में ऐसा दर्द हुआ कि बिलबिला कर रो पड़ी. “हाय भाभी, बहुत दुखता है, लगता है भैया ने मार मार के फ़ाड़ दी.”

रेखा के कहने पर अमर ने उसे उठा लिया और बाथरूम में ले गया. दोनो ने मिलकर पहले कमला के मसले कुचले हुए फ़ूल जैसे बदन को सहलया, तेल लगाकर मालिश की और फ़िर नहलाया. अमर ने एक क्रीम कमला की गांड के छेद में लगाई जिससे उसका दर्द गायब हो गया और साथ ही ठण्डक भी महसूस हुई. कमला अब फ़िर खिल गई थी और धीरे धीरे फ़िर अपने नग्न भैया और भाभी को देखकर मजा लेने लगी थी. पर उसे यह मालूम नहीं था कि वह क्रीम उसकी गुदा को फ़िर सकरा बना देगी और गांड मरवाते हुए फ़िर उसे बहुत दर्द होगा. अमर अपनी छोटी बहन की गांड टाइट रखकर ही उसे मारना चाहता था. अगर लड़की रोए नहीं, तो गांड मारने का मजा आधा हो जायेगा ऐसा उसे लगता था. रेखा ने अमर से कहा. “चलो जी अब अपना वायदा पूरा करो. बोले थे कि जो मैं कहूंगी वह करोगे.” अमर बोला “बोलो मेरी रानी, तेरे लिये और इस गुड़िया के लिये मैं कुछ भी करूंगा.” रेखा ने अमर को नीचे लिटा दिया और अपना मुंह खोलने को कहा. अमर समझ गया कि क्या होने वाला है, पर वह इन दोनों चुदैलों का गुलाम सा हो चुका था. कुछ भी करने को तैयार था. रेखा को खुश रखने में ही उसका फ़ायदा था. रेखा कमला से बोली. “चल मेरी प्यारी ननद, रात भर गांड मराई है, मूती भी नहीं है, अपने भाई के मुंह में पिशाब कर दे.” कमला चकराई और शरमा गई पर मन में लड्डू फ़ूटने लगे. अमर की ओर उसने शरमा कर देखा तो वह भी मुस्कराया. साहस करके कमला अमर के मुंह पर बैठ गई और मूतने लगी. उस बच्ची का खारा खारा गरम गरम मूत अमर को इतना मादक लगा कि वह गटागट उसे पीने लगा. कमला की बुर अब फ़िर पसीजने लगी थी. अपने बड़े भाई को अपनी पिशाब पिला कर वह बहुत उत्तेजित हो गई थी. मूतना खतम करके कमला उठने लगी तो अमर ने फ़िर उसे अपने मुंह पर बिठा लिया और उसकी चूत चूसने लगा. उधर रेखा ने अपनी चूत में अमर का तन्नाया लंड डाल लिया और उसके पेट पर बैठ कर उछल उछल कर उसे चोदने लगी. पीछे से वह कमला को लिपटाकर उसे चूंसने लगी और उसके स्तन दबाने लगी. जब कमला और रेखा दोनों झड़ गए तो कमला उठी और बाजू में खड़ी हो गई. बोली “भाभी, तुम भी अपना मूत भैया को पिलाओ ना, मेरा उन्होंने इतने स्वाद से पिया है, तुम्हारा पी कर तो झूंम उठेंगे.” रेखा को अमर ने भी आग्रह किया. “आ जा मेरी रानी, अपना मूत पिला दे, तू तो मेरी जान है, तू अपने शरीर का कुछ भी मेरे मुंह में देगी तो मैं निगल लूंगा.” रेखा हंसने लगी. अपने पति के मुंह में मूतते मूतते बोली. “देखो याद रखना यह बात, तुंहे मालूम है कि मूतने के बाद अब किसी दिन मैं तुंहारे मुंह में क्या करूम्गी.” अमर अब तक उत्तेजित हो चुका था. बोला “मैं तैयार हूं अपनी दोनों चुदैलों की कोई भी सेवा करने को, बस मुझे अपनी चूत का अमृत पिलाती रहो, चुदवाती रहो और गांड मराती रहो. खास कर इस नन्ही की तो मैं खूब मारूंगा.” रेखा मूतने के बाद उठी और बोली. “इसे तो अब रोज चुदना या गांड मराना है. एक दिन छोड़ कर बारी बारी इसके दोनों छेद चोदोगे तो दोनों टाइट रहेंगे और तुंहें मजा आयेगा.” “तो चलो अब कमला को चोदूंगा.” कहकर अमर उसे उठा कर ले गया. रेखा भी बदन पोछती हुई पीछे हो ली. उस बच्ची की फ़िर मस्त भरपूर चुदाई की गई. उसे फ़िर दर्द हुआ और रोई भी पर भैया भाभी के सामने उसकी एक न चली. रविवार था इसलिये दिन भर अमर ने उसे तरह तरह के आसनों में चोदा और रेखा कमला से अपनी चूत चुसवाती रही. दूसरे दिन से यह एक नित्यक्रम बन गया. अमर रात को कमला को चोदता या उसकी गांड मारता. हर रात कमला को दर्द होता क्योंकि जो क्रीम उसकी चूत और गांड में लगाई जाती थी उससे उसके छेदों को आराम मिलने के अलावा वे फ़िर टाइट भी हो जाते. स्कूल से वापस आने पर दिन भर रेखा उस बच्ची को भोगती. उसकी चूत चूसती और अपनी चुसवाती. अमर रात को ब्लू फ़िल्म देखते समय कमला की गांड में लंड घुसेड़कर अपनी गोद में बिठा लेता और उसे चूमते हुए, उसकी छोटी छोटी मुलायम चूचियां मसलते हुए उछल उछल कर नीचे से गांड मारते हुए पिक्चर देखा करता. उधर रेखा उसके सामने बैठ कर उसकी कमसिन बुर चूसती. एक भी मिनट बिचारी कमला के किसी भी छेद को आराम नहीं मिलता. आखिर कमला चुद चुद कर ऐसी हो गई कि बिना गांड या चूत में लंड लिये उसे बड़ा अटपटा लगता था. धीरे धीरे रेखा ने उसे करीब करीब गुलाम सा बना लिया और वह लड़की भी अपनी खूबसूरत भाभी को इतना चाहती थी कि बिना झिझक भाभी की हर बात मानने लगी. यहां तक कि एक दिन जब रेखा ने उससे चूत चुसवाते चुसवाते यह कहा कि पिशाब लगी है पर वह बाथरूम नहीं जाना चाहती, वह किशोरी तुरंत रेखा का मूत पीने को तैयार हो गई. शायद रेखा का मतलब वह समझ गई थी. “भाभी, मेरे मुंह में मूतो ना. प्लीज़ तुंहें मेरी कसम, मुझे बहुत दिन से यह चाह है.” “बिस्तर तो खराब नहीं करेगी? देख गिराना नहीं नहीं तो चप्पलों से पिटेगी.” रेखा मन ही मन खुश होकर बोली. कमला जिद करती रही. आखिर वहीं बिस्तर पर रेखा की चूत पर मुंह लगाकर वह लेट गई और रेखा ने भी आराम से धीरे धीरे अपनी ननद के मुंह में मूता. वायदे के अनुसार कमला पूरा उसे निगल गई, एक बूंद भी नहीं छलकाई. अब रेखा को बाथरूम जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी क्योंकि रात को उसका पति और दिन में ननद ही उसके बाथरूम का काम करते थे. चोद चोद कर उस लड़की की यह हालत हो गई कि वह कपड़े सिर्फ़ स्कूल जाते समय पहनती थी. बाकी अब दिन रात नंगी ही रहती थी और लगातार चुदती, रात को बड़े भाई से और दिन में अपनी भाभी से. उसके बिना उसे अच्छा ही नहीं लगता था. उसके लंड की प्यास इतनी बढ़ी कि आखिर अमर ने रेखा को एक रबर का लंड या डिल्डो ला दिया जिससे उसकी चुदैल पत्नी भी दिन में अपनी ननद को चोद सके और उसकी गांड मार सके.

सच में कमला अब अपने भैया भाभी की पूरी लाड़ली हो गई थी.





Saturday 28 November 2015

Maa Beti ne ek sath

मेरा नाम गबरू है। मेरी उम्र लगभग 45 वर्ष की है। यूँ तो मैं एक टैक्सी ड्राइवर हूँ लेकिन मैं रंडियों का दलाल भी हूँ। मैंने अपने संपर्क से कई बेरोजगार लड़कियों को जिस्म-फरोशी के धंधे में उतारा। मैंने कभी भी किसी लड़की को जबरदस्ती इस धंधे में आने को मजबूर नहीं किया। मैंने सिर्फ उन लड़कियों को कमाने का एक जरिया दिखाया एवं सुविधाएँ दिलवाईं जिनके पास खाने के भी लाले थे। मैं भी उन लड़कियों को बारी-बारी से चोदता हूँ। मेरे लिए मेरी सभी लड़कियों का जिस्म मुफ़्त में उपलब्ध रहता है क्योंकि मैं ही उन्हें नए-नए ग्राहक लाकर देता हूँ। टैक्सी की ड्राइवरी से मुझे नए ग्राहक खोजने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है। रागिनी इन्हीं मजबूर लड़कियों में एक थी। जिसकी उम्र सिर्फ 19 साल की है और जो अब पेशेवर रंडी बन चुकी थी। वो कुछ समय पहले इस धंधे में मेरे द्वारा ही लाई गई थी। हालांकि वो मुझे अंकल कहती है लेकिन मैं भी उसके जिस्म का भोग उठाता हूँ। मुझे उसे चोदने में काफी आनन्द आता था। अचानक एक दिन उसके गाँव से उसकी मौसी का फ़ोन आया कि रागिनी के मौसा का देहांत हो गया है और वो लोग काफी मुश्किल में हैं। वो भी अपनी बेटी को रागिनी के साथ उसके धंधे में देना चाहती है ताकि घर का खर्च चल सके। रागिनी ने मुझे सारी बातें बताईं। रागिनी ने अपने धंधे के बारे में अपनी मौसी को काफी पहले ही बता दिया था, जब कुछ समय पहले उसकी मौसी अपने पति का इलाज करवाने रागिनी के यहाँ आई थी। रागिनी ने अपनी मौसी की समस्या के बारे में मुझे बताया और कहा कि मौसी भी अपनी बेटी को रंडीबाजी के धंधे में उतारना चाहती है। मैं झट से उसे अपने गाँव जाकर उस लड़की को लेकर आने कहा। रागिनी ने कहा- गबरू अंकल, आप भी चलिए ना मेरे साथ। मेरा गाँव पहाड़ों एकदम मस्त जगह पर है। अगर आप मेरे साथ चलेंगे तो हम दोनों का हनीमून भी हो जाएगा। मैंने कहा- हाँ.. हाँ क्यों नहीं।और हम दोनों ने उसी शाम रागिनी के अल्मोड़ा के लिए बस पकड़ ली।

अगली सुबह करीब 9 बजे हम दोनों अल्मोड़ा पहुँच गए। वहीं बस-स्टौप पर ही फ़्रेश हो कर हम दोनों ने वहीं नाश्ता किया और अब करीब दो घन्टे हमारे पास थे क्योंकि उसके गाँव जाने वाली बस करीब 1 बजे चलती थी। हम दोनों पास के एक बाग में चले गए। रागिनी ने अपनी सब आपबीती बताई। उसकी मौसी बहुत गरीब हैं, और
मौसा मजदूरी करते थे। उनकी मौत के बाद परिवार दाने-दाने का मोहताज है। रागिनी कभी-कभार पैसा मनी-आर्डर कर देती थी। अब मौसी ने उसको अपनी मदद और सलाह के लिए बुलाया था। मौसी की तीन बेटियाँ थीं। मौसी गाँव के चौधरी के घर काम करती थी तो रोटी का जुगाड़ हो जाता था। चौधरी उसकी मौसी को कभी-कभार साथ में सुलाता भी था। उसके मौसा भी उसके खेत में ही काम करते थे। यह सब बहुत दिन से चल रहा था। मौसा के मरने के बाद चौधरी अब उसकी मौसी के घर पर भी आकर रात गुजारने लगा था। चौधरी के अलावा उसका मुंशी भी उसकी मौसी के यहाँ रात गुजारने आ जाता था और उसके जिस्म का मज़ा लेता था। अब चौधरी रागिनी की मौसी पर दवाब बना रहा था कि वो बड़ी बेटी रीना को उसके साथ सुलावे, तभी वो उनको काम पर रखेगा। मौसी नहीं चाहती थी कि उनकी बेटी उसी से चुदे जिसने उसकी माँ को भी चोदा हो और कोई फायदा भी ना हो। सो वो रागिनी को बुला रही थी कि वो उसको साथ ले जाकर पूरी तरह से रंडी के काम पर लगा दे जिससे कमाई होने लगे। मैंने अब पहली बार रागिनी से उसके घर के बारे में पूछा तो वो बोली- अब तो सिर्फ़ मौसी ही हैं। छः महीने हुए माँ कैंसर से मर गई। मेरे बाप ने मुझे और उनको पहले ही निकाल दिया था क्योंकि माँ की बीमारी लाइलाज थी और उसमें वो पैसा नहीं खर्च करना चाहते थे। मेरे रिश्तेदारों ने भी हम दोनों से कोई खास संपर्क नहीं रखा और मेरी माँ भी यहीं अल्मोड़ा में ही मरी। आज पहली बार रागिनी के बारे में जान कर मुझे सच में दु:ख हुआ। मेरे चेहरे से रागिनी को भी मेरे दु:ख का आभास हुआ सो वो मूड बदलने के लिए बोली- अब छोड़िए भी यह सब अंकल, और बताईए, मेरे साथ हनीमून आज कैसे मनाईएगा?

मैंने भी अपना मूड बदला- अब हनीमून तो मुझे एक ही तरह से मनाना आता है, लन्ड को बुर में पेल कर हिला-हिला कर लड़की चोद दी, हो गया अपना हनीमून। रागिनी बोली- अंकल, आप एक बार मेरी मौसी को चोद कर उनको कुछ पैसे दे दीजिए न। चौधरी तो फ़्री में उनको चोदता रहा है। मैं आश्चर्य से उसको देखा- तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रही हो? जवान रीना को क्यों न चोदूँ जो उसकी बुढ़िया माँ को चोदूँ? रागिनी हँसी- पक्के हरामी हैं आप अंकल सच में…! अरे रीना तो साथ में चल रही है। मौसी वैसी नहीं है जैसी आप सोच रहे हैं। 35 साल से भी कम उम्र होगी। 16 साल की उम्र में तो वो माँ बन गई थी। खूब छरहरे बदन की है, आपको पसन्द आएगी। मैंने उनको समझा दिया है कि मैं अपने अंकल को बुला रही हूँ, अगर खूब अच्छे से उनकी खातिर हुई तो वो रीना को जल्दी नौकरी लगवा देंगे। मैंने भी सोचा कि क्या हर्ज है, आराम से यहाँ माँ चोद लेता हूँ, फ़िर लौट कर बेटी की सील तोड़ूँगा। और फ़िर इसकी माँ को चोदने का एक और फ़ायदा था कि यहाँ एक के बाद एक करके तीन सीलबन्द बुरें भी, अगर भगवान ने मदद की तो मुझे खुलने को मिल जाने वाली थीं। मैंने भी सोच लिया कि इस मौसी को तो ऐसे चोदना है कि वो आज तक की सारी चुदाई भूल कर बस मेरी चुदाई ही याद रखे। दिन में एक बार और हल्का सा नाश्ता लेकर हम दोनों बस में बैठ कर गाँव की तरफ़ चल दिए। करीब 6.30 बजे हम जब रागिनी के मौसी के घर पहुँचे तो पहाड़ों में रात उतरने लगी थी। हल्के अंधेरे और लालटेन की रोशनी में हमारा परिचय हुआ। रागिनी ने मुझे अपनी मौसी बिन्दा और उनकी तीनों बेटियों रीना, रूबी और रीता से मिलाया। वो दो कमरे का छोटा सा घर था। मेरे लिए चिकन बना था। कुछ देर इधर-उधर की बातों के बाद हमने खाना खाया।
रागिनी ने मौसी से कहा, “आज मैं अंकल के साथ ही सो जाती हूँ, तुम लोग दूसरे कमरे में सो जाना।” सबसे छोटी बेटी रीता ने कहा, “हम आपके पैर दबा दें अंकल?” मौसी बोली- नहीं बेटी, दीदी है न… वो अंकल को आराम से सुला देगी। तुम चिन्ता मत करो। ले जाओ रागिनी अपने अंकल को…आराम दो उनको ! थके होंगे।

रागिनी मेरे साथ एक कमरे में चल दी। अन्दर जाते ही हम दोनों निवस्त्र हो गए। उस रात रागिनी ने मुझे कुछ करने नहीं दिया। आराम से मुझे लिटा दी और खुद ही मेरा लन्ड चूसा, उसको खड़ा किया, फ़िर मेरे ऊपर चढ़ कर
अपनी चूत में मेरा लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर घुसाया और फ़िर ऊपर से खूब हुमच-हुमच कर चुदी। जल्दी ही वो भी गर्म हो गई और ‘आह… आह… आह… उउह… उउह… उह…’ करने लगी, बिना इस चिन्ता के कि बाहर अभी सब जगे हुए हैं और उसके मुँह से निकल रही आवाज वो सब सुन रहे होंगे। उसने मेरे लन्ड पर अपनी चूत को खूब नचाया, इतना कि अब तो फ़च फ़च फ़च…की आवाज होने लगी थी। वो हाँफ़ रही थी- …आआह… आआह… आआह… और मैं भी हूम्म्म… हूम्म्म्म… हूऊम… कर रहा था। करीब 15 मिनट की हचहच फ़चफ़च के बाद मेरे भीतर का लावा छूटा… ‘आआआअह्ह्ह…’ और मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। रागिनी ने भी उसी समय अपना पानी छोड़ा और फ़िर अपने सलवार से अपना चूत पोंछते हुए मेरे ऊपर से उतर गई।
मुझे प्यास लग रही थी। मैंने रागिनी को पानी लाने को कहा। उसने कमरे से ही अपनी मौसी को पानी के लिए आवाज़ लगाई और अपने आप को एवं मुझे एक चादर से ढक लिया। उसकी मौसी बिंदा तुरंत ही पानी लेकर आई और नजरें झुकाए-झुकाए हम दोनों की अर्द्ध-नंगी हालत को देखते हुए पानी का जग मेज पर रख चली गई। मैंने तीन गिलास पानी पीया। मैं सच में थक गया था, सो करवट बदल कर सो गया। अगले दिन खाना ने के बाद करीब 12 बजे रागिनी और उसकी मौसेरी बहनें मुझे आस-पास की पहाड़ी पर घुमाने ले गईं। हिमालय अपने सुन्दर लहजे में अपना सारा सौन्दर्य बिखेरे था। एकांत देख कर रागिनी ने मुझे बता दिया कि आज रात में बिन्दा मेरे साथ सोएगी, मुझे उसको चोद कर सब सैट कर लेना है, वैसे वो सब पहले से सैट कर चुकी थी।
करीब 5 बजे हम घर लौटे, तो उसकी मौसी बिन्दा हम सब के लिए खाना बना चुकी थी। खाना-वाना खाने के बाद हम सब पास में बैठ कर इधर-उधर की गप्पें करने लगे। पहाड़ी गाँव में लोग जल्दी सो जाते थे, सो करीब आठ बजे तक पूरा सन्नाटा हो गया। रागिनी बोली, “मौसी, अंकल थक गए होंगे सो तुम उनके पैरों में थोड़ा तेल
मालिश कर देना, मैं रीना के साथ उसके बिस्तर पर सो जाऊँगी।” इशारा साफ़ था कि आज मुझे बिन्दा को चोदना था।

बिन्दा मुझे देख कर मुस्कुराई और तेल की शीशी ले कर मुझे कमरे में चलने का इशारा किया। पाँच चूत-वालियों से घिरा मैं अपनी किस्मत को सराहता हुआ बिन्दा के पीछे चल दिया और फ़िर कमरे के किवाड़ को खुला ही रहने दिया तथा सिर्फ उसके परदे फैला दिए। उस कमरे के बरामदे पर ही चारपाई पर उसकी सभी बेटियाँ और रागिनी लेटी हुई थीं। बिन्दा तब तक अपने बदन से साड़ी उतार चुकी थी और भूरे रंग के साया और सफ़ेद ब्लाऊज में मेरा इंतजार कर रही थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और अपने कपड़े खोलने लगा। वो मुझे देख रही थी और मैं अपने सब कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मेरा लन्ड अभी ढीला था पर अभी भी उसका आकार
करीब 6″ था। बिन्दा की नजर मेरे लटके हुए लन्ड पर अटकी हुई थी। मैंने उसके चेहरे को देखते हुए, अपने हाथ से अपना लन्ड हिलाते हुए जोर से कहा- फ़िक्र मत करो, अभी तैयार हो जाएगा… आओ चूसो इसको। मेरे हिलाने से मेरे लन्ड में तनाव आना शुरू हो गया था और मेरा सुपाड़ा अब अपनी झलक दिखाने लगा था। बिन्दा ने आगे बढ़ कर बिना किसी हिचक या शर्मिंदगी के मेरे लन्ड को अपने हाथों में पकड़ा और सहलाया। मादा के हाथ में जादू होता है, सो मेरा लन्ड बिन्दा के हाथ के स्पर्श से ही अपना आकार ले लिया। बिन्दा ने मुझे बिस्तर पर लिटा कर लन्ड अपने मुँह में भर लिया। पांच-दस बार अंदर-बाहर करके बिन्दा बोली- आप सीधा आराम से लेटिए, मैं तेल लगा देती हूँ। मैंने उसे बांहों में भर कर अपने ऊपर खींच लिया और बोला, “कोई परेशानी की बात नहीं है। मेरी सब थकान खत्म हो जाएगी जब तुम्हारी जैसे मस्त माल की चूत मेरे लन्ड की मालिश करेगी।”
मुझे पता था कि हम दोनों के एक-एक शब्द खुले किवाड़ के द्वारा उन बेटियों के काम में स्पष्ट सुनाई पड़ रहे होंगे। मैंने बिन्दा के होंठों से अपने होंठ सटा दिए और वो भी चूमने में मुझे सहयोग करने लगी। मैंने उसके ब्लाऊज और पेटीकोट खोल दिए तो उसने खुद से अपने को उन कपड़ों से आजाद कर लिया। मैंने बिन्दा को अपने से थोड़ा अलग करते हुए कहा- देखूँ तो कैसी दिखती है मेरी जान…! बिन्दा मेरे इस अंदाज पर फ़िदा हो गई, उसके गाल लाल हो गए। बिन्दा दुबली होने की वजह से अपनी उम्र से करीब 5 साल छोटी दिख रही थी। वैसे भी उसकी उम्र 35 के करीब थी। रंग साफ़ था, चूचियाँ थोड़ी लटकी थीं, पर साईज में छोटी होने की वजह से मस्त दिख रही थीं। सपाट पेट, गहरी नाभि और उसके नीचे कालें घने झाँटों से घिरी चूत की गुलाबी फ़ाँक, काँख में भी उसको खूब सारे बाल थे।

मैंने धीरे-धीरे उसके पूरे बदन पर हाथ घुमाना शुरु किया और उसमें भी गर्मी आने लगी। जल्द ही उसका बदन चुदास से भर गया और तब मैंने अपने हाथों और मुँह से उसकी चूचियों और चूत पर हमला बोल दिया। उसकी सिसकारी पूरे कमरे में गूँजने लगी। करीब आधा घन्टा में वो बेदम हो गई तो मैंने उसको सीधा लिटा कर उसके
पैरों को फ़ैला कर ऊपर उठा दिया और बिना कोई भूमिका बाँधे, एक ही धक्के में अपने लन्ड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया। मुझे पता था कि मेरा लन्ड उसकी झाँटों को भी भीतर दबा रहा है। मैं चाहता भी यही था, सो मैंने लन्ड को कुछ इस तरह से आगे-पीछे करके घुसाया कि ज्यादा से ज्यादा झाँट मेरे लण्ड से दबे और वो झाँटों के खींचने से दर्द महसूस करे। वही हुआ भी… बिन्दा तो चीख हीं उठी थी- ओह्ह… मेरे बाल खिंच रहे हैं साहब जी !
मैंने भी कहा- तो मैं क्या करूँ, तुम्हारी झाँट हीं ऐसी शानदार हैं कि पूछो मत ! उसने अब अपने हाथ अपनी चुद रही चूत के आस-पास घुमा कर अपने झाँटों को मेरे लन्ड से थोड़ा दूर की और फ़िर बोली, “हाँ अब चोदिए, खूब चोदिए मुझे… आह आह्ह !” मैंने अब उसकी जबरदस्त चुदाई शुरु कर दी थी। वो भी गाण्ड उछाल-उछाल कर ताल मिला रही थी और मैं तो उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसल-मसल कर चुदाई किए जा रहा था। यह सोच कर कि बाहर उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई की आवाज सुन रही हैं मेरा लन्ड और टनटना गया था और जोरदार धक्के लगा रहा था। वो झड़ गई थी, थोड़ा शान्त हुई थी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसको
पलटा और जब तक वो कुछ समझे मैंने पीछे से उसके चूत में लन्ड पेल दिया। वो थक कर निढाल हो गई थी तो मैं झड़ा उसकी चूत के भीतर, पर मेरा लन्ड कब एक बार झड़ने से शान्त हुआ है जो आज होता ! मैंने बिन्दा से कहा कि वो अब आराम से पोजीशन ले ले, मैं उसकी गाण्ड मारुँगा। वो शायद थकान की वजह से ऐसा चाह नहीं रही थी, पर मैंने उसको तकिया पकड़ा दिया तो वो समझ गई कि मैं नहीं रुकने वाला। सो वो भी तकिये पर सिर टिका कर और अपने घुटने थोड़ा फ़ैला कर, सही से बिस्तर पर पलट गई। मैं उसके थोड़ा पीछे खड़ा हो गया और फ़िर उसकी गाण्ड पर ढेर सारा थूक लगा कर अपना लन्ड छेद से भिड़ा दिया लेकिन वो जोर से कराह उठी।
बोली- आह… रुकिए साहब जी आपका लंड बहुत मोटा है। मेरी गांड में वैसलिन लगा दीजिये, तब मेरी गांड मारिए। मैंने कहा- कहाँ है वैसलिन? उसने आलमारी में से वैसलिन निकाल कर मुझे दी। मैंने ढेर सारी वैसलिन
उसकी गांड के छेद में लगाई, फिर अपना लंड उसके गांड में घुसाया। थोड़ी मेहनत करनी पड़ी, पर उसने वो दर्द सह कर अपने गाण्ड में मेरा लन्ड घुसवा लिया। मैं भी मस्त हो कर अब उसकी गाण्ड मारने लगा। शुरु में दर्द की वजह से वो कराह रही थी, पर जल्द ही उसको भी मजा मिलने लगा और फ़िर आह… अह… आअह… ऊऊह्ह उउम्म्म… जैसे कामुक बोल कमरे में गूँजने लगे। इस बार थोड़ा थकान मुझे भी लगने लगी थी, शायद दिन भर का घूमना अब हावी हो रहा था, सो मैंने भी तेजी में धक्के पर धक्के लगाए और जल्द ही बिन्दा की गाण्ड अपने लन्ड के रस से भर दिया। वो तो कब की थक कर निढाल थी। अब हम दोनों में से कोई हिलने की हालत
में नहीं था सो हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए। बिन्दा ने तो अपने चूत और गाण्ड को साफ़ करना भी मुनासिब नहीं समझा। अगली सुबह मैं जरा देर से तब उठा जब बिंदा मुझे चाय देने आई। उस समय तक मैं नंगा ही था। मैंने तौलिये को अपने कमर पर लपेटा। तब तक सब चाय पी चुके थे। मैं जब बाहर आया तो देखा कि खूब साफ़ और तेज धूप निकली हुई है। पहाड़ों में वैसे भी धूप की चमक कुछ ज्यादा होती है। रागिनी और उसकी मौसी आंगन में बैठ कर सब्जी काट रहे थे, बड़ी रीना सामने चौके में कुछ कर रही थी। रूबी नहा चुकी थी और वो धूले कपड़ों को सूखने के लिए तार पर डाल रही थी। आंगन के एक कोने में सबसे छोटी बहन रीता नहा रही थी। सब कपड़े उतार कर, उसके बदन पर बस एक जाँघिया था। मुझे समझ में आ गया कि घर में कोई मर्द तो रहता नहीं था, सो इन्हें इस तरह खुली धूप में नहाने की आदत सी थी। मुश्किल यह थी कि मैं जोरों से पेशाब महसूस कर रहा था और इसके लिए मुझे उसी तरह जाना होता, जिधर रीता नहा रही थी। वो एक तरह से बाथरूम में सामने ही बैठी थी। तभी मौसी चौके की तरफ़ गई तो मैंने अपनी परेशानी रागिनी को बताई।
उसने कहा- तो कोई बात नहीं, आप चले जाइए बाथरूम में…
मैं थोड़ा हिचक कर बोला- पर रीता? अब वो मुस्कुराते हुए बोली- आपको कब से लड़की से लाज लगने लगी?
और उसने आँख मार दी। मेरे लिए वैसे भी पेशाब को रोकना मुश्किल हो रहा था, सो निकल गया। एक नजर रीता के बदन पर डाली और बाथरूम में पेशाब करने लगा। पेशाब करने के बाद मैं बाहर जहाँ रीता नहा रही थी वहाँ पहुँच गया, अपना हाथ-मुँह, चेहरा धोने। रीता भी समझ गई कि मैं हाथ-मुँह धोना चाह रहा हूँ। उसने बाल्टी-मग मेरी तरफ़ बढ़ा दिया और खुद अपने हाथों से अपना बदन रगड़ने लगी। अपना चेहरा और हाथ-मुँह धोते हुए अब मैं रीता को घूरने लगा। खूब गोरी झक्क सफ़ेद चमड़ी, हल्का उभार ले रही छाती जिसका फ़ूला हुआ भाग मोटे तौर पर अभी भी चूचक ही था, अभी रीता की छाती को चूची बनने में समय लगना था। पतली-पतली चिकनी टाँग पर सुनहरे रोंएँ। मेरी नजर बरबस हीं उसके टाँगों के बीच चली गई, पर वहाँ तो एक बैंगनी रंग का जांघिया था, ब्लूमर की तरह का जो असल चीज के साथ-साथ कुछ ज्यादा क्षेत्र को ढंके हुए था। मेरे दिमाग में आया, ‘काश, इस लड़की ने अभी जी-स्ट्रिंग पहनी होती…’ और तभी रीता अपने दोनों बांहों को ऊपर करके अपने गले के पीछे के हिस्से को रगड़ने लगी। इस तरह से उसकी छाती थोड़ी ऊपर खिंच गई और तब
मुझे लगा कि हाँ यह भी एक लड़की है, बच्ची नहीं रही अब। इस तरह से हाथ ऊपर करने के बाद उसकी छाती थोड़ा फ़ूली और अपने आकार से बताने लगी कि अब वो चूची बनने लगी है। मेरी नजर उसकी काँख पर गड़ गई। वहाँ के रोंएँ अब बाल बनने लगे थे। बाएँ काँख में तो फ़िर भी कुछ रोंआँ हीं था, बस चार-पाँच हीं अभी काले बाल बने थे, पर दाहिने काँख में लगभग सब रोआँ काले बाल बन चुके थे। अब वहाँ काले बालों का एक गुच्छा बन गया था, पर अभी उसको ठीक से उनको मुड़ना और हल्के घुंघराले होना बाकी था, जैसा कि आम तौर पर जवान लड़कियों में होता है। रीता के काँख में निकले ऐसे बालों को देख कर मैं कल्पना करने लगा कि उसकी बुर पर किस तरह के और कैसे बाल होंगे। अब तक वो भी अपना बदन रगड़ चुकी थी सो उसको बाल्टी की जरूरत थी
और मेरे लिए भी अब वहाँ रूकने का कोई बहाना नहीं था। अब तक रीना दोबारा चाय बना चुकी थी और दुबारा से सब लोग चाय लेकर बीच आंगन में बिछी चटाइयों पर बैठ गए थे। रागिनी ने अब पूछा- कब तक आपको छुट्टी है? मैंने पूछा- क्यों…? तो वो बोली- असल में रीना को तो हम लोग के साथ ही चलना है तो उसको
अपना सामान भी ठीक करना होगा न…! दो-तीन दिन तो अभी हैं या नहीं? मैंने कहा- अभी तीसरा दिन है और मैंने एक सप्ताह की छुट्टी ली हुई है, अभी तो समय है। अब बिन्दा (रागिनी की मौसी) बोली- रीना कर तो लेगी यह सब तुम्हारा वाला काम… कहीं बेचारी को परेशानी तो न होगी? रागिनी ने उनको भरोसा दिलाया- तुम फ़िक्र मत करो मौसी, जब पैसा मिलने लगेगा तो सब करने लगेगी। मैं भी शुरु-शुरु में हिचकी थी। पहले एक-दो बार
तो बहुत खराब लगा, फ़िर अंकल से भेंट हुई और जिस प्यार और इज्जत के साथ अंकल ने मेरे साथ सम्भोग किया कि फ़िर सारा डर चला गया और उसके बाद तो मैं इसी में रम गई। अंकल का साथ मुझे बहुत बल देता है,
लगता है कि इस नए जगह में भी कोई अपना है। कल तुमने भी देखा न अंकल का सम्भोग का अंदाज़? कोई तकलीफ हुई क्या तुझे? बिंदा ने थोड़ा मुस्कुरा कर अपना सर नीचे झुकाया और कहा- नहीं री ! तेरे अंकल तो सच में बहुत प्यार से अन्दर-बाहर करते हैं। मुझे अपने पर रागिनी का ऐसा भरोसा जान कर अच्छा लगा और उस पर खूब सारा प्यार आया, मेरे मुँह से बरबस निकल गया- तुम हो ही इतनी प्यारी बच्ची…! और मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूम लिया। रागिनी ने अब एक नई बात कह दी- मौसी, मेरे ख्याल से रीना को आज रात में अंकल के साथ सो लेने दो। अंकल इतने प्यार से इसको भी करेंगे कि उसका सारा डर-भय निकल जाएगा।
मुझे इस बात की उम्मीद नहीं की थी। मैं अब बिन्दा के रिएक्शन के इंतजार में था। रीना पास बैठ कर सिर नीचे करके सब सुन रही थी। बिन्दा थोड़ा सोच कर बोली- कह तो तुम ठीक रही हो बेटा, पर यहाँ घर पर… फ़िर रीना की छोटी बहनें भी तो हैं घर में… इसीलिए मैं सोच रही थी कि अगर रीना तुम लोग के साथ चली जाती और फ़िर उसके साथ वहीं यह सब होता तो…! मुझे लगा कि ऐसा शानदार मौका हाथ से जा रहा है सो मैं अब बोला- तुम
बेकार की बात सब सोच रही हो बिन्दा ! मेरे हिसाब से रागिनी ठीक कह रही है, अगर रीना अपने घर पर अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार यहीं चुद ले तो ज्यादा अच्छा होगा। अगर उसको बुरा लगा तो यहाँ आप तो हैं जिससे वह सब साफ़-साफ़ कह सकेगी, नहीं तो वहाँ जाने के बाद तो उसको बुरा लगे या अच्छा, उसको तो वहाँ चुदना ही पड़ेगा। जब मैं यह सब कह रहा था तब तक रूबी और रीता भी वहीं आ गईं और इसी लिए जान-बूझ कर मैंने चुदाई शब्द का प्रयोग अपनी बात में किया था। रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अंकल बहुत सही बात कह रहे हैं, वहाँ जाने के बाद रीना की मर्जी तो खत्म ही हो जाएगी। वैसे भी पिछले कई दिनों में रूबी और रीता को क्या समझ में नहीं आया होगा कि चौधरी और उसका मुंशी तेरे साथ रात-रात भर कमरे में रह कर क्या करता है? बाहर एक-एक ‘आह’ की आवाज स्पष्ट सुनाई देती है, क्यों री रूबी और गीता, क्या तुम नहीं जानती कि
रात में मैं या तेरी माँ अंकल के साथ क्यों सोते हैं? रूबी शरमा गई और ‘हाँ’ में सर ऊपर नीचे हिलाया।

मैं बोला- मेरे ख्याल से तो रात से बेहतर होगा कि रीना अभी ही नहाने से पहले आधा-एक घन्टा मेरे साथ कमरे में चली चले, चुदाई करके उसके बाद नहा धो ले… उसको भी अच्छा लगेगा। रात में अगर चुदेगी तो फ़िर सारी रात वैसे ही सोना होगा। बिन्दा के चेहरे से लग रहा था कि अब वो कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है और उसने सब कुछ रागिनी पर छोड़ दिया है। बिन्दा ने अपनी छोटी बेटी तो हल्के से झिड़का- तू यहाँ बैठ कर क्या सुन रही
है सब बात… जा, जाकर सब के लिए एक बार फ़िर चाय बना ला ! रीता जाना नहीं चाहती थी सो मुँह बिचकाते हुए उठ गई। मैंने उसको छेड़ दिया- अरे थोड़े ही दिन की बात है, तुम्हारा भी समय आएगा बेबी… तब जी भर कर चुदवाना। अभी चाय बना कर लाओ। वो अब शर्माते हुए वहाँ से खिसक ली। चलो अच्छा है दो-दो कप चाय मुझे ठीक से जगा देगा। साँड जब जगेगा तभी तो बछिया को गाय बनाएगा। मेरी इस बात पर रागिनी ने व्यंग्य किया- साँड… ठीक है पर बुड्ढा साँड ! और खिलखिला कर हँस दी। मैं भी कहाँ चूकने वाला था सो बोला- अरे तुमको क्या पता…! नया-नया जवान साँड तो बछिया की नई बुर देख कर ही टनटना जाता है और पेलने
लगता है, मेरे जैसा बुड्ढा साँड ही न बछिया को भी मजा देगा। बछिया की नई-नवेली चूत को सूँघेगा, चूमेगा, चूसेगा, चाटेगा, चुभलाएगा…! इतना बछिया को गर्म करेगा कि चूत अपने ही पानी से गीली हो जाएगी, तब जाकर इस साण्ड का लण्ड टनटनाएगा…! अब रूबी बोल पड़ी- छी छी, कितना गन्दा बोल रहे हैं आप… अब चुप
रहिए। मैंने उसके गाल सहला दिए और कहा- अरे मेरी जान… यह सब तो घर पर बीवी को भी सुनना पड़ता है और तुम्हारी दीदी को तो रंडी बनने जाना है शहर ! मैंने तो कुछ भी नहीं बोला है… वहाँ तो लोग रंडी को कैसे पेलते हैं रागिनी से पूछो। रागिनी भी बोली- हाँ मौसी, अब यह सब तो सुनने का आदत डालना होगा और साथ में बोलना भी होगा। रीना का गाल लाल हो गए थे, बोली- मैं यह सब नहीं बोलूँगी… मैंने उसकी चूची सहला दी वहीं सबके सामने, वो चौंक गई, मैं हँसते हुए बोला- अभी चलो न भीतर ! एक बार जब लन्ड तुम्हारी बुर को चोदना शुरु करेगा तो अपने आप सब बोलने लगोगी, ऐसा बोलोगी कि सब सुन कर तुम्हारी इस रूबी देवी जी की गाण्ड फ़ट जाएगी। रीता अब चाय ले आई, तो मैंने कहा- वैसे रूबी तुम भी चाहो तो चुदवा सकती हो… बच्ची तो अब रीता भी नहीं है। इसकी उम्र की दो-तीन लड़की तो मैं ही चोद चुका हूँ और वो भी करीब-करीब इतने की ही है।
रीता सब सुन रही थी बोली- वो अभी बड़ी नहीं हुई है, अभी कुछ छोटी है। मैं अब रंग में था- ओए कोई बात नहीं, एक बार जब झाँट उग गई तो फ़िर लड़की को चुदाने में कोई परेशानी नहीं होती। मैं तुम्हारी काँख में भी बाल
देख चुका हूँ, सो अब तक तुम्हारी बुर पर झाँट तो पक्का निकल आई होगीं… रीता को लगा कि मैं उसकी बड़ाई कर रहा हूँ सो वो भी चट से बोली- हाँ, हल्का-हल्का होने लगा है, पर सब दीदियों की तरह नहीं है। बिन्दा ने उसको चुप रहने को कहा तो मैंने उसको शह दी और कहा- अरे बिन्दा जी, अब यह सब बोलने दीजिए। जितनी कम उम्र में यह सब बोलना सीखेगी उतना ही कम हिचक होगी, वर्ना बड़ी हो जाने पर ऐसे बेशर्मों की तरह बोलना सीखना होता है। अभी देखा न रीना को, किस तरह बेलाग हो कर बोल दिया कि मैं नहीं बोलूँगी ऐसे…!”
सब हँसने लगे और रीना झेंप गई, तो मैंने कहा- अभी चलो न बिस्तर पर रीना, उसके बाद तो तुम सब बोलोगी। ऐसा बेचैन करके रख दूँगा कि बार-बार चिल्ला कर कहना पड़ेगा मुझसे। उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मेरे तरह तिरछी नजर से देखते हुए पूछा- क्या कहना पड़ेगा?  मैंने उसको छेड़ा और लड़कियों की तरह आवाज पतली करके बोला- आओ न, चोदो न मुझे…! जल्दी से चोदो न मेरी चूत अपने लन्ड से। मेरे इस अभिनय पर सब लोग हँसने लगे। मैं अपने हाथ को लन्ड पर तौलिये के ऊपर से हीं फ़ेरने लगा था। लन्ड भी एक कुँआरी चूत की आस में ठनकना शुरु कर दिया था। मैंने वहीं सब के सामने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसकी आगे की चमड़ी पीछे करके लाल सुपाड़ा बाहर निकाल कर उसको अपने अँगूठे से पोंछा। मुझे पता था कि अब अगर मेरा अँगूठा सूँघा गया तो लन्ड की नशीली गन्ध से वास्ता होगा, सो मैंने अपने अँगूठे को रीना की नाक के पास ले गया- सूँघ के देखो इसकी खुश्बू। मैं देख रहा था कि रागिनी के अलावे बाकी सब मेरे लन्ड को ही देख रहे थे। रीना हल्के से बिदकी- छी: ! मैं नहीं सूँघूंगी। रीता तड़ाक से बोली- मुझे सुँघाइए न, देखूँ कैसी महक है।
मैंने अपना हाथ उसकी तरफ़ कर दिया, जबकि बिन्दा ने हँसते हुए मुझे लन्ड को ढकने को कहा। मैं अब फ़िर से लन्ड को भीतर कर चुका था और रीता ने मेरे हाथ को सूँघा और बिना कुछ समझे बोली- कहाँ कुछ खास लग रहा
है…? अब रुबी भी बोली- अरे, सब ऐसे ही बोल रहे हैं तुमको बेवकूफ़ बनाने के लिए ! और तू है कि बनती जा रही है। मैंने अब रूबी को लक्ष्य करके कहा- सीधा लन्ड ही सूँघना चाहोगी। वो जरा जानकार बनते हुए बोली- आप, बस दीदी तक ही रहिए… मेरी फ़िक्र मत कीजिए, मुझे इन सब बातों में कोई दिलचस्पी नहीं है। रीता तड़ से बोली- पर मुझे तो इसमें खूब दिलचस्पी है… अब बिन्दा बोली- ले जाइए न अब रीना को भीतर… बेकार देर हो रही है। मैंने भी उठते हुए रूबी को कहा- दिलचस्पी न हो तो भी चुदना तो होगा ही, ! हर लड़की की चूत का यही होता है, आज चुदो या कल पर यह तय है। और मैंने खड़ा हो कर रीना को साथ आने का इशारा किया। रीना थोड़ा
हिचक रही थी, तो रागिनी ने उसको हिम्मत दी- जाओ रीना डरो मत… अभी अंकल ने कहा न कि हर लड़की की यही किस्मत है कि वो जवान हो कर जरूर चुदेगी… तो बेहिचक जाओ। मुझे तो अनजान शहर में अकेले पहली
बार मर्द के साथ सोना पड़ा था, तुम तो लक्की हो कि अपने ही घर में अपने लोगों के बीच रहते हुए पहली बार चुदोगी… जाओ उठो… रीना को पास और कोई रास्ता तो था नहीं, वो उठ गई और मैंने उसको बांहों में लेकर वहीं उसके होंठ चूमने लगा। तब बिन्दा ने मुझे रोका- यहाँ नहीं, अलग ले जाइए… यहाँ सबके सामने उसको खराब लगेगा। मैंने हँसते हुए अब उसको बांहों में उठा लिया और कमरे की तरफ़ जाते हुए कहा- पर इसको तो अब सब लाज-शर्म यहीं इसी घर में छोड़ कर जाना होगा मेरे साथ… अगर पैसा कमाना है तो…! और मैं उसको बिस्तर पर ले आया। इसके बाद मैंने रीना को प्यार से चूमना शुरु किया। वो अभी तक अकबकाई हुई सी थी। मैं उसको सहज करने की कोशिश में था।
मैंने उसको चूमते के साथ-साथ समझाना भी शुरु किया- देखो रीना, तुम बिल्कुल भी परेशान न हो। मैं बहुत अच्छे से तुमको तैयार करने के बाद ही चोदूँगा। तुम आराम से मेरे साथ सहयोग करो। अब जब घर पर ही इज़ाज़त मिल गई है तो मजे लो। मेरा इरादा तो था कि मैं तुमको शहर ले जाता फ़िर वहाँ सब कुछ दिखा समझा कर चोदता, पर यहाँ तो तुमको ब्लू-फ़िल्म भी नहीं दिखा सकता। फ़िर भी तुम आराम से सहयोग करो तो तुम्हारी जवानी खुद तुमको गाईड करती रहेगी। लगतार पुचकारते हुए मैं उसको चूम रहा था। रीना अब थोड़ा सहज होने लगी थी, सो धीमी आवाज में पूछी- बहुत दर्द होगा न? जब आप करेंगे मुझे? मैंने उसको समझाते हुए कहा- ऐसा जरूरी नहीं है, अगर तुम खूब गीली हो जाओगी, तो ज्यादा दर्द नहीं करेगा। वैसे भी जो भी दर्द होना है बस आज और अभी ही पहली बार होगा, फ़िर उसके बाद तो सिर्फ़ मस्ती चढ़ेगी तुम पर ! फ़िर खूब चुदाना जी भर कर और चूत भर भर कर। अब वो बोली- और अगर बच्चा रह गया तो…? मैंने उसको दिलासा दिया- नहीं रहेगा, अब सब का उपाय है…निश्चिंत होकर चुदो अब…! और मैं उसके कपड़े खोलने लगा। मैं उसके बदन से उसकी कुर्ती उतारना चाह रहा था जब वो बोली- इसको खोलना जरूरी है क्या? सिर्फ़ सलवार खोल कर नहीं हो जाएगा? मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया- अब शर्म छोड़ो और अपना बदन दिखाओ। एक जवान नंगी लड़की से ज्यादा सुन्दर चीज मर्दों के लिए और कुछ नहीं है दुनिया में ! और मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। एक सफ़ेद पुरानी ब्रा से दबी चूची अब मेरे सामने थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाया और फ़िर जल्दी से उसको खोल कर चूचियों को आजाद कर दिया। छोटी सी गोरी चूचियों पर गुलाबी निप्पल गजब की दिख रही थीं। मैंने कहा- बहुत सुन्दर चूची है तुम्हारी मेरी जान… और मैं उनको चूसने में लग गया। उसने अपने पहलू बदले ताकि मैं बेहतर तरीके से उसकी चूची को चूस सकूँ। मैं समझ गया कि अब लौंडिया भी जवान होने लगी है। इसके बाद
मैं उसकी सलवार की डोरी को खींचा। वो थोड़ा शर्माई फ़िर मुस्कुराई, जो मेरे लिए अच्छा शगुन था। लड़की अगर पहली बार चुदाते समय ऐसे सेक्सी मुस्कान दे तो मेरा जोश दूना हो जाता है। मैंने उसको पैरों से उतार दिया और उसने भी अपने कमर को ऊपर करके फ़िर टाँगें उठा कर इसमें सहयोग किया। मैंने अब उसकी जाँघों को खोला। पतली सुन्दर अनचुदी चूत की गुलाबी फ़ाँक मस्त दिख रही थी। उसके इर्द-गिर्द काले, घने, लगभग सीधे-सीधे बाल थे जो मस्त दिख रहे थे। उसकी झाँट इतनी मस्त थी कि पूछो मत। कोई तरीके से उसको शेव करने की जरूरत नहीं थी। बाल लम्बे भी बहुत ज्यादा नहीं थे और ना ही बहुत चौड़ाई में फ़ैले हुए थे। पहाड़ की लड़कियों को वैसे भी प्राकृतिक रूप से सुन्दर झाँट मिलता है अपने बदन पर। वैसे उसकी उम्र भी बहुत नहीं थी कि बाल अभी ज्यादा फ़ैले होते। मैं अब उसकी झाँटों को हल्के-हल्के सहला रहा था और कभी-कभी उसकी भगनासा को रगड़ देता था। उसकी आँखें बन्द हो चली थी। मैं अब झुका और उसकी चूत को चूम लिया। मेरी नाक में वहाँ का पसीना, गीलेपन वाली चिकनाई और पेशाब की मिली जुली गन्ध गई। मैंने अब अपने जीभ को बाहर निकाला और पूरी चौड़ाई में फ़ैला कर उसकी चूत की फ़ाँक को पूरी तरह से चाटा। मेरी जीभ उसकी गाण्ड के छेद की तरफ़ से चूत को चाटते हुए उसकी झाँटों तक जा रही थी। जल्द ही चूत की, पसीने और पेशाब की गन्ध के साथ मेरे थूक की गन्ध भी मेरे नाक में जाने लगी थी। रीना अब तक पूरी तरह से खुल गई थी और पूरी तरह से बेशर्म होकर अब सहयोग कर रही थी। मैंने उसको बता दिया था कि अगर आज वो पूरी तरह से बेशर्म हो कर चुद गई तो मैं उसको रागिनी से भी ज्यादा टॉप की रंडी बना दूँगा। वो भी अब सोच चुकी थी कि अब उसको इसी काम में टॉप करना है सो वो भी मेरे कहे अनुसार सब करने को तैयार थी। मैंने कहा- रीना, अब जरा अपनी जाँघें पूरी खोलो न जानू…! तुम्हारी गुलाबी चूत की भीतर की पुत्ती को चाटना है। यह सुन कर वो ‘आह’ कर उठी और बोली- बहुत जोर की पेशाब लग रही है… इइस्स्स अब क्या करूँ…? मैं समझ गया कि साली को चुदास चढ़ गई है सो मैंने कहा- तो कर दो ना पेशाब…! वो अकचकाई- यहाँ… कमरे में? और जोर से अपने पैर भींचे उसने !
मैंने कहा- हाँ मेरी रानी, तेरी रागिनी दीदी तो मेरे मुँह में भी पेशाब की हुई है, तू भी करेगी क्या मेरे मुँह में?
मैं उसके पैर खोल कर उसकी चूत को चाटे जा रहा था। वो ताकत लगा कर मेरे चेहरे को दूर करना चाह रही थी। मैं उसको अब छोड़ने के मूड में नहीं था सो बोला- अरे तो मूत ना मेरी जान। तेरे जैसी लौन्डिया की मूत भी अमृत है रानी। वो अब खड़ी होकर अपने कपड़े उठाते हुए बोली- बस दो मिनट में आई ! पैसे के नाम पर उसके आँख में चमक उभरी- सच में? और फ़िर वो दरवाजे के पास जा कर जोर से बोली- मम्मी मुझे पेशाब करने
जाना है, बहुत जोर की लगी है और अंकल मुझे वैसे ही जाने को कह रहे हैं ! रागिनी सब समझ गई सो और किसी के कहने के पहले बोली- आ जाओ रीना, यहाँ तो सब अपने ही हैं और फ़िर तुम अब जिस धन्धे में जा रही हो उसमें जितना बेशर्म रहेगी उतना मजा मिलेगा और पैसा भी। अब मैं बोला- बिन्दा, अपनी बाकी बेटियों को तुम संभालो अब। मैं और रीना नंगे हैं और मैं भी सोच रहा हूँ कि एक बार पेशाब कर लूँ, फ़िर रीना की सील
तोड़ूँ !
कहते हुए मैं नंगा ही कमरे से बाहर आ गया और मेरे पीछे रीना भी बाहर निकल आई। मैंने उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया और आँगन की दूसरी तरफ़ ऐसे चला जैसे कि हम दोनों कैटवाक कर रहें हों। बिन्दा के चेहरे पर अजीब सा असमंजस था, जबकि उसकी दोनों बेटियाँ मुँह बाए हम दोनों के नंगे बदन को देख रही थी। रागिनी सब समझ कर मुस्कुरा रही थी। जल्द ही हम दूसरी तरफ़ पहुँच गए तो मैंने रीना के सामने ही अपने
लण्ड को हाथ से पकड़ कर मूतना शुरु किया। रीना भी अब पास में बैठ कर मूतने लगी। उसकी चूत चुदास से ऐसी कस गई थी कि उसके मूतते हुए छर्र-छर्र की आवाज हो रही थी। उसका पेशाब पहले बन्द हुआ तो वो खड़ी
हो कर मुझे मूतते देखने लगी। मैं बोला- लेगी अपने मुँह में एक धार…? रीना ने मुँह बिचकाया- हुँह गन्दे…!
अब मेरा पेशाब खत्म हो गया था, मैंने हँसते हुए अपना हाथ उसकी पेशाब से गीली चूत पर फ़िराया और फ़िर अपने हाथ में लगे उसके पेशाब को चाटते हुए बोला- क्या स्वाद है…? इसमें तुम्हारी जवानी का रस मिला हुआ है मेरी रानी। यह सब देख रीता बोली- आप कैसे गन्दे हैं, दीदी का पेशाब चाट रहे हैं। मैंने अब अपना हाथ सूँघते हुए कहा- पेशाब नहीं है, ऐसी मस्त जवान लौन्डिया की चूत से पेशाब नहीं अमृत निकलता है मेरी रानी… पास आ तो मैं तेरी चूत के भीतर भी अपनी उंगली घुसा कर तेरा रस भी चाट लूँगा। बिन्दा अब हड़बड़ा कर बोली- ठीक है, ठीक है, अब आप दोनों कमरे में जाओ और भाई साहब आप अब जल्दी चोद लीजिये रीना को, इसे
नहाना-धोना भी है फ़िर उसको मंदिर भी भेजूँगी। मैंने रीना के चूतड़ पर हल्के से चपत लगाई- चल जल्दी और चुद जा जानू, तेरी माँ बहुत बेकरार है तेरी चूत फ़ड़वाने के लिए…! फ़िर मैंने बिन्दा से कहा- बहुत जल्दी हो तो यहीं पटक कर पेल दूँ साली की चूत के भीतर क्या?
बिन्दा अब गुस्साई- यहाँ बेशर्मी की हद कर दी…कमरे में जाइए आप दोनों ! मैं समझ गया कि अब उसका मूड खराब हो जाएगा सो मैं चुपचाप रीना को कमरे में ले आया। इतनी देर में पेशाब कर लेने के बाद मेरा लण्ड करीब
40% ढीला हो गया था। मैंने रीना को बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और फ़िर से उसकी चूत को चाटने लगा। मैं अपने हाथ से अपना लण्ड भी हिला रहा था कि वो फ़िर से टनटना जाए। देर लगते देख मैंने रीना को कहा कि वो मेरा लण्ड मुँह में ले कर जोर-जोर से चूसे। रीना अब मुँह बना कर बोली- नहीं, आप पेशाब करने के बाद इसको धोए नहीं थे, मैंने देखा था।” मैंने उसको समझाया- और जैसे तुमने अपनी चूत धोई थी… तुमने देखा था
न कि मैंने तुम्हारे चूत पर लगे पेशाब को कैसे चाट कर तेरी छोटी बहन को दिखाया था… औरत-मर्द जब सेक्स करने को तैयार हों तो ये सब भूल-भाल कर एक-दूसरे के लण्ड और चूत को पूरी इज्जत देना चाहिए। चूसो जरा तो फ़िर से जल्द कड़ा हो जाएगा। अभी इतना कड़ा नहीं है कि तुम्हारी चूत की सील तोड़ सके। अगर एक झटके में चूत की सील पूरी तरह नहीं टूटी तो तुमको ही परेशानी होगी। इसलिए जरूरी है कि तुम इसको पूरा कड़ा करो।
इसके बाद मैंने पहली बार रीना को असल स्टाईल में कहा- चल आ जा अब, नखरे मत कर नहीं तो रगड़ कर साली तेरी चूत को आज ही भोसड़ा बना दूँगा साली रंडी मादरचोद…! और मैंने अपने ताकत का इस्तेमाल करते हुए उसका मुँह खोला और अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। वो अनचाहे हीं अब समझ गई कि मैं अब जोर जबर्दस्ती करने वाला हूँ, वो बेमन से चूसने लगी पर मेरा तो अब तक कड़ा हो गया था, पर मैं अपना मूड
बना रहा था, उसकी मुँह में लण्ड अंदर-बाहर करते हुए कहा- वाह मेरी जान, क्या मस्त होकर अपना मुँह चुदवा रही हो, मजा आ रहा है मेरी सोनी-मोनी… और मैं अब उसको प्यार से पुचकार रहा था। वो भी अब थोड़ा सहज हो कर लण्ड को चूस रही थी।  थोड़ी देर में मैं बोला- चल अब आराम से सीधा लेट, अब तुमको लड़की से
औरत बना देता हूँ… बिना कोई फ़िक्र के आराम से पैर फ़ैला कर लेट और अपनी चूत चुदा… और फ़िर बन जा मेरी रंडी… मैंने उसको सीधा लिटा दिया और उसकी जाँघों के बीच में आ गया। मेरा लण्ड एकदम सीधा फ़नफ़नाया हुआ था और उसकी चूत में घुसने को बेकरार था। मैंने उसको आराम से अपने नीचे सैट किया और फ़िर उसकी दोनों टाँगों से अपनी टाँगें लपेट कर ऐसे फ़ँसा दिया कि वो ज्यादा हिला न सके। इसके बाद मैंने अपने दाहिने हाथ को उसके काँख के नीचे से निकाल कर उसके कंधों को जकड़ते हुए उसके ऊपर आधा लेट गया। मेरा लण्ड अब उसकी चूत के करीब सटा हुआ था। अपने बाँए हाथ से मैंने उसकी दाहिनी चूची को संभाला और इस तरह से उसके छाती को दबा कर उसको स्थिर रखने का जुगाड़ कर लिया। पक्का कर लिया कि अब साली बिल्कुल भी नहीं हिल सकेगी जब मैं उसकी चूत को फ़ाड़ूंगा सब कुछ मन मुताबिक करने के बाद मैंने उसको कहा- अब तू अपने हाथ से मेरे लण्ड को अपकी चूत की छेद पर लगा दे। और जैसे ही उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत से लगाया, मैंने जोर से कहा- अब बोली साली.. कि चोदो मुझे… बोल नहीं तो साली अब तेरा बलात्कार हो जाएगा। लड़की के न्यौतने के बाद ही मैं उसको चोदता हूँ… मेरा यही नियम है ! वो भी अब चुदने को बेकरार थी सो बोली- चोदो मुझे…! मैं बोला- जोर से बोल कि तेरी माँ सुने… बोल कुतिया…जल्दी बोल
मादरचोद… वो भी जोर से बोली- चोदो मुझे, अब चोदो जल्दी…आह… और उसकी आँख बन्द हो गईं।
मैंने अब अपना लण्ड उसकी चूत में पेलना शुरु कर दिया। धीरे-धीरे मेरा सुपारा भीतर चला गया और इसके बाद उसने दर्द महसूस किया। उसका चेहरा बता रहा था कि अब उसको दर्द होने लगा है। मैं उसके चेहरे पर नजर
गड़ाए था और लण्ड भीतर दबाए जा रहा था। मैं रुका तो उसको करार आया वो राहत महसूस की और आँख खोली। मैं पूछा- मजा आ रहा था? रीना बोली- बहुत दर्द हुआ था…!

मैं बोला- अभी एक बार और दर्द होगा, अबकी थोड़ा बरदाश्त करना। मैंने अपना लण्ड हल्का सा बाहर खींचा और फ़िर एक जोर का नारा लगाया- मेरी रीना रंडी की कुँआरी चूत की जय…रीना रंडी जिन्दाबाद…! मैंने इतनी जोर से बोला कि बाहर तक आवाज जाए ! इस नारे के साथ ही मैंने अपना लण्ड जोर के धक्के के साथ ‘घचाक’ पूरा भीतर पेल दिया। रीना दर्द से बिलबिला कर चीखी- ओ माँ… मर गई… इइइस्स्स्स्स… अरे बाप रे… अब नहीं रे…माँ…!! वो सच में अपनी माँ को पुकार रही थी, पर एक कुँआरी लड़की की पहली चुदाई के समय कभी किसी की माँ थोड़े न आती है, सो बिन्दा भी सब समझते हुए बाहर ही रही और मैं उसकी बेटी की चूत को चोदने लगा।
“घचा-घच… फ़चा-फ़च… घचा-घच…फ़चा-फ़च…” रीना अब भी कराह रही थी और मैं मस्त होकर उसके चेहरे पर नजर गड़ाए, उसके मासूम चेहरे पर आने वाले तरह-तरह के भावों को देखते हुए उसकी चूत की जोरदार चुदाई में लग गया। रीना के रोने कराहने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पर रहा था। आज बहुत दिन बाद मुझे कच्ची कली मिली थी और मेरी नजर तो अब इसके बाद की संभावनाओं पर थी। घर में रीना के बाद भी दो और कच्ची कलियाँ मौजूद थीं। मैं रीना को चोदते हुए मन ही मन रागिनी का शुक्रिया कर रहा था जो वो मुझे यहाँ बुला
कर लाई। करीब दस मिनट की चुदाई, कभी धीरे तो कभी जोर के धक्कमपेल के बाद जब मैं झड़ने के करीब था तो रीना का रोना लगभग बंद हो गया था, मैं रीना को बोला- अब मैं झड़ने वाला हूँ। तो वो घबड़ा कर बोली- अब बाहर कीजिए, निकालिए बाहर, खींचिए न उसको मेरे अंदर से ! और वो उठने लगी। मगर मैंने एक बार फ़िर उसको अपनी जकड़ में ले चुका था। पहली बार चुद रही थी, सो मैंने भी सोचा कि उसको मर्द के पानी को भी महसूस करा दूँ। मैंने रीना की चूत को अपने पानी से भर दिया। वो घबरा रही थी, बोली- बाप रे, अब कुछ हो गया तो कितनी बदनामी होगी। मैंने अब निश्चिन्त होकर अपना लन्ड बाहर खींचा, एक ‘फ़क’ की आवाज
आई। रीना की चूत एकदम टाईट थी, अभी भी मेरे लन्ड को जकड़े हुए थी। मैंने रीना को कहा कि अब वो पेशाब कर ले, ताकि जो माल भीतर मैंने गिराया है उसका ज्यादा भाग बाहर निकल जाए और पेशाब से उसकी चूत भी थोड़ा भीतर तक धुल जाए। “चुदाई के खेल के बाद पेशाब करना बेहतर होता है, समझ लो इस बात को !” मैंने उसको समझाया। वो अब कपड़े समेटने लगी तो मैंने कहा- अब इस बार ऐसे बाहर जाने में क्या परेशानी है? चुदने के पहले तो नंगी बाहर जा कर मूती थीं न तुम? मैं देख रहा था कि अब वो थोड़ा शान्त हो गई थी और उसका मूड भी बेहतर हो गया था। मेरे दुबारा पूछने पर बोली- अब ऐसे जाने में मुझे शर्म आएगी !
मैंने पूछा- क्यूँ भला…?
वो सर नीचे कर के बोली- तब की बात और थी, अब मैं नई हूँ… पहले मैं लड़की थी और अब मैं औरत हूँ तो लाज आएगी न शुरु में सबके सामने जाने में…! मुझे शरारत सूझी, सो मैंने सबको नाम ले ले कर आवाज लगाई- रागिनी… बिन्दा… रूबी… रीता… सब आओ और देखो, रीना को अब तुम लोग के सामने आने में लाज लग रही है… मेरा सारा माल अपनी चूत में लेकर बैठी है बेवकूफ़… बाहर जाकर धोएगी भी नहीं।कहते हुए मैं हँसने लगा। मेरी आवाज पर रागिनी सबसे पहले आई और रीना की चूत में से उसकी जाँघों पर बह रहे पानी देख कर मुस्कुराई- आप अंकल इस बेचारी की कुप्पी पहली ही बार में भर दी, ऐसे तो कोई सुहागरात को अपनी दुल्हन को भी नहीं भरता है।और वो कपड़े से उसकी चूत साफ़ करने लगी। रीना शरमा तो रही थी पर चुप थी। मैं भी बोला- अरे सुहागरात को तो लड़कों को डर रहता है कि अगर दुल्हन पेट से रह गई तो फ़िर कैसे चुदाई होगी…? मैं तो हर बार नई सुहागरात मनाता हूँ। वैसे भी इतनी बार मैं निकालता हूँ कि मेरे वीर्य से स्पर्म तो खत्म ही
हो गये होंगे, फ़िक्र मत करो, यह पेट से नहीं रहेगी।

अब तक मैंने कपड़े बदल लिए और बाहर निकल गया, कुछ समय बाद

रागिनी अपने साथ रीना को ले कर बाहर आई। बिन्दा ने एक नजर रीना को

देखा, और फ़िर झट से कहा- जाओ, अब नहा-धो कर साफ़-सुथरी हो जाओ,

मंदिर चलना है।”

रीना भी चुपचाप चल दी। मैंने देखा रूबी चूल्हे के पास है, सो मैंने कहा- एक

कप और चाय पिला दो रूबी डार्लिंग, तुम्हारा अहसान होगा, बहुत थक गया

हूँ।

रूबी ने मुँह बिचकाते हुए कहा- हूँह, साण्ड भी कहीं थकता है…!

मैंने भी तड़ से जड़ दिया- बछिया को चोदने में थकता है डार्लिंग… और

तुम्हारी दीदी तो लाजवाब थी… अंत-अंत तक मेरे धक्के पर कराह रही थी,

ऐसी कसी हुई चूत की मालकिन है।

इस बात को सुन कर बिन्दा फ़िक्रमंद हो गई। उसने मुझसे पूछा- तब अब

आगे कैसे होगा, शहर में तो बेचारी अकेली रह जाएगी, घुट-घुट कर रोएगी…

मैंने समझाया- अरे नहीं बिन्दा, ऐसी बात नहीं है, अभी दो-चार बार और कर

दूँगा तो सही हो जाएगी, जब पुरा मुँह खुल जाएगा। असल में न उसको आप

सबके प्रोत्साहन की जरुरत है। आप उसको सब करने बोल रहे हैं, पर खुल

कर नहीं, जब सब आपस में बेशर्मी से बातचीत करेंगे तो उसका दिमाग भी

इस सबके लिए तैयार होने लगेगा और फ़िर बदन भी तैयार हो जाएगा। ऐसे मैं

तो उसको 2-3 बार में ढीला कर ही दूँगा। आप तो जान चुकी हैं कि मेरा लंड

आम लोगों से मोटा भी है… सो जब मेरे से बिना दर्द के चुदा लेगी तो बाजार

में कुछ खास परेशानी नहीं होगी। अभी तो जितनी टाईट है, अगर मैं ही पैसा

वसूल चुदाई कर दूँ जैसा कि कस्टमर आमतौर पर रंडियों की करते हैं तो

बेचारी इतना डर जाएगी कि चुदाने के नाम पर उसकी नानी मरेगी।

रूबी चाय ले आई थी और वहीं खड़े हो कर सब सुन रही थी। मैं कह रहा था-

आज मैंने उसको बहुत प्यार से आराम-आराम से अपने मोटे लन्ड से चोदा

है।

रूबी अब बोली- आपको अपनी मोटाई पर बहुत नाज है न, खुद से अपनी

बड़ाई करते रहते हैं।

उसको शायद मैं कुछ खास पसन्द नहीं था।

मैंने उसको जवाब दिया- ऐसी कोई बात नहीं है, दुनिया में मुझसे ज्यादा

सौलिड लन्ड वाले हैं… पर मेरा कोई खराब नहीं है बल्कि ज्यादातर मर्दों से

बहुत-बहुत बेहतर है… जब तुम बाजार में उतरोगी और कुछ अनुभव

मिलेगा, तब समझोगी।

अब मैं दिल में सोच रहा था कि जब इस कुतिया की सील तोड़ने की नौबत

आएगी उस दिन वियाग्रा खाकर साली को फ़ाड़ दूँगा, वैसे भी मैं इसको खास

पसन्द हूँ नहीं तो बेहतर होगा कि साली का बलात्कार ही कर दूँ। इस घर में

तो अब मेरे सात खून माफ़ होंगे।

बिन्दा ने सब सुन कर सर हिलाया- ठीक है, अब तो यह आपके और रागिनी

के ही भरोसे है।

रीना अब तैयार होकर आ गई तो बिन्दा, रीना और रूबी मंदिर चली गई। घर

पर मेरे साथ रागिनी और रीता थीं। मैं भी अब नहाने-धोने की सोच रहा था।

जब मैं टट्टी के लिए गया तो रीता आंगन में नल पर नहाने लगी। मैं भी वहीं

ब्रश करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

सब दिन की तरह रीता आज भी सिर्फ़ एक पैन्टी में नहा रही थी। उसकी

छोटी-छोटी चूचियाँ अभी तरीके से चूची बनी भी नहीं थी…एक उभार था

जिसका आधा हिस्सा गुलाबी था, बड़े से एक रुपया के सिक्के जितना और

उस पर एक बड़े किशमिश की साईज की निप्पल थी।

आज आराम से गौर से उसकी छाती का मुआयना कर रहा था तो लगा कि

कल मैंने जिसे चूचक कहा था… वह सही में अब चूची लग रहा है। यह बात

अलग है कि अभी उसमें और उभार आना बाकी था। मैंने अपनी कमर में एक

तौलिया लपेट रखा था। रीना को चोदने के बाद से मैं ऐसे ही तौलिया में घूम

रहा था।

नहाते हुए रीता बोली- अंकल, क्या दीदी को बहुत तकलीफ़ हुई थी?

मैंने उससे ऐसे सवाल की अभी उम्मीद नहीं की थी सो चौंक कर कहा- किस

बात से?

अब रीता फ़िर से बात पूछी- वही जब आप दीदी को कमरे में ले जाकर

उसकी चुदाई कर उसको औरत बना रहे थे, तब?

मैं बोला- अब थोड़ा बहुत तो हर लड़की को पहली बार में परेशानी होती है,

कुछ खास नहीं, पर लड़की को इसमें मजा इतना मिलता है कि वो मर्दों के

साथ इस काम को बार-बार करती है अगर सेक्स में मजा नहीं आता तो क्या

इतना परिवार बनता, फ़िर बच्चे कैसे होते और दुनिया कैसे चलती… सोचो !

रीता ने कुछ सोचा, समझा फ़िर बोली- तब दीदी इस तरह से कराह-कराह

कर रो क्यों रही थी?

मैंने अब उसको समझाया- वो रो नहीं रही थी बेटा… ऐसी आवाज जब

लड़की को मजा मिलता है तब भी मुँह से निकलती है… आह आह आह।

असल में तुमने कभी ब्लू-फ़िल्म तो देखी नहीं होगी सो तुमको कुछ पता नहीं

है। वैसे मैंने कमरा बन्द नहीं किया हुआ था, तुम चाहती तो आ जाती देखने।

रीता अब खड़े होकर बदन तौलिए से पोंछते हुए बोली- जैसे माँ तो मुझे जाने

ही देती… देखते नहीं हैं जब आप लोग बात करते हैं तो कैसे मुझे किसी

बहाने वहाँ से हटाने की कोशिश करती हैं। अभी इतना बात कर पा रही हूँ

क्योंकि वो अभी 2-3 घन्टे नहीं आएगी, मंदिर से बाजार भी जाएगीं।

कल मैंने उसको नहाते समय जब देखा तो चूची और काँख के बाल ही देख

पाया था और बुर पर कैसे बाल होंगे सोचता रह गया था। आज मुझे भी मौका

मिल रहा था कि उसकी बुर पर निकले ताजे बालों को देखूँ।

मैंने अब उसको एक औफ़र दिया- रीता तुम मेरा एक बात मानो तो मैं तुमको

अभी सब दिखा सकता हूँ, रागिनी है न… उसको अभी तुम्हारे सामने चोद

दूँगा, फ़िर तुम सब देख समझ लेना कि कैसे तुम्हारी दीदी को मैंने औरत

बनाया था।

रीता की आँख में अनोखी चमक दिखी- क्या बात है बोलिए, जरूर मानूँगी।

मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना

बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना

चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी,

फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- अगर तुम मेरे सामने अपनी पैन्टी भी खोल कर अपना

बदन पोंछो… तो ! असल में मैं तुम्हारी बुर पर निकले बालों को देखना

चाहता हूँ, कभी तुम्हारे जैसी लड़की की बुर नहीं देखी है न आज तक !

मैंने सब साफ़ कह दिया। वो राजी हो गई और अपना पैन्ट नीचे सरका दी,

फ़िर झुक कर उसको अपने पैरों से निकाल दिया।

बिन्दा की सबसे छोटी बेटी रीता की नंगी बुर मेरे सामने चमक उठी, वो मेरे

सामने खड़ी थी, 5 फ़ीट लम्बी दुबली-पतली, गोरी-चिट्टी, गोल चेहरा, काली

आँखें… चेहरे से वो सुन्दर थी, पर उसका अधखिला बदन… आह अनोखा

था। एकदम साफ़ गोरा बदन, छाती पर ऊभार ले रही गोलाइयाँ, जो अभी नींबू

से कुछ ही बड़ी हुई होगीं, जिसमें से ज्यादातर हिस्सा भूरा-गुलाबी था और

जिसके बीच में एक किशमिश के दाने बराबर निप्पल जिसको चाटा जा

सकता था, पर चूसने में मेहनत करनी पड़ती। अंदर की तरफ़ हल्के से दबा

हुआ पेट, जिसके बीच में एक गोल गहरी नाभि… और मेरी नजर अब उसके

और नीचे फ़िसली।

दो पतली-पतली गोरी कसी हुई टाँगें और उसकी जाँघों की मिलन-स्थली का

क्या कहना, मेरी नजर वहाँ जाकर अटक गई। थोड़ी फूली हुई थी वह जगह,

जैसे एक डबल-रोटी हो जिसको किसी पेन्सिल से सीधा चीरा लगा दिया गया

हो। चाकू नहीं कह रहा क्योंकि रीता की डबल रोटी इतनी टाईट थी कि तब

शायद चीरा भी ठीक से न दिखता। इसीलिए पेन्सिल कह रहा हूँ क्योंकि

उसकी उस फूली हुई डबल-रोटी में चीरा दिख रहा था, लम्बा सा, करीब 4

ईंच का तो मुझे सामने खड़े हो कर दिख रहा था।

मेरी पारखी नजरों ने भाँप लिया कि इसमें करीब दो ईंच का छेद होगा, वो

दरवाजा जो हर मर्द को स्वर्ग की सैर पर ले जाता है। उस चीरे से ठीक सटे

ऊपर की तरफ़ काले बालों का एक गुच्छा सा बन रहा था। औसतन करीब

आधा ईंच के बाल रहे होंगे, सब के सब एक दूसरे से सटे बहुत घने रूप से

बहुत ही कम क्षेत्र में, फ़ैलाव तो जैसे था ही नहीं। अगर नाप बताऊँ तो 1 ईंच

चौड़ाई और करीब 3 ईंच लम्बाई में हीं उगी थी अभी उसकी झाँटें। इसके बाद

के इलाके में जो बाल था उसको मैं झाँटें भी नहीं कहूँगा… बस रोएँ थे जो

भविष्य में झाँट बनने वाले थे।

मैंने बोला- एक बार जरा अपने हाथ से अपनी बुर को खोलो न जरा सी।

उसने तुरन्त अपने दोनों हाथों से अपनी बुर के फूले हुई होंठों को फ़ैला दिया।

मैं भीतर का गुलाबी भाग देख कर मस्त हो गया।

तभी उसने अपने कपड़ा उठा लिए- अब चलिए न, दिखा दीजिए जल्दी से

रागिनी दीदी का… कहीं माँ आ गई तो बस…

मेरा लण्ड वैसे भी गनगनाया हुआ था, सो मैंने रागिनी को पुकारा-

रागिनी…!!

हम लोगों के लिए नाश्ते की तैयारी कर रही थी वो, चौके में से ही पूछा- क्या

चाहिए…?

मैंने कह दिया- तेरी चूत…आओ जल्दी से।

रागिनी अब मुस्कुराते हुए आई- आपका मन अभी भरा नहीं? अभी तो रीना

को चोदा है।

मैंने मक्खनबाजी की- अरे रीना तो भविष्य की रन्डी है जबकि तू ओरिजनल

है… सो जो बात तुझमें है, वो और किसी में नहीं (मैंने जो बात तुझमें है तेरी

तस्वीर में नहीं… गाने के राग में कहा)

रागिनी हँस पड़ी- अरे अभी नाश्ता-पानी कीजिए, दस बज रहे हैं।

मैं अब असल बात बताया- असल बात यह है रागिनी कि रीता का मन है कि

वो एक बार चुदाई देखे और बिन्दा के घर पर रहते तो यह संभव है नहीं तो…

अब रागिनी बिदकी- हट… वो अभी छोटी है, कमसिन है… यह सब दिखा

कर उसको क्यों बिगाड़ रहे हैं आप?

और रागिनी अब रीता पर भड़की, रीता का मुँह बन गया।

मैंने तब बात संभाली- रागिनी, प्लीज मान जाओ… मेरा भी यही मन है।

बेचारी अब ऐसी भी बच्ची थोड़े ना है, और फ़िर अब जिस माहौल में रह रही

है… यह सब तो जानना ही होगा उसको।

रागिनी शांत हो कर बोली- ठीक है… उम्र हो गई है इसकी पर रीता अभी

उस हिसाब से छोटी दिखती है।

मैं फ़िर से रीता की तरफ़दारी में बोला- पर रागिनी तुमको भी पता है रीता से

कम उम्र की लड़की को भी लोग चोदते हैं, यहाँ तो बेचारी को मैं सिर्फ़ दिखा

रहा हूँ, अगर अभी मैं उसको चोद लूँ तो…? एक बात तो पक्की है कि वो

अब तुम्हारे उम्र के होने तक कुँवारी नहीं बचेगी। बिन्दा खुद ही उसको चुदाने

भेज देगी, जब रीना की कमाई समझ में आएगी। उसके पास तो दो और बेटी

है। वैसे अब बहस छोड़ो मेरी बच्ची… मेरा भी मन है कि मैं उसको चुदाई

करके दिखाऊँ। तुम मेरी यह बात नहीं मानोगी मेरी बच्ची…

मेरा स्वर जरा भावुक हो गया था।

रागिनी तुरन्त मेरे से लिपट गई- आप ऐसा क्यों कहते हैं अंकल, मुझे याद है

कि आपने मुझे पहली बार कितना इज्जत दी थी और मैंने वादा किया था कि

आपके लिए सब करुँगी।

फ़िर वो रीता को बोली- आ जाओ, कमरे में चलते हैं।

कमरे में पहुँचते ही मैंने रागिनी को बांहों में समेट कर चूमना शुरु किया और

वो भी मुझे चूम रही थी। मैंने रागिनी को याद कराया कि उन सबको गए

काफ़ी समय बीत गया है तो जल्दी-जल्दी कर लेते हैं, तो वो हटी और अपने

कपड़े उतारने लगी। मैंने अपना तौलिया खोला। मैंने रीता को भी पूरी तरह

नंगी होने को कहा।

वो बोली- क्यों?

मैंने कहा- चुदाई देखते समय दूसरे को भी नंगा रहना चाहिए।

बेचारी रीता ने अपने बदन पर के एकलौते वस्त्र पैन्टी को उतार दिया और

नंगी खडी हो गई। रागिनी ने रीता को दिखा कर मेरा लण्ड अपने हाथ में

लिया और चूसने लगी। रीता सब देख रही थी।

मैंने रीता को बताया- ऐसे जब लण्ड को चूसा जाता है तो वो कड़ा हो जाता है,

जिससे कि लड़की की चूत में उसको घुसाने में आसानी होती है।

इसके बाद मैंने रागिनी को लिटाकर उसकी क्लिट को सहलाया और फ़िर

मसलने लगा, रागिनी पर मस्ती छाने लगी।

मैंने रीता को बताया- ऐसे करने से लड़की को मजा आता है, तुम अपने से भी

यह कर सकती हो, जब मन करे।

फ़िर मैंने रागिनी की चूत में अपनी उंगली घुसा कर उसको बताया कि लड़की

कैसे सही तरीके से हस्तमैथुन कर सकती है।मैंने देखा कि रीता की चूत से

पानी निकल रहा है यानि इसे मज़ा आ रहा है। इसके बाद मैंने रागिनी की चूत

में अपना लण्ड पेल दिया।

रागिनी के मुँह से एक आह निकली तो मैंने कहा- इसी ‘आह आह’ को न तुम

बोल रही थी कि दीदी रो क्यों रही थी… देख लो जब कोई लड़की चुदती है तो

उसके मुँह से आह-आह और भी कुछ कुछ आवाज निकलने लगती हैं, जब

उनको चुदाई का मजा मिलता है। तुम्हारे मुँह से भी अपने आप निकलेगा जब

तुम्हें चोदूँगा।

यह कहने के बाद मैंने ने जोरदार धक्कमपेल शुरु कर दिया। हच-हच

फ़च-फ़च की आवाज होने लगी थी और मैं अपने लण्ड को एक पिस्टन की

तरह रागिनी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था।

रीता पास में खड़ी होकर सब देखती रही और फ़िर रागिनी की चूत के भीतर

ही मैं झड़ गया… रागिनी भी अब शान्त हो गई थी।

मैं उठा और रीता से पूछा- अब सीख समझ गई सब?

उसके ‘जी कहने पर मैंने कहा- फ़िर चलो अब मुझे गुरु दक्षिणा दो…

रीता मुस्कुराते हुई पूछे- कैसे…?

मैंने मुस्कुरा कर कहा- मेरे लण्ड को चाट कर साफ़ कर दो, बस… यह

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और घोर आश्चर्य… रीता खुशी-खुशी झुकी और मेरे लण्ड को चाटने लगी।

रागिनी सब देख रही थी पर चुप थी। मैंने रीता के मुँह में अपना लण्ड घुसा

दिया और फ़िर उसका सर पीछे से पकड़ कर उसकी मुँह में लण्ड

अंदर-बाहर करने लगा। एक तरह से अब मैं उस लड़की का मुँह चोद रहा था

और रीता भी आराम से अपना मुँह मरा रही थी।

तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई। सब लोग आ गए थे।

रीता तुरन्त अपनी पैन्टी लेकर रसोई में भाग गई फ़िर वहाँ से आवाज दी-

खोल रही हूँ…रूको जरा।

मैं दो कदम में नल पर पहुँच गया एक तौलिया को लपेट कर। रागिनी कपड़े

पहनने लगी। दरवाजा खुला तो सब सामान्य था। मैं नाश्ते के बाद घूमने

निकल गया। मैंने रागिनी और रीता को साथ ले लिया क्योंकि रूबी और रीना

पहले ही दो घन्टे के करीब चल कर थक गए थे।

उस दिन मैंने तय किया कि अब एक बार रीना को सबके सामने चोदा जाए,

और फ़िर इस जुगाड़ में मैंने रागिनी और रीता को भी अपने साथ मिला लिया।

रागिनी ने मुझे इसमें सहयोग का वचन दिया।

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा- बिन्दा, अभी खाने के

बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदूँगा, अभी जाने में दो दिन है

तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर

जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली- हाँ अंकल, उसकी गाण्ड भी तो मारनी है आपको, क्या पता

पहला कस्टमर ही गाण्ड का शौकीन मिल गया तो…!

घर लौटने के बाद मैंने दोपहर के खाने के समय कहा- बिन्दा, अभी खाने के

बाद दो घन्टे आराम करके रीना को फ़िर से चोदूँगा, अभी जाने में दो दिन है

तो इस में 4-5 बार रीना को चोद कर उसको फ़िट कर देना है ताकि शहर

जाकर समय न बेकार हो, और वो जल्दी से जल्दी कमाई कर सके।

रागिनी भी बोली- हाँ अंकल, उसकी गाण्ड भी तो मारनी है आपको, क्या पता

पहला कस्टमर ही गाण्ड का शौकीन मिल गया तो…!

बिन्दा चुप थी और थोड़ा परेशान भी कि वहाँ उसकी दोनों छोटियाँ भी थीं।

रीता अब बोली- दीदी, अब तो तुम्हारे मजे रहेंगे, खूब पैसा मिलेगा तुम्हें।

अब पहली बार रूबी कुछ प्रभावित हो कर बोली- वाह… 5 दिन काम का

महीने का 1 लाख… यह तो बेजोड़ काम है… है न माँ…!

मैंने कहा- हाँ पर उसके लिए मर्द को खुश करने आना चाहिए, तभी इसके

बाद टिप भी मिलेगा। यही सब तो रीना को अभी सीखना है शहर जाने से

पहले।

बिन्दा चुपचाप वहाँ से ऊठ गई, मैं उसके जाते-जाते उसको सुना दिया- आज

जब दोपहर में तुम्हारी दीदी चुदेगी, तब तुम भी रहना साथ में सीखना…

साल-दो साल बाद तो तुमको भी जाना ही है, पैसा कमाने।

दोपहर करीब 3 बजे मैंने रीना को अपने कमरे में पुकारा, रागिनी और रीता

मेरे साथ थीं, दो बार आवाज देने के बाद रीना आ गई, तो मैंने रूबी को

पुकारा- रूबी आ जाओ देख लो सब, अभी शुरु नहीं हुआ है जल्दी आओ…

और कहते हुए मैंने रीना के कपड़े उतारने शुरु कर दिए। जब रूबी रूम में

घुसी उस समय मैं रीना की पैन्टी उसकी जाँघों से नीचे सरका रहा था। रूबी

पहली बार ऐसे यह सब देख रही थी, वो भौंचक्की रह गई। रीना ने नजर नीचे

कर लीं, तब रागिनी ने रूबी को अपने पास बिठा लिया और मुझसे बोली-

अंकल, आज इसकी एक बार गाण्ड मार दीजिए न पहले, अगर दर्द होगा भी

तो बाद में जब उसको आगे से चोदिएगा तो उस मजे में सब भूल जाएगी।

मुझे उसका यह आईडिया पसन्द आया। उसको इस तरह के दर्द और मजे

का पूरा अनुभव था। सो मैंने जब रीना को झुकाया तो वो बिदक गई, कि वो

अपने पिछवाड़े में नहीं घुसवाएगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम

पर पढ़ रहे हैं !

मैंने और रागिनी ने उसको बहुत समझाया पर वो नहीं मानी तो रागिनी बोली-

ठीक है, तुम देखो कि मैं कैसे गाण्ड मरवाती हूँ अंकल से, इसके बाद तुम भी

मराना। अगर शहर में रंडी बनना है तो यह सब तो रोज का काम होगा

तुम्हारा। कहते हुए वो फ़टाक से नंगी हो कर झुक गई। मैंने उसकी गाण्ड के

छेद पर थूका और फ़िर अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को खोलने लगा।

थूक और मेरे प्रयास ने उसकी गाण्ड को जल्दी ही ढीला कर दिया। फिर एक

बार भरपूर थूक को अपने लण्ड पर लगा कर मैंने अपने टनटनाए हुए लण्ड

को उसकी गाण्ड में दबा दिया। रागिनी तो एक्स्पर्ट थी, सो जल्द ही उसने

अपनी मांसपेशियों को ढीला करते हुए मेरा पूरा लण्ड 8″ अपनी गाण्ड के

भीतर घुसवा लिया।

रूबी रीना और रीता का मुँह यह सब देख कर आश्चर्य से खुला हुआ था। मैंने

8-10 धक्के ही दिए थे कि रागिनी ने एक झटके से अपनी गाण्ड को आजाद

कर लिया और फ़िर रीना को पकड़ कर कहा कि अब आओ और गाण्ड

मरवाओ।

रीना भी सकुचाते हुए झुक गई और एक बार फ़िर मैं थूक के साथ उसकी

गाण्ड में उंगली घुमाने लगा। रागिनी भी कभी उसकी चूत सहलाती तो कभी

अपने चूत से निकल रहे पानी से, तो कभी अपने थूक से, उसकी गाण्ड को

तर करने में लग गई थी। जब मुझे लगा कि अब रीना की गाण्ड को मेरे उंगली

की आदत पड़ गई है, तो मैं ने उसकी गाण्ड में अपनी एक दूसरी उंगली भी

घुसा दी। उसको दर्द तो हुआ था, पर रीना ने बर्दाश्त कर लिया। इसके बाद

उसकी रजामन्दी से मैं ऊपर उठा और अपने लण्ड को उसकी गाण्ड के

गुलाबी छेद पर टिका कर दबाना शुरु किया।

रागिनी लगातार उसकी चूत में उंगली कर रही थी, ताकि मजे के चक्कर में

उसको दर्द का पता न चले और मैं उसकी कमर को अपने अनुभवी हाथों में

जकड़ कर उसकी कुँवारी गाण्ड का उद्घाटन करने में लगा हुआ था। जल्द

ही मैं उसकी गाण्ड मार रहा था।

अब मैंने रूबी और रीता को देखा, दोनों अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से अपनी

दीदी की गाण्ड मराई देख रही थीं। करीब 7-8 मिनट के बाद मैं उसकी

गाण्ड में ही झड़ गया और जब लण्ड बाहर निकला तो उसकी गाण्ड से सफ़ेद

माल उसकी चूत की तरफ़ बह चला, तभी बिना समय गवाँए, मैंने अपना लण्ड

उसकी चूत में ठाँस दिया। लण्ड अपने साथ मेरा सफ़ेद माल भी भीतर लेकर

चला गया।

रूबी अब बोली- अरे ऐसे तो दीदी को बच्चा हो जाएगा…

मैंने जोश में भरकर कहा- होने दो… होने दो… होने दो ! और हर ‘होने दो’

के साथ हुम्म करते हुए अपना लण्ड जोर से भीतर पेल देता। बेचारी की अब

चुदाई शुरु थी, जबकि वो चक्कर में थी कि गाण्ड मरवा कर आराम करेगी।

वो थक कर कराह उठी… पर लड़की को चोदते हुए अगर दया दिखाई गई

तो वो कभी ऐसे न चुदेगी, यह बात मुझे पता थी। सो मैं अब उसके बदन को

मसल कर ऐसे चोद रहा था जैसे मैं उसके बदन से अपना सारा पैसा वसूल

कर रहा होऊँ।

रीना कराह रही थी… और मैं उसकी कराह की आवाज के साथ ताल मिला

कर उसकी चूत पेल रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत के भीतर ही दूसरी बार

झड़ गया। इसके बाद मैं भी थक कर निढाल हो एक तरह लेट गया। रागिनी

झुक कर मेरे लण्ड को चूस चाट कर साफ़ करने लगी।

मैंने उस रात रीना को अपने पास ही सुलाया और रात मे एक बार फ़िर चोदा,

पर इस बार प्यार से और इस बार उसको मजा भी खूब आया। वो इस बार

पहली बार मुझे लगा कि उसने सहयोग किया और ठीक से बेझिझक चुदी।

जब सुबह हुई तो हम दोनों सब पहले से जाग गए थे। रीना कमरे से बाहर

जाने लगी तो मैंने उसको पास खींच लिया और चूमने लगा।

वो बोली- ओह अब सुबह में ऐसे नहीं, कैसा गंदा महक रहा है बदन…

पसीना से।

मैंने कहा- अब मर्द के बदन की गन्ध की आदत डालो, बाजार में सब नहा धो

कर नहीं आएँगे चोदने तुम्हें… और तुम भी तो महक रही हो, पर मुझे तो बुरा

नहीं लग रहा…! मैं तो अभी तुम्हारी चूत भी चाटूँगा और गाण्ड भी।

फ़िर उसके देखते देखते मैं उसकी चूत चूसने चाटने लगा और वो भी गर्म होने

लगी। जल्द ही उसकी ‘आह-आह’ कमरे में गूंजने लगी और शायद आवाज

बाहर भी गई, क्योंकि तभी बिन्दा बोली- उठ गई तो बेटी, तो जल्दी से नहा धो

लो और तैयार हो जाओ आज बाजार जा कर सब जरूरत का सामान ले

आओ, कल तुमको रागिनी के साथ शहर जाना है, याद है ना !

रीना बोली- हाँ माँ, पर अब ये मुझे छोड़े तब ना… इतने गन्दे हैं कि मेरा बदन

चाट रहे हैं।

मैंने जोर से कहा- बदन नहीं बिन्दा, तेरी बेटी की चूत चाट रहा हूँ… तुम चाय

बनवा कर यहीं दे दो… तब तक मैं एक बार इसको चोद लूँ जल्दी से। यह

कह कर मैंने रीना को सीधा लिटा कर उसके घुटने मोड़ कर जाँघों को खोल

दिया और अपना लण्ड भीतर गाड़ कर उसकी चुदाई शुरु कर दी।

‘आह्ह आह्ह्ह’ का बाजार गर्म था और जैसे ही मैं उसकी चूत में ही झड़ा…

घोर आश्चर्य… बिन्दा खुद चाय लेकर आ गई।

बिन्दा यह देख कर मुस्कुराई… तो मैंने अपना लण्ड पूरा बाहर खींच

लिया… ‘पक्क’ की आवाज हुई और रीना की चूत से मेरा सफ़ेदा बह

निकला।

बिन्दा यह देख कर बोली- अरे इस तरह इसके भीतर निकालिएगा तब तो यह

बर्बाद हो जाएगी। वो जल्दी-जल्दी अपने साड़ी के आँचल से उसकी चूत साफ़

करने लगी। रीना भी उठ बैठी तो बिन्दा ने उसकी चूत की फ़ाँक को खोल कर

पोंछी।

मैं बिना कुछ बोले बाहर निकल गया हाथ में चाय लेकर, और थोड़ी देर में

रीना और बिन्दा भी आ गई। फ़िर हम लोग सब जल्दी-जल्दे तैयार हुए। आज

बिन्दा ने अपने हाथ से सारा खाना बनाना तय किया और रीना और रागिनी

को मेरे साथ बाजार जाकर सामान सब खरीद देने को कहा।

हमें अगले दिन वहाँ से निकलना था और मैंने तय किया कि आज की रात को

रीना की चुदाई जरा पहले से शुरु कर दूँगा, क्योंकि आज मैं उसको वियाग्रा

खाकर सबके सामने चोदने वाला था। अब जबकि बिन्दा सुबह अपनी बेटी

की चूत से मेरे सफ़ेदा को साफ़ कर ही चुकी थी, तो मैं पक्का था कि आज के

शो में वो एक दर्शक जरूर बनेगी।

मैंने बाजार में ही रीना को इसका इशारा कर दिया था कि आज की रात मैं

उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदूँगा।
मैंने बाजार में ही रीना को इसका इशारा कर दिया था कि आज की रात मैं

उसको रंडियों को जैसे चोदा जाता है वैसे चोदूँगा।

मैंने उससे कहा- रीना बेटी, आज की रात तुम्हारी स्पेशल है। आज मैं तुम्हें

सब के सामने एक रंडी को जैसे हम मर्द चोदते हैं वैसे चोदूँगा। अभी तक मैं

तुम्हें अपनी बेटी की तरह से चोद रहा था और तुम्हें भी मजा मिले इसका

ख्याल रख रहा था, पर आज की रात मैं तुम्हारे मजे की बात भूल कर केवल

एक मर्द बन कर एक जवान लड़की के बदन को भोगूंगा तो तुम इस बात के

लिए तैयार रहना। शहर में लोगों को तुम्हारे खुशी का ख्याल नहीं रहेगा। उन्हें

तो सिर्फ़ तुम्हारे बदन से अपना पैसा वसूल करना रहेगा।

करीब 2 बजे हम लोग घर आए और फ़िर खाना खा कर आराम करने लगे।

रीना अपनी माँ और बहनों के पास थी और रागिनी मेरे पास। हम दोनों अब

आगे की बात पर विचार कर रहे थे।

मैंने कहा- अब अगले एक सप्ताह तक मुझे काम से छुट्टी नहीं मिलेगी सो

आज रात मैं अपना कोटा पूरा कर लूँगा।

तब रागिनी बोली- हाँ, और नहीं तो क्या…! अब वहाँ जाने के बाद सूरी तो

रीना की लगातार बुकिंग कर देगा, जब उसको पता चलेगा कि यह शहर

सिर्फ़ कॉल-गर्ल बनने आई है। एक तरह से ठीक ही है, आज रात में रीना को

जरा जम कर चोद दीजिए कि उसको सब पता चल जाए कि वहाँ हम लोग

क्या-क्या झेलते हैं अपने बदन पर।

मैंने आज शाम की चाय के समय ही सब को कह दिया कि आज रात में मैं

रीना को बिल्कुल जैसे एक रंडी को कस्टमर चोदता है, वैसे से चोदूँगा और

आप सब वहाँ देखिएगा और रागिनी मेरे रूम में रीना को वैसे ही लाएगी, जैसे

रीना को दलाल लोग मर्दों की रुम तक छोड़ कर आएँगे।

सबसे पहले सबसे छोटी बहन रीता की मुँह से निकला- वाह… मजा आएगा

आज तो !

फ़िर मैंने बिन्दा को कहा- अपनी बेटी की पहली दुकानदारी के समय वहाँ

रहोगी तो उसका हौसला रहेगा… अगर साथ में घर वाले हों तो लड़की पूरे

आत्मविश्वास से चुदेगी।

उसके चेहरे से लगा कि अब वो भी अपना सिद्धान्त वगैरह भूल कर, ‘जो हो

रहा है अच्छा हो रहा है’ समझ कर सब स्वीकार करने लगी है। उन सब के

आश्वस्त चेहरों के देख मैं मन ही मन खुश हुआ। आजकल मेरी चाँदी है, अब

एक बार फ़िर मैं एक माँ के सामने उसकी बेटी को चोदने वाला था और ऐसी

चुदाई के बारे में सोच-सोच कर ही लण्ड पलटी खाने लगा था।

मैंने करीब 8 बजे खाना खाया हल्का सा और रीना को भी हल्का खाना खाने

को कहा। फ़िर करीब 9 बजे मैंने वियाग्रा की एक गोली खा ली, रागिनी मुझे

वियाग्रा खाते देख मुस्कुराई। वो समझ गई थी कि आज कम से कम 7-8 घन्टे

का शो मैं जरुर दिखाने वाला हूँ उसकी मौसी और मौसेरी बहनों को।

करीब पौने दस बजे मैंने रीना को आवाज लगाई जो अपनी बहनों के साथ

अपना सामान पैक कर रही थी। जल्द ही जब सब समेट कर वो आई तो मैंने

उसी को जाकर सब को बुला लाने को कहा और फ़िर खुद सब के लिए नीचे

जमीन पर ही दरी बिछाने लगा। कमरे में एक तरफ़ मैंने बेड को बिछा दिया

था। करीब दस मिनट में सब आ गए, सबसे बिस्तर से लगे दरी पर बैठ गए

तब रागिनी अपने साथ रीना को लाई।

रागिनी एकदम सूरी के अंदाज में बोली- लीजिए सर जी, एकदम नया माल है।

आपके लिए ही इसको बुलाया है सर जी, पहाड़न की बेटी है… खूब मजा

देगी। रात भर चोदिएगा तब भी सुबह कड़क ही मिलेगी। अभी तो इसकी

चूचियाँ भी नहीं खिली हैं देखिए कैसी कसक रही है !

कह कर उसने रीना की बायीं चूची को जोर से दबा दिया।

वहाँ बैठी सभी लोग रागिनी की ऐसी भाषा सुन कर सन्न थे और मैं उसकी

अदाकारी का फ़ैन हो रहा था। फ़िर उसने रीना को मेरी तरफ़ ठेल दिया,

जिसे मैंने बिना देर किए अपनी तरफ़ खींचा। वियाग्रा खाए करीब एक घन्टा

हो गया था, सो मेरा लण्ड लगभग टनटनाया हुआ था।

बिना देर किए मैंने रीना के बदन से कपड़े उतारने शुरु कर दिए। पहले

दुपट्टा, फ़िर कुर्ती इसके बाद सलवार। रीना को ऐसी उम्मीद न थी सो मेरी

फ़ुर्ती पर वो हैरान थी और बिना देर किए मैंने उसकी पैन्टी नीचे सरका दी

और जब तक वो समझे मैंने उस पैन्टी को उसके टाँगों से निकाल दिया और

एक धक्के के साथ उसे नीचे बिछे बिछावन पर लिटा दिया। उसकी दोनों टाँगों

को घुटने के पास से पकड़कर खोल दिया और फ़िर उसकी चूत में अपना

टनटनाया हुआ लण्ड घुसा कर चोदने लगा।

बेचारी सही से गीली भी नहीं हुई थी और उसको मेरे लण्ड पर लगे मेरे थूक

के सहारे ही अपनी चूत मरानी पड़ी, सो वो कराह उठी। पर लौन्डिया नई-नई

जवान हुई थी सो 5-6 धक्के के बाद ही गीली होने लगी और मेरा लण्ड अब

खुश होकर मस्ती करने लगा।

रीना की माँ और उसकी दोनों बहनें वहीं बैठ कर सब देख रही थीं। करीब

10 मिनट तक लगातार कभी धीरे तो कभी जोर से मैं उसको चोदा और फ़िर

उसकी चूत में झड़ गया। किसी को इसका अंदाजा न था, पर जब मैंने अपना

लण्ड बाहर खींचा तो रीना की चूत में से मेरा सफ़ेद माल बह चला।

मैंने बिना देरी किए रीना के मुँह में अपना लण्ड घुसा दिया जो इशारा था

उसके लिए, जिसको समझ कर वो मेरे लण्ड को चूस-चाट कर साफ़ किया तो

मैंने उसको पलट दिया और फ़िर उसकी गाण्ड मारने लगा। उस दिन

लगातार चार बार मैं झड़ा, दो बार उसकी चूत में और एक-एक बार उसकी

गाण्ड और मुँह में। इसके बाद मैंने पानी माँगा। बेचारी रीना थक कर चूर थी

और वो मुँह से न बोल कर इशारे से अपने लिए भी पानी माँगा।

बिन्दा हमारे लिए पानी लेने चली गई तो मैंने इशारा किया और रीता मेरे पास

आकर मेरे लण्ड को चूसने लगी। बिन्दा जब पानी लेकर आई तो यह देख सन्न

रह गई कि उसकी सबसे लाड़ली और छोटी बेटी अपने से 21-22 साल बड़े

एक मर्द का लण्ड चूस रही है, वो भी उस मर्द का जो उसकी माँ के साथ

अभी-अभी उसके सामने उसकी बड़ी बहन को चोदा चुका था।

उसने गुस्से से भर कर रीता को मेरे ऊपर से हटाया, तो रागिनी मेरे सामने

बैठ कर लण्ड चूसने लगी और जैसे ही बिन्दा ने एक थप्पड़ रीता को लगाया,

वो रुँआसी हो कर बोल पड़ी- ये सब देख कर मन अजीब हो गया, तो मैं क्या

करूँ, तुम तो अंकल से चुदा लीं और दीदी को भी चुदा दिया और मुझे जो मन

में हो रहा है उसका क्या? एक बार अंकल का छू लिया तो कौन सा पाप कर

दिया, कुछ समय के बाद मुझे भी तो ऐसे ही चुदाना होगा तो आज क्यों नहीं?

अब रीना को तो मैं अगले दौर के लिए खींच लिया था और रागिनी उन माँ-बेटी

में सुलह कराने के ख्याल से बोली- रीता, अभी तुम छोटी हो, अभी कुछ और

बड़ी हो जाओ फ़िर तो यह सब जिन्दगी भी करना ही है। अभी से उतावली

होगी तो तुम्हारा सामान समय से पहले ही ढीला हो जाएगा, फ़िर किसी को

मजा नहीं आएगा, न तुमको और न ही जो तुमको चोदेगा उसको। अभी तो

तुम्हारी ठीक से झाँट भी नहीं निकली है।

मैंने कहा- देख बिंदा, आज मैंने वियाग्रा खाई है। मेरा लंड अभी शांत नहीं

होगा। आपकी रीना तो अभी ही पस्त हो गई है। अब मैं किसे चोदूँ?

बिंदा ने कहा- आप मुझे चोद लीजिये।

मैंने कहा- आजा, कपड़े उतार कर आकर नीचे लेट जा।

बिंदा ने सिर्फ साड़ी पहन रखी थी। उसने झट अपनी साड़ी उतारी। साड़ी के

नीचे उसने ना ब्रा पहनी थी ना ही पैन्टी। वो रागिनी और अपनी सभी बेटियों के

सामने नंगी होकर मेरे लंड को चूसने लगी। रीना ने लेटे-लेटे ही अपनी चूत में

अपनी उंगली डाल कर अपनी माँ को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी। अब

मैंने देर करना उचित नहीं समझा। मैंने बिंदा को पटक कर जमीन पर

लिटाया और उसकी टांगों को मोड़ कर अलग कर उसके बुर को फैलाया और

अपना विशाल लंड उसके चूत में ‘घचाक’ से डाल दिया। कई मर्दों से चुदा

चुकी बिंदा को भी मेरे इस मोटे लंड का अहसास नहीं था। वो दर्द के मारे

बिलबिला गई। लेकिन वो मेरे झटके को सह गई। अब मैं उसकी चूत को

पेलना चालू कर दिया। उसकी बेटियाँ अपनी माँ की चुदाई काफी मन से देख

रही थी। करीब 15 मिनट की चुदाई में बिंदा ने 3 बार पानी छोड़ा। लेकिन मेरे

लंड से 15 वें मिनट पर माल निकला जो उसकी चूत में ही समा गया। अब

बिंदा भी पस्त हो कर जमीन पर लेट गई थी।

लेकिन मैं पस्त नहीं हुआ था। अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी।

मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट

गई।

लेकिन मैंने कहा- रागिनी तेरी गांड मारनी है मेरे को।

अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी। मैंने सिर्फ उसे इशारा किया

और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गई।
लेकिन मैंने कहा- रागिनी तेरी गाण्ड मारनी है मेरे को।
रागिनी मुस्कुराई और खड़ी हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गई। मैंने

उसकी कई बार गाण्ड मारी थी। इसलिए मेरे लंड को उसके गाण्ड के अन्दर

जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। तक़रीबन 200 बार उसके गाण्ड में लंड को

आगे-पीछे करता रहा। लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराती रही। बिंदा और उसकी

बेटियाँ मुझे रागिनी की गाण्ड मारते हुए देख रही थीं।
मैंने कहा- देखा बिंदा, इसे कहते हैं गाण्ड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?
रूबी ने कहा- रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गाण्ड मरवाती हैं, तो दर्द क्या

होगा?
मैं रागिनी की गाण्ड मारते हुए हंसने लगा, रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से

कहा- आजा, तू भी गाण्ड मरवा के देख ले अंकल से। तुझे भी दर्द नहीं होगा।
रूबी ने कहा- ना बाबा ना। मैं तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज ! गाण्ड

नहीं !
यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गई। मैंने कहा- खोल दे अपने कपड़े, आज

तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ। क्यों बिंदा क्या कहती हो?
बिंदा ने कहा- जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है तो रूबी

तो उस से बड़ी ही है। उसकी तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये। लेकिन प्यार से।

रूबी, अपने कपड़े उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा।
माँ की अनुमति मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया।

अन्दर उसने सिर्फ पैन्टी पहन रखी थी जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। सीने

पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे। रूबी पैन्टी पहने हुए ही

अपनी माँ के बगल में लेट गई।
बिंदा ने उसकी पैन्टी को सहलाते हुए कहा- क्यों री, तेरी चूत से इतना पानी

निकल रहा है?
रागिनी ने अपनी गाण्ड मरवाते हुए कहा- पानी क्यों नहीं निकलेगा मौसी?

इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़

देगी, यह तो अभी नई और जवान है।
जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गई। बिंदा ने रूबी की पैन्टी खोल दी

और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी।
बिंदा बोली- क्यों री रूबी, यह चूत तूने कब शेव की? दो दिन पहले तक तो

बाल थे तेरी चूत पर।
रूबी- उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना, तब तू अंकल से कह रही

थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं, तभी मैं सजग हो गई थी और मैंने उसी

रात को चूत की शेव की थी। मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए

चुदाने का?
बिंदा- अच्छा किया कि तूने चूत की शेव कर ली। नहीं तो तेरे अंकल का लंड

इतना मोटा है कि चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दु:खता है। अच्छा, मैं

जो मोटा वाला मोमबत्ता खरीद कर लाई थी वो आजकल इसमें डालती हो कि

नहीं?
रूबी- क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला। अब तो

पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ।
बिंदा- पूरा घुसा लेती हो?
रूबी- नहीं, आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ।
बिंदा- अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा

लो।
मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था। मैंने

झटपट रागिनी की गाण्ड मारी और अपना माल उसकी गाण्ड में गिराया। अब

मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। मैंने रागिनी के गाण्ड में से

अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया। रागिनी भी नंगी ही मेरे

बगल में लेट गई।
अब बिंदा, उसकी दो बेटियाँ रूबी और रीना, रागिनी और मैं सभी एक साथ

जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे। अब मुझे रूबी की चूत का भी सील

तोड़ना था।
मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया। उसका होंठ मेरे

होंठ के ऊपर थे। मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और

उसका होंठ का रस चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ के रस को चूसने लगी।

उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे।
मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी। वो मेरे मोटे लंड को

अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी। उसकी माँ और बहन उसके

बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी। थोड़ी देर में मैंने उसके

होंठों को अपने होंठ से आजाद किया। उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया

और उसकी माध्यम आकार की चूचियों से खेलने लगा। रूबी को काफी मज़ा

आ रहा था।
बिंदा- अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है।
मैंने भी अब देर करना उचित नहीं समझा, मैंने कहा- क्यों री रूबी, डाल दूँ

अपना लंड तेरी चूत में?
रूबी- हाँ, डाल दो।
मैंने- रोएगी तो नहीं ना?
रूबी- पहाड़न की बेटी हूँ। रोऊँगी क्यों?
मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया। उसकी एक टांग को उसकी

माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने। मैंने अपने लंड को उसकी

चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश की, लेकिन रूबी की

चूत का छेद छोटा था और मेरा लंड मोटा। फलस्वरूप उसकी चूत पर

चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया।
बिंदा यह देख कर हंसी और बोली- अरे भाई संभल कर, पहली बार चूत में

लंड घुसवा रही है, रुक जाइये। मैं डलवाती हूँ।
उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक

हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सैट किया। फिर मेरा लंड

को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये, बोली- हाँ, अब सही है,

अब धीरे-धीरे घुसाओ।
मैंने अपना लंड काफी धीरे-धीरे रूबी की चूत में उतारना शुरू किया। उसकी

चूत काफी गीली थी। इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड

को घुस जाने दिया। करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया

था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी।
बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ, बोली- क्यों री, पहले ही चुदवा चुकी है क्या किसी

से?
रूबी- नहीं माँ, इस लंड के इतना मोटा बैंगन तो मैं रोज डालती हूँ ना !
मैंने कहा- आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी। अभी टैस्ट कर लेता हूँ।
मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया।
रूबी चीख पड़ी- उई अम्ममाआआ मर गईई ई !!
उसकी चूत की झिल्ली फट गई। उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया।

खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं

चोदा था।
मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया। उस दुबली-पतली रूबी पर मैं पहाड़

की तरह चढ़ उसे चोद रहा था। लेकिन वो अपनी बड़ी बहन से ज्यादा

सहनशील थी। उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी

भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया। फिर मैंने

उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई कि उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी

के बदन को सहलाती रही तथा ढांढस बंधाती रही।
10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिगनल दिया तो मैंने झट

से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को उठा कर उसके मुँह में

अपना लंड डाल दिया। वो समझ गई कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है।

वो मेरे लंड को चूसने लगी। मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया। रूबी

सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गई और मेरे लंड को चूस-चूस कर

साफ़ कर दिया।
अब मैंने फिर एक-एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा। रात दो बज

गए थे। अंत में हम सभी थक गए। सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल

देखते-देखते वहीं सो गई। बिंदा की गाण्ड मारने के बाद मैं थक चुका था।

हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए। लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद

खुली। मेरा लंड कोई चूस रही थी। मैं लगभग नींद में था। अँधेरे में पता ही

नहीं था कि उन चार नंगी औरतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी। मेरा लंड

खड़ा हो चुका था। वो कौन थी मुझे पता नहीं था। मैंने नींद में ही और अँधेरे में

ही उसकी जम के चुदाई की।
इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी। ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत

में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढ़ी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया

और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया।
फिर मैं उसे भी चोदने लगा। तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरी दोनों तरफ से

दो और महिला भी मेरे से सट गई हैं और मेरी चुदाई का आनन्द उठा रही हैं,

यानि मैं इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था। कोई मेरे होंठों को चूम रही थी

तो कोई मेरे आण्डों को चूस रही थी। कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा

रही थी।
ये प्रकरण सुबह होने तक चलता रहा। जब थोड़ा-थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने

देखा कि मुझसे बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं। मेरा लंड इस वक़्त बिंदा

की भोसड़ी में था। बगल में रागिनी बेसुध सोई पड़ी थी। मैंने अभी भी इन तीनों

के साथ चुदाई करना चालू रखा। सुबह के नौ बज चुके थे और तीनो

माँ-बेटियाँ मुझे अभी तक नहीं छोड़ रही थीं।
ठीक नौ बजे सबसे छोटी रीता जग गई। उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी

और बिंदा मेरी पीठ पर चढ़ी हुई थी। उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही

थी। जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नहीं निकला सिर्फ एक

बूंद पानी की तरह निकला। इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ। मजाक है क्या

एक रात में 24-25 बार माल निकालना?
उसके बाद तो मैं उन सबको अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह

आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा। शायद तब उन तीनों को समय और

अपनी परिस्थिति का ज्ञान हुआ। वे तीनों कपड़े पहन बाहर आईं।
रागिनी को भी जगाया। हमारी आज की बस छूट चुकी थी। रागिनी बेहद

अफ़सोस कर रही थी। लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी

आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा- मौसी, इन्हें क्या हुआ?
बिंदा- रात भर हम लोगों ने इससे चुदवाया। अभी अभी इस को हमने छोड़ा।
रागिनी- माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा और

तुम पहाड़नियों माँ-बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया। हा हा

हा हा… खैर… इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो। कोई आ

गया तो मुसीबत हो जाएगी।
उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गई। मैं दिन भर नंगा

ही पड़ा रहा। शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया।
हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें

जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात

को पूरी रात मेरा सामूहिक बलात्कार करती थीं। जब बिंदा और रूबी का मन

पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की

अनुमति दी। रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी। शहर आते ही उसने

रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया। छः महीने में ही उसने कार और

फ़्लैट खरीद कर बिंदा, रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया। बिंदा और

रूबी भी इस धंधे में कूद पड़ी।
मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गई। अब

ये तीनों इस धंधे में काफी कमा रही हैं।
हाँ, सबसे छोटी रीता को इस दलदल से दूर रखा है और उसे शहर से दूर

बोर्डिंग स्कूल में पढ़़ाया जा रहा है।