Thursday 3 December 2015

Maa aur Mausi

हाय दोस्तो, मेरा नाम रीमी हैं। मै एक पंजाबी कुडी हूं। मै अपनी पहली सच्ची घटना लेकर आपके सामने हाजीर हूं। मेरे घर पर मेरी मां (सौतेली) और मेरे पापा रहते हैं मेरी मां का देहांत हो चुका था जब मैं पांचवी क्क्षा में पढती थी मेरे पापा ने दूसरी शादी की थी और मेरी दूसरी मां की कोई भी संतान नही हुई। मैं उनको ही मां कहकर बुलाती थी। मां एक हाउस वाइफ हैं और पापा की कपडो की दुकान हैं। मेरे पापा अक्सर दिल्ली आया जाया करते थे। दोस्तो ये तो रहा मेरा परिचय -- अब मैं अपने असली मुददे पर आती हूं।


एक दिन पापा को किसी रिस्तेदीर के यहां शादी मे जालन्धर जाना पडा। इसी बीच मेरी मां ने (मेरी दूसरी मां के चाचा की लडकी ) मौसी को बुला लिया। ये बात तब की हैं जब मैं दसवीं क्क्षा की छात्रा थीं और मेरे एग्जाम्स चल रहे थे। एक दिन जब मैं पेपर देकर घर लौटी तो मैने दरवाजा खुला पाया, खैर ये कोई नई बात नही थी क्योकी मां अक्सर दीन में सो जाया करती थी ताकी मैं जब स्कुल से आऊं तो उनको डीस्टर्ब ना हो। उस दिन भी दरवाजा खुला ही था। मै रोज की तरह दरवाजा बन्द कीया और बाथरुम की तरफ फ्रेश होने के लिए जाने लगी। मैने सोचा की मां और मौसी दोनो सो गयी होंगी मै खाना खाकर थोड़ा आराम करुगी। जब मैं बाथरुम को जाने लगी जो मां के कमरे के बगल में ही था तो मैने मां के कमरे से कुछ आवाज सुनी। मैने सोचा की मां और मौसी तो दोनो सो रही होंगी तो ये आवाज कैसी? ये देखने के लिए मैने रोसनदान से देखा तो दोस्तो मैं देखकर हक्का बक्का रह गयी।

मैने देखा की मेरी मां बिल्कुल नंगी हैं और मौसी उनकी चूत चाट रही हैं। पहले मुझे तो कुछ अजीब लगा मैने सोचा की पापा को आने दो सारी बात बताउगी। मैं यही सोच कर फिर निचे हो गयी। और दीवार से ही कान लगाकर सुनने की कोशिश करने लगी मैने महसुस कीया की मां की आवाज तेज होती जा रही थी और वो कह रही थी और जोर से कर....और जोर से कर.... मुझसे रहा नही गया मैने फिर से देखा तो मौसी मां की चुत में दो ऊगलीं डालकर जोर जोर से चोद रही थी और मां अपनी दोनो टांगो को फैलाकर अपनी चूचीयों को दबा रही थी और आह..उह..आह..उह..आह..उह.. की आवाजे निकाल रही थी... फिर वो दोनो उलटा लेट गयी फिर मौसी मां की चुत और मां मौसी की चुत चाटने लगीं। और दोनो एक दूसरे की चूत में उगली भी कर रही थीं। मुझे भी मजा आने लगा दोनो के मुंह से ऐसी आवाजे सुनकर। फिर मेरी मां ने तकीये के निचे से मुली निकालकर मौसी की चूत पर रखकर अचानक जोर का घक्का देकर सारी की सारी मुली मौसी की चुत में घुसेड डाली मौसी एकदम से जोर से चिल्लाई तो मां ने उनकी कमर पकड़ ली और फिर जोर जोर से सारी मुली उनकी चूत में तेजी से आगे पिछे करने लगी। मौसी मुली के हर धक्के पर चिल्ला देती और अपना सिर उपर उठा देती थी। ये ही काम होता रहा और मां और मौसी दोनो ने चिल्लाकर जोर से आवाज करते हुए अपने-अपने चुत का सारा पानी निकाल दीया मां ने मौसी की चूत को चाटकर साफ किया और मौसी ने मां की चूत का सारा पानी पी लीया और दोनो फिर से एक दुसरे को किस करने लगी। फिर मां एकदम से अलग होकर बोली हरप्रीत (मौसी का नाम) चल अब जल्दी से कपड़े पहन ले नही तो रीमी आ जायेगी फिर दोनो मौसी जल्दी से ऊठी तो अचानक उन्होने अपना सिर उठाया मैं तुरन्त वहां से हट गई। और दिवार के सहारे कान लगा दिया मुझे लगा कि शायद मौसी ने मुझे देख लिया हैं। फिर मैने सुनने की कोशीश की तो कुछ सुनाई नही दीया पर इतना पता लगा की मां और मौसी दोनो में कुछ फुसर फुसर हो रही थी वो दोनो आपस में कुछ बात कर रहीं थी। फिर मै बाथरुम में चली गयी और मां बाहर आयी और बोली रीमी तू कब आयी मैने बोला बस अभी आयी थोड़ी सी देर हो गयी आज तो मां ने कहा चल ठीक है मै भी तेरा ही इन्तजार कर रही थी चल अब जल्दी से फ्रेश हो जा मै खाना लगा रही हूं आज सब साथ में ही खाना खायेंगे।

हम सब ने खाना खाया और फिर शाम हुई और फिर रात सब कुछ नार्मल ही रहा फिर मां बोली रीमी तुम सो जाओ मैं और हरप्रीत एक ही कमरे में सो जायेंगे। मैने मन मे ही कहा की हा चुदाई जो करनी हैं। फिर दोनो एक कमरे में चली गयी मेंरे आखों से निंद कोसो दूर थी मैं फिर से मां और मौसी की चुदाई देखना चाहती थी सो मैने थोड़ा इन्तजार करने के बाद फिर से उनके कमरे की तरफ जाने लगी और मैने कमरे मे कुछ आवाजे सुनी मैं फिर से देखने की कोशीश करने लगी। मैंने जैसे ही रोशनदान से कमरे मैं झाका तो मैने देखा की कमरे मे सिर्फ मां ही हैं और वो अकेले ही आवाजे निकाल रही हैं और सारे कपड़े भी पहने हुए है और चेयर पर बैठी हैं। मुझे कुछ समझ नही आया की माजरा क्या हैं और मां आवाजे निकाले जा रही थी मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था मौसी भी कमरे में नही थी। मै ये सब देख कर काफी परेशान थी और सोच रही थी की मां को क्या हो गया हैं ये ऐसे क्यो कर रही हैं इससे आगे मै कुछ और समझ पाती की तभी तुरन्त मेरे पिछे से मौसी की आवाज आयी रीमी........... मै डर गयी और तुरन्त मां भी कमरे से बाहर आ गयीं ... और मौसी ने मां से कहा देखा दीदी मैने कहा था ना की रीमी ने सबकुछ देख लिया है और फिर देखने की कोशीश कर रही हैं। मै रोने लगी तभी मां ने मुझे धमकाते हुए कहा रीमी देख तुने जो भी देखा है कीसी को बताना मत नही तो अन्जाम बहुत बुरा होगा। मै डर रही थी मैने कहा ठीक है मां मै किसी को नही बताऊगीं। जा अब जाकर अपने कमरे मे सो जा। मै चली गयी। और मै समझ गयी की ये मौसी की चाल थी मुझे पकड़ने के लिए।

मै अपने कमरे मे सोने के लिए आ गयी मां और मौसी कुछ देर बाद मेरे कमरे में आईं और मुझे समझाने लगी।
मां - देख रीमी मुझे सब पता है की तुने सब कुछ देख लिया हैं तु कीसी के कुछ मत कहना
मौसी - देख रीमी सायद तुने कभी ये खेल नही खेला इसलिए तुने जो कुछ भी देखा तुझे अजीब लग रहा होगा। इस खेल में बहुत मजा आता है चाहे तो तु भी खेल सकती है हमारे साथ।

फिर दोनो मुस्कुराने लगीं मैने कहा मौसी मैं आप दोनो से बहुत छोटी हूं मुझसे ऐसी बात मत करो मैं नही खेलना चाहती ये खेल, तभी मां ने कहा देख रीमी शादी के बाद सब खेलते है तूझे भी खेलना पड़ेगा। इतने मे मौसी ने मेरे गाल पर हाथ फेरा और प्यार से बोली रीमी क्या तू अपनी मौसी की बात नही मानेगी तू मेरी अच्छी बच्ची है ना। मौसी को ना नही कहते चल आजा थोड़े देर की तो बात है यकीन मान तुझे बहुत मजा आयेगा देख अब ना न कहना मेरी बच्ची। मेरी मां ने फिर मुझे धमकाया तो मै डर कर हां कर दी। फिर क्या था दोनो के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गया दोनो खुश हो गयीं। फिर तुरन्त मौसी मुझे किस करने लगी और मां मेरी चुचीयों को दबाने लगी कुछ देर बाद मैं भी उनका साथ देने लगी। मौका पाकर मौसी ने मेरी स्कर्ट उपर कर दी और मेरी चुत को टटोलने लगी। और बोली रीमी तेरी चूत तो बहुत प्यारी हैं। मेरे लिए ऐसी बात सुनकर मुझे मजा आने लगा। फिर मां ने मेरा टीशर्ट और मौसी ने मेरा स्कर्ट उतारकर मुझे नंगा कर दीया मै शरमा गयी। तो मां ने कहा अब सरमा मत और चुदाई का मजा ले। फिर दोनो भी नंगी हो गयी और एक दुसरे को किस करने लगी। मौसी बोली रीमी तू पहले देख की क्या करते है हम दोनो फिर हम तेरे साथ भी करेगे। फिर मौसी ने मां की चूत चाटना शुरु कर दीया और मां मौसी की चुत में ऊगली कर रही थी दोनो मजे ले रहीं थी और मैं ये सब देख रही थी। ऐसा देखकर मेरी चूत का भी बुरा हाल हो रहा था मेरी चूत भी पानी छोड़ रही थी मेरा हाल बुरा देखकर मां बोली हरप्रीत रीमी की चुत देख बिलकुल लाल हो गयी है लगता है पानी छोड़ रही है। फिर दोनो मेरी चुत की तरफ देखने लगी और दोनो एक दुसरे की चुत में जोर जोर से ऊगली करने लगी। वो दोनो मेरी चुत को ऐसे देख रही थी मानो की कोई कई दीनो का भूखा कुत्ता किसी मांस के टुकड़े को देख रहा हों। फिर दोनो ने एक साथ पानी छोड़ा और एक दूसरे की चुत को चाट कर साफ किया।

अब मेरी बारी थी। दोनो मेरे ऊपर टूट पड़ी। मेरी मां बोली देख तो इसके चुत तो साली एकदम लाल हैं और इसपर एक भा बाल नहीं हैं। मौसी बोली लगता है इसने आज ही साफ भी किया हैं चुदने के लिये बिलकुल तैयार है। दीदी आज इसकी चूत का मै तो भोसड़ा बना दूगीं। मेरे लिए उन दोनो के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मैं डर गयी। तभी मौसी ने मेरी चुत को पकड़कर जोर से खीचा मेरे मुंह से एक दर्द भरी चीख नीकल गयी। इस पर मां ने मेरे चूचीयों को जोर से दबाकर मुझे किस करने लगीं। मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं रोने लगी मैने बोला मौसी मुझे दर्द हो रहा है मत करो ऐसे करोगी तो मै मर जाऊगीं। इतना सुनकर मां ने कहा तुझे कुछ नही होगा तेरी मां है न यहां पर। मौसी मेरी चुत को जोर जोर से चाटने लगी और बोली रीमी तेरी चुत का रस तो बहुत ही लाजवाब है मन तो करता है की पुरा का पुरा चबा जाऊं। और जोर से मेरी कुआंरी चुत में अपनी उगलीं डाल दीया। इधर मां मेरी चुचीयो का बुरा हाल कर रही थी और मौसी मेरा चुत को फाड़ने मे लगी हुई थी। मै रोने लगी इस पर मां ने कहा हरप्रीत इस साली के दोनो हाथो को बांध दे नही तो साली हाथ चलायेगी तो चुत का भोसड़ा कैसे बनेगा। मौसी ने मेरे ही दुपट्टे से मेरा हाथ बांध दीया और किचन की ओर चली गयी। मां मेरा चुत चाटने लगी मैने देखा जब मौसी किचन से वापिस आयी तो उनके हाथ में एक बहुत ही मोटा खीरा था। दीदी अब हम ये खीरा इस रांड की चुत में डालेंगे ताकी इसे भी पता चले की असली चुदाई क्या होती है साली बहुत छुप-छुप के देख रही थी। मां ने कहा हा सारा का सारा खीरा इस रंडी की चुत में धुसेड़ दे साली की चुत आज फाड़ दे। मै बोलने लगी मौसी रहम करो मै अभी बच्ची हूं मेरी फट जायेगी मै मर जाउगी। पर मेरी बातो का दोनो पर कोई असर नही हुआ। दोनो मेरा रोना देख कर हसं रही थी। मौसी ने खीरे पर डेर सारा सरसो का तेल लगा दिया और मेरी चुत पर रखकर आगे पीछे करने लगी। मै डर के मारे सांस रोके पड़ी थी तभी मौसी ने मां को कुछ इशारा किया और मां अपनी टांग उठाकर मेरी मुंह पर बैठ गयी और बोली ले रन्डी मेरी चाट मेरी चुत को और उन्होने अपनी चुत को मेरी मुहं मे भर दीया जिससे की मेरी आवाज बाहर ना निकल पाये। और तुरन्त मौसी ने मेरी चुत में वो सारा का सारा खीरा घुसा दिया। मै मारे दर्द के बिलबिला उठी। मेरी आखो से आंसु निकलने लगे। और मां अपनी चुत को लगातार मेरे मुहं पर दबाये जा रही थी। फिर मौसी ने खिरा बाहर निकाल लिया। मै बेहोश हो गयी। मेरी चुत से खुन निकल रहा था दोनो ने मुझे बेहोश देखकर फ्रिज से ठंड़ा पानी लाकर मेरे मुहं पर डाला मै होश मे आ गयी फिर मां ने बोला साली बेहोश हो जायेगी तो चुदाई का मजा कौन लेगा। फिर मौसी ने तुरन्त मेरी खुन से भरे चुत में खिरा पेल दिया और जोर जोर से धक्के लगाने लगी। काफी धक्को के बाद उन्होने खिरा मेरे चुत से निकाला और बोला दीदी अब अपना काम करो। फिर मां मेरे मुंह से हटी मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ। फिर दोनो ने मुझे किस कीया दोनो मेरे अगल बगल बैठकर एक दुसरे की चुत में ऊंगली करने लगीं। मां बोली मेरा पानी आने वाला है मैं क्या करुं। मौसी ने कहा डाल दो साली के मुंह में मां तुरन्त मैरे मुंह के ऊपर आयी और मेंरे मुहं में अपना सारा रस डाल दिया। फिर मौसी की बारी थी उसने भी ऐसा ही कीया फिर दोनो खडी हो गयी। मैने कहा अब तो खोल दो मां मेरा पुरा शरीर दर्द कर रहा है मै मर जाऊंगी तभी मौसी ने कहा ऐसे कैसे खोल दे अभी तो तुझे अपनी मां और मौरी का नमकीन पानी भी पिना है। मै कुछ समझ नही पायी की अब क्या होगा। तभी मौसी मेरे मुंह के दोनो तरफ टांगे फैलाकर खड़ी हो गयी और अपनी चुत मैं ऊंगली करने लगी और एक जोर की चीख के साथ मेरे मुंह में ही मुतने लगी। अपना सारा का सारा मुत मेरे मुहं में डाल दीया और साइड हो गयी फिर मां ने भी ऐसा ही किया।

फिर इतना सब होने के बाद उन दोनो ने मेरे हाथ खोले और मुझे बैठाया फिर मुझे बाथरुम में ले गयीं और नहलाया। फिर मौसी मेरे लिए गर्म दुध लायी और मां ने मेरी चुत पर दवा लगाई। फिर से जब मेरा दर्द कम हुआ तो दुसरे दिन से मेरी चुत फिर से खिरा लेने को तैयार थी। दूसरे दिन मेरे पापा वापस आ गये और हम तीनो को देखकर काफी खुश हुए। कुछ दिन रहने के बाद मौसी अपने घर चली गईं। अभी भी मैं और मेरी मां आपस में चुदाई का मजा लेते है। और कभी मजेदार चुदाई करनी होती है तो मौसी को भी बुला लेते है।

Widow Bhabhi

मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने ॠतु को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।
ॠतु ने लाली से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।
वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। लाली की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।
मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की लाली तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।
मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।

मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।
वो चुप चाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।
वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।
वो मुस्कराते हुये चली गई।
मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। लाली ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने ॠतु को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।
वो बोली- अभी आती हूँ।
ॠतु मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।
ॠतु समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।
उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।लाली मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद ॠतु जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।
ॠतु ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।
10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो ॠतु ने कहा- लाली के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।
मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।
उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने लाली को पुकारा।
लाली आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?
मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।
उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- ॠतु कहाँ है?
वो बोली- फ़्रेश होने गई है।
मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।
वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी ॠतु आ गई। उसने पूछा- लाली का सामान ले आये?
मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।
मैं टीवी देखने लगा। ॠतु लाली के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज लाली बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।
ॠतु ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।
मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। ॠतु ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। लाली देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने ॠतु को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि लाली आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।
15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने ॠतु की चूत को चाटना शुरु कर दिया। लाली ने मुझे ॠतु की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। ॠतु की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड ॠतु के मुँह के पास कर दिया तो ॠतु ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।
तभी लाली ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?
ॠतु ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।
सुबह मैं नहाने गया तो मैंने लाली को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।
वो बोली- अभी लाई, जीजू।
वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।
मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज लाली ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो ॠतु ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। लाली इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।
रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने लाली को पुकारा। लाली आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?
मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी ॠतु आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।
मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।
लाली बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।
मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?
वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।
अगले 2 दिनों में मैंने लाली से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब लाली खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।
मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।
वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?
मैंने ॠतु को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?
मैंने कहा- मैं लाली से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।
ॠतु ने कहा- मैं तो कहूँगी कि लाली तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।
मैंने लाली से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।
लाली ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।
ॠतु चली गई। लाली ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।
मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।
उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।
मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने ॠतु को पुकारा, ॠतु, जरा तेल तो लगा दो।
लाली मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?
मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।
लाली मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। लाली ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे लाली के मुँह पर जाकर गिरने लगी।
लाली शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।
मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।
वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।
लाली बाथरूम में चली गई। ॠतु किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। ॠतु ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।
नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं लाली के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और ॠतु को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।
ॠतु ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।
रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने लाली से मजाक किया, क्यों लाली, मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।
वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।
मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?
वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।
वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?
मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन लाली बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।
लाली ने ॠतु से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?
ॠतु ने कहा- हाँ लाली, तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।
लाली बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।
ॠतु ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।
लाली बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।
ॠतु ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।
वो बोली- हाँ, देखा तो है।
ॠतु बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।
वो बोली- बाद में करवा लूंगी।
ॠतु ने कहा- आज क्यों नहीं।
वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।
ॠतु ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।
वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।
ॠतु ने मुझसे कहा- तुम लाली के बगल में आ जाओ।
मैं लाली के बगल में आ गया। लाली ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। लाली उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।
वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर तक सहलाने के बाद लाली उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
ॠतु ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों लाली, कैसा लग रहा है?
वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।
ॠतु ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- बहुत दर्द होगा।
ॠतु ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।
उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।
लाली मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो बोली- बहुत अच्छा।
लाली अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।
मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।
वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।
मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।
वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।
मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?
वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।
उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।
इतना कह कर लाली खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। ॠतु मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। लाली बेड पर लेट गई तो मैं लाली के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।
मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही लाली जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।
लाली की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो ॠतु ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।
वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।
ॠतु उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।
मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2" तक घुस चुका था। जब लाली चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।
मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।
थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।
मैंने लाली की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4" से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। लाली इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो ॠतु ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?
ॠतु ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।
वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।
ॠतु ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।
लाली जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। ॠतु ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।
वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।
ॠतु ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।
मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद लाली झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। लाली पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो लाली केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही लाली फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7" अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। ॠतु ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने लाली से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।
ॠतु ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।
लाली ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।
ॠतु ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो लाली भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर लाली से पूछा- चाटोगी?
उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।
ॠतु ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।
वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।
उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
ॠतु ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?
वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।
ॠतु ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।
ॠतु ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।
मैं लाली के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने लाली को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। लाली इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।
मैं लाली के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद ॠतु ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?
मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और लाली होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।
ॠतु बोली- फिर मारो ना।
लाली बोली- जीजू क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?
वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।
ॠतु घोड़ी बन गई तो मैंने ॠतु की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। लाली आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को ॠतु की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार लाली की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। ॠतु सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। लाली ॠतु को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने लाली से पूछा- कैसा लग रहा है।
वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।
मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?
वो बोली- फिर से दर्द होगा।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।
वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।
ॠतु ने कहा- लाली, पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।
मैंने लगभग 45 मिनट तक ॠतु की गाण्ड मारी और झड़ गया।
मैंने कई दिनों तक लाली को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं लाली की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार लाली के सामने ॠतु की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।
वो बोली- होने दो।
मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने ॠतु की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।
वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।
मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।
वो बोली- हाँ, देखा है।
मैंने कहा- मैंने ॠतु को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं ॠतु की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।
वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।
मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।
वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।
मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।
वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।
मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।
वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।
ॠतु मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।
ॠतु ने लाली से कहा- चल आंगन में। मैं ॠतु और लाली के साथ आंगन में आ गया। ॠतु कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने लाली से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।
वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने लाली के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।
वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।
मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।
उसके बाद मैंने लाली के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।
मैंने ॠतु से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।
ॠतु ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने ॠतु के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और लाली के पीछे आ गया। मैंने लाली की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। लाली दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2" तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।
मैंने दूसरा धक्का लगाया तो लाली के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4" अन्दर घुस गया। लाली की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5" तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड लाली की गाण्ड से बाहर आ गया। लाली के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।
मैंने ॠतु को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।
ॠतु बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।
मैंने लाली की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5" तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7" तक अन्दर घुस गया। लाली का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं लाली की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
ॠतु आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।
मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड लाली की गाण्ड में समा गया।
पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ लाली की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। लाली के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। लाली के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने लाली से पूछा- मुह खोल दूं।
उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।
मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।
मैंने लाली का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।
मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।
वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।
मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।
वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।
मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?
वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।
मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- तो मारो ना।
मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।
मैंने लाली की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। लाली को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड लाली की गाण्ड से बाहर निकाला और लाली को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।
वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।
मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- कमरे में मार लेना।
मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।
वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।
मैंने ॠतु से कहा- खोल दो लाली को।
ॠतु ने लाली के हाथ पैर खोल दिये। लाली बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। ॠतु उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। लाली ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर ॠतु उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो लाली बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से लाली की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।
धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। लाली मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी लाली की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर लाली को देखा तो लाली उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे लाली के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो ॠतु के गावँ की रहने वाली है।
उसने मुझसे कहा कि वो लाली से शादी करना चहता है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं लाली से पूछ लूं फिर बता दूंगा।
रात में जब मैं घर आया तो मैंने लाली से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।
उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।
मैंने पूछा- वो क्या?
वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।
वो बोली- फिर ठीक है।
मैंने लाली के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद लाली की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। लाली हर रविवार के दिन ॠतु से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।
एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो लाली घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।
मैंने लाली से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?
वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।
मैंने कहा- तू क्या कह रही है?
वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।
मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।
लाली बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4" का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।
मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।
उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।
तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने लाली से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।
लाली बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।
मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?
लाली बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।
मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।
लाली मुस्कुराने लगी।
मैंने लाली और ॠतु से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।
लाली और ॠतु उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद लाली मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।
मैं समझ गया कि लाली क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।
मैं लाली के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे लाली की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद लाली और ॠतु उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।
दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने लाली से अपने मन की बात बता दी। लाली के भैया आये तो लाली ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।
15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो लाली और ॠतु उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल ॠतु और लाली को ही चोदता हूँ। ॠतु भी अब मां बनने वाली है।

Usha ki kahani

उषा अपने मा-बाप की एकलौती लड़की है और दिल्ली में रहती है। उषा के पिताजी मर चुके थे। जीवन शर्मा दिल्ली में ही एल आई सी में ऑफ़िसर थे और चार साल पहले स्वर्गवासी हो गये थे और उषा कि माता जी, श्रीमति रजनी एक हाऊस वाईफ़ है। उषा के और दो भाई भी है और उनकी शादी भी हो गई है। उषा ने पिछले साल ही ए में (इंगलिश) में पास किया है। उषा का रंग बहुत ही गोरा है और उसका फ़िगर 36-25-38 है। वो जब चलती है तो उसके कमार एक अजीब सी बल खाती है और चलते समय उसके चूतड़ बहुत हिलते है। उसके हिलते हुए चूतड़ को देख कर पड़ोस के कई नौजवान, और बूढे आदमियों का दिल मचल जाता है और उनके लण्ड खड़े हो जाते है। पड़ोस के कई लड़कों ने काफ़ी कोशिश की लेकिन उषा उनके हाथ नही आई। उषा अपनी पढाई और युनिवरसिटी के संगी साथी में ही व्यस्त रहती थी। थोड़े दिनो के बाद उषा कि शादी उसी शहर के रहने वाले एक पुलीस ऑफ़िसर से तय हो गई।
उस लड़के के नाम रमेश था और उसके पिताजी का नाम गोविन्द था और सब उनको गोविन्दजी कहकर बुलाते थे। गोविन्द जी अपनी जवानी के दिनो में और अपनी शादी के बाद भी हर औरत को अपनी नज़र से चोदते थे और जब कभी मौका मिलता था तो उनको अपनी लौड़े से भी चोदते थे। गोविन्द जी कि पत्नी का नाम स्नेहलता है और वो एक लेखिका है। अब तब गिरिजा जी ने करीब 8-10 किताबे लिख चुकी है। गोविन्द जी बहुत चोदू है और अब तक वो अपने घर में कई लड़कियों और औरतों को चोद चुके थे और अब जब कि उनकी काफ़ी उमार हो गई थी मौका पाते ही कोई ना कोई औरत को पटा कर अपना बिस्तर गरम कराते थे। गोविंदजी का लण्ड की लम्बाई करीब साढे आठ इन्च लम्बा और मोटाई करीब साढे तीन इन्च है और वो जब कोई औरत की चूत में अपना लण्ड डालते थे तो 25-30 मिनट के पहले वो झड़ते नही है। इसलिये जो औरत उनसे अपनी चूत चुदवा लेती है फिर दोबारा मौका पाते ही उनका लण्ड अपनी चूत में पिलवा लेती है।

आज उषा का सुहागरात है। परसों ही उसकी शादी रमेश के साथ हुई थी। उषा इस समय अपने कमरे में सज धज कर बैठी अपनी पति का इन्तज़ार कर रही है। उसकि पति कैसे उसके साथ पेश आयेगा, ये सोच सोच कर उषा का दिल जोर जोर से धड़क रहा है। सुहागरात में क्या क्या होता है, यह उसको उसकी भाभी और सहेलियों ने सब बाता दिया था। उषा को मालूम है कि आज रात को उसके पति कमरे में आ कर उसको चूमेगा, उसकि चूंचियों को दबायेगा, मसलेगा और फिर उसके कपड़ों को उतार कर उसको नंगी करेगा। फिर खुद अपने कपड़े उतर कर नंगा हो जायेगा। इसके बाद, उसका पति अपने खड़े लण्ड से उसकी चूत की चटनी बनते हुए उसको चोदेगा।
वैसे तो उषा को चुदवाने का तजुरबा शादी के पहले से ही है। उषा अपने कॉलेज के दिनो में अपने क्लासके कई लड़कों का लण्ड अपने चूत में उतरवा चुकी है। एक लड़के ने तो उषा को उसकी सहली के घर ले जा कर सहेली के सामने ही चोदा था और फिर सहेली कि गाण्ड भी मारी थी। एक बार तो उषा अपने एक सहेली के घर पर शादी में गई हुई थी। वहां उस सहली के भाई, सुरेश, ने उसको अकेले में छेड़ दिया था और उषा की चूंची दबा दिया। उषा ने तो सिर्फ़ मुसकुरा दिया था। फिर सहली के भाई ने आगे बढ कर उषा को पकड़ लिया और चूम लिया। तब उषा ने भी बढ कर सहेली के भाई को चूम लिया। तब सुरेश ने उषा के ब्लाऊज के अन्दर हाथ डाल उसकी चूंची मसलने लगा और उषा भी गरम हो कर अपनी चूंची मसलवाने लगी और एक हाथ से उसके पेण्ट के ऊपर से उसके लण्ड पर रख दिया। तब सुरेश ने उषा को पकड़ कर छत पर ले गया। छत पर कोई नही था, क्योंकि सारे घर के लोग नीचे शादी में व्यस्त थे। छत पर जा कर सुरेश ने उषा को छत कि दीवार के सहारे खड़े कर दिया और उषा से लिपट गया। सुरेश एक हाथ से उषा कि चूंची दबा रहा था और दूसरा हाथ साड़ी के अन्दर डाल कर उसकी बुर को सहला रहा था। थोड़ी देर में ही उषा गरमा गई और उसके मुंह से तरह तरह कि आवाज निकलने लगी। फिर जब सुरेश ने उषा कि साड़ी उतरना चाहा तो उषा ने मना कर दिया और बोली, “नही सुरेश हमको एकदम से नंगी मत करो। तुम मेरी साड़ी उठा कर, पीछे से अपना गधे जैसा लण्ड मेरी चूत में पेल कर मुझे चोद दो।” लेकिन सुरेश ना माना और उसने उषा को पूरी तरह नंगी करके उसको छत के मुंडेर से खड़े करके उसके पीछे जा कर अपना लण्ड उसकी चूत में पेल कर उसको खूब रगड़ रगड़ कर चोदा। चोदते समय सुरेश अपने हाथो से उषा कि चूंचियों को भी मसल रहा था। उषा अपनी चूत कि चुदाई का बहुत मजा ले रही थी और सुरेश के हर धक्के के साथ साथ अपनी कमार हिला हिला कर सुरेश का लण्ड अपनी चूत में खा रही थी। थोड़ी देर के बाद सुरेश उषा कि चूत चोदते चोदते झड़ गया। सुरेश के झड़ते ही उषा ने अपनी चूत से सुरेश का लण्ड निकल दिया और खुद सुरेश के सामने बैठ कर उसका लण्ड अपने मुंह में ले कर चाट चाट कर साफ़ कर दिया। थोड़ी देर के बाद उषा और सुरेश दोनो छत से नीचे आ गये।
आज उषा अपनी सुहागरात कि सेज पर अपनी कई बार की चुदी हुई चूत लेकर अपने पति के लिये बैठी थी। उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था क्योंकि उषा को डर था कि कहीं उसके पति को यह ना पता चल जाये कि उषा पहले ही चुदाई का आनन्द ले चुकी है। थोड़ी देर के बाद कमरे का दरवाजा खुला। उषा ने अपनी आंख तिरछी करके देखा कि उसके ससुरजी, गोविन्द जी, कमरे में आये हुए है। उषा का माथा ठनका, कि सुहागरात के दिन ससुरजी को क्या काम आ गया है।
खैर उषा चुपचप अपने आप को सिकोड़े हुये बैठी रही। थोड़ी देर के बाद गोविन्द जी सुहाग कि सेज के पास आये और उषा के तरफ़ देख कर बोला,”बेटी मैं जानता हूं कि तुम अपने पति के लिये इनतजार कर रही हो। आज के सब लड़के अपने पति का इनतजार कराती है। इस दिन के लिये सब लड़कियों का बहुत दिनो से इनतजार रहता है। लेकिन तुम्हारा पति, रमेश, आज तुमसे सुहागरात मनाने नही आ पायेगा। अभी अभी थाने से फोन आया था और वोह अपनी यूनिफ़ार्म पहन कर थाने चला गया। जाते जाते, रमेश यह कह गया कि शहर के कई भाग में डकैती पड़ी है और वोह उसकी छानबीन करने जा रहा है। लेकिन बेटी तू बिलकुल चिन्ता मत करना। मैं तेरी सुहागरात खाली नही जाने दूंगा।” उषा अपने ससुरजी की बात सुन तो लिया पर अपने ससुर कि बात उसके दिमाग में नही घुसी, और उषा अपना चेहरा उठा कर अपने ससुर को देखाने लगी। गोविन्द जी ने आगे बढ कर उषा को पलंग पर से उठा लिया और जमीन पर खड़े कर दिया। तब गोविन्द जी मुसकुरा कर उषा से बोले, “घबाराना नही, मैं तुम्हारा सुहागरात बेकार जाने नही दूंगा, कोई बात नही, रमेश नही तो क्या हुआ मैं तो हूं।” इतना कह कर गोविन्द जी आगे बढ कर उषा को अपने बाहों में भर कर उसकि होठों पर चूम्मा दे दिया।
जैसे ही गोविन्द जी ने उषा के होठों पर चूम्मा दिया, उषा चौंक गई और अपने ससुरजी से बोली, “यह आप क्या कर रहे है। मैं तो आपके बेटे कि पत्नी हूं और उस लिहाज से मैं आप कि बेटी लगती हूं और आप मुझको चूम रहे है?” गोविन्द जी ने तब उषा से कह, “पागल लड़की, अरे मैं तो तुम्हारी सुहागरात बेकार ना जाये इसालीये तुमको चूमा। अरे लड़कियां जब शादी के पहले जब शिव लिंग पर पानी चढाते है तब वो क्या मांगती है? वो मांगती है कि शादी के बाद उसका पति उसको सुहागरात में खूब रगड़े। समझी? उषा ने अपना चेहरा नीचे करके पूछा, “मैं तो सब समझ गई, लेकिन सुहागरात और रगड़ने वाली बात नही समझी।” गोविन्द जी मुसकुरा कर बोले, “अरे बेटी इसमे ना समझने कि क्या बात है? तू क्या नही जानती कि सुहागरात में पति और पत्नी क्या क्या करते है? क्या तुझे यह नही मालूम कि सुहागरात में पति अपने पत्नी को कैसे रगड़ता है?” उषा अपनी सिर को नीचे रखती हुइ बोली, “हां, मालूम तो है कि पहली रात को पति और पत्नी क्या क्या करते और करवाते हैं। लेकिन, आप ऐसा क्यों कह रहे है?” तब गोविन्द जी ने आगे बढ कर उषा को अपनी बांहो में भर लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोले, “अरे बहू, तेरा सुहागरात खाली ना जाये, इसालीये मैं तेरे साथ वो सब काम करुंगा जो एक आदमी और औरत सुहागरात में कराते हैं।”
उषा अपनी ससुर के मुंह से उनकी बात सुन कर शर्मा गई और अपने हाथों से अपना चेहरा ढंक लिया और अपने ससुर से बोली, “ यह बात आप कह रहे है। मैं आपके बेटे कि पत्नी हूं और इस नाते से मैं अपकी बेटी समान हूं और मुझसे आप ये क्या कह रहे है?” तब गोविन्द जी अपने हाथो से उषा कि चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोले, “हां , मैं जानता हूं कि तू मेरी बेटी के समान है। लेकिन मैं तुझे अपने सुहागरात में तड़पते नही देख सकता और इसलिये मैं तेरे पास आया हूं।” तब उषा अपने चेहेरे से अपना हाथ हटा कर बोली, “ठीक है बाबूजी, आप मेरे से उमार में बड़े है। आप जो ही कह रहे है, ठीक ही कह रहे है। लेकिन घर में आप और मेरे सिवा और भी तो लोग है।” उषा का इशारा अपने सासू मां के लिये था। तब गोविन्द जी ने उषा कि चूंची को अपने हाथो से ब्लाऊज के उपर से मलते हुए कह, “उषा तुम चिंता मत करो। तुम्हारी सासू मां को सोने से पहले दूध पीने कि आदत है, और आज मैंने उनको दूध में दो नींद की गोली मिला कर उनको पिला दिया है। अब रात भर वो आरम से सोती रहेंगी।” तब उषा ने अपने हाथो से अपने ससुरजी की कमार पकड़ते हुए बोली, “अब आप जो भी करना है कीजिए, मैं मना नही करुंगी।”
तब गोविन्द जी उषा को अपने बाहों में भींच लिया और उसके मुंह को बेतहाशा चूमने लगे और अपने दोनो हाथों से उसकि चूंचियों को पकड़ कर दबाने लगे। उषा भी चुप नही थी। वो अपने हाथो से अपने ससुर का लण्ड उनके कपड़े के ऊपर से पकड़ कर मुठ मार रही थी। गोविन्द जी अब रुकने के मूड में नही थे। उन्होने उषा को अपने से अलग किया और उसकी साड़ी का पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दिया। पल्लू को नीचे गिराते ही उषा की दो बड़ी बड़ी चूंची उसके ब्लाऊज के ऊपर से गोल गोल दिखाने लगी। उन चूंची को देखते ही गोविन्द जी उन पर टूट पड़े और अपना मुंह उस पर रगड़ने लगे। उषा कि मुंह से ओह! ओह! अह! क्या कर रहे हो की आवाजे आने लगी। थोड़ी देर के बाद गोविन्द जी ने उषा कि साड़ी उतार दिया और तब उषा अपने पेटीकोट पहने ही दौड़ कर कमरे का दरवजा बंद कर दिया। लेकिन जब उषा कमरे कि लाईट बुझाना चाहा तो गोविन्द जी ने मना कर दिया और बोले, “नही बात्ती मत बंद करो। पहले दिन रोशनी में तुम्हारी चूत चोदने में बहुत मज़ा आयेगा।” उषा शर्मा कर बोली, “ठीक है मैं बत्ती बंद नही करती, लेकिन आप भी मुझको बिलकुल नंगी मत कीजियेगा।”
“अरे जब थोड़ी देर के बाद तुम मेरा लण्ड अपनी चूत में पिलवाओगी तब नंगी होने में शरम कैसी। चलो इधर मेरे पास आओ, मैं अभी तुमको नंगी कर देता हूं।” उषा चुपचाप अपना सर नीचे किये अपने ससुर के पास चली आई।
जैसे ही उषा नज़दीक आई, गोविन्द जी ने उसको पकड़ लिया और उसके ब्लाऊज के बटन खोलने लगे। बटन खुलते ही उषा कि बड़ी बड़ी गोल गोल चूंचियां उसके ब्रा के उपर से दिखाने लगी। गोविन्द जी अब अपना हाथ उषा के पीछे ले जकर उषा कि ब्रा का हुक भी खोल दिया। हुक खुलते ही उषा कि चूंची बाहर गोविन्द जी के मुंह के सामने झूलने लगी। गोविन्द जी ने तुरंत उन चूंचियों को अपने मुंह में भर लिया और उनको चूसने लगे। उषा कि चूंचियों को चूसते चूसते वो उषा कि पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और पेटीकोट उषा के नितम्बों से सरकते हुए उषा के पैर के पास जा गिरा। अब उषा अपने ससुर के समने सिर्फ़ अपने पेण्टी पहने खड़ी थी। गोविन्द जी ने झट से उषा कि पेण्टी भी उतर दी और उषा बिलकुल नंगी हो गई। नंगी होते ही उषा ने अपनी चूत अपने हाथो से छुपा लिया और शरमा कर अपने ससुर को कनखियों से देखाने लगी। गोविन्द जी नंगी उषा के सामने जमीन पर बैठ गये और उषा कि चूत पर अपना मुंह लगा दिया। पहले गोविन्द जी अपने बहू कि चूत को खूब सूंघा। उषा कि चूत से निकलती सौंधी सौंधी खुशबु गोविन्द जी के नाक में भर गई। वो बड़े चाव से उषा कि चूत को सूंघने लगे। थोड़ी देर के बाद उन्होने अपना जीव निकल कर उषा कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। जैसे ही उनका जीव उषा कि चूत में घुसा, तो उषा जो कि पलंग के सहारे खड़ी थी, पलंग पर अपनी चूतड़ टिका दिया और अपने पैर फ़ैला कर अपनी चूत अपनी ससुर से चटवाने लगी। थोड़ी देर तक उषा कि चूत चाटने के बाद गोविन्द जी अपना जीव उषा कि चूत के अन्दर डाल दिया और अपनी जीव को घुमा घुमा कर चूत को चूसने लगे। अपनी चूत चाटने से उषा बहुत गरम हो गई और उसने अपने हाथो से अपनी ससुर का सिर पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी और उसके मुंह से सी सी की आवाजे निकलने लगी।
अब गोविन्द जी उठ कर उषा को पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया। जैसे ही उषा पलंग पर लेटी, गोविन्द जी झपट कर उषा पर चढ कर बैठ गये और अपने दोनो हाथो से उषा कि चूंचियों को पकड़ कर मसलने लगे। गोविन्द जी अपने हाथों से उषा कि चूंची को मसाल रहे थे और मुंह से बोल रहे थे, “मुझे मालूम था कि तेरी चूंची इतनी मस्त होगी। मैं जब पहली बार तुझको देखाने गया था तो मेरा नज़र तेरी चूंची पर ही थी और मैने उसी दिन सोच लिया था इन चूंचियों पर मैं एक ना एक दिन जरूर अपना हाथ रखूंगा और इनको रगड़ रगड़ कर दबाऊंगा। “हाय! अह! ओह! यह आप क्या कह रहे है? एक बाप होकर अपने लड़के के लिये लड़की देखते वक्त आप उसकी सिरफ़ चूंचियों को घूर रहे थे। छीः कितने गन्दे है आप” उषा मचलती हुई बोली। तब गोविन्द जी उषा को चूमते हुए बोले, “अरे मैं तो गन्दा हूं ही, लेकिन तू क्या कम गन्दी है? अपने ससुर के सामने बिलकुल नंगी पड़ी हुई है और अपनी चूंचियों को ससुर से मसलवा रही है? अब बाता कौन ज्यादा गन्दा है, मैं या तू?” फिर गोविन्द जी ने उषा से पूछा, “अच्छा यह बाता कि चूंची मसलने से तेरा क्या हाल हो रहा है?” उषा अपने ससुर से लिपट कर बोली, “"ऊऊह्हह्हह और जोर से हां, ससुरजी और जोर से दबाओ बड़ा मजा आ रहा है मुझे, अपका हाथ औरतों की चूंची से खेलने में बहुत ही माहीर है। आपको पता है कि औरतों की चूंची कैसे दबाया जाता है। और जोर से दबाईये, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है। फिर उषा अपने ससुर को अपने हाथों से बांधते हुए बोली, “अब बहुत हो गया है चूंची से खेलना। आपको इसके आगे जो भी करने वाले हैन जल्दी कीजिये, कहीं रमेश ना आ जाये और मेरी भी चूत में खुजली हो रही है।” “अभी लो, मैं अभी तुझको अपने इस मोटे लण्ड से चोदता हूं। आज तुझको मैं ऐसा चोदुंगा कि तु जिंदगी भर याद रखेगी” इतना कह कर गोविन्द जी उठकर उषा के पैरों के बीच उकड़ू हो कर बैठ गये।
ससुर जी को अपने ऊपर से उठते ही उषा ने अपनी दोनो टांगों को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और उनको घुटने से मोड़ कर अपना घुटना अपने चूंचियों पर लगा लिया। इसासे उषा कि चूत पूरी तरह से खुल कर ऊपर आ गई और अपने ससुर के लण्ड अपनी चूत को खिलाने के लिये तैयार हो गई। गोविन्द जी भी उठ कर अपना धोiति उतार, चड्डी, कुरता और बनियान उतार कर नंगे हो गये और फिर से उषा के खुले हुए पैरो के बीच में आकर बैठ गये। तब उषा उठ कर अपने ससुर का तनतनाया हुअ लण्ड अपने नाज़ुक हाथों से पकड़ लिया और बोली, “ऊओह्हह्हह ससुरजी कितना मोटा और सख्त है अपका यह।” गोविन्द जी तब उषा के कान से अपना मुंह लगा कर बोले, “मेरा क्या? बोल ना उषा, बोल” गोविन्द जी अपने हाथों से उषा कि गदराई हुई चूंचियों को अपने दोनो हाथों से मसाल रहे थी और उषा अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर मुट्ठी में बांधते हुए बोली, "आआअह्हह्ह ऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ ऊईईइम्मम्ममाआ ऊऊह्हह्ह ऊऊउह्हह्हह्हह्ह! आपका यह पेनिस स्सास्सह्हह्हह्हह्ह ऊऊम्मम्मम्ममाआह्हह्ह।" गोविन्द जी फिर से उषा के कान पर धीरे से बोले, "उषा हिन्दी में बोलो ना इसका नाम प्लीज"। उषा ससुर के लण्ड को अपने हाथों में भर कर अपनी नज़र नीची कर के अपने ससुर से बोली, “मैं नही जानती, आप ही बोलीए ना, हिन्दी में इसको क्या कहते हैं।” गोविन्द जी ने हंस कर उषा कि चूंची को चूसते हुए बोले, “अरे ससुर के सामने नंगी बैठी है और यह नही जानती कि अपने हाथ में क्या पकड़ रखी है? बोल बेटी बोल इसको हिन्दी में क्या कहते और इसासे अभी हम तेरे साथ क्या करेंगे।”
तब उषा ने शर्मा कर अपने ससुर के नगी छती में मुंह छुपाते हुए बोली, “ससुर जी मैं अपने हाथों से आपका खड़ा हुआ मोटा लण्ड पकड़ रखा है, और थोड़ी देर के बाद आप इस लण्ड को मेरी चूत के अन्दर डाल कर मेरी चुदाई करेंगे। बस अब तो खुश है न आप। अब मैं बिलकुल बेशरम होकर आपसे बात करुंगी।” इतना सुन कर गोविन्द जी ने तब उषा को फिर से पलंग पर पीठ के बल लेटा दिया और अपने बहू की टांगो को अपने हाथों से खोल कर खुद उन खुली टांगो के बीच बैठ गये। बैठने के बाद उन्होने झुक कर उषा कि चूत पर दो तीन चूम्मा दिया और फिर अपना लण्ड अपने हाथों से पकड़ कर अपनी बहू कि चूत के दरवाजे पर रख दिया। चूत पर लण्ड रखते ही उषा अपनी कमार उठा उठा कर अपनी ससुर के लण्ड को अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी। उषा कि बेताबी देख कर गोविन्द जी अपने बहू से बोले, “रुक छिनाल रुक, चूत के सामने लण्ड आते ही अपनी कमार उचका रही है। मैं अभी तेरे चूत कि खुजली दूर करुता हूं।” उषा तब अपने ससुर के छाती पर हाथ रख कर उनकी निप्पले के अपने अंगुलियों से मसलते हुए बोली, “ऊऊह्हह ससुरजी बहुत हो गया है। अब बार्दाश्त नहीं हो रहा है आओ ना ऊऊओह्हह प्लीज ससुरजी, आओ ना, आओ और जल्दी से मुझको चोदो। अब देर मत करो अब मुझे चोदो ना और कितनी देर करेंगे ससुरजी। ससुर जी जल्दी से अपना यह मोटा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दीजिये। मैं अपनी चूत कि खुजली से पागल हुए जा रही हूं। जल्दी से मुझे अपने लण्ड से चोदिये। अह! ओह! क्या मस्त लण्ड है आपका।” गोविन्द जी अपना लण्ड अपने बहू कि चूत में ठेलते हुए बोले, “वाह रे मेरी छिनाल बहू, तू तो बड़ी चुद्दकड़ है। अपने मुंह से ही अपने ससुर के लण्ड की तारीफ़ कर रही है और अपनी चूत को मेरा लण्ड खिलाने के लिये अपनी कमार उचका रही है। देख मैं आज रात को तेरे चूत कि क्या हालत बनाता हूं। साली तुझको चोद चोद कर तेरी चूत को भोसड़ा बना दूंगा” और उन्होने एक ही झटके के साथ अपना लण्ड उषा कि चूत में डाल दिया।
चूत में अपने ससुर का लण्ड घुसते ही उषा कि मुंह से एक हलकी सी चीख निकल गई और उसने अपने हाथों से अपने ससुर को पकड़ उनका सर अपनी चूंचियों से लगा दिया और बोलने लगी, “वाह! वह ससुर जी क्या मस्त लण्ड है आपका। मेरी तो चूत पूरी तरह से भर गई। अब जोर जोर से धक्का मार कर मेरी चूत कि खुजली मिटा दो। चूत में बहुत खुजली हो रही है।” “अभी लो मेरे चिनल चुद्दकड़ बहू, अभी मैं तेरी चूत कि सारी कि सारी खुजली अपने लण्ड के धक्के के साथ मिटाता हूं” गोविन्द जी कमार हिला कर झटके के साथ धक्का मारते हुए बोले। उषा भी अपने ससुर के धक्के के साथ अपनी कमार उछाल उछाल कर अपनी चूत में अपने ससुर का लण्ड लेते बोली, “ओह! अह! अह! ससुरजी मज़ा आ गया। मुझे तो तारे नज़र आ रहे हैं। आपको वाकई में औरत कि चूत चोदने कि कला आती है। चोदिए चोदिए अपने बहू कि मस्त चूत में अपना लण्ड डाल कर खूब चोदिए। बहुत मज़ा मिल रहा है। अब मैं तो आपसे रोज़ अपनी चूत चुदवाऊंगी। बोलीये चोदेंगे ना मेरी चूत?” गोविन्द जी अपनी बहू की बात सुन कर मुसकुरा दिये और अपना लण्ड उसकी चूत के अन्दर बाहर करना जारी रखा। उषा अपनी ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर बेहाल हो रही थी और बड़बड़ा रही थी,
“आआह्हह्हह ससुरजीईए जोर्रर्रर सीई। हन्नन्न सासयरजीए जूर्रर्रर जूर्रर्र से धक्कक्काअ लगीईईई, और्रर्रर जूर्रर सीई चोदिईईए अपनी बहू की चूत्तत्त को। मुझीई बहुत्तत्त अस्सह्ह्हाअ लाअग्गग रह्हह्हाअ हैईइ, ऊऊओह्ह्ह और जोर से चोदो मुझे आआह्हह्ह सौऊउर्रर्रजीए और जोर से करो आआअहह्हह्हह्ह और अन्दर जोर से। ऊऊओह्हह्ह दीआर्रर ऊऊओह्हह्हह्ह ऊऊऊफ़्फ़फ़् आआह्हह्हह आआह्हह्हह्ह ऊउईईई आअह्हहह ऊऊम्मम्माआह्ह्हह्हह ऊऊऊह्हह्हह।"
थोड़ी देर तक जोर जोर के धक्को से अपने बहू की चूत चोदने के बाद गोविन्द जी ने अपना धक्को की रफ़्तार धीमी कर दिया और उषा की चूंचियों को फिर से अपने हाथों में पकड़ कर उषा से पूछा, “बहू कैसा लग रहा है अपने ससुर का लण्ड अपनी चूत में पिलवा कर?” तब उषा अपनी कमार उठा उठा कर चूत में लण्ड की चोट लेती हुइ बोली, “ससुरजी अपसे चूत चुदवा कर मैं और मेरी चूत दोनो का हाल ही बेहाल हो गया है। आप चूत चोद ने में बहुत एक्सपर्ट है बड़ा मजा आ रहा है मुझे ससुरजी, ऊओह्हह्हह ससुरजी आप बहुत अच्छा चोदते है आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्ह। ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ ससुरजी आप बहुत ही एक्सपर्ट है और आपको औरतों कि चूत चोद कर औरतों को सुख देना बहुत अच्छी तरह से आता है। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है यूं ही हां, ससुर जी यूं ही चोदो मुझे आप बहुत अच्छे हो बस यू ही चुदाई करो मेरी ऊओह्हह्ह खूब चोदो मुझे। गोविन्द जी भी उषा की बातों को सुन कर बोले, “ले रण्डी, छिनाल ले अपने चूत में अपने ससुर का लण्ड का ठोक कर ले। आज देखते है कि तू कितनी बड़ी छिनाल चुद्दकड़ है। आज मैं तेरी चूत को अपने हलवी लण्ड से चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा। ले मेरी चुदक्कड़ बहू ले मेरा लण्ड अपनी चूत में खा।” गोविंद जी इतना कह कर फिर से उषा कि चूत में अपना लण्ड जोर जोर से पेलने लगे और थोड़ी देर के बाद अपना लण्ड जड़ तक ठूंस कर अपनी बहू कि चूत के अन्दर झड़ गये। उषा भी अपने ससुर कि लण्ड को चूत को उठा कर अपनी चूत में खाती खाती झड़ गई। थोड़ी देर तक दोनो ससुर और बहू अपनी चुदाई से थक कर सुस्त पड़े रहे।
थोड़ी देर के बाद उषा ने अपनी आंखे खोली और अपने ससुर और खुद को नंगी देख कर शर्मा कर अपने हाथों से अपना चेहेरा ढक लिया। तब गोविन्द जी उठ कर पहले बाथरूम में जा कर अपना लण्ड धो कर साफ़ करने के बाद फिर से उषा के पास बैठ गये और उसके शरीर से खेलने लगे। गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा का हाथ उसके चेहरे से हटा कर अपने बहू से पूछा, “क्यों, छिनाल चुद्दकड़ रण्डी उषा मज़ा आया अपने ससुर के लण्ड से अपनी चूत चुदवा कर? बोल कैसा लगा मेरा लण्ड और उसके धक्के?” उषा अपने हाथों से अपने ससुर को बांध कर उनको चूमते हुए बोली, “बाबूजी अपका लण्ड बहुत शानदार है और इसको किसी भी औरत कि चूत को चोद कर मज़ा देने कि कला आती है। लेकिन, सबसे अच्छा मुझे आपका चोदते हुए गन्दी बात करना लगा। सच जब आप गन्दी बात कराते है और चोदते है तो बहुत अच्छा लगता है।” गोविन्द जी ने अपने हाथों से उषा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए बोले, “अरे छिनाल, जब हम गन्दा कम कर रहे है तो गन्दी बात करने में क्या फ़रक पड़ता है और मुझको तो चुदाई के समय गाली बकने कि आदत है। अच्छा अब बोल तुझे मेरा चुदाई कैसी लगी? मज़ा आया कि नही, चूत कि खुजली मिटी कि नही?” उषा ने तब अपने हाथों से अपने ससुर का लण्ड पकड़ कर सहलाते हुए बोली, “ससुरजी आपका लण्ड बहुत ही शानदार है और मुझे अपसे अपनी चूत चुदवा कर बहुत मज़ा आया। लगता है कि आपके लण्ड को भी मेरी चूत बहुत पसंद आई। देखिये ना, आपका लण्ड फिर से खड़ा हो रहा है। क्या बात है एक बार और मेरी चूत में घुसना चहता है क्या?” गोविंदजी ने तब अपने हाथ उषा कि चूत पर फेराते हुए बोले, “साली कुतिया, एक बार अपने ससुर का लण्ड खा कर तेरी चूत का मन नही भरा, फिर से मेरा लण्ड खाना चाहती है? ठीक है मैं तुझको अभी एक बार फिर से चोदता हूं।”
गोविन्द जी कि बात सुन कर उषा झट से उठ कर बैठ गई और अपने ससुर के समने झुक कर अपने हाथ और पैर के बल बैठ कर अपने ससुर से बोली, “बाबू जी, अब मेरी चूत में पीछे से अपना लण्ड डाल कर चोदिये। मुझे पीछे से चूत में लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है।” गोविन्द जी ने तब अपने सामने झुकी हुई उषा की चूतड़ पर हाथ फेराते हुए उषा से बोले, “साली कुत्ती तुझको पीछे से लण्ड डलवाने में बहुत मज़ा आता है? ऐसा तो कुतिया चुदवाती है, क्या तू कुतिया है?” उषा अपना सिर पीछे घुमा कर बोली, “हां मेरे चोदू ससुरजी मैं कुतिया हूं और इस समय आप मुझे कुत्ता बन कर मेरी चूत चोदेंगे। अब जल्दी भी करिये और शुरु हो जाओ जल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालिये।” गोविन्द जी अपने लण्ड पर थूक लगाते हुए बोले, “ले मेरी रण्डी बहू ले, मैं अभी तेरी फुदकती चूत में अपना लण्ड डाल कर उसकी खबार लेता हूं। साली तू बहुत चुद्दकड़ है। पता नहीं मेरा बेटा तुझको शान्त कर पायेगा कि नही।” और इतना कहकर गोविन्द जी अपने बहू के पीछे जाकर उसकि चूत अपने अंगुलियों से फैला कर उसमे अपना लण्ड डाल कर चोदने लगे। चोदते चोदते कभी कभी गोविन्द जी अपना अंगुली उषा कि गाण्ड में घुसा रहे थे और उषा अपनी कमार हिला हिला अपनी चूत में ससुर के लण्ड को अन्दर भर कर करवा रही थी। थोड़ी देर के चोदने के बाद दोनो बहू और ससुर जी झड़ गये। तब उषा उठ कर बाथरूम में जाकर अपना चूत और जांघे धोकर अपने बिस्तर पर आकर लेट गई और गोविन्द जी भी अपने कमरे जाकर सो गये।
अगले हफ़्ते रमेश और उषा अपने हनीमून मनाने अपने एक दोस्त, जो कि शिमला में रहता है, चले गये। जैसे ही रमेश और उषा शिमला एयरपोर्ट से बाहर निकले तो देखा कि रमेश का दोस्त, गौतम और उसकी बीवी सुमन दोनो बाहर अपनी कार के साथ उनका इन्तज़ार कर रहे है। रमेश और गौतम आगे बढ कर एक दूसरे के गले लग गये। फिर दोनों ने अपनी अपनी बीवियों से परिचय करवा दिया और फिर कार में बैठ कर घर की तरफ़ चल पड़े। घर पहुंच कर रमेश और गौतम बैठक में बैठ कर पुरानी बातो में मशगूल हो गय और उषा और सुमन दूसरे कमरे में बैठ कर बाते करने लगे। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम अपनी बीवियों को बुलाकर उनसे कहा कि खाना लगा दो बहुत जोर की भूख लगी है। सुमन ने फटाफ़ट खाना लगा दिया और चारों डाईनिंग टेबल पर बैठ कर खाने लगे। खाना खाते समय उषा देख रही थी कि रमेश सुमन को घूर घूर कर देख रहा है और सुमन भी धीरे धीरे मुसकुरा रही है। उषा को दाल में कुछ काला नज़र आया। लेकिन वो कुछ नही बोली।
अगले दिन सुबह गौतम नहा धो कर और नाश्ता करने के बाद अपने ऑफ़िस के लिये रवाना हो गया। घर पर उषा, रमेश और सुमन पर बैठ कर नाश्ता करने के बाद गप लड़ा रहे थे। उषा ने आज सुबह भी ध्यान दिया कि रमेश अभी भी सुमन को घूर रहा है और सुमन धीरे धीरे मुसकुरा रही है। थोड़ी देर के बाद उषा नहाने के लिये अपने कपड़े ले कर बाथरूम में गई। करीब आधे घण्टे के बाद जब उषा बाथरूम से नहा धो कर सिरफ़ एक तौलिया लपेट कर बथरूम से निकली तो उसने देखा कि सुमन सिरफ़ ब्लाऊज और पेटीकोट पहने टांगे फैला कर अपनी कुरसी पर फैली आधी लेटी और आधी बैठी हुई है और उसके ब्लाऊज के बटन सब के सब खुले हुए है रमेश झुक कर सुमन की एक चूंची अपने हाथों से पकड़ चूस रहा है और दूसरे हाथ से सुमन की दूसाड़ी चूंची को दबा रहा है। उषा यह देख कर सन्न रह गई और अपनी जगह पर खड़ी कि खड़ी रह गई। तभी सुमन कि नज़र उषा पर पर गई तो उसने अपनी हाथ हिला कर उषा को अपने पास बुला लिया और अपनी एक चूंची रमेश से छुड़ा कर उषा की तरफ़ बढा कर बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो।” रमेश चुपचाप सुमन कि चूंची चूसता रहा और उसने उषा कि तरफ़ देखा तक नही। सुमन ने फिर से उषा से बोली, “लो उषा तुम भी मेरी चूंची चूसो, मुझे चूंची चुसवाने में बहुत मज़ा मिलता है तभी मैं रमेश से अपनी चूंची चुसवा रही हूं।” उषा अब कुछ नही बोली और सुमन की दूसाड़ी चूंची अपने मुंह में भर कर चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद उषा ने देखा कि सुमन अपना हाथ आगे कर के रमेश का लण्ड उसके पैजामे के ऊपर से पकड़ कर अपनी मुट्ठी में लेकर मारोड़ रही है और रमेश सुमन कि एक चूंची अपने मुंह में भर कर चूस रहा है। अब तक उषा भी गरम हो गई थी। तभी सुमन ने रमेश का पैजामे का नाड़ा खींच कर खोल दिया और रमेश का पैजामा सरक कर नीचे गिर गया। पैजामा के नीचे गिरते ही रमेश नंगा हो गया क्योंकि वो पैजामे के नीचे कुछ नही पहन रखा था। जैसे ही रमेश रमेश नंगा हो गया वैसे ही सुमन आगे बढ कर रमेश का खड़े लण्ड को पकड़ लिया और उसका सुपारा को खोलने और बंद करने लगी और अपने होठों पर जीभ फेरने लगी। यह देख कर उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगा दिया और सुमन से बोली, “लो सुमन, मेरे पति का लण्ड चूसो। लण्ड चूसने से तुम्हे बहुत मज़ा मिलेगा। मैं भी अपनी चूत मारवाने के पहले रमेश का लण्ड चूसती हूं। फिर रमेश भी मेरी चूत को अपने जीभ से चाटता है।” जैसे ही उषा ने रमेश का लण्ड सुमन के मुंह से लगाया वैसे ही सुमन ने अपनी मुंह खोल कर के रमेश का लण्ड अपने मुख में भर लिया और उसको चूसने लगी। अब रमेश अपनी कमार हिला हिला कर अपना लण्ड सुमन के मुंह के अन्दर बाहर करने लगा और अपने हाथों से सुमन कि दोनो चूंची पकड़ कर मसलने लगा। तब उषा ने आगे बढ कर सुमन के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही सुमन ने अपनी चूतड़ कुरसी पर से थोड़ा सा उठा दिया और उषा अपने हाथों से सुमन की पेटीकोट को खींच कर नीचे गिरा दिया। सुमन ने पेटीकोट के नीचे पेण्टी नही पहनी थी और इसालीये पेटीकोट खुलते ही सुमन भी रमेश कि तरह बिलकुल नंगी हो गई।
उषा ने सबसे पहले नंगी सुमन की जांघो को खोल दिया और उसकी चूत को देखाने लगी। सुमन की चूत पर झांटे बहुत ही करीने से हटाई गई थी और इस समय सुमन कि चूत बिलकुल चमक रही थी। सुमन कि चूत से चुदाई के पहले निकलने वाला रस रिस रिस कर निकल रहा था। उषा झुक कर सुमन के सामने बैठ गई और सुमन कि चूत से अपनी मुंह लगा दिया। उषा का मुंह जैसे ही सुमन कि चूत पर लगा तो सुमन ने अपनी टांगे और फैला दिया और अपने हाथों से अपनी चूत को खोल दिया। अब उषा ने आगे बढ कर सुमन कि चूत को चाटना शुरु कर दिया। उषा अपनी जीभ को सुमन कि चूत के नीचे से लेकर चूत के ऊपर तक ला रही थी और सुमन मारे गरमी के उषा का सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी। उधर रमेश ने जैसे ही देखा कि उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही है तो उसने अपना लण्ड सुमन के मुंह से लगा कर एक हलका सा धक्का दिया और सुमन अपना मुंह खोल कर रमेश का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। नीचे उषा अपनी जीभ से सुमन कि चूत को चाट रही थी और कभी कभी सुमन के दाने को अपने दांतो से पकड़ कर हलके हलके से दबा रही थी।
थोड़ी देर तक सुमन कि चूत को चाटने और चूसने का बाद उषा उठ कर खड़ी हो गई और रमेश का लण्ड पकड़ सुमन के मुंह से निकल दिया और सुमन से बोली, “सुमन अब बहुत हो गया लण्ड चूसना और चूत चटवाना चलो अब अपने पैर कुरसी के हत्थो के ऊपर रखो और रमेश का लण्ड अपने चूत में पिलवाओ। मुझे मालूम है कि अब तुम्हे रमेश का लण्ड अपने मुंह में नही अपनी चूत के अन्दर चाहिये।” और उषा ने अपने हाथों से अपने पति का खड़ा हुआ लण्ड सुमन कि गीली चूत कि ऊपर रख दिया। चूत पर लण्ड के रखते ही सुमन ने अपने हाथों से उसको अपनी चूत की छेद से भिड़ा दिया और रमेश कि तरफ़ देख कर मुसकुरा कर बोली, “लो अब तुम्हारी बीवी ने ही तुम्हारा लण्ड को मेरी चूत से भिड़ा दिया। अब देर किस बात का है। चलो चुदाई शुरु कर दो।” इतना सुनते ही रमेश ने अपना कमार हिला कर अपना तना हुआ लण्ड सुमन कि चूत के अन्दर उतार दिया। चूत के अन्दर लण्ड घुसते ही सुमन ने अपने पैर को कुरसी के हत्थों पर रख कर और फैला दिया और अपने हाथों से रमेश का कमार पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। अब रमेश अपने दोनो हाथों से सुमन कि दोनो चूंचियों को पकड़ कर अपना कमार हिला हिला कर सुमन को चोदना शुरु कर दिया। सुमन अपनी चूत में रमेश का लण्ड पिलवा कर बहुत खुश थी और वो मुड़ कर उषा से बोली, “उषा तेरे पति का लण्ड बहुत ही शानदार है, बहुत लम्बा और मोटा है। रमेश का लण्ड मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। तेरी ज़िन्दगी तो रमेश से चुदवा कर बहुत आराम से कट रही होगी?” उषा तब रमेश का एक हाथ सुमन कि चूंची पर से हटा कर सुमन कि चूंची को मसलते हुए बोली, “हां, मेरे पति का लण्ड बहुत ही शानदार है और मुझे रमेश से चुदवाने में बहुत मज़ा मिलता है। मैं तो हर रोज़ तीन – चार बार रमेश का लण्ड अपनी चूत में पिलवाती हूं। क्यों, गौतम तेरी चूत नही चोदता? कैसा है गौतम का लण्ड?”
सुमन बोली, “गौतम का लण्ड भी अच्छा है और मैं हर रोज़ दो – तीन बार गौतम के लण्ड से अपनी चूत चुदवाती हूं। गौतम रोज़ रात को हमको रगड़ कर चोदता है और रात कि चुदाई के समय मैं कम से कम से चार-पांच बार चूत का पानी गिराती हूं। लेकिन रमेश के लण्ड की बात ही कुछ और है। यह लण्ड तो मेरे बच्चेदानी पर ठोकर मार रहा है। असल में मुझे अपनी पति के अलावा दूसरे लण्ड से चुदवाने में बहुत मज़ा आता है और जब से मैने रमेश को देखा है, तभी से मैं रमेश का लण्ड खाने के लिये लालायित थी। अब मेरी मन की मुराद पूरी हो गई है। अब शाम को जैसे ही गौतम ऑफ़िस से घर आयेगा उसका लण्ड मैं तेरी चूत में पिलवाऊंगी। तब देखना कि गौतम कैसे तुमको चोदता है। मुझे मालूम है कि गौतम के लण्ड को अपनी चूत से खाकर तुम बहुत खुश होगी।” उषा चुपचाप सुमन कि बात सुनती रही और झुक कर रमेश का लण्ड सुमन की चूत के अन्दर बाहर होना देखती रही। थोड़ी देर के बाद उषा झुक कर सुमन कि एक चूंची अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद उषा को अहसास हुआ कि कोई उसके चूतड़ के ऊपर से उसकी तौलिया हटा कर उसकी चूत में अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश कर रहा है। उषा ने चौंक कर पीछे मुड़ कर देखा तो पाया कि उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ने वला और कोई नही बल्कि गौतम है। हुआ यह कि गौतम के ऑफ़िस में किसी का देहान्त हो गया था और इसालीये ऑफ़िस में छुट्टी हो गई थी। इसलिये गौतम ऑफ़िस जाकर वापस आ गया था।
गौतम अब तक उषा कि बदन से उसकी तौलिया हटा कर अपना तन्नाया हुअ लण्ड उषा कि चूत में डाल चुका था और उषा की कमार को पकड़ के उषा की चूत में अपने लण्ड की ठोकर मारना शुरु हो गया था। गौतम जोर जोर से उषा कि चूत अपने लण्ड से चोद रहा था और अपने हाथों से उषा कि चूंची को मसल रहा था। रमेश इस समय सुमन को जोरदार धक्को के साथ चोद रहा था और उसने अपना सिर घुमा कर जब उषा कि चुदाई गौतम के साथ होते देखा तो मुसकुरा दिया और गौतम से बोला, “देख गौतम देख, मैं तेरे ही घर में और तेरे ही समने तेरी बीवी को चोद रहा हूं। तुझे तेरी बीवी कि चुदाई देख कर कैसा लग रहा है?” गौतम ने तब उषा को चूमते और उसकि चूंची को मलते हुए रमेश से बोला, “अबे रमेश, तू क्या मेरी बीवी को चोद रहा है। अरे मेरी बीवी तो पुरानी हो गई है उसकि चूत मैं पिछले दो साल से रात दिन चोद रहा हूं। सुमन कि चूत तो अब काफ़ी फैल चुकी है। अबे तू देख मैं तेरे समने तेरी नई ब्याही बीवी को कुतिया कि तरह झुका कर उसकी टाईट चूत में अपना लण्ड डाल कर चोद रहा हूं। अब बोल किसे ज्यादा मज़ा मिल रहा है। सही में यार रमेश, तेरी बीवी कि चूत बहुत ही टाईट है मगर तेरी बीवी बहुत चुद्दकड़ है, देख देख कैसे तेरी बीवी कि चूत ने मेरा लण्ड पकड़ रखा है।” फिर गौतम उषा कि चूंची को मसालते हुए उषा से बोला, “ओह! ओह! मुझे उषा कि चूत चोदने में बहुत मज़ा मिल रहा है। अह! उषा रानी और जोर से अपनी गाण्ड हिला कर मेरे लण्ड पर धक्का मार। मैं पीछे से तेरी चूत पर धक्का मार रहा हूं। उषा रानी बोल, बोल कैसा लग रहा मेरे लण्ड से अपनी चूत चुदवना। बोल मज़ा मिल रहा कि नही?” तब उषा अपनी गाण्ड को जोर जोर से हिला कर गौतम का लण्ड अपनी चूत को खिलाते हुए गौतम से बोली, “चोदो मेरे राजा और जोर से चोदो। मुझे तुम्हारी चुदाई से बहुत मज़ा मिल रहा है। तुम्हारा लण्ड मेरे चूत की आखरी छोर तक घुस रहा है। ऐसा लग रहा कि तुम्हारा लण्ड का धक्का मेरी चूत से होकर मेरी मुंह से निकल पड़ेगा। और जोर से चोदो, और सुमन और रमेश को दिखा दो कि चूत की चुदाई कैसे कि जाती है।”
गौतम और उषा कि चुदाई देखते हुए सुमन उषा से बोली, “क्यों छिनाल उषा, गौतम का लण्ड पसन्द आया कि नही? मैं ना बोल रही थी कि गौतम का लण्ड बहुत ही शानदार है और गौतम बहुत अच्छी तरह से चोदता है? अब जी भर मस्त चुदवा ले अपनी चूत गौतम के लण्ड से। मैं भी अपनी चूत रमेश से चुदवा रही हूं।” रमेश जोरदार धक्को के साथ सुमन को चोदते हुए बोला, “यार गौतम, यह दोनो औरत बड़ी चुदासी है, चल आज दिन भर इनकी चूत चोद चोद कर इनकी चूतों को भोसड़ा बना देते हैं। तभी इनकी चूतों कि खुजली मिटेगी।” इतना कह कर रमेश सुमन कि चूत पर पिल पड़ा और दना दन चोदने लगा। गौतम भी पीछे नही था, वो अपना हाथों से उषा कि दोनो चूंची पकड़ कर अपनी कमर के झटकों से उषा कि चूत चोदना चालू रखा। थोड़ी देर तक ऐसे ही चुदाई चलती रही और दोनो जोड़े अपने अपने साथियों की जम कर चुदाई चालू रखी और थोड़ी देर के बाद दोनो जोड़े साथ ही झड़ गये। जैसे ही रमेश और गौतम सुमन और उषा कि चूत के अन्दर झड़ने के बाद अपना अपना लण्ड बाहर निकाला तो दोनो का लण्ड सफ़ेद सफ़ेद पानी से सना हुआ था और उधर सुमन और उषा कि चूतों से भी सफ़ेद सफ़ेद गाढा पानी निकल रहा था। झट से सुमन और उषा उठ कर अपने अपने पतियों का लण्ड अपने मुंह में भर कर चूस चूस कर सफ़ किया और फिर एक दूसरे की चूत में मुंह लगा कर अपने अपने पतियों का वीर्य चाट चाट कर साफ़ किया। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम का सांस नोरमल हुआ और उठ कर एक दूसरे के गले लग गये और बोले। “यार एक दूसरे की बीवीयों को चोदने का मज़ा ही कुछ अलग है। अब जब तक हमलोग एक साथ है बीवीयों को अदल बदल करके ही चोदेंगे।”
थोड़ी देर के बाद सुमन और उषा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और तौलिया से अपनी चूत और जांघे पोंछ कर नंगी ही किचन कि तरफ़ चल पड़ी। उनको नंगी जाते देख कर रमेश और गौतम का लण्ड खड़े होना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद सुमन और उषा नंगी ही किचन से चाय और नाश्ता ले कर कमरे में आई और कुर्सी पर बैठ गई। रमेश और गौतम भी नंगे ही कुरसी पर बैठ गये। थोड़ी देर के बाद सुमन झुक कर प्याली में चाय पलटने लगी। सुमन के झुकने से उसकि चूंची दोनो हवा ने झूलने लगे। यह देख कर रमेश ने आगे बढ कर सुमन कि चूंचियों को पकड़ लिया और उन्हे दबाने लगा। यह देख कर उषा अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई और गौतम के नंगे गोद पर जा कर बैठ गई। जैसे ही उषा गोद में बैठी गौतम ने अपने हाथों से उषा को जकड़ लिया और उसकी चूंची को दबाने लगा। उषा झुक कर गौतम के लण्ड को पकड़ कर सहलाने लगे और थोड़ी देर के गौतम के लण्ड को अपने मुंह में भर लिया। यह देख कर सुमन चाय बनना छोड़ कर रमेश के पैरो के पस बैठ गई उसने भी रमेश का लण्ड अपने मुंह में भर लिया। थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपने हाथों से सुमन को खड़े किया और उसको टेबल के सहारे झुका कर सुमन कि चूत में पीछे से जाकर अपना लण्ड घुसेड़ दिया। सुमन एक हल्की से सिसकरी भर कर अपने चूतड़ हिला हिला अपनी चूत में रमेश का लण्ड पिलवती रही और वो खुद उषा और गौतम को देखने लगी। रमेश और सुमन को फिर से चुदाई शुरु करते देख गौतम भी अपने आप को रोक नही पाया और उसने उषा को अपनी गोद से उठा कर फिर से उसके दोनो पैर अपने दोनो तरफ़ करके बैठा लिया। इस तरीके से उषा की चूत ठीक गौतम के लण्ड के सामने थी। उषा ने अपने हाथों से गौतम के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर गौतम के गोद पर झटके साथ बैठ गई और गौतम का लण्ड उषा कि चूत के अन्दर चला गया। उषा अब गौतम के गोद पर बैठ कर अपनी चूतड़ उठा उठा कर गौतम के लण्ड का धक्का अपनी चूत पर लेने लगी। कमरे सिर्फ़ फस्सह, फस्सह का आवाज गूंज रही थी और उसके साथ साथ सुमन और उषा की सिसकियां।
रमेश थोड़ी देर तक सुमन कि चूत पीछे से लण्ड डाल कर चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद उसने अपनी एक अंगुली में थूक लग कर सुमन कि गाण्ड में अंगुली करने लगा। अपनी गाण्ड में रमेश कि अंगुली घुसते ही सुमन ओह! ओह! है! कर उठी। उसने रमेश से बोली, “क्या बात है, अब मेरी गाण्ड पर भी तुम्हारी नज़र पड़ गई है। अरे पहले मेरी चूत कि आग को शान्त करो फिर मेरी गाण्ड कि तरफ़ देखना।” लेकिन रमेश अपनी अंगुली सुमन की गाण्ड के छेद पर रख कर धीरे धीरे घुमाने लगा। थोड़ी देर के बाद रमेश ने अपनी अंगुली सुमन कि गाण्ड में घुसेड़ दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा। सुमन भी अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत कि घुण्डी को सहलाने लगी। जब अपनी थूक और अंगुली से रमेश ने सुमन कि गाण्ड कि छेद काफ़ी गीली कर ली तब रमेश ने अपने लण्ड पर थूक लगाकर सुमन कि गाण्ड की छेद पर रखा। अपनी गाण्ड में रमेश का लण्ड छूते ही सुमन बोल पड़ी, “अरे अरे क्या कर रहे हो। मुझे अपनी गाण्ड नही चुदवाना है। मुझे मालूम है कि गाण्ड मरवाने से बहुत तकलीफ़ होती है। हटो, रमेश हटो अपना लण्ड मेरी गाण्ड से हटा लो।” लेकिन तब तक रमेश ने अपना खड़े हुअ लण्ड सुमन कि गाण्ड के छेद पर रख कर दबाने लगा था और थोड़ी से देर के बाद रमेश का लण्ड का सुपारा सुमन कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। सुमन चिल्ला पड़ी, “अर्रर्रीईए माआर्रर्र डालाआआ, ओह! ओह! रमेस्सास्सह्हह निकल्लल्लल्ल लूऊ अपनाआ म्मूस्सास्साअर्रर ज्जजाआईस्सास्साअ लण्ड्दद्दद म्ममीर्ररीई गाआनद्दद सीई। मैईई मार्रर्र जौनगीईए।”
लेकिन रमेश कहना सुनने वाला था। वो अपना कमर घुमा कर के और अपना लण्ड को हाथ से पकड़ के एक धक्का मारा तो उसका आधा लण्ड सुमन कि गाण्ड में घुस गया। सुमन छटपटाने लगी।
थोड़ी देर के बाद रमेश थोड़ा रुक कर एक धक्का और मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड सुमन कि गाण्ड में घुस गया और वो झुक कर एक हाथ से सुमन की चूंची सहलने लगा और दूसरे हाथ से सुमन की चूत में अंगुली करने लगा। लेकिन सुमन मारे दर्द के छटपटा रही थी और बोल रही थे, “अबे साले भड़ुवे गौतम, देखो तुम्हारे सामने तुम्हारि बीवी कि गाण्ड कैसे तुम्हारा दोस्त जबरदस्ती से मार रहा है। तुम कुछ करते क्यों नही। अब मेरी गाण्ड आज फट जायेगी। लग रहा है आज इस चोदु रमेश मेरी गाण्ड मार मार कर मेरी गाण्ड और बुर एक कर देगा। गौतम प्लीज तुम रमेश से मुझे बचाओ।” तब रमेश अपने अंगुलियों से सुमन की चूत में अंगुली करते हुए सुमन से बोला, “अरे सुमन रानी, बस थोड़ी देर तक सबर करो, फिर देखना आज गाण्ड मरवाने ने तुम्हे कितना मज़ा मिलता है। आज मैं तुम्हारी गाण्ड मार कर तुम्हारी चूत का पानी निकालूगा। बस तुम ऐसे ही झुक कर खड़ी रहो।” रमेश की बात सुन कर गौतम अपना लण्ड से उषा कि चूत चोदता हुअ सुमन से बोला, “रानी, आज तुम रमेश का मोटा लण्ड अपनी गाण्ड डलवा कर खूब मज़े उड़ाओ, मैं भी अभी अपना लण्ड रमेश की नई बीवी कि गाण्ड में घुसेड़ता हूं और फिर उषा की गाण्ड मारता हूं। मैं उषा की गाण्ड मार कर तुम्हारी गाण्ड मारने का बदला निकलता हूं।” उषा जैसे ही गौतम की बात सुनी तो बोल पड़ी, “अरे वाह क्या हिसाब है, रमेश आज मौका पा कर सुमन कि गाण्ड मार रहा है और उसकी कीमत मुझे अपनी गाण्ड मारवा कर चुकनी पड़ेगी। नही मैं तो अपनी गाण्ड में लण्ड नही पिलवती। गौतम तुम मेरी गाण्ड के बजाय रमेश कि गाण्ड मार कर अपना बदला निकालो।” गौतम तब उषा से बोला, “नहीं मेरी चुद्दकड़ रानी, जिस तरह से रमेश ने मेरी बीवी कि गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर मेरी बीवी की गाण्ड मार रहा है, मैं भी उसी तरह से रमेश कि बीवी की गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ कर रमेश कि बीवी कि गाण्ड मारुंगा और तभी मेरा बदला पूरा होगा।” इतना कह कर गौतम ने अपना लण्ड उषा कि चूत से निकाल लिया और उसमे फिर से थोड़ा थूक लगा कर उषा कि गाण्ड से भिड़ा दिया। उषा अपनी कमर इधर उधर घुमाने लगी लेकिन गौतम ने अपने हाथों से उषा की कमर पकड़ कर अपना लण्ड का आधा सुपारा उषा कि गाण्ड कि छेद में डाल दिया। उषा दर्द के मारे छटपटाने लगी।
उषा अपनी गाण्ड से गौतम का लण्ड को निकालने कि कोशिश कर रही थी और गौतम अपने लण्ड को उषा कि गाण्ड में घुसेड़ने कि कोशिश कर रहा था। इसी दौरान गौतम ने एक बार उषा कि कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर हिला करके एक धक्का मारा तो उसके लौड़े का सुपारा उषा कि गाण्ड कि छेद में घुस गया। फिर गौतम ने जलदी से एक और जोरदार धक्का मारा तो उसका पूरा का पूरा लण्ड उषा की गाण्ड में घुस गया और गौतम की झांटे उषा कि चूतड़ को छूने लगी। अपनी गाण्ड ने गौतम का लण्ड के घुसते ही उषा जोर से चीखी और चिल्ला कर बोली, “साले बहनचोद, दूसरे कि बीवी कि गाण्ड मुफ़्त में मिल गया तो क्या उसको चोदना जरूरी है? भोसड़ी के निकाल अपना मूसल जैसा लण्ड मेरी गाण्ड से और जा अपना लण्ड अपनी मा कि गाण्ड में या उसकी बुर में घुसा दे। अरे रमेश तुमहे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गाण्ड फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नही तो गौतम मेरी गाण्ड मार मार कर मुझे गाण्डु बना देगा फिर तुम भी मेरी चूत छोड़ कर के मेरी गाण्ड ही मारना।” रमेश अपना लण्ड सुमन की गाण्ड के अन्दर बाहर कराते उषा से बोला, “अरे रानी, क्यों चिल्ला रही हो। गौतम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो गाण्ड मारवने से कोइ गाण्डु नही बन जाता है। देखो ना मैं भी कैसे गौतम कि बीवी कि गाण्ड ने अपना लण्ड अन्दर बहर कर रहा हूं। तुमको अभी थोड़ी देर के बाद गाण्ड मारवने में भी बहुत मज़ा मिलेगा। बस चुपचाप अपनी गाण्ड में गौतम का लण्ड पिलवाती जाओ और मज़ा लूटो। इतना सुनते ही गौतम ने अपना हाथ आगे बढा कर उषा कि एक चूंची पकड़ कर मसलने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लण्ड उषा कि गाण्ड के अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी देर के उषा को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर गौतम का लण्ड अपनी गाण्ड से खाने लगी। थोड़ी देर के बाद रमेश और गौतम दोनो ही सुमन और उषा कि गाण्ड में अपना लण्ड के पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफ़ा में लेट गये।
इस तरह से रमेश और उषा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके रहे तब तक दोनो दोस्त एक दूसरे कि बीवीयों की चूत चोद चोद कर मज़ा मारते रहे। कभी कभी तो दोनो दोस्त उषा या सुमन को एक साथ चोदते थे। एक बिस्तर पर लेट कर नीचे से अपना लण्ड चूत में डालता था और दूसरा अपना लण्ड ऊपर से गाण्ड में डालता था। उषा और सुमन भी हर समय अपनी चूत या गाण्ड मरवाने के लिये तैयार रहती थी। जब सब लोग घर के अन्दर रहते थे तो सभी नंगे ही रहते थे। उषा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाय या खाना बनाती थी और जब भी रमेश या गौतम उनके पास अता था तो वो झुक कर उनका लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसती थी और जैसे ही लण्ड खड़े हो जाता था तो खुद अपने हाथों से खड़े लण्ड को अपनी चूत से भिड़ा कर खुद धक्का मार कर अपनी चूत में भर लेती थे। एक हफ़्ता तक उषा और रमेश अपने दोस्त के घर बने रहे और फिर वापस अपने घर के लिये चल पड़े।
जब प्लेन में रमेश और उषा अपने घर के लिये जा रहे थे तो रमेश ने उषा से पूछा, क्यों उषा रानी, एक बात सही सही बातओ, कौन ज्यादा अच्छा चोदता है, मैं, गौतम या पिताजी?” रमेश का बात सुन कर उषा बिलकुल अचम्भित हो गई, फिर उसने धीरे से पूछा, “पिताजी से चुदाई कि बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहागरात पर ड्यूटी पर थे?” तब रमेश धीरे से उषा को चूमते हुए बोला, “हां, तुम ठीक कह रही हो, मुझे उस दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा। जब हम अपनी ड्यूटी से करीब एक घण्टे के बाद लौटा तो देखा तुम पिताजी का लण्ड पकड़ चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत में अपनी अंगुली पेल रहे है। यह देख मैं चुपचाप कमरे के बहर खड़े हो कर तुम्हे और पिताजी का चुदाई खत्म होते वक्त तक देखा और फिर लौट गया और सुबह ही घर पर आया।”
“क्या तुम मुझसे नाराज़ हो” उषा धीरे से रमेश से पूछा।
“नही, मैं तुम से बिलकुल भी नाराज नही हूं। तुमने पिताजी को अपनी चूत दे कर एक बहुत बड़ा उपकार किया है” रमेश बोला। उषा यह सुन कर बोली, “वो कैसे”। तब रमेश बोला, “अरे हमारी माताजी अब बुड्ढी हो गई है और उनको टांगे उठाने में तकलीफ़ होते है, लेकिन पिताजी अभी भी जवान हैन। उनको अगर घर पर चूत नही मिलती तो वो जरूर से बाहर जाकर अपना मुंह मारते। उसमे हम लोगो कि बदनामी होती। हो सकता कि पिताजी को कोई बिमारी ही हो जाती। लेकिन अब यह सब नही होगा क्योंकि उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को मिल जाया करेगा।”
“तो क्या मुझको पिताजी से घर में बार बार चुदवाना पड़ेगा?” उषा ने पलट कर रमेश से पूछा।
“नही बार बार नही, लेकिन जब उनकी मरज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से मना मत करना।”
“लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?” उषा ने पूछा।
“तब की बात तब देखी जायेगी” रमेश ने कहा।
फिर उषा और रमेश अपने घर आ गये और वे अपने अपने कम पर लग गये। रमेश अब पूरी तरह से ड्यूटी करता और रात को उषा को नंगी करके खूब चोदता था। गोविन्द जी भी कभी कभी उषा को मौका देख चोद लेते थे। फिर कुछ दिनो के बाद उषा और रमेश साथ साथ उषा के मैके गये। ससुराल में रमेश का बहुत आव-भगत हुअ। उषा के जितने रिशतेदार थे उन सभी ने रमेश और उषा को खाने पर बुलया। रमेश और उषा को मज़े ही मज़े थे। अपने ससुराल पर भी रमेश उषा को रात को दो-तीन दफ़ा जरूर चोदता था और कभी मौका मिल गया तो दिन को उषा को बिसतर पर लेटा कर चुदाई चालू कर देता था। एक दिन रमेश पास की किसी दुकन पर गया हुआ था। उषा कमरे में बैठ कर पेपर पढ रही थी। एकाएक उषा को अपनी मा, रजनी जी के रोने कि अवाज़ सुनाई दिया। उषा भाग कर अन्दर गई तो देखा कि रजनी जी भगवानजी के फोटो सामने खड़ी खड़ी रो रही है और भगवानजी से बोल रही है,
“भगवन तुमने ये क्या किया। तुम मेरे पति इतनी जल्दी क्यों उठा लिया और अगर उनको उठा लिया तो मेरी बदन में इतना गरमी क्यों भर दिया। अब मैं जब जब अपनी लड़की और दामाद कि चुदाई देखती हूं तो मेरी शरीर में आग लग जती है। अब क्या करूं? कोइ रास्ता तुम्ही दिखला दो, मैं अपनी गरम शरीर से बहुत परेशान हो गई हूं।” उषा समझ गई कि क्या बात है। वो झट अपनी मा के पास जकर मा को अपने बाहों में भर लिया और पीछे से चूमते हुए बोली,
“मा तुमको इतना दुख है तो मुझसे क्यों नही बोली?” रजनी जी अपने आपको उषा से चुराते हुए बोली,
“मैं अगर तुझे बता भी दूं तो तू क्या कर लेती? तुम भी तो मेरी ही तरह से एक औरत हो?”
“अरे मुझसे कुछ नही होता तो क्या तुम्हारा दामाद तो है? तुम्हारा दामाद ही तुमको शान्त कर देगा” उषा अपनी मा को फिर से पकड़ कर चूमते हुए बोली।
“क्या बोली तू, अपने दामाद से मैं अपनी जिस्म कि भूख शान्त करवाऊंगी? तेरा दिमाग तो ठीक है?” रजनी जी अपनी बेटी उषा से बोली। तब उषा अपने हाथों से अपनी मा कि चूंचियों को पकड़ कर दबाते हुए बोली, “इसमे क्या हुआ? तुम जिस्म कि भूख से मरी जा रही हो, और तुम्हारा दामाद तुम्हारी जिस्म कि भूख को नहीं मिटा सकता है क्या ?, अगर तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं अपने दामाद के समने खुद लेट जाती और उससे कहती आओ मेरे प्यारे दामादजी मेरे पास आओ और मेरी जिस्म की आग बुझाओ।”
“चल हट बड़ी चुद्दकड़ बन रही है, मुझे तो यह सोच कर ही शरम आ रही है, कि मैं अपनी दामाद के सामने नंगी लेट कर अपनी टांगे उठाऊंगी और वो मेरी चूत में अपना लण्ड पेलेगा” रजनी जी मुड़ कर अपनी बेटी कि चूंचियों को मसलते हुये बोली।
तभी रमेश, जो कि बाहर गया हुआ था, कमरे में घुसा और घुसते हुए उसने अपनी बीवी और सास की बातों को सुन लिया। रमेश ने आगे बढ कर अपनी सास के सामने घुटने के बल बैठ गया और अपनी सास के चूतड़ों को अपने हाथों से घेर कर पकड़ते हुए सास से बोला, “मा आप क्यों चिन्ता कर रही हैं, मैं हूं ना? मेरे रहते हुए आपको अपनी जिस्म कि भूख कि चिन्ता नही करनी चाहिये। अरे वो दामाद ही बेकार का है जिसके होते हुए उसकि सास अपनी जिस्म की भूख से पागल हो जाये।”
“नही, नही, छोड़ो मुझे। मुझे बहुत शरम लग रही है” रजनी जी ने अपने आप को रमेश से छुड़ाते हुए बोली। तभी उषा ने आगे बढ कर अपनी मा कि चूंची को पकड़ कर मसलते हुए उषा अपनी मा से बोली, “क्यों बेकार की शरम कर रही हो मा। मन भी जाओ अपने दामाद की बात और चुपचाप जो हो रहा उसे होने दो।” तब थोड़ी देर चुप रहने के बाद रजनी जी अपनी बेटी की तरफ़ देख कर बोली, “ठीक है, जैसे तुम लोगो कि मरज़ी। लेकिन एक बात तुम दोनो कान खोल कर सुन लो। मैं अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी नही हो पाऊंगी। आगे जैसा तुम लोग चाहो।” इतना सुन कर रमेश मुसकुरा कर अपने सास से कह, “अरे सासुमा आप को कुछ नही करना है। जो कुछ करमा मैं ही करुंगा, बस आप हमारा साथ देती जाये।”
फिर रमेश उठ कर खड़े हो गया और अपनी सास को अपनी दोनो बाहों में जकड़ कर चूमने लगा। रजनी जी चुपचाप अपने आप को अपने दामाद के बाहों में छोड़ कर खड़ी रही। थोड़ी देर तक अपने सास को चूमने के बाद रमेश ने अपने हाथों से अपने सास कि चूंची पकड़ कर दबाने लगा। अपने चूंचियों पर दामाद का हाथ पड़ते ही रजनी जी मारे सुख के बिलबिला उठी और बोलने लगी, “और जोर से दबाओ मेरी चूंचियो को बहुत दिन हो गये किसी ने इस पर हाथ नही लगाया है। मुझे अपने दामाद से चूंची मसलवाने में बहुत मज़ा मिल रहा है। और दबाओ। आ बेटी तू ही आ मेरे पास आजा और मेरे इन चूंचियों से खेल।” अब रमेश फिर से अपने सास के पैरों के पास बैठ गया और उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमने लगा। रजनी जी अपने चूत के ऊपर अपने दामाद के मुंह लगते ही बिलबिला उठी और जोर जोर से सांस लेने लगी।
रमेश भी उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूमता रहा। थोड़ी देर के बाद रजनी जी से सहा नही गया और खुद ही अपने दामाद से बोली, “अरे अब कितना तड़पाओगे। तुम्हे चूत में अंगुली या जीभ घुसानी है तो ठीक तरीके से घुसाओ। साड़ी के ऊपर से क्या कर रहे हो?” अपनी सास कि बात सुन कर रमेश बोला, “मैं क्या करता, आपने ही कहा था आप साड़ी नही उतारेंगे। इसिलिये मैं आपकी साड़ी के ऊपर से ही आपकी चूत चूम रहा हूं।”
“वो तो ठीक है, लेकिन तुम मेरी साड़ी उठा कर भी तो मेरी चूत का चुम्मा ले सकते हो?” रजनी जी ने अपने दामाद से बोली। अपनी सास कि बात सुनते ही रमेश ने जल्दी से अपनी सास की साड़ी को पैरों के पास से पकड़ कर ऊपर उठाना शुरु कर दिया और जैसे ही साड़ी रजनी जी की जांघो तक उठ गई तो रजनी जी मारे शरम के अपना चेहेरा अपने हाथों से ढक लिया और अपने दामाद से बोली, “अब बस भी करो, और कितना साड़ी उठाओगे। अब मुझे शरम आ रही है। अब तुम अपना सर अन्दर डाल कर मेरी चूत को चूम लो।” लेकिन रमेश अपनी सास कि बात को अनसुनी करते हुए रजनी जी की साड़ी को उनकी कमर तक उठा दिया और उनकी नंगी चूत पर अपना मुंह लगा कर चूत को चूम लिया। थोड़ी देर तक रजनी जी की नंगी चूत को चूम कर रमेश अपनी सास कि चूत को गौर से देखने लगा और अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की पत्तियों और दाने से खेलने लगा। रमेश कि हरकतों से रजनी जी गरमा गई और उनकी सांस जोर जोर से चलने लगी।
अपनी मा की हालत देख कर उषा आगे बढ कर अपनी मा की चूंचियो से खेलने लगी और धीरे धीरे उनकी ब्लाऊज के बटन खोलने लगी। रजनी ने अपने हाथों से अपने ब्लाऊज को पकड़ते हुए अपने बेटी से पूछने लगी, “क्या कर रही हो? मुझे बहुत शरम लग रही है। छोड़ दे बेटी मुझको।“ उषा अपनी काम जारी रखते हुए अपनी मा से बोली, “अरे मा, जब तुम अपने दामाद का मूसल अपने चूत में पिलवाने जा रही हो तो फिर अब शरम कैसी? खोल दे अपने इन कपड़ों को और पूरी तरफ़ से नंगी हो कर मेरे पति के लण्ड का सुख अपने चूत से लो। छोड़ो अब, मुझको तुम्हारे कपड़े खोलने दो।” इतना कह कर उषा ने अपनी मां का ब्लाऊज, ब्रा, साड़ी और फिर उनकी पेटीकोट भी उतार दिया। अब रजनी जी अपने दामाद के समने बिलकुल नंगी खड़ी थी। रमेश अपने नंगी सास को देखते ही उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से उनकी चूंचियो को मलता रहा और दूसरे हाथ से उनकी चूत को मसलता रहा। रजनी जी भी गरम हो कर अपने दामाद का कुरता और पैजामा उतर दिया। फिर झुक कर अपने दामाद का अन्डरवियर भी उतार दिया। अब सास और दामाद दोनो एक दूसरे के सामने नंगे खड़े थे।
जैसे ही रजनी जी ने रमेश का मोटा मस्त लण्ड को देखा, रजनी जी अपने आप को रोक नही पाई और झुक कर उस मस्त लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। उषा भी चुपचाप खड़ी नही थी। वो अपनी मा के चूतड़ के तरफ़ बैठ कर उसकी चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपनी मा कि चूत को चूसने लगी। रजनी जी अपने दामाद का मोटा लण्ड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी और कभी कभी उसको अपने जीभ से चाटने लगी। लण्ड को चाटते हुए रजनी जी ने अपने दामाद से बोली, “हाय! रमेश, तुमहरा लण्ड तो बहुत मोटा और लम्बा है। पता नही उषा पहली बार कैसे इसको अपनी चूत में लिया होगा। चूत तो बिलकुल फट गई होगी? मेरे तो मुंह दर्द होने लगा इतना मोटा लण्ड चूसते चूसते। वैसे मुझे पता था कि तुमहरा लण्ड इतना शानदार है”
“कैसे?” रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को दबाते हुए पूछा। तब रजनी जी बोली, “कैसे क्या? तुम जब मेरे घर में अपने शादी के बाद आये थे और रोज दोपहर और रात को उषा को नंगी करके चोदते थे तो मैं खिड़की से झांका करती थी और तुम्हारी चुदाई देखा करती थी। उन दिनो से मैं जानती थी कि तुम्हारा लण्ड की साईज़ क्या है और तुम कैसे चूत चाटते हो और चोदते हो।” तब रमेश ने अपने सास कि चूंचियों को मसलते हुए पूछा, “क्या मांजी, आपके पति यानि मेरे ससुरजी का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था?” “नही, उषा के पापा का लण्ड इतना मोटा और लम्बा नही था, और उनमे सेक्स कि भावना बहुत ही कम थी। इसिलिये वो मुझको हफ़्ते में केवल एक-दो बार ही चोदते थे” रजनी जी ने बोली।
थोड़ी देर के रमेश अपनी सास को बिस्तर पर लेटा कर उसकि चूत से अपना मुंह लगा दिया और अपने जीभ से उसकि चूत को ्चाटना शुरु कर दिया। चूत में जैसे ही रमेश की जीभ घुसी तो रजनी जी अपनी कमर उचकते हुए बोली, “उम्मम्म, अह्हह, ऊइ मा, राजा अभी छोड़ो ना क्यूं तड़पाते हो, मैं जल रही हूं, तुम्हारा लण्ड मुझे चूसना है। तुम्हारा लण्ड तो घोड़े जैसे है, मुझे डर लग रहा है जब तुम अन्दर मेरे चूत मैं डालोगे तो मेरी चूत तो फ़ट जायेगी। मेरी चूत का छेद बहुत छोटा है और ज्यादा चुदि भी नही है। आज तुम पहली बार मेरी चूत में अपन लण्ड डालने जा रहे हो। आराम से डालना और बड़े प्यार से मेरी चूत को चोदना”
तब रमेश ने अपना लण्ड अपनी सास कि चूत पर लगाते हुए बोला, “कोई बात नही मांजी, आपकी चूत को जो भी कमी पहले थी अब उसको मैं पूरा करुंगा। मैं अब रोज़ आपकी और आपकी बेटी को एक ही बिस्तर पर लेटा कर अपन लोगों कि चूत चोदुंगा।”
यह सुनते ही उषा अपने मम्मी से बोली, “मां अब तो तुम खुश हो? अब से रोज़ तुम्हारा दामाद तुमको और मुझको नंगी करके हमारी चूत चोदेगा। हां, अगर तुम चाहो तो तुम अपनी गाण्ड में भी अपने दामाद का लण्ड पिलवा सकती हो।” इतना कह कर उषा ने रमेश से बोली, “मेरे प्यारे पति, अब क्यों देर कर रहे हो। जल्दी से अपना यह खड़ा लण्ड मेरी मां कि चूत में पेल दो और उनको तबियत के साथ खूब चोदो। देख नही रहे हो कि मेरी मा तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में पिलवाने के कितनी बेकरार है। लाओ मैं ही तुम्हारा लण्ड पकड़ कर पानी मा कि चूत में घुसेड़ देती हूं,” और उषा ने अपने हाथों से पकड़ कर रमेश का लण्ड उसके सास कि चूत पर लगा दिया। रमेश का लण्ड के चूत से लगते ही रजनी जी ने अपनी कमर हिलाना शुरु कर दिया और रमेश ने भी अपनी कमर हिला कर अपना लण्ड अपने सास कि चूत में डाल दिया। रजनी जी कि चूत अपने पति के देहान्त के बाद से चुदी नही थी और इसालिये बहुत टाईट थी और उसमे अपना लण्ड डालने में रमेश को बहुत मज़ा मिल रहा था। रजनी जी भी अपने दामाद का लण्ड अपनी चूत में पेलवा कर सातवें आसमान पर पहुंच गई थी और वो बड़बड़ा रही थी, “आआअह ऊऊऊह आराम से डालो यार, मेरी चूत ज्यादा खुली हुई नहीं है। प्लीज, पूरा लण्ड मत डालो नही तो मेरी चूत फ़ट जायेगी, उई मा।म मर गई, ओह, आह, हन, मेरी चूत फ़ाड़ दो, हां, ज़ोर से, और ज़ोर से, राजा है मादरचोद रमेश आज मेरी चूत फाड़ दो आआअह आआआह ऊऊऊह ज़ोर से डालो, और ज़ोर से डालो, आज जितना ज्यादा मेरी चूत के साथ खेल सकते हो खेलो, राजा यह लण्ड पूरा मुझे दे दो, मै इस के बिना नहीं रह सकती हूं, पूरा लण्ड डालो, उम्मम्मम आआह आआआह” “उम्मम्मम आआआआह चूत में गुड, उम्मम्मम्म अह अह अह ओह्ह ओह नो। मैं चूत खाज से मरी जा रही हूं, मुझे जोर जोर से धक्के मार मार कर चोदो।” थोड़ी देर के बाद रजनी जी ने अपने दामाद को अपने चारों हाथ और पैर से बांध कर बोली, “आआअह आआआआआह उम्मम्मम्म, चोदो मुझे ज़ोर से उम्मम्मम्मम्म, उफ़ मादरचोद बहुत मज़ा आ रहा है, प्लीज रुकना नही, ओह मुझे रगड़ कर चोदो, ज़ोर से चोदो, अपना लण्ड पूरा मुझ को दे दो, तुम जैसा कहोगे मै वैसा ही करूंगी लेकिन मुझे और चोदो, तुम बहुत अच्छा चोदते हो, मुझे ही आज बहुत ज्यादा, चोदो भेनचोद तुम्हारा लण्ड तो तुम्हारे ससुर से भी बड़ा है, चोदो मुझे नहीं तो मै मर जाऊंगी, अभी तो तुम ने मेरी गाण्ड भी मारनी है।”
थोड़ी देर तक रजनी जी कि चूत चोदने के बाद रमेश ने अपनी सास से पूछा, “मा जी मेरी चुदाई आप को कैसी लग रही है?” रजनी अपने दामाद कि लण्ड के धक्के अपने चूत से खाती हुई बोली, “मेरे प्यारे दामाद जी बहुत अच्छा लग रहा है। मुझे तुम्हारी चुदाई बहुत अच्छी लग रही है। तुम चूत चोदने में बहुत ही माहिर हो। बड़ा मजा आ रहा है मुझे तुमसे चुदवाने में डियर ऊओह्हह्ह डियर तुम बहुत अच्छा चोदते हो आआह्हह्हह्ह ऊऊऊह्हह्हह्हह्हह्ह ऊऊओफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ फ़ुद्दी मारी यू आर एन एक्सपर्ट। तुम्हे मालूम है कि कैसे किसी औरत कि चूत की चुदाई की जाती है और तुम्हे यह भी मालूम है कि एक औरत को कैसे कैसे सुख दिया जा सकता है। यूं ही हां डियर यूं ही चोदो मुझे…बस चोदते जाओ मुझे अब कुछ नहीं पूछो आज जी भर के चोदो मुझे डियर हां डियर जम कर चुदाई करो मेरी तुम बहुत अच्छे हो बस यूं ही चुदाई करो मेरी…ऊऊह्हह्हह्हह…।। खूब चोदो मुझे…" और रमेश अपनी सास को अपनी पूरी ताकत के साथ चोदता रहा।
रमेश अपनी सास कि बात सुन सुन कर बहुत उत्तेजित हो गया और जोर जोर से अपने सास कि चूत में अपना लण्ड पेलने लगा। थोड़ी देर के बाद रमेश को लगा कि अब वो झड़ने वाला है तो उसने अपनी सास से बोली, “सासुमा मैं झड़ने जा रहा हूं।” तो रजनी जी बोली, “राजा, प्लीज मेरी चूत के अन्दर ही झड़ो” और रमेश अपना लण्ड पूरा का पूरा अपनी सास की चूत में लण्ड ठांस कर लण्ड कि पिचकरी छोड़ दिया। थोड़ी देर के बाद रजनी जी भी बिसतर पर से उठ खड़ी हुई और सीधे बाथरूम में जा कर घुस गई। थोड़ी देर के बाद अपनी चूत धो धा कर रजनी जी फिर से कमरे घुसी और मुसकुरा कर अपने दामाद से बोली, “हाय! मेरे राजा आज तो तुमने कमाल ही कर दिया। तुम तो सिरफ़ एक झड़े लेकिन मैं तुम्हारी चुदाई से तीन बार झड़ी हूं। इतनी जोरदार चुदाई मैने कभी नही की। मेरी चूत तो अब दुख रही है।”
तभी उषा, जो कि अपने पति और अपने मा की चुदाई देख रही थी, बोली, “मा अपने दामाद का लण्ड अपनी चूत में पिलवा कर मज़ा आया? मेरी शादी की पहली रात तो मैं बिलकुल मर सी गई थी और अब इस लण्ड से बिना चुदवा कर मेरी तो रात को नीद ही नही आती। मैं रोज़ कम से कम एक बार इस मोटा तगड़ा लण्ड से अपनी चूत जरूर चुदवती हूं या अपनी गाण्ड मरवाती हूं।” तभी रमेश ने अपने सास को अपने बाहों में भर कर बोला, “मां जी, एक बार और हो जाये आपकी चूत की चुदाई। मैं जब कम से कम दो या तीन बार नही चोद लेता हूं मेरा मन ही नही भरता है।” रजनी जी बोली, “अरे थोड़ा रुको, मेरी चूत तुम्हारी चुदाई से तो अब तक कुलबुला रही है। अब तुम एक बार उषा कि चूत चोद डालो।”
“नही मां जी, मैं तो इस वक्त आपकी चूत या गाण्ड में अपना पेलना चाहता हूं। आपकी लड़की कि चूत तो मैं रोज़ रात को चोदता हूं, मुझे तो इस समय आपकी चूत या गाण्ड चोदने की इच्छा है।” तब उषा अपने मा से बोली, “मा चुदवा ना लो और एक बार। अगर चूत बहुत ही कुलबुला रही है तो अपने गाण्ड में ले लो अपने दामाद का लण्ड। कसम से बहुत मज़ा मिलेगा।”
तब रजनी जी बोली, “ठीक है, जब तुम दोनो कि यही इच्छा है, तो यह लो मैं एक बार फिर से चुदवा लेती हूं। लेकिन इस बार मैं गाण्ड में रमेश का लण्ड लेना चाहती हूं। और दो मिनट रुक जओ, मुझे बहुत प्यास लगी है मैं अभी पानी पी कर आती हूं।” तब उषा अपने मा से बोली, “अरे मां, रमेश का लण्ड बहुत देर से खड़े है और आप पानी पीने जा रही हो? इन बिस्तर पर लेटो मैं तुमहरी प्यास अपनी मूत से बुझा देती हूं।”
इतना सुनते ही रजनी जी बोली, “ठीक है ला अपना मूत ही मुझे पिला मैं प्यास से मरी जा रही हूं” और वो बिसतर पर लेट गई। मा को बिस्तर पर लेटा देख कर उषा भी बिस्तर पर चढ गई और अपने दोनो पैर मां के सर के दोनो तरह करके बैठ गई और अपनी चूत रजनी जी के मुंह से भिड़ा दिया। रजनी जी भी अपनी मुंह खोल दिया। मुंह खुलते ही उषा ने पिशाब कि धार अपने मा कि मुंह पर छोड़ दिया और रजनी जी अपनी बेटी की मूत बड़े चाव से पीने लगी। पिशाब पूरा होने पर उषा अपने मा के ऊपर से उठ खड़ी हो गई और रजनी जी के बगल में जा कर बैठ गई। तब रमेश ने अपने सास के बाहों को पकड़ कर उनको बिस्तर पर उल्टा लेटा दिया और उनकी कमर को पकड़ कर उनके चूतड़ को उपर कर दिया। जैसे रजनी जी घोड़ी सी बन कर बिस्तर पर आसन लिया तो रमेश अपने मुंह से थोड़ा सा थूक निकल कर अपने सास कि गाण्ड में लगा दिया और अपना लण्ड को अपने हाथों से पकड़ कर अपनी सास कि गाण्ड कि छेद में लगा दिया। रजनी जी तब अपने हाथों से अपनी बेटी कि चूंचियों को मसलते हुए बोली, “रमेश मेरे राजा, मैने आज तक कभी गाण्ड नही चुदवाई है और मुझको पता है कि गाण्ड मरवाने में पहले बहुत दर्द होता है। इसलिये तुम आराम से मेरी गाण्ड में अपन लण्ड डालना। जैसे ही रमेश ने जोर लगा कर अपना लण्ड का सुपारा अपनी सास की गाण्ड में घुसेड़ा तो रजनी जी चिल्ला उठी, “आआआह ऊऊऊऊह आआआआह क्या कर रहा हो, मै मार जाऊंगी, राजा तुम तो मेरी गान्ड फ़ाड़ कर रख दोगे, मैने पेहले कभी गाण्ड नहीं मरवाई है प्लीज़ मेरे लल्ला आहिस्ता से करो।” अपनी मा को चिल्लाते देख उषा ने रमेश से बोली, “क्या कर रहे हो, धीरे धीरे आराम से पेलो ना अपना लण्ड। देख नही रहे हो मेरी मां मरी जा रही है। मां कोई भागी थोड़ी ना जा रही है।”
रमेश इतना सुन कर अपनी बीवी से बोली, “क्यों चिन्ता कर रही हो। तुमको अपनी बात याद नही। जब मैने पहली बार अपना लण्ड तुम्हारी गाण्ड में पेला था तो तुम कितना चिल्लाई थी और बाद तुम्ही मुझसे बोल रही थी, और जोर से पेलो, पेलो जितना ताकत है फ़ाड़ दो मेरी गाण्ड, मुझको बहुत मज़ा मिल रहा है और मैं तो अब से रोज तुमसे अपनी गाण्ड में लण्ड पिलवाऊंगी।” उषा अपने पति कि बात सुन कर अपनी मा से बोली, “मा थोड़ा सा सबर करो। अभी तुम्हारी गाण्ड का दर्द खतम हो जयेगा और तुमको बहुत मज़ा मिलेगा। रमेश जैसा लण्ड पेल रहा है उसको पेलने दो।”
तब रजनी जी बोली, “वो तो ठीक है, लेकिन अभी तो लग रहा था कि मेरी गाण्ड फटी जा रही है, और मुझको अब पिशाब भी करना है।” रमेश अपनी सास कि बात सुन कर उषा से बोला, “उषा तुम जलदी से किचन में से एक जग लेकर आओ और उसको अपनी मां की चूत के नीचे पकड़ो।” उषा जल्दी से किचन में से एक जग उठा कर लाई और उसको अपनी मां की चूत के नीचे रख कर मां से बोली, “लो अब मूतो, मेरी प्यारी मां। तुम भी मां एक अजीब ही हो। उधर तुमहरा दामाद अपना लण्ड तुम्हारे गाण्ड में घुसेड़ रखा है और तुमको पिशाब करनी है।” रजनी जी कुछ नही बोली और अपने एक हाथ से जग को अपनी चूत के ठीक नीचे लकर चर चर करके मूतने लगी। राजनी को वाकई ही बहुत पिशाब लगी थी क्योंकि जग करीब करीब पूरा का पूरा भर गया था।
जब रजनी जी का पिशाब रुक गया तो उषा ने जग हटा लिया और जग को उठा कर अपने मुंह से लगा कर अपनी मां की पिशाब पीने लगी। यह देख कर रमेश रजनी जी से बोला, “अरे क्या कर रही हो, थोड़ा मेरे लिये भी छोड़ देना। मुझको भी अपने सेक्सी सास कि चूत से निकला हुअ मूत पीना है।” उषा तब बोली, “चिंता मत करो, मैं तुम्हारे लिये आधा जग छोड़ देती हूं।”
थोड़ी देर के बाद रजनी जी अपने दामाद से बोली, “बेटा मैं फिर से तैयार हूं, तुम मुझे आज एक रण्डी की तरह चोदो। मेरी गाण्ड फ़ाड़ दो। मैं बहुत ही गरम हो गई हूं। मेरी गाण्ड भी मेरी चूत कि तरह बिलकुल प्यासी है।” “अभी लो मेरी सेक्सी सासुमा, मैं अभी तुम्हारी गाण्ड अपने लण्ड के चोटों से फ़ाड़ता हूं” और यह कह कर रमेश ने अपना लण्ड फिर से अपने सास कि गाण्ड में पेल दिया। गाण्ड में लण्ड घुसते ही रजनी जी फिर जोर से चिल्लने लगी, “हाय! फ़ाड़ डाला रे मेरी गाण्ड, फ़ाड़ डाला रे। अरे कोई मुझे बचाओ रे, मेरी दामाद और मेरी बेटी दोनो मिल कर मेरी गाण्ड फड़वा डाला।” तब उषा अपने मा से बोली, “अरे मा क्यों एक छिनाल रण्डी की तरह चिल्ला रही हो, चुप हो जाओ और चुपचाप अपने दामाद से अपनी गाण्ड में लण्ड पिलवाती रहो। थोड़ी देर के बाद तुमको बहुत मज़ा मिलेगा।” अपनी बेटी कि बात सुन कर रजनी जी चुप हो गई लेकिन फिर भी उसकी मुंह से तरह तरह की आवाजे निकल रही थी।
“…।आआह्हह्ह……यययौऊ…।ऊऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़…।।ईईईइस्सास्सास्सह्हह्हह…।ऊऊओह्हह्हह्ह…।यययौउ…।।ऊउफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़……यह…।।लण्ड बहुत मोटा और लम्बा है। ऊऊऊओमम्म्माआआआहह्हह्हह…है! मैं मरी जा रही हूं। ऊऊउह्हहह्हह……प्लीऽऽऽस्सासे…।आआआआअ…।ऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़…।धीरे…जरा धीरे पेलो मैं मरी जा रही हूं। अरे बेटी, अपने पति से बोल ना कि वो जरा मेरी गाण्ड में अपना लण्ड धीरे धीरे पेले। मुझे तो लग रहा कि मेरी चूत और गाण्ड दोनो एक हो जायेंगी।” थोड़ी देर के बाद रमेश अपना हाथ अपने सास के सामने ले जकर उनकी चूत को सहलाने लगा और फिर अपनी अंगुलियों से उनकी चूत की घुण्डी को पकड़ कर मसलने लगा। अपनी चूत पर रमेश का हाथ पड़ते ही रजनी जी बिलबिला उठी और अपनी कमर हिला हिला कर रमेश के लण्ड पर ठोकर मारने लगी।
यह देख कर रमेश ने उषा से कह, “देख तेरी रण्डी मां कैसे अपनी कमर चला कर मेरे लण्ड को अपने गाण्ड में पिलवा रही है। क्या तुम्हारी यही मां अभी थोड़ी देर पहले अपनी गाण्ड मरवाने पर नहीं चिल्ला रही थी?” यह सुन कर उषा बोली, “ओह्ह रमेश! क्या बात है! देखो मेरी मां क्या मज़े से अपनी गाण्ड से तुम्हारा लण्ड खा रही है। देखो मेरी मां कैसे गाण्ड मरवा रही है। मारो, मारो रमेश, मेरी मा कि गाण्ड में अपना लण्ड खूब जोर जोर से पेलो। इसके पूरे बदन में लण्ड के लिये खुजली भरी पड़ी है। चोदो रमेश साली कि गाण्ड मारो बड़ी खुजली हो रही थी!”
रजनी जी अपनी गाण्ड में दामाद का लण्ड पिलवा कर सातवे आसमन पर थी और बड़बड़ा रही थी, “ओह्हह्ह! देखो उषा मेरी बेटी! तुम्हारी मा गाण्ड में लण्ड लेकर चुदवा रही है! तुम आखिर अपने मरद से मेरी चूत, गाण्ड चोदवा ही दी! देखो साला रमेश कैसे चोद रहा है! साला सच्चा मरद है! डाल और डाल रे! चोद ! मेरी गाण्ड मार! मेरे बेटी को दिखा! आह्हह ऊह्हह्हह्हह चोद चोद चोद ऐईइ!” रमेश अपनी बीवी और अपनी सास की बात सुनता जा रहा था और अपनी कमर चला चला कर अपनी सास की गाण्ड में अपना लण्ड पेलता रहा। थोड़ी देर तक रजनी जी कि गाण्ड मारने के बाद रमेश एक बार जोर से अपना पूरा का पूरा लण्ड रजनी जी कि गाण्ड घुसेड़ दिया और रजनी जी को जोर से अपने हाथों से जकड़ कर अपना लण्ड का पानी अपने सास कि गाण्ड ने छोड़ दिया। झड़ने के बाद रमेश ने अपना लण्ड अपने सास की गाण्ड से बाहर निकाल लिया।
उषा ने अपनी मां को प्यार से गले लगा लिया। रमेश ने भी अपनी सासू मां के चरण स्पर्श किया और फिर तीनो साथ ही एक ही बिस्तर पर ये वादा करके लेट गये कि अब पूरे घर में ऐसा ही प्यार भरा माहौल बना रहे।

Tuesday 1 December 2015

Maa aur Beta Ek jamindaar pariwaar

Mai uttar bhaarat ka ek jameemdaar pariwaar kaa larka hu. humare pariwaar me meri maa, pitaji, mai aur meri chotee bahen preeti hai. Ghar ke kaam ke alawaa meri maa kheto me bhe kaam karatee thee ,isliye unka shareer bara tandrust aur gatha hua tha. Unka chuchi ,unki chut ,unki gaand kaamal ki the. Jab se maine amma ke badan ko ek mard kee nigaho se dekhna shuru kiya tha tab meri umar unnees baras thaa. Apne maa ko mai bahut pyaar karta tha aur apne ma ko bohot kareeb pana chata tha. humara ghar kheton ke beech tha aur charon oree uchee dewaren thee jisse koee andar naa dekh sake. Isliye maa aur meri bahen preeti gharme jayada kapde pahne binaee ghuma karte the. Ghar me wo log sidhe saje halke fulke kapre me rahte the. Meri amma din me sirf patli si salawaar kameez pahana karte the aur rat ko bilkul nangi ho ke pitaji k sath so jaya karte the.

Jab garmee mei maa rasoee mei baith kar khana banaya karti the tab mujhe unko unke saamne baith kar dekhnaa bahut achchaa lagta tha. amma bilkul patle se tight kapre pahen ke chulhe ke saamne baith kar khana banaya karte the. Garmee se jab unki khub paseena chootne lagta tha, jab maa ke badee badee choochiyaa unkee kameej ke upar ubhar aata tha ; tab mai najar gada ke paseene kee bahetee dhaaron ko dekhtaa thaa jo unke gale se chuchiyo ke beech kee gaharee khaaee mei behene lagtee the. Ab tak paseene se geele kapde mei se unke ubhare hue nipal bhee dikhne lagte the . Pahale amma mujhe is garameme baithne ke liye daante the par mai use pyaar se kahtaa tha. “maa jab aap itnee garmee mei baith sakatee hai humare liye to mai bhee aapkee garmee mei pooreaa saath dunga”.

maa is baat par muskurake bole “beta mai to garmi se pasina pasina ho hee gayee hoon, meri saath tu bhee pasina pasina ho jaayegaa”. Maa meri ore bade pyaar se dekhte hue kahtee “dekh kitanaa paseenaa aa gayaa hai” aur apni kameej kaa kinaaraa uthaakar mujhe wo apna paseene se tarabatar thod.aa fulaa huaa narama narama pet dikhaatee. wo ek paate par pishaab karne ke amdaaz mei apni jaanghe khol kar baithatee aur fatafat chapaatee banaatee jaatee. mai seedhaa unke saamne baith kar unkee jaangho ke baach tak lagaa kar dekhataa thaa. meri najar khuda par dekh kar amma apna haath peeche chutad. Par rakhakar apni salawaar kheechatee jisase taait hokar wo salawaar unkee mast fulee fuddee par sata kar chipak jaatee.

amma kee fuddee kameshaa saaf rahatee thee aur jhaantem na hone se salawaar us chikanee bur par aisee chipakatee thee ki fuddee ke beech kee gaharee lakeer saaf dikhatee thee. unke pet se baha ke paseenaa jab fuddee par kaa kapad.aa geelaa kartaa to us paaradarshak kapde mei se mujhe maa kee bur saaf dikhatee. uska khadaa baahar nikala klitoreis bhee mujhe saaf dikhataa aur mai najar jamaa kar sirf vaheem dekhataa rahataa. Ab tak maa kee choot mei se chipchipa paanee nikalne lagataa thaa aur wo uttejit ho jaatee thee. hum duhare arth kee baate karne lagte the. maa meri plet par ek chapaatee rakha kar puchateem “beta tel lagaa ke doom?”. mai kahataa “maa binaa tel kee hee le loongaa, tu de to de”. Raat ko yeh baate yaad karake mai bistar mei baith kar apna lund haath mei lekar maa ke baare mei sochataa aur unkee choot chodne kee kalpanaa karate hue muttha maarataa.

Ab mai aslee baat bataataa hum ki humaraa kaam kaise shuru huaa. Pitaajee beej khareedane ko baahar gaye the, kareeb ek hafte ke liye. Is baar ek do din mei hee maa kee chut khujalaane lagee. Gaayem jaisee garam ho kar karatee hai bas waisaa hee bartaav maa kaa ho gayaa. Ek chote khet kee jutaaee bachee thee. Subaha maine maa se kahaa “maa mai wo chotaa khet jot ke aataa hoon”. maa bolee “beta, abhee to bahut garmee hotee hai, vahaan koee bhee to nehi aataa hai, aaj kal to koee bhee kheto mei nehi jaataa hai, pooreaa veeraanaa hogaa.” maine unke bolane kee taraf dhyaan nehi diyaa aur traiktar taiyaar karne lagaa. Jab mai nikalne hee waalaa thaa to amma ne peeche se kahaa “beta mai dopahar kaa khaanaa le ke aaumgee”. mai bolaa “theek hai maa par der mat karanaa”. mai fir kheto par nikal gayaa.

humare khet bahut bade aur usa din kaafee garmee thee. Koee bhee woha nehi thaa. mai jahaan kaam kar rahaa thaa woha chaarom baaju baajre kee umchee fasal thee. maine kaafee der kaam kiya aur fir baith kar sustaane lagaa. Ghadee mei dekhaa to dopahar ho gayee thee. Mujhe achanak yaad aayaa ki maa dopahar kaa khaanaa lekar aa rahee hogee. maa kaa khayaal aate hee mera lund khadaa hone lagaa aur romgate khad.e ho gaye. maine mastee se machal kar dheere se kahaa “maa teree choot.”

Apni muh se yeh shabd sun kar mujhe itanaa romaanch huaa ki maine apna haath pant ke upar se hee apne lund par rakhaa aur jore se bolaa ” maa aaj khet mei chudawaa le apne bete se.” ab mai aur uttejit ho uthaa thaa aur chillaayaa “maa aaj chut le ke aa meri paas ,dekh maa aaj teraa beta haath mei lund le ke baithaa hai”. Ab mai puree tarah se uttejit ho chukaa thaa aur aise gande shabd apni maa ke liye bol kar apane aap ko atyadhik rupa se garam kar rahaa thaa.
Apni maa kee chut kee kalpanaa kar kar ke mai paagal huaa jaa rahaa thaa. mera lund tankar puree tarah se khadaa ho gayaa thaa. Sunasaan jagaha kaa faayadaa lekar mai jore jore se khud se baate kartaa hua apne maa kee chut ke bare me gandi gandi baatain karne lagaa. Paanch das minut hee gujre honge ki mujhe dur se apnee maa aatee dikhayee dee. unke haath mei khaane kaa dibbaa thaa. maine tractore chaalu kiya aur fir kaam karne lagaa.

Kuch der baad maa meri paas pahunchee aur tractore kee aawaaj ke upar chillaakar mujhe utarne ko kahaa. maine tractore bandh kiya aur unkee ore baraa. Man mei maa ke prati utha rahe gande vichaaron ke kaaran mujhe unse aankhe milaane kee himmat nehee ho rahee thee. maa ne khet ke beech ke pedke ore ishaaraa kiya aur hum chal kar woan pahunche. woha pahunch kar maa bolee “beta tu kitanaa pasina pasina ho gayaa hai. Dekh kaisaa paseenaa aa gayaa hai. Laa mai teraa paseenaa poonch du.” meri paas aa kar unone pyaar se mera paseenaa pooncha. Fir hum khaane baithe. mai to maa kee taraf jyaadaa nehi dekh paa rahaa thaa par wo najar jamaa kar meri ore dekh rahee thee. Khaane ke baad maine haath dhoe aur fir tractore kee ore chalaa, itane mei maa peeche se bolee. “beta ek zarooreee baat karnee hai ” mai waapas aa kar unke paas baith gayaa. maa kaafee pareshaan dikh rahee thee. Achanak wo bolee “beta baajaraa badaa ho gaye hai koee choreee to nehi kartaa ?” mai bolaa “nehi maa ab kaun legaa ise.” maa bolee “nehi koee bhee choreee kar sakataa hai tu dekh aas paas koee hai to nehi. Aisaa kar tu ped pe chadhjaa aur sab taraf dekh. ” maine pedpar chadh. Kar sab taraf dekhaa aur utar ke bolaa “maa aas paas to koee bhee nehi hai, hum dono bilkul akele hai.”

maa ne meri aankho se najar bhidaa kar puchaa ” hum dono akele hai kyaa?” maine sir hilaakar haa boli to wo bolee “tu mujhe baajre ke khet mei le chal” mai khet ke sabase ghane aur unche jaga kee oree chal diyaa, amma meri peeche peeche aa rahee thee. Jaise hee hum khet mei ghuse, hum puree tarah se baaharwalo kee najaro se chup gaye, agar koee dekh bhee rahaa hotaa to kuch na dekh paataa. maine maa kaa haath pakadaa aur use kheech kar aur gahre le jaane lagaa. amma dheere se meri kaan mei bolee “beta koi dekhegaa to nehi hamei yaha.” mai ek jagaha ruk gayaa aur unkee ore mudkar bole “yaha kaun dekhegaa hume, dekhna to doore koee humaree aawaaz bhee nehi sun sakegaa”. mai maa kee ore dekhkar bolaa “maa meri saath ganda kaam karegee?” fir aur paas jaa kar bolaa “maa chal gandee gandee baat kar naa?” maa meri ore dekh kar bolee “achchaa, tu ab mujhe gandee aurat banane ko bol” mai ab uttejit ho rahaa thaa aur mera lund fir khadaa hone lagaa thaa. maine idhar udhar dekhaa, hum log bilakul akele the.
mai fir bolaa. “maa mai aadmee wala kaam karungaa tere saath.” maa meri ore dekh kar bolee. “yeh ! meri saath gandee baat kar rahaa hai tu ?!! ” maine unkee ore dekh kar kahaa “chal ab apne kapde utaar ke nangee ho jaa.” maa kaa cheharaa is par lajjaa se laal ho gayaa aur wo sharmaakar bolee “nehi pahale tu apna lund dikhaa”.
maine apni zip khola aur a andar haath daal kar apnaa lamba tagadaa lund baahar nikaalaa aur amma ke haath pakad kar ke ungaliyaan khol kar unme thuma diyaa “le mera lund pakad.” meri hee lund par meri khud kee maa ke naram haathon kaa sparsh mujhe paagal banaa rahaa thaa. maine ab dheere dheere amma ke kapde utaarnaa shuru kar diye. unkee kameez ke dono chore pakad kar maine upar kheeche aur unko bhee dono haathon ko uthaakar mujhe kameez nikaal lene dee.

Ab wo meri saamne sirf bresiyar aur salwaar mei khadee thee. maine unkee salawaar kee naadee kheech dee aur salawaar ko kheech kar unke ghutno ke neeche utaar diyaa. maa ne pair uthaa kar salawaar puree tarah se nikaal dee. Ab meri maa sirf bra aur panty mei mera lund pakad kar meri saamne khadee thee. maine unki hoto ko chumte hue apne haath unke nange kandhom par rakh kar kahaa “amma, tujhe nangee kar doon? ” maa kuch na bolee par meri lund ko pyaar se dabaatee aur sahlaatee rahee jo ab khadaa hokar khub badaa aur motaa ho gayaa thaa.

Maine maa ko baahon mei liyaa aur unkee braa ke huk khol diye. Braa neeche gir padee aur maa ke khubasurat mote stan(chuchi) meri saamne nange ho gaye. maa ne turant sharamakar mujhe paas kheech liyaa jisse unkee chuchiyaa na dikhe. yeh dekhkar maine unke kaan mei sharaarat se kahaa ” maa, apne bete ko chuchi dikhaane mei itanaa sharmaa rahee hai to tu apni choot kaise kholegee meri saamne?” maa ab bolee ” chal ab jyaadaa baate mat kar, meri saath kaam kar”

Mujhe ab badaa majaa aa rahaa thaa aur maa kee sharm kam karne ko mai usse aur gandee gandee baate karne lagaa. maine dabee aawaaj mei puchaa “marwaaegee?” maa bolee “itanee doore se marwaane ke liye hee to aaee hoon, baajre ke khet mei nangee khadee hoon tere saamne aur tu pooch rahaa hai ki marwaaegee?” maine use aur chidhaate hue puchaa “kachchee utaar du kyaa”

maa ab tak meri dheere dheere sataane waale bartaav se chidh gayee thee. wo mujhe alag kar ke peeche sarkee, ek jhatake mei apaee panty utaar ke fek dee, apne kapado ko neeche bichaayaa aur un par let gayee. Apni ghutane modkar apni jaanghe unone failaayee aur apni chut ko meri saamne khol kar bolee “aur kuch kholu kyaa, ab jaldee se apna lund daal”

maine apne kapde utaare aur maa kee taamgo ke beech ghutne tek kar baith gayaa. meri maa apni najare gadaa kar meri mast tannaaye hue lund ko dekh rahee thee. maine haath mei laud liyaa aur dheere se lund ki chumdee peeche kheecha. Laal laal suje hue supaade ko dekh kar maa kee jaanghe apne aap aur fail gayee.

maa bharee aawaaj mei bolee ” ab der mat kar bete, apna lund meri andar de jaldee se”. maine lund pakad kar uski muh maa kee chut ke muh par rakhaa. Fir unke ghutane pakad kar unkee jaanghe aur failaate hue aankho mei aankhe daal kar puchaa “chod du tujhe?”

maa kaa puraa shareer mastee se kaap rahaa thaa. unone apna sir hilakar jawaab diyaa ‘haan’, maine ghutno par baithe baithe jhuk kar ek dhakkaa diyaa aur lund ko unkee bur me ghuseda diyaa. Jaise hee motaa taajaa lund unkee geelee bur mei ghusaa, unke bur se choda choda pani nikalne laga. Maa sisak kar bolee ” aah achha lag raha hia toda hila apni lund ko" fir wo boli "bete meri upar chadh Jaa.” yeh sunkar lund ko waisaa hee ghusaaye hue mai aage jhukaa aur apni kohaniyaan ukee chaatee ke dono ore tek dee. Fir apne dono hatho mei maine amma kee chuchiyaam pakad. Leem.

hum dono ab ek dusre kee aankho mei aankhen daal kar dekh rahe the. maine ab ek kas kar dhakkaa diyaa aur mera puraa lund maa kee chut kee gaharaaee mei samaa gayaa. Lambee prateekshaa aur chaahat ke baad lund ghused.ane kaa kaam aakhir khatma huaa aur humaraa dhyaan ab chudaaee ke aslee kaam par gayaa. mai maa ko chodne lagaa. hum dono waasanaa mei dube hue the aur ek dusre kee kaamapeedaa ko samajhate hue pure jore se ek dusre ko bhogne mei lag gaye.

mera lund unkee bur ke ras se puree tarah chikanaa aur chipchipa ho gayaa thaa. mai pure jore se dhakke maar maar kar maa ko chod rahaa thaa. Apni maa ko chodate hue mujhe jo sukh mila rahaa thaa wo uski koi kalpana v nehi karsakta. maine unke bade bade chuchi apne panjo mei jakad rakhe the aur unko dekhte hue lambe lambe jhatko ke saath unkee chut mei apna lund andar baahar kar rahaa thaa.

amma kaa cheharaa ab kaamvaasanaa se laal ho gayaa. Ab jaise mai lund unkee chut mei jada andar tak ghusa deta, wo jawaab mei apne chut ucha karke ultaa dhakkaa maartee hue apni chut ko meri ore thel detee. maine unkee aankho mei jhakaa to unone najar fer lee aur boli , “ab tu bachchaa nehi rahaa, tu to poora aadmee ho gayaa hai.” maine puchaa “maa, tu chuda rahee hai naa achchee tarah?” maa kuch na bolee, bas chut uchakar chudaatee rahee.

Us dopahar maine apni maa ko kai ghanto tak chodaa aur chod chod kar unkee chut ko aur lal kar diyaa. Aakhir puree tarah satisfied hokar jab mai unke badan par se utane laga tab mera lund unkee geelee chipchipee bur se nikal lal ho k nikal aayaa. amma chud kar jaanghe failaa kar apni chudeehuye bur dikhaate hue haafate hue padee rahe.

wo dheere se uthee aur kapde pahan ne lagee. maine bhee uth kar apne kapde pahana liye. hum kheto ke baahar aakar tractor tak aaye aur amma bartan uthaane mei lag gayee. Baratan jamaate jamaate bolee “raat ko meri kamre mei ek baar aa jaanaa.” maine puchaa “maa raat ko phir choot marawaaegee?” maa bolee “preeti ko to tu chodtaa hogaa?”

Preeti meri chotee behena hai. maine aankhe neechee kar lee. maa bolee “theek se bataa naa. behen ko to bahut log chodate hai.” mai dheemee aawaaj mei bolaa ” nehi maa abhee tak to nehi “.

maa meri paas aakar bolee “bete behen ko nehi chodaa tune aaj tak? behen ko to sabase pahale chodna chaahiye, bete, bhai kaa lund sabase pahale behen kee choot kholataa hai. Bete pataa hai gao mei jitne bhee ghar hai sab gharo mei bhai beheno kee choot nangee kar ke unme lund dete hai.” mujhe vishwaas hee nehi huaa ki meri maa khud mujhe apni behena ko chodne ko kaha rahee thee.

Bartan jamaa kar ke maa ghar kee ore chal padee. Chud kar unke chalne kaa dhang hee badal gayaa thaa, thode pair failaa kar wo chal rahee thee. Peeche se unkee chaal dekha kar mujhse rahaa nehi gayaa aur mai unkee ore bhaagne lagaa ki unke kaano mei kuch gandee gandee baate kahu.

Tabhee maine humaree naukraanee paaro ko humaree ore aate dekhaa. wo ghar ki har choti choti kaamkaj me maa ki hat bataya karte thi aur maa ke bahut najadeek thee. Mujhe lagtaa tha maa usse kuch bhee chupaatee nehi thee. Uski parivar ki jayadar tar aurte humare yaha kaam kartee aye hai. Kareeb kareeb wo maa kee hee umra kee thee. maa kee ore wo badhe huye muje wo dekh rahee thee.

Paas aane par usne maa se puchaa “kyo maalkin chote saab ko khaanaa khilaa kar aa rahee hai?” maa ne haan kahaa. We dono saath saath chalane lageem. mai ab bhee unakee aawaaj sun sakataa thaa. Paaro sahasaa maa kee taraf jhukee aur neeche swar mei kahaa “maalkin aapkee chaal badlee huee hai.” maa ne dheere se use daamkakar kahaa “chup chaap nehi chal sakatee hai kyaa”.

Paaro kuch der to chupa rahee aur fir badee utsukataa se sahelee kee tarah maa ko puchaa “maalkin aap khet mei marawaa ke aa rahee ho?”

maa ne use nasunaa karte huye aage jaane ke liye kadam badhaaye par paaro kahaan maa ko chodne waali thee. maa ne usse aankhen churaate hue kahaa “achchaa ab chod. Baad mei baat karemge” paaro ne maa ke kamdhom ko pakad.akar bad.ee utsukataa se puchaa “maalkin kisakaa lund hai ki aapkee chaal badal gayee hai”.

maa ne use chup karaane kee koshish kee. “kyaa bekaar kee baat karatee hai, chal hat.” par maa ke chehare ne saaree pol khol dee. Achaanak paaro kaa cheharaa aashcharya aur ek kaamuk uttejanaa se khil uthaa aur usne dheemee aawaaj mei maa se puchaa “maalkin aakhir aapane bete kaa le liyaa?”
maa ne badee mastee se muskaraa kar uskee ore dekhaa. naukraanee khushee se hans padee aur maa ko lipt kar unke kaan mei fusfusaane lagee “maalkin mai kahtee thee naa ki bete kaa lo tabhee sukh milataa hai.” fir maa ke chut ko kapre ke upar se sahelate huye pyaar se kahi “lagtaa hai acche se choda hai ap ko chote sab se". fir wo kahte rahi "“maalkin ab to tum roj raat bete ke kamre mei syoge” .maa ne use daamkate “sali apne bete se tu gaand bhee marawaatee hai aur mujhe bol rahee hai.” Paaro ne jawaab diyaa “maalkin mai to ek bete ko apni gaand marne deta hoon aur doosre ko choot ,aur phir raat bhar dono beto se chudawaatee hoon” fir usne kahaa “maalkin chote saab kaa lund kaisaa hai?” meri maa ne kahaa “tu ek bar usse marwaake dekh kyu nehi leti ?”

mai samajh gayaa ki maa bhee paaro ke saath gandee gandee baate karanaa chahtee hai. dono aurate khet mei chalee gayee. mai un dono ka picha karne laga. maa aur paaro ek dusre ke saamne khadee thee. Paaro maa ko ukasaa rahee thee ki ganda bole.
maa ne aakhir paroo ke aankho mei aankhen daal kar kahaa “dekh paaro meri bete ne aaj mera kaisa gaand aur chut mara hai, maar maar ke meri chut ko aur lal kar diya hai ,chuchi daba daba ke chuchiyon ko aur bara kar diya hai. Paaro, meri bete ne chod dee mere ko”
paaro ne amma se pucha " malkin aap apne bete ke saamne nangee ho ke letee thee? maalkin jab aapake bete ne apna lund ap ko dikhaayaa thaa tab aap sharamaa gayee thee kyaa?”
Paaro ab maa ko vistaar se mujhse chudwane kaa kissaa sunaane kee jid kar rahee thee. maa bolee “paaro meri choot me fir se mano aag lag gayi hai, paaro kuch kar.” paaro bolee “maalkin chote maalik ko kahoon ki wo apna laud nikaal ke aa jaaye aur apni maa kee chut mei daal de ?” maa bolee “haa paaro usko bulaa ke laa, mujhe uskaa motaa lund chaahiye. uski mota lund he mere chut ka aag bujha sakta hai”

mai yeh sunakar jhat se bahar nikal aaya aur nikal kar unake saamne aa kar khadaa ho gayaa. dono mujhe dekha kar stabdh raha gayee. maine unko kahaa ki maine unkee saaree baate sun lee hai aur mai fir se chodna chahataa hu. maa thodee aanaakaanee kar rahee thee ki koee dekh na le. Par paaro ne mera saath diyaa “maalkin jaldee se apna gaand aage karo” aur fir mujhe bolee “bete jaldee se apna lund baahar kar”. maa ne apni salawaar aur chaddee apne ghutno tak neeche kee aur apni gaand aage kar ke jhuk ke khadee ho gayee jisse mai unko piche se chod saku. maine bhee apna khadaa lund baahar nikaal liyaa. Paaro ne maa ki chut ko ungli se jorse keench kar kholke mere ore dekh ke bolee “ab jaldee se apna lund apni maa ke chut mei daal de.” maa kee jaanghe ab mastee se kaap rahee thee aur unkee bur buree tarah paanee chod rahee thee. Paaro ne meri ore dekhaa aur kahaa “bete dekh teree maa kee kaise kaap rahee hai, ab jaldee se apna lund andar bahar karna suru kar.”

Kuch hee palo mei mera lund maa kee bur mei thaa aur mai use khade khade hee chod rahaa thaa. Paaro ke saamne maa ko chodne mei jo majaa aa rahaa thaa wo mai keh nehi sakataa. maa bhee ab waasanaa kee had se gujar chukee thee. haanfatee huee bolee “paaro dekh isakaa lund meri choot mei hai, paaro mera beta meri choot maar rahaa hai. Paaro meri gaand bhee maar rahee hai.”
Paaro ne paas aakar dabee aawaaj mei mujhe salaaha dee “beta, maukaa hai apni maa kee gaand v acchhe se maar le.” maine amma ke chehare kee ore dekh kar kahaa “maa gaand le lu teree?” maa bolee “haa beta meri gaand kaa ched khuli huyi hai tu apna lund chut se nikal kar gaand me daalde?”

Maine apna lund maa kee chut mei se nikaalaa aur haath mei lekar kahaa “chal ab kutiyaa kee tarah khadee ho jaa aur apne haath peeche laa ke apne chootad pakadke kheech aur gaand khol.” maa mera kahanaa maan kar maa ghutno per meri ore peeth kar ke gaand ucha kar ke sar mitti me jhukaye kutiya ke tara khadee ho gayee. Fir apne hee hatho se unone apne chutad pakad kar jor se failaaye jisase unkee gaand kaa khulaa ched mujhe saaf dikhne lagaa. mai apna khadaa motaa lund pakad kar maa ke peeche khadaa hokar badee bhukhee najarom se unke gaand ke ched ko dekh rahaa thaa. maa ke nitamb unke hatho ne failaaye hue the aur gaand kaa ched mastee se khul aur band ho rahaa thaa. Waasanaa se hum dono kee taange tharatharaa rahee thee. maine jore kee aawaaj mei puchaa “maa teree gaand maar loon? ” maa kee cahera saram se laal ho raha tha.Me dheeme awaz me kaha "thik hai". mai samajh gayaa ki wo chudaane ko taiyaar hai.

wo bolee ” beta mai to kutiyaa ho gayee hoon, meri gaand maar de jaldee se.” paaro ne ma ki chut me ungli dalte huye mujhse kahaa “dekh kyaa rahaa hai, chadh jaa saalee pe aur maar saalee kee gaand.” maine haath mei lund pakad kar aage ek kadam badhaayaa aur maa kee peeth par dusaraa haath tikaa kar mera tannaayaa huaa lund maa kee gaand mei utaar diyaa. Jaise lund andar gayaa, maa kee gaand kholtaa gayaa. Aadhaa lund andar ghus chukaa thaa. Ab maine apne dono haath maa kee kamr par rakhe aur kamr ko jore se pakad kar unko apni ore kheechaa, saath hee saamne jhukate hue maine apna lund pure jore se aage pelaa.

Maine ab chodna shuru kar diyaa. mai aur amma dono ab buree tarah se uttejit the. maine use dheere se puchaa “majaa aa rahaa hai naa ?” maa bolee “haa tu chup chaap chod, saalaa kitnaa motaa lund hai teraa.” ab mera puraa lund maa kee gaand mei gadaa huaa thaa. meri lund kaa motaa dandaa unkee gaand mei tight fansaa huaa thaa aur maa ke gudaa kee peshiyaan use kasake pakade hue thee. maa ke stan latak rahe the aur jab jab mai gaand mei lund ko ghusadetaa to dhakke se wo hilne lagte.

Kuch der maraane ke baad maa uth kar seedhee khadee hone kee koshish karne lagee. maine use puchaa ki seedhee kyo ho rahee hai. mera lund ab bhee unkee gaand mei thaa aur jaise hee wo seedhee huee, unkee peeth meri chaatee se sat gayee. maine unkee kaankho ke neeche se apne haath nikaalakar unke chuchi pakad liye aur dabaate hue use jakad kar baahonme liyaa. mera lund ab bhee unkee gaand mei andar baahar ho rahaa thaa. maine puchaa “maa majaa aa rahaa hai naa?” maa ne gardan hilaayee aur dheere se kahaa “beta mera chummaa le le ke chod.”

Maine use apna sir ghumaane ko kahaa aur fir maa ke hontho ko apne muh se chumtaa huaa khade khade unkee gaand maartaa rahaa. Bees minat kee mast chudaaee ke baad maine apna veerya maa kee gaand ke andar daal diya. apna lund maine baahar nikaalaa aur maa ne kapde pahananaa chaalu kar diyaa. Apni unglee se unone apne chude hue gudaa dwaar ko tatolaa. Ab tak paaro aage jaa chukee thee. maa ne trupta nigaahon se meri ore dekhaa aur kahaa “beta aaj raat ko preeti kee gaand pooreee looz kar de.” mai bahut uttejit thaa. maine kahaa “maa aaj kee raat mai apni behen ko nangee kar ke pahle uskee gaand me lund dunga aur fir uskee chut marunga.”
maa bhee mast thee aur aage jhukakar meri honth chumane lagee, bolee “beta meri gaand me bhee lund daal ke meri gaand maaregaa naa?” maine kahaa “maa teree gaand to mai pooreee khol doonga.” maa meri ore dekh kar pyaar se bolee “maadarchod” maine unke gaal sahalaa kar kahaa “saalee randee”

maa ghar kee ore chal dee aur mai apne lund ko pant mei andar karake khushee khushee kaam par nikal gayaa kyoki mujhe pataa thaa ki aaj raat mujhe maa ke saath saath apni hee behena ko chodne kaa maukaa milegaa. Apni chotee behen preeti ko chodne kee kalpanaa se hee mera lund fir khadaa ho gayaa. maine humare naukraanee ko kaee baar unke pariwaar mei hone waalee bhai-behen kee chudaaee ke kisee sunaate hue sunaa thaa. Mujhe yeh bhee pataa thaa ki humare gao mei bahut se gharon mei raat ko bhai apni beheno ke kamre mei jaakar unkee salawaar aur chaddee nikaalkar chodte hai. Us shaan mai ek mitra ke saath kheto mei ghumne gayaa. Sunasaan jagaha thee aur aaspaas koee nehi thaa. maine maukaa dekh kar usse puchaa. “yaar ek baat bataa, jab teraa lund cantrol mei nehi rahtaa hai to tu kyaa kartaa hai?” usne meri ore dekhaa. maine aagraha kiya “bataa naa yaar.” wo bolaa “mai aur meri dono behene saath mei sote hai, raat ko dono ko nangee kar detaa hoon. Jab ghar mei hee maal hai to lund kyo bhookhaa rahe.”

Fir wo bolaa “humaree grup mei sab dost yahee karate hai. mai to apni maa ko bhee chodta hoon. Yaar ghar mei apni maa beheno ko chod ke to hum log apne lund kee garmee doore karte hai.”
Fir usne apna lund nikaal kar mujhe dikhaayaa “dekh mera lund, dekh raat ko mai nanga ho ke ghar mei ghoomtaa hoon aur raat ko meri maa aur behen jab apni choot se paanee chodtee hai to mai un sab kee choot maar ke thandee kartaa hoon. Tujhe to pataa hai meri maa kaisee hai aur meri behene bhee maa jaisee hee hai, raat ko sab apni apni choote nangee kar ke let jaatee hai aur choot kee khushabu saare ghar mei fail jaatee hai.”
Fir meri mitra ne mujhe v ghar jaakar apni maa aur behen ko chodne kee salaaha dee. Tabhee khet mei se uske maa kee aawaaj sunaaee dee. mai ghabaraa gayaa aur jaane lagaa par use koee sharam nehi lagee. wo mujhe bhee saath le jaanaa chaahataa thaa par mai ghar jaane kaa bahaanaa kar ke woha se chal padaa. mai kuch der chalne ke baad chupchaap waapas aayaa kyoki dekhnaa chaahtaa thaa ki we kyaa karate hai. Chup kar mai jwaar kee baaliyon mei se unhe dekhne lagaa. Wo paas hee the. Shaam ho chukee thee par ab bhee dekhne ke liye kaafee roshnee thee.

Maine dekhaa ki maa aur bete aapas mei lipat gaye aur aalingan mei bandhe hue chumaa chaatee karne lage. dono bahut garmee mei the. Aas paas koee nehi thaa. uskee maa bolee “beta, hum akele hee hai naa yeha?” wo bolaa “haan maa, koee nehi hai, majaa aayegaa maa, chalo shuru kare?” fir wo kuch sharmaa kar dheemee aawaaj mei bolaa “maa, aaj kuch khaane kaa man kara rahaa hai, khilaa de naa.” unkee maa ne ghabaraa kar aas paas dekhaa aur kahaa “bete, dheere bolo, koee sun legaa, kiseeko pataa na chale ki hum aapas mei kyaa karte hai.” fir unone haule se meri mitra se kahaa “baad mei kal khilaa dungee bete, aaj pee le.” unone kapde utaare aur jameen par baith gayee. mera mitra unke peeche jaakar let gayaa aur apna muh maa kee taango ke beech rakh diyaa. unkee maa unke muh par baith gayee aur apne bete ke muh mei mutne lagee. usne chupchaap maa kaa mut pee liyaa. Isake baad dono chodne mei jut gaye jiske dauraan uttejit hokar uskee maa kahne lagee “beta, apna beej apni maa ke garbh mei daal de, use garbhawatee kar de, beta, mai tumhaare bachche kee maa bannaa chaahatee hu, apni maa ko chod kar use bachchaa degaa naa?”

wo bolaa, “haan maa, mai tujhe chod kar abhee apna beej tere pet mei bo detaa hu, tujhe maa banaa detaa hu.” fir wo hachak hachak kar shaand ki tarah apni maa ko chodne lagaa. mai bahut uttejit ho chukaa thaa aur woha se ghar kee ore chal padaa. Jab mai ghar pahunchaa to darawaajaa andar se band thaa. mai pichawaade se dheere se andar gayaa to dekhaa ki maa gao kee ek mahilaa, apni sahelee ke saath baithee gapshap kar rahee thee. mai use jaantaa thaa, hum use chaachee kahte the. Palang par baith kar wo kisee baat par hans rahee thee. maine use kahte sunaa “mai to raat ko apni choot nangee kar ke varaande mei let jaatee hoon. Raat ko jisakaa bhee dil kartaa hai, aa ke meri choot maar jaataa hai.” maa hans rahee thee, bolee “teree choot kaa to subaha tak pooraa bharta ban jaataa hogaa?” chaachee bolee “haan mera jo das saal kaa chotaa ladakaa hai, wo bhee koshish kartaa hai par uskaa chotaa lund meri choot mei phanstaa hee nehi.” maa bolee “usako gaand de diyaa kar.” chaachee bolee “uskaa to choos detee hoon.”

Us raat mai pichawaade gayaa. Kuch kheto ke baad humaree naukraanee paaro kee jhopdee hai. Raat kaa ek baj gayaa thaa. Chaaro ore sannaataa thaa. maine paaro ko jhopadee ke baahar aate dekhaa. Shaayad wo mutane aayee thee. uske peeche peeche maine kisee aur ko bhee baahar aate dekhaa. Dekhaa to uskaa beta thaa. Paaro khet kee ore chal diya aur uske peeche peeche uska beta bhee apna lund paajaame ke upar se hee pakad kar hilaataa huaa gayaa, wo dono badee mastee mei hai lag rahaa thaa. humaree naukraanee paaro ek sthaan par khadee ho gayee aur apni salawaar kee naadee kholee. Fir dono ko neeche karake pairo mei se nikaal kar wo taange failaa kar mutane ke andaaj mei baith gayee. Usakaa ladkaa uske paas khadaa hokar lalchee nigaaho se uskee ore dekh rahaa thaa. Bete kee ore dekh kar paaro ne use saath mei baithne ko kahaa. wo baithaa par paaro dant kar bolee “apna lund nikaal ke baith.” maa kaa kahaa maankar usne lund nikaal kar haath mei le liyaa. Fir haath apni maa kee jaangho ke beech badhaakar usone seedhe unkee bur ko chu liyaa.

Paaro ne apne pair aur dur kar liye aur apni jaanghe puree failaa dee. uskee chut ke papote ab bilkul khule the. uske bete ne fir chut chu kar kahaa “maa teree choot pooreee chaudee ho gayee hai.” paaro ne haath badhaa kar uska lund pakad liyaa. Fir uskee ore dekh kar bolee “chal ab moot lene de.” bete ne maa kee ore dekh kar kahaa “maa aaj apna moot pilaa de naa.” paaro yeh sunkar uttejit ho gayee aur uskee ore muh kar ke bolee “saalaa haraamee maadarachod.” uske pair mastee se tharatharaa rahe the. usne apne bete ke gale mei baahe daalee aur uske kaan mei puchaa “bete, mera moot piyegaa?” fir khadee hokar usne idhar udhar dekhaa aur apni taange failaa kar bete se kahaa “beta meri choot muh mei le.” Ladake ne turant maa kee baat maan kar apna muh kholaa aur paaro kee bur par rakh diyaa. Paaro ab uske muh mei mutne lagee. wo apni maa kaa mut peene lagaa. Paaro uttejit hokar gandee gandee gaaliyaam dene lagee.”saale maadarachod le pee maa kee pishaab pee le.”

Mootanaa khatm hone par wo khadaa ho gayaa, uska lund tannaa kar uskee jaangho ke beech khadaa thaa. uskee maa uske saamne pair failaa kar khadee thee aur unkee jaangho ke beech kaa ched pukpukaa rahaa thaa. wo bolee. “beta apni maa kaa ched bhar de.” ladke ne apne lund aage kiye aur maa se kahaa “maa apna ched aage kar.” paaro ne pair aur failaaye aur chut aage karke apni bur kaa ched apane bete ke liye puraa khol diyaa. mai ab maa kee chut me bete kaa lund ghusta dekh uttejit thaa. ladke ne lund andar ghusedaa aur apni maa kee kamr mei haath daal kar use apne shareer se chipkaa liyaa. maa ko daboche hue wo bolaa “saalee jaraa paas aa. Badan se badan chipkaa.” paaro ne bhee use aalingan mei bhar ke kahaa. “haa jaraa lund poora andar de ke chod.”

mai bhee ab apni maa behen ko chodne ke liye utaawalaa thaa. mai jaanta thaa ki kuch hee der mei mera lund meri maa kee chut mei hogaa. Par ghar jaane se pahle mai apne dusre mitra se milnaa chaahataa thaa jo kheto ke paas hee rahtaa thaa. Raat bahut ho gayee thee par mujhe pataa thaa ki wo mujhe jarur kuch bataayegaa. uske ghar ke peeche ek khalihaan thaa jahaan wo anaaj rakhaa karate the. Khalihaan mei se roshnee aa rahee thee. Mujhe ek chotee see law dikhee. mai dekhna chaahataa thaa ki woha kaun hai isaliye ek chattaan par chadhakar andar jhaankne lagaa.

andar do khatiyaa thee. meri mitra kee amma ek khaat par pair latakaa kar baithee thee aur mera mitra unke saamne jameen par maa ke ghutno ko pakadaa huaa baithaa thaa. Wo baate kar rahe the jo mujhe saaf sunaaee de rahee thee. mera mitra bolaa. “maa thod.ee taange khol naa.” uskee maa ne jaraa see anichhaa se apni jaanghe thod.ee see failaa dee. Aisaa lagataa thaa ki wo maa ko salawaar utaarane ko manaa rahaa thaa. “maa salawaar utaar de naa.” Muje laga maa said chudane ko abhee taiyaar nehi thee, mujhe maalum thaa ki shuru mei aisaa hotaa hai. mera mitra maa ko mananeki kosis karta rahaa. wo dheere dheere raaste par aa rahee thee aur chudane kee unkee anichchaa kam ho rahee thee. wo bolee “beta dekh koee dekh to nehi rahaa hai.” wo uthaa aur aangan mei dekhne ke baad darawaaje kee sitkanee lagaakar waapas aa gayaa. Bolaa “maa sab darawaaje band hai. hum dono akele hai.” uskee maa ne fir puchaa “theek se dekhaa hai naa?” wo bolaa “haan maa sab taraf dekhaa hai chal ab apni salawaar utaar.” maa ko nanga karne ko wo machal rahaa thaa.

uskee maa khadee ho gayee aur apni kameej upar uthaa kar salawaar kaa naadaa khol diyaa. Salawaar ab dheelee kholkar niche mittipe gir padee. mera mitra ab utawalaa ho rahaa thaa. Apni maa kee jaangho ke beech haath daalakar usone apna haath badhaayaa aur pantee ke upar se hee maa kee chut sahalaane lagaa. uske sparsh se mast hokar uskee maa ne bhee taange aur failaa dee.
dono ab kafi uttejit the. wo bolaa “maa kachchee bhee utaar de.” wo uskee ore dekh kar bolee “tu apna lund baahar nikaal.” wo bolaa “theek hai, tu mera lund dekh.” usone fir apne pant kee zip kholee aur apna ek fut lambaa motaa lund baahar nikaal liyaa.
Uska mast lund dekhkar uskee maa ne haath badhaakar lund haath mei le liyaa aur bolee “bada bhaaree lund hai teraa". Dekh kaisaa shand ki lundki tarah khadaa hai” wo bolaa “maa isako apni choot to dikhaa.” uskee maa khadee ho gayee aur apni pantee bhee utaar dee. unkee fulee huee chut ab unke bete kee aankho ke saamne tha aur wo use badee bhukhee najar se dekh rahaa thaa. uskee jaangho ke beech uska lund ab aur tannaa rahaa thaa. maa ne uske chehare kee ore dekh kar kahaa “ bete teraa lund khadaa ho gayaa hai.”

usne apne machalate lund ko dekhaa aur fir maa ke chehare ko aur fir bolaa “maa meri lund ko teree choot chaahiye.” maa kee kalaaee pakad kar kheech kar usone apni maa ko god mei bithaa liyaa aur fir uska baaya stan pakad kar dabaate hue bolaa “maa marawaaegee?” uskee maa halke se bolee “apni maa kee choot maaregaa?” meri mitra ne apni maa kee bur me ungalee karnee shuru kar dee. Fir use khaat par patak kar unkee jaanghe kholee aur apna muh maa kee bur par rakh diyaa.
Fir muh khol kar maa kee chut chusne lagaa. Kuch hee der mei maa mast ho gayee aur use bolee “ruk bete, mai tere liye chut theek se kholatee hum, jaraa khaat ke kinaare mujhe baithane de.” wo jameen par baith gayaa aur maa khaat par mutne ke andaaj mei jaanghe failaa kar baith gayee. Fir unone apne bete ke kandhe sahaare ke liye pakad liye aur uska muh kheech kar apni chut par dabaa liyaa. wo jore jore se maa kee khulee huee chut chusne lagaa.

Kuch der baad battee band ho gayee. Sab taraf andheraa aur sannaataa thaa. maine uskee maa kee dheemee aawaaj sunee. maa kaafee uttejit lag rahee thee. “bete meri saath khaane waalaa kaam karegaa?” wo maa kee chut ras le lekar chusataa rahaa aur kuch na bolaa. unone fir puchaa “sun khaa naa.” wo dheere se bolaa “maa, sach mei khilaaegee?” unone uttar diyaa “haay bete, bilakul sach mei khilaaungee tujhe meri raajaa, bol khaaegaa?”
wo ab mast hokar muththa maar rahaa thaa, bolaa “maa maukaa hai aaj tujhe, pataa hai taantrik bhee kaha rahaa thaa ki apni maa ke saath aisaa khaane waalaa kaam karne se aadmee pooreaa paagal ho jaata hai. maa bataa naa tune taantrik ko khilaayaa thaa kyaa?” wo bolee “haay bete, wo to saale sab aise hee maal khaate hai.” mera mitra bolaa “maa apni gaand aage kar.” unkee maa ne taange failaa kar apna gudaadwaar bete ke muh ke aage kar diyaa. wo maa kee gaand chaatane lagaa. uska lund badaa buree tarah se khadaa thaa aur mastee mei wo maa kee chut bhee chus rahaa thaa.

Unhe chodate hue dekh kar maine apni maa kee chut ke baare mei sochanaa shuru kiya. Mujhe maalum thaa ki maa kee bur kaa ched badaa hai. Mujhe maa kaa chut dekhne kee teevra laalsaa thee. mai bhaag kar ghar pahunchaa. Darawaajaa khatakhataayaa to meri pyaaree sundar chotee behen preeti ne darawaajaa kholaa. wo aadhee neend mei thee. Mujhe darawaajaa khol kar wo apane kamre kee ore sone chal dee.
Peeche se maine uske bhare hue kase kamsin nitamb dekhe to man hee mai bolaa ” saalee kyaa mast gaand hai teree meri pyaaree behenaa. Thahar jaa aaj raat teree gaand mei lund dunga.” meri behen ne bade nirdosh bhaav se peeche muda kar puchaa “bhaiyaa kuch kahaa kyaa.”

mai bolaa “kuch nehi tu jaa.” mai jaanta thaa ki preeti ko chodne ke liye abhee wakta thaa, pahale to mujhe maa chodna thee. maine apni behen ko puchaa “maa kahaan hai?”
wo tapaak se mudkar bolee “baathrum gayi hai said pishab karne” . Aur fir meri ore muskurake dekaha or aur apni chut par haath rakhakar bolee “yeh mera ched hai bhaiyaa, maa kaa ched maaraa hai aapane, mera bhee maar do.” maine uskee ore muskurake kahaa “pahale maa kee chod lene de, phir teree maaroomgaa.”maine fir zip khol kar apna lambaa tagadaa lund use dikhaayaa aur kahaa “yeh mera lund dekh rahee hai naa, yeh puraa teree chut mei dungaa aaj raat ko”

wo meri khade lund ko dekhkar ghabaraa gayee. maine kahaa “behen, chintaa na kar, maa ko chod lene de, fir aake tujhe chodta hu” tabhee maine dekhaa ki maa darawaaje par khadee thee. Abhee abhee mut kar aayee thee aur chehare par ek natkhat muskaan thee. meri lund ko dekhkar bolee “bete, apni chotee behen ko apna lund dikhaa rahaa hai?” Fir maa meri chotee behen kee ore mudkar bolee “tu kyaa kar rahee hai khadee khadee, chal apne bhai ko apni chut khol kar dikhaa”. Preeti sharmaa kar hichkichaa rahee thee to maa ne use daanta. “bahiya k same ne koi sharmata hai ? apni chut jaldee se nangee kar ” fir maa hamei bolee. “jab mai chotee thee naa tab mai apne bhaaiyo ko apni chut puree nangee karke dikhaatee thee.”

Ab tak meri behen ne apni salwaar nikaal dee thee aur ab chaddee utaar rahee thee. Chaddee utaar kar wo khadee ho gayee par maa ne use daant kar apni jaanghe kholne ko kahaa jisase mai theek se uskee chut dekh saku. Jaise hee meri behen ne apni jaanghe khol kar apni kamsin chut mujhe dikhaaee, mera lund tannaakar aur hard ho gayaa. lund ka sira jalne laga. Jab maa ne mera khadaa lund dekhaa to bolee “dekh preeti , bhai kaa khadaa naa ho apni behen kee chut dekhkar, aisaa kabhee nehi ho sakataa hai” Fir maa bolee “jo ladke apni maa beheno kee chodate hai, unke lund hameshaa taait rahete hai.” fir wo bolee ki sirf hum log hee peeche rahe gayaa the nehi to humare ilaake mei sab pariwaar ke sadasya aapas mei ek dusre ko khub chodate hai.

Fir maa meri paas aa kar bolee “beta, ab to apni maa behen ko nangee karke nachaa de” mai ab bahut uttejit thaa aur un dono ko kalaaee pakad kar bedarumkee ore ghaseetane lagaa. Bolaa “haa, kyaa tum dono meri liye nangee hokar naachogee?” maa ne mud kar kahaa “tu chal mai ghar ke saare darawaaje bamd karake aatee hu, fir tere saamne nangee hokar aise naachungee ki tu mujhe randee kahegaa” maa jab darawaajaa band karne gayee to meri behen meri ore mudakar bolee “bhaiyaa, meri sab saheliyo ke bhaaiyo ne unkee choot maar maar ke khol dee hai, woh to sab baith ke apne bhaaiyo ke lund ke baare mei bolte hai. Par bhaiyaa aapane meri choot pahale kyo nehi maaree.”

maine use baaho mei lekar kahaa. “sun, aaj teree chut khol dungaa. ” wo bolee “bhaiyaa aaj meri saath gandee gandee baate karo.” maine kahaa “jaraa maa ko to aane de” palang par baith kar maa kaa intajaar karne lage. maa waapas aakar humare palang par baith gayee, mai bahut khush thaa. Aaj mai ek saath apni maa aur behen ko chodne waalaa thaa.